Tuesday, 5 May 2015

बाबा लोग पत्नी से डर के कारण नहीं करते हैं शादी ! अन्यथासबकुछ करने वाले बाबा शादी क्यों न कर लेते ?

   महिलाओं से जब कोई भय नहीं तो फिर पत्नी से इतना डर क्यों?
    इसीलिए अपने प्रवचनों में पत्नी बासना है माया है और जाने क्या क्या बोला करते हैं बाबा !वस्तुतः ये बाबाजी नहीं अपितु उनका डर बोल  रहा होता है ।ये केवल बातों के शेर होते हैं ,बड़ी बड़ी बातें करके समाज को कभी भी चढ़ा सकते हैं बाँस पर !और भिड़ा सकते हैं एक दूसरे से ! 
     पत्नी भय से घर गृहस्थी छोड़ भागे बाबा लोग वहाँ नहीं पहुँच पाए जहाँ के लिए निकले थे ,अब तो घर गृहस्थियों के ही इर्द गिर्द मँडराती ऐसे बाबाओं की असंतुष्ट आत्माएँ उनकी कथा कहानियों में केवल गृहस्थी की बातें !  ऐसे बाबाओं के प्रवचन आजकल ऐसे होने लगे हैं कि समाज को या तो यमराज से डरवाते हैं या फिर  पत्नी से या बीमारी से डराकर चंदा या चढ़ावा ऐसे माँगते हैं जैसे पत्नी रूपी बासना के डर से जान बचाकर खुद तो भाग आए हैं किंतु बेचारे लोगों को बचाने हेतु कोई नई भागीरथी धरती पर उतारने के लिए मानों भगीरथ बनने जा रहे हों ! कितनी बड़ी बड़ी बातें कैसी कैसी भारी भरकम योजनाएँ !
      जिन्हें व्यापार, राजनीति आदि सारे काम गृहस्थों की तरह ही करने हों फिर ऐसे बहादुर लोगों को क्या केवल पत्नी ही इतनी खुंखार लगती है कि उसके डर के कारण केवल विवाह नहीं करते हैं अन्यथा यदि वैराग्य ही होता तो साधू संतों की तरह ही बाबा लोग भी सारे प्रपंचों से दूर रहकर भगवान का भजन करते ! और यदि  सब कुछ छोड़ते तो विवाह भी न करते तब तो बात समझ में आती किन्तु सब कुछ करना यहाँ तक कि स्त्रियों से भी न डरना तो फिर केवल पत्नी से क्यों डरना ! पत्नी के साथ जिम्मेदारियाँ निभानी पड़ती हैं इसलिए !उसे कमा  कर खिलाना पड़ता है इसलिए !! बच्चों का भरण पोषण करना होता है इसलिए ! अपनी जिम्मेदारी स्वयं अपने को उठानी पड़ती है इसलिए !जबान सँभाल कर बोलना पड़ता है इसलिए !आखिर  एक पत्नी से डर कर क्यों भागना !और जो घर गृहस्थी के परिश्रम पूर्ण कामधंधों से डर गए  वो कितनी भी बीर रस की बातें कर लें किंतु अब समाज को सच्चाई पता लगने लगी है कि कौन क्या करने के लिए क्या बना है इसलिए ऐसे अघोषित गृहस्थों की सीख मानकर आज कोई भी अपने को बदलने को तैयार नहीं है क्योंकि जो चीज हम खुद नहीं कर सकते  हैं उसका उपदेश करते हैं तो सामने वाले पर भी उसका उतना असर भी नहीं पड़ता है! आज बाबा लोग भी कथाओं के नाम पर अब गाते बजाते घूम रहे हैं क्या वेद पुराण रामायणें इसीलिए लिखी गई थीं !

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