समाज को आत्म निर्भर बनाना है तो जगाना होगा सारे समाज को और उनमें सँभालने होंगे नैतिक संस्कार !
जिससे समाज अपनी हर जरूरत के लिए
सरकार की कृपा पर ही आश्रित न रहे!आखिर पुराने समय में भी तो लोग आपसी भाई
चारे से रह लेते थे!आज साधन बहुत हो गए हैं किन्तु उनका उपयोग बिलकुल नहीं
के बराबर है मोबाईल हर किसी की जेब में पड़ा है किन्तु बात किससे करें!
कारें दरवाजे पर खड़ी हैं किंतु जाएँ किसके घर? सबसे तो संबंध बिगाड़ रखे
हैं! न जानें क्यों ? सरकारी कानून बल,सरकारी सोर्स सिफारिस बल धनबल कहाँ
किसी के काम आ पा रहे हैं जो इनके सहारे रहा सो मरा !
आज आधे अधूरे कपड़े पहनने वाली फैशनेबल लड़कियों की हिम्मत तो सरकार खूब
बँधा रही है कि आप जैसे चाहो वैसे रहो हम तुम्हारे साथ हैं तुम्हें कोई
रोक नहीं सकता किन्तु खाली हिम्मत बँधाने से क्या होता है लड़कियों की मदद
कितनी कर पा रही है सरकार?पुराने ढंग से रहने में हमें पिछड़ा दकियानूसी
रूढ़िवादी आदि कहलाने का खतरा है किन्तु सरकारी सुरक्षा के भरोसे तो खतरा ही
खतरा है!अब ये हमें सोचना है कि सरकारी सुरक्षा बल के भरोसे अपनी छीछालेदर
कराने के बाद भारतीय संस्कृति की छाँव में सुरक्षित रहना है या बिना
छीछालेदर कराए ही भारतीय संस्कृति की छाँव में सुरक्षित रहने में भलाई
है!चारों ओर आधुनिक फैशन में रहने पर खतरा ही खतरा है!
सरकारों में जनसेवा की सोच ही आज कहाँ है किस घमंड में जी रहे हम लोग ?
सरकारें पति पत्नी का तलाक कराने का कानून तो बना सकती हैं किन्तु पति
पत्नी में प्रेम नहीं पैदा कर सकती हैं!जबकि प्रेम सबसे अधिक जरूरी है वो
हमें ही करना है इसीप्रकार से पड़ोसी से लेकर सभी सम्पर्कियों से मुकदमा लड़ो
तो सरकारें एवं कानून तुम्हारा साथ देंगे किन्तु यदि इनसे प्रेम करना चाहो
तो इसके सूत्र न तो कानून में हैं और न ही सरकारों के पास !किन्तु जो
स्त्री पुरुष इस सच्चाई को नहीं समझ पा रहे हैं उन्होंने सरकारी कानूनी
सुरक्षा बल के घमंड में अपने सारे सम्पर्कियों सम्बन्धियों से तलाक कर
लिया है किन्तु सरकार कब कहाँ किसके काम आई है? राजनीति,राजनेता एवं
सरकारें तो हर विषय में आश्वासन देकर धोखा देती रहती हैं!ये हर विषय में
इनकी आदत में है!
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