सरकारों में अब इतनी समझ ही नहीं होती है कि वो देश के लिए उचित अनुचित का निर्णय ले सकें !
साहित्यकार वर्तमान सरकार को भी अपना ही समझें और सरकार की बौद्धिक मदद करें, उचित मान्य एवं स्वीकरणीय सुझाव दें ! सरकार यदि कोई गलती कर रही है तो उसे वापस लौटना पड़ेगा किंतु सुझाव तो अपनेपन से दिए जाएँ !
मोदी जी के सरकार में आने से पहले ही जो लोग मोदी जी को मौत का सौदागर कह चुके थे या कुछ लोग कह रहे थे इनके प्रधानमंत्री बनने से सांप्रदायिक माहौल बिगड़ जाएगा किंतु मोदी सरकार में एक वर्ष तक तो ऐसा कुछ हुआ नहीं यह सोचकर कहीं वही लोग तो नहीं अपनी भविष्यवाणियाँ सच करने पर तुले हुए हैं इसलिए वही लोग सरकार को बदनाम करने के लिए करवा रहे हों ये सारे अपराध !आखिर दालों से लेकर तेलों तक के भावों में आग लगी नहीं अपितु विरोधियों के द्वारा लगाई गई है ये सबको पता है महँगाई बढ़ाने में तो कोई साम्प्रदायिकता नहीं है किंतु इससे सरकार की छवि बिगाड़ने में तो विरोधियों को सुविधा हो रही है !
चाहे अनचाहे साहित्यकार लोग भी यदि यही करते दिखने लगेंगे तो पुरानी सरकारों से साँठ गाँठ होने का आरोप तो लगेगा ही !
चाहे अनचाहे साहित्यकार लोग भी यदि यही करते दिखने लगेंगे तो पुरानी सरकारों से साँठ गाँठ होने का आरोप तो लगेगा ही !
इसमें कोई संशय नहीं है कि राजनीति में भाषा से लेकर आचार व्यवहार तक सब कुछ बिगड़ता जा रहा है अपराधियों ,अयोग्यों ,अशिक्षितों एवं अन्याय प्रिय लोगों का प्रवेश राजनीति में बढ़ता जा रहा है जिस पर अंकुश लगाने को कोई पार्टी तैयार नहीं है ये सच्चाईहै ।
आप कितना भी पढ़े लिखे ज्ञानी गुणवान आदि कुछ भी क्यों न हों किंतु राजनीति के लिए आप तब तक बिलकुल बेकार हो जब तक आपके पीछे भीड़ नहीं है और यदि आपके पीछे भीड़ है तो आपके सौ खून माफ अर्थात आपको जेल भी नहीं होगी बेल भी मिल जाएगी आपकी मदद करने के लिए भी लोग आ जाएँगे विरोधी पार्टियाँ भी आपका विरोध करने से डरने लगेंगी !कुलमिलाकर राजनैतिक समाज भीड़ के भरोसे टिका हुआ है और भीड़ अच्छे लोगों के साथ कहाँ होती है !इसीलिए तो शिक्षित सदाचारी लोग राजनीति में सफल कम ही हो पाते हैं ।वहाँ तो सबको वैसा ही बनना पड़ता है जैसी राजनैतिक क्षेत्र में डिमांड है ।
आप कितना भी पढ़े लिखे ज्ञानी गुणवान आदि कुछ भी क्यों न हों किंतु राजनीति के लिए आप तब तक बिलकुल बेकार हो जब तक आपके पीछे भीड़ नहीं है और यदि आपके पीछे भीड़ है तो आपके सौ खून माफ अर्थात आपको जेल भी नहीं होगी बेल भी मिल जाएगी आपकी मदद करने के लिए भी लोग आ जाएँगे विरोधी पार्टियाँ भी आपका विरोध करने से डरने लगेंगी !कुलमिलाकर राजनैतिक समाज भीड़ के भरोसे टिका हुआ है और भीड़ अच्छे लोगों के साथ कहाँ होती है !इसीलिए तो शिक्षित सदाचारी लोग राजनीति में सफल कम ही हो पाते हैं ।वहाँ तो सबको वैसा ही बनना पड़ता है जैसी राजनैतिक क्षेत्र में डिमांड है ।
भीड़ दूध की डेरियों पर नहीं होती शराब की दुकानों पर होती है ,वेश्याओं के कोठों पर होती है ,जुआँ खेलने वालों के पास या गाली गलौच करने वालों के पास होती है! मक्खियाँ गंदगी में ही भिनभिनाया करती हैं भीड़ हमेंशा जनरल बोगी में ही होती है रिजर्वेशन में नहीं !आप दरोगा जी से प्रेम पूर्वक बात करें तो बेकार हैं भरी सभा में दरोगा जी को चाँटा मार दें तो आप नेता हैं । चोरी छिनारा हत्या बलात्कार जैसे बड़े से बड़े अपराध करने वाले लोग स्वयं अपराधी नहीं होते अपितु ये उन अपराधियों के कृपापात्र होते हैं जिनसे हम अपराध रोकने की आशा रखते हैं !
बंधुओ !यही एक कारण है कि यदि आप वास्तव में ईमानदार हैं और ईमानदारी पूर्वक देश और समाज की सेवा करना चाहते हैं तो आप अपनी बड़ी से बड़ी क्वालीफिकेशन की कापियाँ भेज दीजिए देश की बड़े से बड़े राजनैतिक पार्टी प्रमुखों के पास किंतु वो आपकी बातों में हँस देंगे आपकी प्रशंसा कर देंगे आपको आश्वासन दे देंगे आपके पैर छू लेंगे !किन्तु आपको अपनी पार्टी में घुसने नहीं देंगे और यदि किसी जुगाड़ से घुस गए तो कोई पद नहीं देंगे और पद दे भी दिया तो आप पर नजर रखी जाएगी और थोड़े बहुत दिनों में आपकी दो चार कमियाँ खोज कर आपको पद मुक्त कर दिया जाएगा !इस प्रकार से समय समय पर आपका उपयोग किया जाता रहेगा ,भाड़े के तो आप आप प्रधान मंत्री भी बनाए जा सकते हैं किंतु आप अपनी सामर्थ्य पर कभी कुछ नहीं बन पाएँगे !ये है वर्तमान राजनीति का स्तर !ये सब हमारा निजी अनुभव है see more .... http://snvajpayee.blogspot.in/2012/10/drshesh-narayan-vajpayee-drsnvajpayee.html
बंधुओ !यही एक कारण है कि यदि आप वास्तव में ईमानदार हैं और ईमानदारी पूर्वक देश और समाज की सेवा करना चाहते हैं तो आप अपनी बड़ी से बड़ी क्वालीफिकेशन की कापियाँ भेज दीजिए देश की बड़े से बड़े राजनैतिक पार्टी प्रमुखों के पास किंतु वो आपकी बातों में हँस देंगे आपकी प्रशंसा कर देंगे आपको आश्वासन दे देंगे आपके पैर छू लेंगे !किन्तु आपको अपनी पार्टी में घुसने नहीं देंगे और यदि किसी जुगाड़ से घुस गए तो कोई पद नहीं देंगे और पद दे भी दिया तो आप पर नजर रखी जाएगी और थोड़े बहुत दिनों में आपकी दो चार कमियाँ खोज कर आपको पद मुक्त कर दिया जाएगा !इस प्रकार से समय समय पर आपका उपयोग किया जाता रहेगा ,भाड़े के तो आप आप प्रधान मंत्री भी बनाए जा सकते हैं किंतु आप अपनी सामर्थ्य पर कभी कुछ नहीं बन पाएँगे !ये है वर्तमान राजनीति का स्तर !ये सब हमारा निजी अनुभव है see more .... http://snvajpayee.blogspot.in/2012/10/drshesh-narayan-vajpayee-drsnvajpayee.html
ऐसी परिस्थिति में सभी पार्टियों की सरकारों से ईमानदार व्यवहार की आशा एक सीमा तक ही रखी जा सकती है अन्यथा कोई एक पार्टी यदि इससे हटेगी तो वो अपनी चुनावी विरादरी से बाहर हो जाएगी ऐसी परिस्थिति में हर पार्टी की कार्य प्रणाली एक जैसी ही है तो फिर आक्रोश केवल वर्तमान केंद्र सरकार पर ही क्यों ?ऐसी परिस्थिति में साधू संत शिक्षक कवि साहित्यकार आदि लोग समाज को ही जागृत करके ईमानदारी के पथ पर अग्रसर करें तभी सम्भव है कि देश में भ्रष्टाचार मुक्त स्वच्छ वातावरण बन सके !
इसी विषय में हमारे कुछ और लेख -
- केंद्र सरकार के विरुद्ध बड़े बड़े समझदार लोग न जाने क्यों बनाने लगे हैं डरावना माहौल !seemore.... http://sahjchintan.blogspot.in/2015/10/blog-post_89.html
- साहित्यकारों और सरकारों के सहयोग से ही हो सकता है अच्छे समाज का निर्माण !आपसी विश्वास बनाए और बचाए रखना बहुत जरूरी !see more... http://bharatjagrana.blogspot.in/2015/10/blog-post_89.html
- साहित्यकारों का पुरस्कार पाना हो या लौटाना दोनों राजनीति से प्रेरित होते हैं ! अच्छा रहा कबीर सूर तुलसी मीरा जैसे साहित्यकारों को नेताओं ने कोई पुरस्कार नहीं दिया इसीलिए साहित्यकार के रूप में ही आजतक ज़िंदा रह सके हैं वे लोग !बंधुओ !जिन्हें पुरस्कार नहीं मिलता ऐसे साहित्यकार क्या सम्मानित नहीं होते !seemore.... http://bharatjagrana.blogspot.in/2015/10/blog-post_66.html
अरे पुरस्कार लौटाने वालो ! दुखी तो देशवासी भी हैं किंतु वो लौटावें क्या ?पुरस्कार उन्हें दिए नहीं गए ,बाजारों में मिलते नहीं हैं !पुरस्कार लेने का जुगाड़ उन्हें आता नहीं है !see more.... http://bharatjagrana.blogspot.in/2015/10/blog-post_48.html
क्या केवल साहित्यकारों और लेखकों की हत्या के खिलाफ हैं साहित्यकार ! हर किसी का जीवन बहुमूल्य है , हत्या किसी की भी विरोध सामूहिक होनाचाहिए !मिलजुलकर ही निपटा जा सकता है मानवता के शत्रुओं से !see more.... http://sahjchintan.blogspot.in/2015/10/blog-post_21.html