Saturday, 17 December 2016

कालेधन की सरकारी परिभाषा ! जो धन जनता अपने पास रखे वो काला किंतु वही धन नेताओं को सौंप दे तो सफेद !

नेताओं को चंदा देने के लिए जनता को मजबूर क्यों कर रही है सरकार !
      जनता की मेहनत से कमाई हुई संपत्ति भी काली और नेताओं की हराम में हथियाई हुई संपत्ति भी  सफेद !जब तक नेताओं के इस भ्रष्टाचार और अत्याचार को जनता सहती है तभी तक बचा हुआ है लोकतंत्र ! राजनैतिकदलों को टैक्स में छूट और जनता के पैसों की लूट ? जनता का पैसा हराम का है क्या ?भ्रष्टाचार का साक्षात समुद्र हैं राजनैतिक पार्टियाँ !फिर उन पर कृपा क्यों ? राजनैतिक पार्टियों का फंड जुटाने के लिए ही क्या गढ़ी गई थी नोटबंदी की कहानी ?राजनैतिक भ्रष्टाचार ही वास्तव में असली भ्रष्टाचार है भ्रष्टाचार के इस समुद्र को सुखाए बिना न घट सकते हैं अपराध और न हो सकती है ईमानदार राजनीति !
         प्रायः सरकारी अधिकारी कर्मचारी अपना कर्तव्य भूलकर नेताओं की आज्ञा का पालन ही तो कर रहे हैं इसीलिए नेता लोग इनकी सैलरी अनाप शनाप बढ़ाए जा रहे हैं सरकारों में सम्मिलित नेताओं को उनकी तुलना में आम आदमी की आमदनी की कोई परवाह ही नहीं रहती है किंतु वो नेताओं के भ्रष्टाचार की अधिकारी कर्मचारी कहीं पोल न खोल दें इसीलिए नेता लोग लगे रहते हैं उनकी सेवा में !
          देश वासियों के बीच मजाक बनकर रह गई है राजनीति ! जनता को नोटबंदी अभियान के जाल में चारों ओर से फँसाकर फिर यह कह देना कि राजनैतिक पार्टियों को दिया जा सकता है कितना भी धन वो टैक्स मुक्त है इसका सीधा सा मतलब है नेताओं को सुख सुविधाएँ भोगने के लिए पैसे दो !राहुलगाँधी मिलने क्या गए सरकार का मूड ही बादल गया और राजनैतिक पार्टियों की टैक्स मुक्त बता दिया गया क्यों ?
      संसद चलाना  जिन नेताओं के बश का है नहीं ,जनता के किसी काम के नहीं हैं नेता लोग !फिर भी जनता इन्हें खाने के लिए पैसे दे रहने घूमने के लिए सुख सुविधाएँ दे !दिनोंदिन जनता पर बोझ होती जा रही है राजनीति ! सच्चाई तो यह है कि लोकतंत्र के नाम पर जनता की कमाई भोगने वाले नेताओं को बोझ और उनकी बातों को गाली एवं उनके कर्मों को सबसे बड़े दुष्कर्म एवं उनकी बेशर्मी को सबसे बड़ी नीचता मानने लगी है जनता !हिजड़े भी कमाकर खाते हैं भले ही वो घर घर जाकर तालियाँ ही क्यों न बजाते हों वो गर्व से कह तो सकते हैं कि हमने कहाँ से कितने रूपए कमाए हैं किंतु हमारे नेता नहीं बता सकते हैं अपनी संपत्तियों  के स्रोत !
      नेता लोग अक्सर गरीब परिवारों से आते हैं वे अक्सर अल्पशिक्षित कलाशून्य अकर्मण्य और आलसी होते हैं पैसे पैदा करने लायक उनमें प्रायः कोई गुण नहीं होता है !नौकरी मिलने लायक शिक्षा नहीं होती समय नहीं होता है मेहनत करके खाने की भावना नहीं होती है व्यापार करने के लिए न पैसे होते हैं और न ही समय !धन कमाने के लिए ये कुछ करते देखे भी नहीं जाते हैं फिर भी चुनाव जीतने के बाद करोड़ो अरबोंपति अचानक हो जाते हैं ये लोग !उसके लिए इन्हें कोई प्रयास भी नहीं करना पड़ता है ।  
     राहुलगाँधी जी यदि प्रधानमंत्री जी  से राजनैतिक पार्टियों को टैक्स मुक्त रखने के लिए मिल सकते थे तो   संसद चलाने के लिए पहले मुलाक़ात क्यों नहीं की !उनके लिए संसद चलाना जरूरी काम नहीं था क्या ?संसद चलाने के लिए नेताओं में आपसी सहमति नहीं बनी किंतु राजनैतिकदलों को दी गई टैक्स में छूट के प्रकरण में सभी करिया बरजतिया नेता लोग एक जैसी भाषा बोल रहे हैं !सभी नेताओं के नोट ऐसे होंगें सफेद इसीलिए अभी तक कोई नेता नहीं गया लाइनों में लगने !सारे काम आपसी मिली भगत से हो रहे हैं केवल संसद में जनता का काम न करने के लिए नेता लोग लड़ाई का नाटक करते हैं  !
     जनता के धन को काला बताकर उसे सुरक्षित रखने के सभी दरवाजे बंद करके अचानक यह घोषणा कर दी जाए कि राजनैतिक पार्टियों को दिया गया चंदा टैक्स मुक्त होगा इशारा साफ था अपना पैसा नेताओं को दो !राहुलगाँधी जी और प्रधानमंत्री जी की एकदिन पहले हुई मुलाक़ात के बाद यह घोषणा वो भी तब जब आपसी मतभेदों के कारण संसद न चलने दी जाती रही हो फिर अचानक मुलाक़ात क्यों ?
       देशवासियों में जिनके संबंध किसी नेता से नहीं होते हैं उन्हें तंग करने के लिए छोड़ दिए जाते हैं भ्रष्टाचारी अधिकारी कर्मचारी उनसे जो कुछ भी नोच कर लाते हैं वो मिलबाँट कर रख लेते हैं सरकारी नेता और अधिकारी कर्मचारी लोग ! इसीलिए घूस लेने वाला हर कर्मचारी कहता है कि ये पैसा ऊपर तक जाता है !ऊपर बैठे अधिकारी हों या सरकारों में सम्मिलित नेता लोग इन दोनों के सम्मिलित हुए बिना भ्रष्टाचार किया ही नहीं जा सकता !अधिकारियों को जब से नौकरी मिली है और नेता जब से चुनाव जीते हैं दोनों की तब से अब तक की संपत्तियों और संपत्ति स्रोतों का मिलान करके ईमानदारी पूर्वक देख लिया जाए तो इसी साँठ गाँठ से पैदा हुए हैं सभी प्रकार के भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचार के अपराध ! इनके सहयोग के बिना अपराध हो ही नहीं सकते हैं !
    राजनीति पर कृपा का मतलब है कि भ्रष्टाचार से लड़ने में सरकार की नियत साफ नहीं है !भ्रष्टाचार  की जड़ पर कृपा क्यों ?
     सारे पाप और अपराधों  का केंद्र तो राजनैतिक पार्टियाँ और नेता लोग ही हैं हमारी राजनीति एवं नेताओं की कार्यशैली से ही अपराधियों को ऊर्जा मिलती है । नेताओं के कृपाबल  के बिना किसी भी अपराध को अंजाम देना आसान है क्या ?किसी अपराधी के संपर्कों का अनुसन्धान किया जाए तो उसके निजी संबंध किसी न किसी नेता से प्रायः निकलेंगे !वो जितना बड़ा अपराधी होगा उतने बड़े नेता से संपर्क निकलेंगे!इसी सिद्धांत के तहत बड़े बड़े अपराधियों के संपर्क बड़े बड़े नेताओं से हो जाते हैं ! अपने कर्तव्य पालन में कोई नेता भले फेल हो जाए किंतु ऐसे लोगों के काम टाइम से ही कर के देने होते हैं ! नेता लोग राजनीति के माध्यम से जनता की सेवा कितनी कर पाते हैं कितने लोग कर पाते हैं ये बात दूसरी है ।
       आम आदमी का अपराध करना तो दूर आप थोड़ा सा कोई ऐसा काम कर भर लें जो कानून सम्मत न हो  यहाँ तक कि आप थोड़ा चबूतरा या छज्जा तक तय सीमा से आगे बढ़ा लें या और कुछ कर लें या आपकी गाड़ी के कोई कागज कम हों जिसे गैर क़ानूनी माना जा सकता हो सरकारी भिखारी आपके दरवाजे तब तक हाथ फैलाए खड़े रहेंगे जब तक आप ऊन्हें कुछ दे नहीं देते !किंतु आपकी थोड़ी भी जान पहचान राजनीति में हो तो वही सरकारी भिखारी आपके बड़े बड़े अपराधों को भी नजरंदाज करते रहेंगे !
        यही सब  कारण हैं कि नेता प्रायः सामान्य घरों से आते हैं किंतु चुनाव जीतते ही करोड़ों अरबोंपति बन जाते हैं दूसरी ओर गाँवों गरीबों ग्रामीणों की हमदर्दी और विकास के लिए बड़ी बड़ी बातें करने एवं भारी भरकम फंड पास करवाने वाले नेता खा जाते हैं जो बचता है वो सरकारी भ्रष्टाचारी अधिकारी कर्मचारी खा जाते हैं जनता तक केवल ख़बरें ही पहुँच पाती हैं वो भी सरकारी भ्रष्टाचार में मीडिया को उसका हिस्सा नहीं मिला तो मीडिया शोर मचाता है यदि उसे भी मिल गया तो भ्रष्टाचार की खबरें भी उस जनता को नहीं मिल पाती हैं जिसका भला करने के लिए के नाम पर संसाधनों की लूट की जा रही होती है । 

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