देश और समाज को सुधारने के लिए सरकारों को पहले स्वयं सुधरना होगा और
फिर सुधारना होगा अपने भ्रष्ट अधिकारियों कर्मचारियों की काली कार्यशैली
को !इतना होते ही अपराधी स्वयं सुधर जाएँगे!क्योंकि अपराधियों की सबसे बड़ी मददगार होती है सरकार की अपनी भ्रष्ट मशीनरी !
यद्यपि सरकारी विभागों में आज भी बहुत लोग ईमानदार हैं और उन्होंने आज भी अपनी नैतिकता को जीवित बचा रखा है वो अपने बच्चों को ईमानदारी की कमाई से ही पालाना लन चाहते हैं किंतु कुछ भ्रष्टाचारियों ने जो गन्दगी फैला रखी है वो सब पर भारी पड़ रही है उससे निपटने की तरकीब सोचे सरकार !अन्यथा सारी कवायद बेकार है !
सरकारी विभागों के भ्रष्टाचार के कारण कानूनों का उपयोग कम दुरुपयोग ज्यादा हो रहा है?सरकारी मशीनरी जनता की समस्याएँ घटाने से ज्यादा बढ़ाने में रूचि ले रही है ।अरे ये भी तो देखे कि कौन कर्मचारी जनता का काम कितना और कैसा कर रहा है किसी की कोई जिम्मेदारी ही नहीं है हर मामला धकिया कर कोर्ट भेज दिया जा रहा है !रोड बनते ही उखड़ने लगते हैं कहीं पर कोई कब्ज़ा करके बैठ जाता है सरकारी स्कूल अस्पताल डाक खानों से जनता का भरोसा क्या टूटता है क्योंकि वहां जिम्मेदारी नहीं है अपनापन नहीं है कुछ कहो तो कहते हैं कोर्ट चले जाओ !
धन के बल पर लोग कहीं भी कभी भी किसी भी मामले में टाँग फँसाकर खड़े हो जाते हैं । कुछ धन लोभी अधिकारियों कर्मचारियों का आर्थिक पूजन करके उनसे अपना मनचाहा लिखवा लेते हैं और चले जाते हैं कोर्ट ! किंतु उन्हें यदि वैसा लिख कर देने में जिम्मेदारी बरती जाए तो वो चाहकर भी वे कैसे बना पाएँगे गलत एवं आधारहीन केस ! सरकारी विभागों की इसी गैर जिम्मेदारी के कारण कितने भले लोग अपनी पुस्तैनी जमीनें और मकान आदि बेचने के लिए मजबूर कर दिए जाते हैं !किंतु सरकार यदि वास्तव में समाज के लिए कुछ अच्छा करना चाहती है तो वो सर्व प्रथम सरकारी विभागों में होने वाला भ्रष्टाचार बंद करे ऐसे भ्रष्टाचारी लोगों के विरुद्ध किसी बड़ी सजा का एलान करे !सभी प्रकार के अपराधों पर अभी अंकुश लगना शुरू हो जाएगा और घटने लगेगा न्यायालयों का अतिरिक्त बोझ !झूठे मुकदमें अभी वापस होने लगेंगे !दबंग लोग आपस में समझौते करने पर मजबूर हों जाएँगे !
धन के बल पर लोग कहीं भी कभी भी किसी भी मामले में टाँग फँसाकर खड़े हो जाते हैं । कुछ धन लोभी अधिकारियों कर्मचारियों का आर्थिक पूजन करके उनसे अपना मनचाहा लिखवा लेते हैं और चले जाते हैं कोर्ट ! किंतु उन्हें यदि वैसा लिख कर देने में जिम्मेदारी बरती जाए तो वो चाहकर भी वे कैसे बना पाएँगे गलत एवं आधारहीन केस ! सरकारी विभागों की इसी गैर जिम्मेदारी के कारण कितने भले लोग अपनी पुस्तैनी जमीनें और मकान आदि बेचने के लिए मजबूर कर दिए जाते हैं !किंतु सरकार यदि वास्तव में समाज के लिए कुछ अच्छा करना चाहती है तो वो सर्व प्रथम सरकारी विभागों में होने वाला भ्रष्टाचार बंद करे ऐसे भ्रष्टाचारी लोगों के विरुद्ध किसी बड़ी सजा का एलान करे !सभी प्रकार के अपराधों पर अभी अंकुश लगना शुरू हो जाएगा और घटने लगेगा न्यायालयों का अतिरिक्त बोझ !झूठे मुकदमें अभी वापस होने लगेंगे !दबंग लोग आपस में समझौते करने पर मजबूर हों जाएँगे !
अक्सर अपराधियों को पकड़ने के लिए छापे मारे जाते हैं समाज में और उनका बचाव करने वाले बैठे होते हैं सरकारी विभागों में! सरकार उन्हीं से उमींद पाले बैठी है भ्रष्टाचार रोकने की !उन्हीं के बल पर अपराधों को रोकने की कसमें खा रहे होते हैं सरकारों में बैठे बड़े बड़े नेता लोग !कितने अँधेरे में जीते हैं वो लोग और जनता को भी अपने आधार विहीन सच के सहारे अपराध रोकने का झूठा आश्वासन दिया करते हैं !
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में गैर कानूनी कामों की शिकायत करने पर भी सुनवाई जब नहीं होती है तो बाकी सारे देश की स्थिति की सहज कल्पना की जा सकती है !दिल्ली में भ्रष्टाचार कम है क्या ! अब तो भ्रष्टाचार उखाड़ फेंकने की कसमें खाने वाले भी मौन हो चले हैं पाप की कमाई खाने वालों के पास इतना नैतिक बल कहाँ होता है कि वे भ्रष्टाचार के विरुद्ध गरज सकें वो जब तक भ्रष्टाचार के अंग नहीं होते हैं तभी तक ही उन्हें भ्रष्टाचार बुरा लगता है किन्तु जब से भ्रष्टाचार परिवार के सदस्य वे खुद भी हो जाते हैं तो भूल जाता है सारा सारा धरना प्रदर्शन !
दिल्ली में भी खूब हो रहा है भ्रष्टाचार पैसे देकर जायज नाजायज सभी प्रकार के काम किए कराए जा रहे हैं
सरकारों में बैठे लोगों के पास इतनी फुरसत कहाँ है कि वे जनता की आखों से
देख सकें सरकारी कर्मचारियों के काम काज की गैर जिम्मेदार कार्य शैली को
! विवाद बढ़ने पर पुलिस कहती है SDM साहब के पास जाओ ! वहाँ जाने पर वो कहते हैं कि EDMC में जाओ ! जब वहाँ पहुँचो
तो वो कहते हैं कि कोर्ट चले जाओ !इसी प्रकार से ग्रामीण क्षेत्रों में हैं जो जैसे पैसे दे वैसा लेखपाल
लिख देते हैं अपने मनमुताबिक SDM से लिखा लेते हैं अक्सर घूस देने में सक्षम लोग ! इस प्रकार से पैसे ले लेकर दोनों तरफ से
मामलों को उलझा देते हैं सरकारी विभाग और फिर उन दोनों को भेज देते हैं कोर्ट! सरकारी विभाग क्या इसीलिए बनाए गए हैं और इसीलिए सरकार उन्हें देती है सैलरी ! आखिर उनकी कोई जिम्मेदारी क्यों नहीं होनी चाहिए गलत लिखकर देने में भय तो उन्हें भी होना चाहिए किंतु क्यों नहीं है !वे केवल एक दूसरे का पता बताते रहें और गैर जिम्मेदारी पूर्वक लिख लिख कर देते रहें और इसके बाद भेज दें कोर्ट !ऐसा कब तक चलेगा और ऐसे तो बढ़ेगा ही माननीय न्यायालयों का बोझ !
सरकारी मशीनरी यदि ईमानदारी और जिम्मेदारी पूर्वक काम करे तो आधे मामले कोर्ट में जाने से पहले ही निपटाए जा सकते हैं !सैकड़ों झगड़े टाले जा सकते हैं !सैकडों तलाक होने से बचाए जा सकते हैं किंतु वे ऐसा करें क्यों
इसमें उनका अपना लाभ क्या है और भ्रष्टाचार करने में उनका अपना
नुक्सान क्या है ! आलसी सरकारों की लप्फाजी से सुपरिचित हैं वे लोग भी इसलिए
डरें किसको और क्यों डरें !सरकारें अपराधियों पर लगाम लगाने से ज्यादा अपराध के विरुद्ध लड़ने का दिखावा करने में समय बर्बाद करती हैं किंतु अभी तक इस पर लगाम लगाने में असफल रही हैं गैर जिम्मेदार सरकारें !
चिंता की बात ये है कि सरकारी कामकाज करने और कानूनों का पालन जनता से
करवाने के लिए जो अधिकारी कर्मचारी नियुक्त किए जाते हैं और उन्हें जनता की
खून पसीने की कमाई से सरकार सैलरी देती है वो सरकार उनसे काम भी करवावे ये
क्या सरकार की जिम्मेदारी नहीं होनी चाहिए !उचित तो है कि सरकार उनसे
कानून के अनुसार काम ले किंतु यदि सरकारी लापरवाही के कारण ऐसा नहीं किया
जा सकता है तो कम से कम इतनी जिम्मेदारी तो सरकार को भी सुनिश्चित करनी ही
चाहिए कि सरकार के अधिकारी कर्मचारी गैरकानूनी या कानून के विरुद्ध किए
जाने वाले कार्यों में अपराधियों या गुंडों या दबंग लोगों का साथ न दें
!फिर भी यदि वे ऐसा ही करते रहते हैं तो ऐसे अपराधों को खोजने और सम्बंधित सरकारी
कर्मचारियों और गुंडों माफियाओं को दण्डित करने की कठोर प्रक्रिया विकसित करे सरकार
!
सरकारी विभागों में कम्प्लेन करने अक्सर कमजोर लोग ही जाते हैं किंतु सरकारी मशीनरी के कुछ भ्रष्ट
लोग गैर कानूनी कार्यों के विरुद्ध कार्यवाही तो करते ही नहीं हैं अपितु
कम्प्लेन करने वाले की सूचना गुंडों अपराधियों या गैरकानूनी काम करने वालों को देकर कम्प्लेन करने वाले को ही पिटवा देते हैं ऐसे मिलता है सरकारी विभागों में गरीबों को न्याय !इसप्रकार से अपराधों का संबर्धन कर रही है सरकारी मशीनरी और बढ़ रही है अपराधियों का मनोबल !इसीकारण तो दोबारा से
कम्प्लेन करने की कोई हिम्मत नहीं जुटा पाता है और गैर कानूनी कार्य हों या
अपराध दिनोंदिन बढ़ते चले जाते हैं ।
सरकार करना चाहे तो अपराधों की संख्या बहुत जल्दी घटा सकती है सबसे पहले
भ्रष्टाचारियों और अपराधियों की आमदनी के स्रोत खोजने एवं कुचलने के लिए
खुपिया तंत्र विकसित करे ! भ्रष्टाचारी अधिकारी कर्मचारियों को न केवल
सस्पेंड किया जाए अपितु उनसे आज तक की सारी सैलरी वसूली जाए इसी प्रकार से
दबंगों गुंडों माफियाओं की सारी संपत्तियाँ जप्त की जाए तब लोग अपराध एवं
भ्रष्टाचार करने से डरेंगे !
जगह जमीनों के कब्जे या अवैध निर्माण हों उन्हें देखने पकड़ने के लिए गूगलमैप का उपयोग किया जाना चाहिए जिस सन में जिन जमीनों पर अवैध कब्ज़ा या अवैध निर्माण किया गया है उस समय में उस क्षेत्र में ऐसे अवैध निर्माण रोकने की जिम्मेदारी जिस भी अधिकारी कर्मचारी की रही हो किंतु वो ऐसा करने में नाकाम रहा हो तो घटित हुए ऐसे अपराधों में उसे रोकने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों कर्मचारियों को बराबर का दोषी माना जाना चाहिए ! उस अपराध के लिए जिम्मेदार मानकर अधिकारियों कर्मचारियों को ऐसे अपराधों में सम्मिलित मानकर उन पर भी कठोर कार्यवाही की जानी चाहिए । इसके अलावा सरकारों और नेताओं के अपराध और भ्रष्टाचार को रोकने संबंधी संकल्प को दोहराते रहने को कोरा प्रदर्शन मानते हुए ऐसे अपराधों में उनकी भी संलिप्तता बराबर की मानी जानी चाहिए !भ्रष्टनेताओं की गैर कानूनी कमाई के भी ऐसे ही प्रमुख स्रोत होते हैं !
सोचने वाली बात है कि सरकारी लोग ही यदि सरकार के द्वारा निर्मित कानूनों के विरुद्ध घूस लेकर दबंगों और अपराधियों को प्रोत्साहित करेंगे तो कानूनों का पालन कौन करेगा और क्यों करेगा और उसे क्यों करना चाहिए !कालेधन के विरुद्ध सरकार के द्वारा चलाए गए नोटबंदी अभियान में बैंक वालों के द्वारा कालेधन वालों का साथ देने को गंभीर अपराध मानकर उन्हें कठोर दंड से दण्डित किया जाना चाहिए !
सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों की गैर जिम्मेदारी लापरवाही और भ्रष्टाचार से ही होता है सभी प्रकार के अपराधों का उत्पादन ! इस पर नकेल कसने में नाकाम रही हैं अब तक की सरकारें किंतु ये बात सबसे अधिक चिन्तयनीय तब हो जाती है जब ऐसे प्रकरण राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में होने लगे हों !ऐसे में ये अंदाज आसानी से लगाया जा सकता है कि जब राष्ट्रीय राजधानी में ऐसा तो सारे देश में कैसा हो रहा होगा !ये सरकार के लिए भी विशेष चिंता की बात मानी जानी चाहिए !
अब आप स्वयं देखिए राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का एक ऐसा ही प्रकरण !
विषय एक बिल्डिंग पर गैर कानूनी मोबाईल टावर लगाए जाने का है यदि दिल्ली जैसी राष्ट्रीय राजधानी की K-71,दुग्गल बिल्डिंग ,छाछी बिल्डिंग चौक,कृष्णानगर दिल्ली -51 बिल्डिंग की छत पर बिल्डिंग में रहने वाले 16 फ्लैट मालिकों की सहमति लिए बिना,EDMC की अनुमति लिए बिना,बिल्डिंग की मजबूती का परीक्षण किए बिना,इस रिहायशी बिल्डिंग में रहने वाले परिवार जनों के स्वास्थ्य पर रेडिएशन के असर का परीक्षण किए बिना ,57 फिट ऊँची बिल्डिंग में ऊँचाई संबंधी नियमों का ध्यान दिए बिना सरकारी विभागों की घोर लापरवाही से इस बिल्डिंग की छत पर एक मोबाईल टॉवर बिल्डिंग से बाहरी लोगों के द्वारा लगभग सन 2004 में लगा दिया गया था !सभी प्रकार से अवैध और गैर कानूनी होने के बाब्जूद आज 12 वर्षों बाद भी EDMC हटा नहीं पाई है क्योंकि उस गैरकानूनी टावर से होने वाली कमाई में से उनका हिस्सा उनके पास पहुँचा दिया जाता है ये उस गिरोह से जुड़े लोगों का कहना है !
टॉवर यह बताकर लगाया गया था कि इससे मिलने वाला किराया बिल्डिंग के मेंटीनेंस पर खर्च किया जाएगा किंतु पिछले बारह वर्षों में आज तक एक पैसा भी बिल्डिंग मेंटिनेंस में नहीं लगाया गया EDMC और वही गैर कानूनी लोग मिलबाँट ले रहे हैं टावर से मिलने वाला किराया ।उधर बिल्डिंग दिनोंदिन जर्जर होती जा रही है मेंटिनेंस न होने के कारण बेसमेंट में अक्सर पानी भरा रहने लगा है !बिल्डिंग में रहने वाले लोग इस बात पर अड़े हैं कि जब तक ये अवैध मोबाईल टावर नहीं हटेगा तबतक हम अपने पैसों से बिल्डिंग की मेंटिनेंस नहीं करवाएँगे !किंतु मोबाइल टावर इसलिए नहीं हट पा रहा है क्योंकि इस अवैध मोबाईल टावर को बनाए रखने में EDMC अधिक मेहरवान है वे स्वयं गैरकानूनी लोगों की मदद कर रहे हैं उनसे कोर्ट केस करवाकर उन्हें स्टे दिलवा दिया है और खुद पैरवी नहीं करते हैं जबकि पार्टी EDMC वाले ही हैं उन्हें घूसखोरी के पैसों में आनंद आ रहा है !सरकार मूकदर्शक बनी हुई है कल को यदि कोई दुर्घटना घटती या बिल्डिंग गिर जाती है तो उस हादसे के लिए घूस खोर सरकारी मशीनरी के अलावा और दूसरा कौन जिम्मेदार होगा !
इस रिहायसी बिल्डिंग की छत पर लगे मोबाईल टॉवर की रिपेयरिंग के नाम पर बिल्डिंग के बीचोंबीच से गई सीढ़ियों से अक्सर छत पर आते जाते रहने वाले अपरिचित एवं अविश्वसनीय मैकेनिकों या उनके बहाने अन्य आपराधिक तत्वों के द्वारा यदि कोई विस्फोटक आदि बिल्डिंग में रख दिया जाता है और कोई बड़ा विस्फोट आदि हो जाता है तो इस घूस खोर सरकारी मशीनरी के अलावा दूसरा कौन जिम्मेदार माना जाएगा !
इस बिल्डिंग में सोलह फ्लैट हैं जिनमें सभी के लिए पानी की सप्लाई हेतु बिल्डिंग की छत पर सामूहिक 12 टंकियाँ लगाईं गई थीं किंतु इसी उपद्रवी गिरोह के दबंगों ने टंकियाँ फाड़ दीं और उनके पाइप काट दिए हैं 9 परिवारों का पानी पिछले तीन वर्षों से बिलकुल बंद कर दिया है किंतु उनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं है हास्यास्पद बयानों में से कुछ की रिकार्डिंग भी है जो सरकार के भ्रष्ट काम काज की अत्यंत भद्दी और निराश कर देने वाली तस्वीर प्रस्तुत करती है !
बिल्डिंग दिनोंदिन जर्जर होती जा रही है बिल्डिंग के बेसमेंट में पिछले दो तीन वर्षों से अक्सर पानी भरा रहता है । टॉवर रेडिएशन से लोग बीमार हो रहे हैं किंतु सरकारी मशीनरी घूस के लोभ के कारण अवैध टॉवर हटाने में लाचार है ऐसे लोगों के विरुद्ध सरकार के लगभग सभी जिम्मेदार विभागों में कम्प्लेन किए गए किंतु उन लोगों के विरुद्ध तो कारवाही हुई नहीं अपितु कम्प्लेन करने वालों पर कई बार हमले हो चुके हैं !जो एक बार पिट जाता है वो या तो अपना फ्लैट बेचकर चला जाता है या फिर किराए पर उठा देता है या फिर खाली करके ताला बंद करके चला जाता है या फिर चुप बैठ जाता है ।
जगह जमीनों के कब्जे या अवैध निर्माण हों उन्हें देखने पकड़ने के लिए गूगलमैप का उपयोग किया जाना चाहिए जिस सन में जिन जमीनों पर अवैध कब्ज़ा या अवैध निर्माण किया गया है उस समय में उस क्षेत्र में ऐसे अवैध निर्माण रोकने की जिम्मेदारी जिस भी अधिकारी कर्मचारी की रही हो किंतु वो ऐसा करने में नाकाम रहा हो तो घटित हुए ऐसे अपराधों में उसे रोकने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों कर्मचारियों को बराबर का दोषी माना जाना चाहिए ! उस अपराध के लिए जिम्मेदार मानकर अधिकारियों कर्मचारियों को ऐसे अपराधों में सम्मिलित मानकर उन पर भी कठोर कार्यवाही की जानी चाहिए । इसके अलावा सरकारों और नेताओं के अपराध और भ्रष्टाचार को रोकने संबंधी संकल्प को दोहराते रहने को कोरा प्रदर्शन मानते हुए ऐसे अपराधों में उनकी भी संलिप्तता बराबर की मानी जानी चाहिए !भ्रष्टनेताओं की गैर कानूनी कमाई के भी ऐसे ही प्रमुख स्रोत होते हैं !
सोचने वाली बात है कि सरकारी लोग ही यदि सरकार के द्वारा निर्मित कानूनों के विरुद्ध घूस लेकर दबंगों और अपराधियों को प्रोत्साहित करेंगे तो कानूनों का पालन कौन करेगा और क्यों करेगा और उसे क्यों करना चाहिए !कालेधन के विरुद्ध सरकार के द्वारा चलाए गए नोटबंदी अभियान में बैंक वालों के द्वारा कालेधन वालों का साथ देने को गंभीर अपराध मानकर उन्हें कठोर दंड से दण्डित किया जाना चाहिए !
सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों की गैर जिम्मेदारी लापरवाही और भ्रष्टाचार से ही होता है सभी प्रकार के अपराधों का उत्पादन ! इस पर नकेल कसने में नाकाम रही हैं अब तक की सरकारें किंतु ये बात सबसे अधिक चिन्तयनीय तब हो जाती है जब ऐसे प्रकरण राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में होने लगे हों !ऐसे में ये अंदाज आसानी से लगाया जा सकता है कि जब राष्ट्रीय राजधानी में ऐसा तो सारे देश में कैसा हो रहा होगा !ये सरकार के लिए भी विशेष चिंता की बात मानी जानी चाहिए !
अब आप स्वयं देखिए राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का एक ऐसा ही प्रकरण !
विषय एक बिल्डिंग पर गैर कानूनी मोबाईल टावर लगाए जाने का है यदि दिल्ली जैसी राष्ट्रीय राजधानी की K-71,दुग्गल बिल्डिंग ,छाछी बिल्डिंग चौक,कृष्णानगर दिल्ली -51 बिल्डिंग की छत पर बिल्डिंग में रहने वाले 16 फ्लैट मालिकों की सहमति लिए बिना,EDMC की अनुमति लिए बिना,बिल्डिंग की मजबूती का परीक्षण किए बिना,इस रिहायशी बिल्डिंग में रहने वाले परिवार जनों के स्वास्थ्य पर रेडिएशन के असर का परीक्षण किए बिना ,57 फिट ऊँची बिल्डिंग में ऊँचाई संबंधी नियमों का ध्यान दिए बिना सरकारी विभागों की घोर लापरवाही से इस बिल्डिंग की छत पर एक मोबाईल टॉवर बिल्डिंग से बाहरी लोगों के द्वारा लगभग सन 2004 में लगा दिया गया था !सभी प्रकार से अवैध और गैर कानूनी होने के बाब्जूद आज 12 वर्षों बाद भी EDMC हटा नहीं पाई है क्योंकि उस गैरकानूनी टावर से होने वाली कमाई में से उनका हिस्सा उनके पास पहुँचा दिया जाता है ये उस गिरोह से जुड़े लोगों का कहना है !
टॉवर यह बताकर लगाया गया था कि इससे मिलने वाला किराया बिल्डिंग के मेंटीनेंस पर खर्च किया जाएगा किंतु पिछले बारह वर्षों में आज तक एक पैसा भी बिल्डिंग मेंटिनेंस में नहीं लगाया गया EDMC और वही गैर कानूनी लोग मिलबाँट ले रहे हैं टावर से मिलने वाला किराया ।उधर बिल्डिंग दिनोंदिन जर्जर होती जा रही है मेंटिनेंस न होने के कारण बेसमेंट में अक्सर पानी भरा रहने लगा है !बिल्डिंग में रहने वाले लोग इस बात पर अड़े हैं कि जब तक ये अवैध मोबाईल टावर नहीं हटेगा तबतक हम अपने पैसों से बिल्डिंग की मेंटिनेंस नहीं करवाएँगे !किंतु मोबाइल टावर इसलिए नहीं हट पा रहा है क्योंकि इस अवैध मोबाईल टावर को बनाए रखने में EDMC अधिक मेहरवान है वे स्वयं गैरकानूनी लोगों की मदद कर रहे हैं उनसे कोर्ट केस करवाकर उन्हें स्टे दिलवा दिया है और खुद पैरवी नहीं करते हैं जबकि पार्टी EDMC वाले ही हैं उन्हें घूसखोरी के पैसों में आनंद आ रहा है !सरकार मूकदर्शक बनी हुई है कल को यदि कोई दुर्घटना घटती या बिल्डिंग गिर जाती है तो उस हादसे के लिए घूस खोर सरकारी मशीनरी के अलावा और दूसरा कौन जिम्मेदार होगा !
इस रिहायसी बिल्डिंग की छत पर लगे मोबाईल टॉवर की रिपेयरिंग के नाम पर बिल्डिंग के बीचोंबीच से गई सीढ़ियों से अक्सर छत पर आते जाते रहने वाले अपरिचित एवं अविश्वसनीय मैकेनिकों या उनके बहाने अन्य आपराधिक तत्वों के द्वारा यदि कोई विस्फोटक आदि बिल्डिंग में रख दिया जाता है और कोई बड़ा विस्फोट आदि हो जाता है तो इस घूस खोर सरकारी मशीनरी के अलावा दूसरा कौन जिम्मेदार माना जाएगा !
इस बिल्डिंग में सोलह फ्लैट हैं जिनमें सभी के लिए पानी की सप्लाई हेतु बिल्डिंग की छत पर सामूहिक 12 टंकियाँ लगाईं गई थीं किंतु इसी उपद्रवी गिरोह के दबंगों ने टंकियाँ फाड़ दीं और उनके पाइप काट दिए हैं 9 परिवारों का पानी पिछले तीन वर्षों से बिलकुल बंद कर दिया है किंतु उनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं है हास्यास्पद बयानों में से कुछ की रिकार्डिंग भी है जो सरकार के भ्रष्ट काम काज की अत्यंत भद्दी और निराश कर देने वाली तस्वीर प्रस्तुत करती है !
बिल्डिंग दिनोंदिन जर्जर होती जा रही है बिल्डिंग के बेसमेंट में पिछले दो तीन वर्षों से अक्सर पानी भरा रहता है । टॉवर रेडिएशन से लोग बीमार हो रहे हैं किंतु सरकारी मशीनरी घूस के लोभ के कारण अवैध टॉवर हटाने में लाचार है ऐसे लोगों के विरुद्ध सरकार के लगभग सभी जिम्मेदार विभागों में कम्प्लेन किए गए किंतु उन लोगों के विरुद्ध तो कारवाही हुई नहीं अपितु कम्प्लेन करने वालों पर कई बार हमले हो चुके हैं !जो एक बार पिट जाता है वो या तो अपना फ्लैट बेचकर चला जाता है या फिर किराए पर उठा देता है या फिर खाली करके ताला बंद करके चला जाता है या फिर चुप बैठ जाता है ।
MCD के अधिकारियों की मिली भगत से ये पूरा गिरोह फल फूल रहा
है अवैध होने के बाब्जूद पिछले 12 वर्षों से ये टॉवर लगा होना आश्चर्य की
बात नहीं है क्या ! इसके लिए जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी जब कुछ कर ही नहीं
पा रहे हैं ऊपर से गैर कानूनी कार्यों के समर्थन में दबंग लोगों की मदद
करते जा रहे हैं ऐसे लोगों को सैलरी आखिर दी किस काम के लिए जा रही है !इस
अवैध मोबाईल टावर को कानूनी संरक्षण दिलवाने के लिए इसी गिरोह के कुछ
लोगों ने मोबाइलटावर हटाने के विरुद्ध स्टे ले लिया जिनसे पैसे लेकर MCD
वाले ठीक से पैरवी नहीं करते इसी प्रकार से इसे पिछले 12 वर्षों से खींचे
जा रहे हैं वो किराया खाते जा रहे हैं उन्हें घूस देते जा रहे हैं । ऐसे तो
ये अवैध होने के बाद भी कभी तक चलाया जा सकता है ये सरकारी विभागों में
भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना नहीं तो और क्या है !
आश्चर्य ये है कि जिस कर्तव्य के लिए जो सरकारी कर्मचारी सरकार से एक ओर तो सैलरी लेता है वहीँ दूसरी ओर अपने संवैधानिक कर्तव्य के विरुद्ध जाकर अवैध और गैर कानूनी कामों को प्रोत्साहित करता है किंतु उनके विरुद्ध कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है !स्टे के कारण कोई अन्य विभाग सुनता नहीं है और ये तब तक बना रहेगा जब तक MCD वालों को घूस मिलती रहेगी !हमलों के डर से बिल्डिंग में रहने वाले लोग केस कर नहीं सकते !किंतु MCD यदि इस टावर को अवैध घोषित कर ही चुकी है इसके बाद भी 12 वर्षों से चलाए जा रही है तो ये अवैध किस बात का !और इसमें हो रहे भ्रष्टाचार की जाँच क्यों नहीं होनी चाहिए !
आश्चर्य ये है कि जिस कर्तव्य के लिए जो सरकारी कर्मचारी सरकार से एक ओर तो सैलरी लेता है वहीँ दूसरी ओर अपने संवैधानिक कर्तव्य के विरुद्ध जाकर अवैध और गैर कानूनी कामों को प्रोत्साहित करता है किंतु उनके विरुद्ध कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है !स्टे के कारण कोई अन्य विभाग सुनता नहीं है और ये तब तक बना रहेगा जब तक MCD वालों को घूस मिलती रहेगी !हमलों के डर से बिल्डिंग में रहने वाले लोग केस कर नहीं सकते !किंतु MCD यदि इस टावर को अवैध घोषित कर ही चुकी है इसके बाद भी 12 वर्षों से चलाए जा रही है तो ये अवैध किस बात का !और इसमें हो रहे भ्रष्टाचार की जाँच क्यों नहीं होनी चाहिए !
इस बिल्डिंग संबंधी भ्रष्टाचार से स्थानीय पार्षद से लेकर सांसद जी
का कामकाजी कार्यालय तक सुपरिचित है किंतु बेचारे दबंगों के विरुद्ध कुछ कर पाने की हिम्मत कोई नहीं
जुटा पा रहा है SDM साहब भी बेचारे आकर देख सुन कर लौट गए पुलिस विभाग तो ये सुनते ही मौन है कि स्टे है !और EDMC इस स्टे वाले दाँव को अपनी कमाई का साधन मान रही है !
सरकार की ओर से भ्रष्टाचार के विरुद्ध न केवल कठोर कार्यवाही की जाए अपितु आजतक का प्राप्त किराया भी या तो बिल्डिंग मेंटिनेंस में लगाने के लिए फ्लैट मालिकों को सामूहिक रूप से दिया जाए या फिर राजस्व विभाग में जमा कराया जाए !
सरकार की ओर से भ्रष्टाचार के विरुद्ध न केवल कठोर कार्यवाही की जाए अपितु आजतक का प्राप्त किराया भी या तो बिल्डिंग मेंटिनेंस में लगाने के लिए फ्लैट मालिकों को सामूहिक रूप से दिया जाए या फिर राजस्व विभाग में जमा कराया जाए !
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