सरकारी विभागों के भ्रष्टाचार में सरकारें बराबर की जिम्मेदार ! सरकार और भ्रष्टाचार एक सरकार के दो पहलू !देखिए कैसे -
कोई सरकार यदि ईमानदार है तो भ्रष्टाचारियों पर करे कठोर कार्यवाही अन्यथा सरकारी मशीनरी के भ्रष्टाचार में वो भी सम्मिलित मानी ही जाएगी !अब आप स्वयं सोचिए कि सरकारी मशीनरी यदि ईमानदार होती तो क्या ऐसा होने पाता !सरकारी जमीनों पर क्या हो जाते कब्जे !जनता के दिए टैक्स से सैलरी पाने वाले कर्मचारियों से क्या इतनी भी आशा नहीं रखी जानी चाहिए कि वे अपने दायित्व का निर्वाह ईमानदारी पूर्वक करें !जो सरकार उन अधिकारियों कर्मचारियों को भारी भरकम सैलरी सुविधाएँ आदि देने के लिए जनता की छाती पर सवार होकर टैक्स वसूल लेती है वो सरकार यदि उन्हीं कर्मचारियों की कार्यशैली से देश वासियों को संतुष्ट नहीं कर पाती है तो उनके द्वारा किए जाने वाले भ्रष्टाचार में सरकार को बराबरी का जिम्मेदार क्यों नहीं माना जाना चाहिए !
एक उदाहरण हमारा अपना ही - कानपुर के कल्याणपुर में 1997 में मैंने एक प्लाट लिया था उसके आस पास गाँव की सरकारी जमीन पड़ी हुई थी खुली खुली जगह थी !पता लगा कि यहाँ स्कूल पार्क आदि बनेंगे यह सुनकर मैंने भी ले लिया किंतु थोड़े दिन बाद सरकारी मशीनरी की मिली भगत से वो सारी जमीन बेच दी गई हमारा प्लाट सबसे लास्ट में होने के कारण हमारे यहाँ से रोड बंद है यही देखकर मैंने लिया था किंतु जब सब जमीन बेच दी गई तो जमीन बेचने वाले आए और हमारे घर के सामने वाले रोड के पैसे माँगने लगे अन्यथा सामने वाले प्लॉट वाले को रोड बेच देने की धमकी देने लगे तीस फिट चौड़ा रोड है अन्यथा बगल वालों से पैसे लेकर उनका गेट हमारे दरवाजे पर खोलने की धमकी देने लगे !
इसके विरुद्ध सरकार के सारे विभागों में कम्प्लेन करने पर भी हमारा प्लाट वहाँ उन्हीं की कृपा के भरोसे पड़ा हुआ है सरकारी मशीनरी का कोई सहयोग नहीं मिला ! भूमाफिया लोग समय समय पर धमकाते रहते हैं क्योंकि सरकार से सम्बंधित प्रायः सभी विभाग प्रायः भूमाफियाओं से मिले होते हैं । वस्तुतः ये बहुत बड़ा गिरोह होता है जिनकी जड़ें सरकारों के आसन तक पहुँची होती हैं आखिर कैसे रोका जा सकता है उन्हें !सरकार ऐसे भूमाफियाओं पर कभी कोई कार्यवाही करेगी भी मुझे तो विश्वास नहीं हो रहा है क्योंकि उसमें अधिकार सरकारों में सम्मिलित लोगों के अपने नाते रिस्तेदार परिचित लोग आदि ही होंगे !आम आदमी अपनी जमीन पर तो कब्ज़ा कर नहीं पाता है वो बेचारा सरकारी जमीनों पर क्या करेगा ! किंतु इतना तो तय है कि बेनामी संपत्तियों के विरुद्ध यदि कोई कार्यवाही हुई तो बहुत लोग सरकार के अपने ही फँसने लगेंगे और कार्यवाही बीच में ही रोक दी जाएगी !फिर भी यदि प्रधान मंत्री मुख्य मंत्री आदि वास्तव में ईमानदार होंगे तो कर भी सकते हैं कठोर कार्यवाही !ऐसे बलवान पुण्यवान चरित्रवान और कर्मनिष्ठ लोगों को चुनौती दे सकने की हमारी हिम्मत नहीं है ।
हमारे इसी प्लाट के दूसरी छोर पर जो सरकारी जमीन पड़ी थी वहाँ चौड़ा सा रोड बनाया जाना था किंतु वो भी कुछ बेच ली गई कुछ खरीदने वालों ने बढ़ाकर बना ली अब तो रोड एक चार फिट चौड़ी गली का रूप ले चुका है !इसके साथ ही हमारे घर के साथ वाली जगह में पाँच इंच चौड़ी दीवाल बनाकर उसी पर चार मंजिल का मकान बनाकर खड़ा कर दिया गया है इसमें कोई पिलर नहीं हैं वो भगवान् के सहारे ही खड़ा है गैर क़ानूनी बनाए जाने के कारण सरकार के जिम्मेदार लोग बनाने वाले से अपना अपना हिस्सा लेकर जा चुके हैं । मकान मालिक उसमें किराएदार रखते हैं जो प्रायः स्कूली बच्चे होते हैं वे दीवारों में छेद करके तो देखेंगे नहीं !यदि भूकंप आदि में कभी कोई दुर्घटना घटी तो कितने विद्यार्थियों की जानें जाएँगी कितने घर उजड़ेंगे इसके लिए जिम्मेदार कौन होगा !
ऐसे गिर जाने लायक मकान के बगल में होने के कारण हमें हमारा प्लाट बनाने की हिम्मत नहीं पड़ रही है न जाने वो कब अपने मकान पर आकर गिर जाए !इसी कारण वो प्लॉट बिकता भी नहीं है और वही भूमाफिया लोग आधे चौथाई रूपए देकर हमारा रजिस्ट्री शुदा प्लॉट खरीद लेने का कई बार ऑफर दे चुके हैं कहते हैं कि बेच लो !किंतु यदि बेच भी लें तो जहाँ लेंगे वहां की जमीनें भी तो ऐसे ही सरकारी कर्मचारियों की ही देख रेख में होंगी उन्हें भी तो सरकारों के पास सप्ताह पहुँचाना ही होता होगा !इसलिए ईमानदार भले और शांति प्रिय लोगों के लिए भी देश में कोई जगह है क्या ? देखा जाए तो क्या मैंने ये प्लॉट बेचने की लिए ही ख़रीदा था !किन्तु घूसखोर सरकारी मशीनरी जो न करावे सो थोड़ा है ।
बेनामी संपत्तियाँ बनाने वालों से घूस ले लेकर कब्जे करवाए गए हैं । सरकारी अधिकारी कर्मचारी एवं तत्कालीन सरकारों में सम्मिलित लोग भी अपना हिस्सा खाते रहे तभी तो चुनाव लड़ने से पहले किराए तक के लिए मोहताज नेता लोग चुनाव जीतते ही अरबो खरबोपति हो जाते रहे हैं ये उन्हीं बेनामी संपत्तियों और आपराधिक कार्यों से अपराधियों के द्वारा दिए गए कमीशन का ही तो धन होता है ।
इसलिए जिस सन में जिन संपत्तियों पर कब्ज़ा किया गया है उस सन में उसे रोकने की जिम्मेदारी जिनकी थी उन्हें सरकार इसी काम की सैलरी देती रही और वो देश की सैलरी खाकर गद्दारी करते रहे दॆश वालों के साथ !पहले उन्हें पकड़ा जाए और उनसे कबुलवाया जाए कि उन्होंने किससे कितने रूपए लेकर कौन कौन सी जमीनें कब्ज़ा करवाई थीं वो सारा पैसा सूत ब्याज सहित उनसे वसूला जाए तब की जाए उन परकार्यवाही !
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