'केजरीवाल 'शब्द ही अब तो गाली की तरह प्रयोग किया जाने लगा है !जानिए कैसे -
     पहले लोग किसी पर अपना गुस्सा निकालने के लिए माँ बहनों आदि की तमाम गालियाँ दिया करते थे ! इसके लिए उन्हें किसी को झूठा, धोखेबाज, धूर्त,बेशर्म, विश्वासघाती आदि कई शब्दों का अलग अलग प्रयोग करना पड़ा करता था किंतु अब वही लोग उन सभी गालियों की जगह किसी को  'केजरीवाल कहीं के' या "बने फिरते हो केजरीवाल " या "केजरीवाल की तरह हरकतें मत करो"या "हमें केजरीवाल समझ रखा है क्या !"  कहकर अपना गुस्सा उतार लिया करते हैं और लोग भी  उन सभी गालियों का मतलब इसी में समझ लिया करते हैं !कुछ लोग तो मजाक में भी इस शब्द का उपयोग करने लगे हैं यार तुम तो बिलकुल "केजरीवाल लगते हो !"एक व्यापारी दूसरे व्यापारी से कह रहा था "यार मुझे केजरीवाल न समझो "मैं झूठी कसमें नहीं खा सकता !एक नेता चुनाव प्रचार करते हुए दूसरे नेता से कह रहा था कि "फ्री पानी देने का वायदा तो मैं भी कर दूँ लेकिन मैं तुम्हारे घरों में नालियों के पानी की सप्लाई नहीं करवा सकता !"देखते हो कितना गंदा पानी लोगों के यहाँ सप्लाई किया जा रहा है !
    एक शिक्षक अपने छात्र से कह रहा था -"केजरीवाल की तरह केवल बातें न बनाओ काम भी किया करो आगे परीक्षा आ रही है |"
     एक बैद्य की क्लीनिक के बाहर साइनबोर्ड लगा था -"मैं केजरीवाली खांसी भी ठीक कर देता हूँ केवल झूठ बोलना बंद करना पड़ता है !"
      चुनावी घोषणा पत्र में एक नेता ने लिखवाया  था कि केजरीवाल नहीं हूँ कि आप लोगों की समस्याओं का समाधान किए बिना ही अपना चेहरा चमकाने और सुन्दर दिखने के लिए बैंगलोर चला जाऊँ !हमारा फोटो आप खींच कर अभी रख लो मैं जैसा हूँ पाँच साल बाद भी वैसा ही दिखता रहूँगा ये मैं आपको बचन देता हूँ !
     एक समाज सेवी जंतर मंतर पर धरना दे रहे थे कुछ युवक उनके पास पहुँच गए बोले -मैं भी आपका साथ दूँ तो उन्होंने कहा देखो तुम्हें केजरीवालों से अब तो डर  लगने लगा है !  
     पार्क में बैठे कुछ लोग आपस में बात कर रहे थे चारों ओर भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार दिखाई पड़ रहा है हर कोई केजरीवाल बनना चाह रहा है!
केजरीवाल टाइटिल वाले बहुत लोग अब अपने नाम के साथ केजरीवाल लगाने से परहेज करने लगे हैं !
केजरीवाल टाइटिल वाले बहुत लोग अब अपने नाम के साथ केजरीवाल लगाने से परहेज करने लगे हैं !
    जिनकी बुराई उन्हीं से कमाई !आदमी है या कसाई !! 
    एक आदमी अपने मित्र से कहने लगा कि मैं अंडा मांस मछली आदि कुछ भी नहीं खाता लेकिन एक दिन उसके मित्र ने आमलेट खाते हुए देख लिया तो उसने कहा तुम तो कहते थे कि हम अंडा नहीं खाते हैं और तुम खा रहे हो तो उसने कहा मैं अंडा नहीं खाता इसका मतलब ये तो नहीं कि मैं आमलेट भी नहीं खाता हूँ लोग हमें बदनाम करने के लिए हमारे ऊपर अंडा खाने के झूठे आरोप  लगा रहे हैं !ऐसा कहकर शोर मचाने लगा तो आस पास खड़े लोगों ने जम कर पिटाई की और कहने लगे -केजरीवाल कहीं के तू अपनी गलती ही मानने को तैयार नहीं होता और दूसरोंको बदनाम किया करता  है !
      कल दो शराबी लोग आपस में झगड़ रहे थे किसी की बात नहीं मान रहे थे तब तक एक व्यक्ति आए उन्होंने एक को तपाक से चांटा मारा और कहा -"केजरीवाल कहीं के तुझे शर्म नहीं आती पुरखों का नाम डुबाता घूमता है !वो दोनों मान गए और चले गए !
     पार्क में बैठे एक बेबश बूढ़े से मैंने पूछा -दादा क्यों रो रहे हैं आप ?उन्होंने फफकते हुए कहा कि मैंने भले नमक रोटी खाई हो किंतु कभी हराम का किसी का कुछ नहीं खाया किंतु बेटा हमारा अब केजरीवाल की नक़ल करने लगा है पहले खा आता है बाद में कहता है बिल तो ज्यादा है ये तो मैं नहीं दूँगा और घर चला आता है जब घर में कोई कहता है इतना महँगा खाना खाकर आए हो तो कहता है मैंने पैसे कौन दिए हैं ऐसा बेशर्म बेटा यदि न हुआ होता तो मैं स्वाभिमान से मर भी सकता था किंतु अब क्या करूँ !      
फैक्ट्री में काम करने वाले एक लड़के को खाँसी हो गई उसने इलाज कराने जाने के लिए अपने मालिक से छुट्टी माँगी !तो मालिक कहने लगा यदि तू खाँसी ठीक करना ही चाहता है तो केजरीवाल की तरह बैङ्लोर जाने की क्या जरूरत वहां भी दस दिन झूठ बोलना बंद करना पड़ेगा तो उससे अच्छा है कि झूठ बोलना यहीं बंद कर दे तो खाँसी यहीं ठीक हो जाएगी !
फैक्ट्री में काम करने वाले एक लड़के को खाँसी हो गई उसने इलाज कराने जाने के लिए अपने मालिक से छुट्टी माँगी !तो मालिक कहने लगा यदि तू खाँसी ठीक करना ही चाहता है तो केजरीवाल की तरह बैङ्लोर जाने की क्या जरूरत वहां भी दस दिन झूठ बोलना बंद करना पड़ेगा तो उससे अच्छा है कि झूठ बोलना यहीं बंद कर दे तो खाँसी यहीं ठीक हो जाएगी !
    ये व्यक्ति जिन जिन कामों की निंदा किया करता था वो खुद वही सब कुछ करने लगा !इतना भ्रष्ट  !सादगी के सपने दिखाकर 12000 की थाली !जिस निर्लज्ज से सड़क के गड्ढे भरे नहीं गए वो चुनाव आयोग से लेकर प्रधान मंत्री तक किसी को भी कुछ भी बोल देता है ये योग्यता नहीं अपितु बेशर्मी है !अपनी की हुई वोमिटिंग चाटते हुए कुत्तों को तो देखा जाता है किंतु इंसान ऐसा नहीं करते थे फिर भी यदि इंसान भी ऐसा करने लगें तो उन्हें क्या कहा जाए !जिनकी बुराई उन्हीं से कमाई !आदमी या कसाई !!
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