Friday, 23 June 2017

दलितों के लिए हर योजना हर पद हर अनुदान तो सवर्णों के लिए क्या ? देश में सवर्ण किराए पर रहते हैं क्या ?

 जातिवाद मिटाने का नाटक करने वाले नेतालोग  जातिवाद के बिना एक कदम भी नहीं बढ़ाते !घृणा होती है ऐसी तुच्छ सोच पर !
    लोकतंत्र में यदि सब बराबर हैं तो दलितराग क्यों?आजादी की लड़ाई में  सवर्णों का भी बहुत बड़ा योगदान है!किंतु आज सवर्णों की उपेक्षा ऐसे की जा रही है कि जैसे सवर्णों का कोई योगदान ही नहीं है क्यों ?
    सवर्णों की उपेक्षा करके नेता लोग कुछ खुद खा रहे कुछ अपने  चहेते दलितों को खिला रहे हैं जिनके बहाने वे बेचारे खुद खा पा रहे हैं !जैसे भैंसें ज्यादा दूध दें इस उद्देश्य से उन्हें खूब गुड़ खिलाया जाता है न कि भैंसों की सेहत सुधारने के लिए !
     नेता लोग  सवर्णों का हौआ दिखाते जा रहे हैं मनगढंत कहानियाँ सुनाते जा रहे हैं उन्हें समझाते हैं सवर्णों ने शोषण किया था इसलिए गरीब हैं दलित !ऐसे हमदर्द नेताओं के घर वालों के नाम निकलती हैं भ्रष्टाचार से अर्जित अनेकों प्रापर्टियाँ !वैसे बेचारे ईमानदार हैं !
    ये बात स्वयं दलितों को सोचनी होगी कि घोड़ी वाला घोड़ी को चने इसलिए नहीं खिलाता कि घोड़ी की सेहत बने अपितु घोड़ी सवारी करने लायक बनी रहे इसलिए खिलाए जाते हैं चने !इसीकारण तो जैसे घोड़ी की सेहत नहीं सुधर पाती है उसी तरह आजादी से आज तक दलितों को न मरने दिया जा रहा है न मोटा होने दिया जा रहा है !इस साजिश के पीछे नेताओं का कितना शातिर दिमाग है !सवर्णों का भय दिखाकर अपनी गुलामी करा रहे हैं नेता लोग !हरबार वोट लेकर धक्का मार देते हैं इसीलिएतो नहीं हो पाया दलितों का विकास !
    दलितों के नाम पर पास किया फंड नेताओं के पास नहीं तो गया कहाँ और नेताओं के घरों में संपत्तियों के अंबार लगे कैसे ?है कोई हिसाब किताब !है कोई जवाब देने वाला !बड़े बड़े ईमानदारों की सरकारें देखी गईं वो भी जातिवादी निकले और बहुसंख्य भ्रष्टनेताओं की सम्पत्तियों पर कोई ठोस कार्यवाही होते नहीं दिखी भरोसा किस पर किया जाए ! 
       'दलित ' शब्द कोई योग्यता है अभाव है स्वभाव है गुण है गौरव है आखिर हैं क्या दलित !और  सवर्ण क्या हैं और क्या है सवर्णों का अपराध आखिर हर जगह क्यों की जा रही है सवर्णों की उपेक्षा !इस पर खुली मंच पर कराई  जाए खुली बहस ! तब देखा जाए कि दलितों के पिछड़ने में सवर्ण दोषी हैं या स्वयं दलित !
   किसी के घर बच्चा न हो रहा हो तो क्या पड़ोसी को जिम्मेदार ठहरा दिया जाएगा !
     कुलमिलाकर जातियों के आधार पर पद की परंपरा स्वस्थ समाज की पहचान नहीं हो सकती  !जातियों के आधार पर दिए जाने वाली पद प्रतिष्ठा में दूसरी जातियों के लोगों को सम्मिलित होने में भी लज्जा लगती है !जिनकी उपेक्षा की जा रही हो वो जातियाँ अपना स्वाभिमान समाप्त करके क्यों खड़ी हों ऐसे जातिवादियों के साथ  और समर्थन में !
    आरक्षण देने की बात आवे तो शोषित पीड़ित  हैं दलित !शिक्षा में बराबरी करनी हो तो अयोग्य हैं दलित !आटा दाल चावल बाँटना हो तो गरीब हैं दलित !सरकारी योजनाओं का लाभ देना हो तो दबे कुचले हैं दलित !बड़े से बड़ा पद देना हो तो उसके लिए भी सुपात्र हैं दलित !
      दलितों के विकास के लिए कुछ ऐसा किया जाए !  कम से कम 50 वर्षों के लिए देश की राजनीति रोजगार व्यापार और सरकारी अधिकारी कर्मचारी सारे पदों पर केवल दलित ही बैठा दिए जाएँ !राजनैतिक पार्टियों के छोटे से छोटे पदों से बड़े से बड़े पदों तक केवल दलित लोग ही बैठें !पार्षद विधायक सांसद मंत्री मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री आदि  सभी पदों पर केवल दलित बैठाए जाएँ ! तो भी सवर्णों को अपनी योग्यता पुरुषार्थ और परिश्रम के बल पर उन्नति करने से कोई रोक नहीं सकता !
दलित हैं कौन हुए कैसे दलित शब्द का अर्थ क्या है ?
एक बार जरूर पढ़ें मेरा यह लेख खोलें यह लिंक   see more... http://snvajpayee.blogspot.in/2013/01/blog-post_9467.html

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