Wednesday, 30 December 2015

राम मंदिर की बात करने वाले आतंकवादी -स्वामी प्रसाद मौर्य

राम मंदिर की बात करने वाले आतंकवादी -स्वामी प्रसाद मौर्य 
    किंतु मौर्य साहब !श्री राम मंदिर का विरोध करने वाले तो राक्षस लगते हैं परन्तु पक्ष लेने वाले तो कभी नहीं सुने !आपको गलती तो नहीं लगी है !कभी आइना भी देख लिया करो सच्चाई शायद सामने आ जाए कि राक्षस कौन है !
 जिन 'श्रीराम' के बिना कांशी 'राम ' अधूरे थे उनसे बैर क्यों बाँधते हो मायावी बसपाइयो !
 अरे स्वामी प्रसाद मौर्य !इस श्री राम मंदिर विरोधी आपके बचन पर जनता क्या करेगी विश्वास! लोक सभा चुनावों में जनता ने जिस मायावी  बसपा को धक्का देकर बाहर किया था अब वो फिर मारने लगी है डंक !
  अरे मौर्य ! श्री राम विरोधी राक्षसी शौर्य का लंका में क्या हस्र हुआ था वही हाल लोक सभा चुनावों में मायावी बसपा का भी हुआ -
           राम विमुख अस हाल तुम्हारा ,रहा न कुल को रोवन हारा ॥
  'माया' झूठ  होती है देश अब इस बात को समझ चुका है शास्त्र भी अनंतकाल से यही कहते चले आ रहे हैं शब्द कोशों में भी 'माया'शब्द का अर्थ झूठ लिखा है साधू संतों ने भी कह रखा है "माया महा ठगिन मैं जानी" विगत लोक सभा चुनावों में उत्तर  प्रदेश की जनता ने भी इसी शास्त्रीय वाक्य का समर्थन करते हुए मायावी बसपा को धक्का देकर बाहर see more...http://sahjchintan.blogspot.in/2015/12/blog-post_30.html

Sunday, 27 December 2015

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प्रधानमंत्री जी ! स्वच्छता अभियान के साथ हम कैसे जुड़ें !
     मैं प्रतिदिन कम से कम आठ से दस घंटे का समय प्रतिदिन बिना नागा भाजपा के लिए देता हूँ वैसे तो मैं भाजपा से 1987 से वाराणसी से ही जुड़ा हूँ जिसमें आरएसएस के विभिन्न आयामों से जुड़कर काम करने का सौभाग्य रहा है किंतु पिछले लोकसभा चुनावों के एक वर्ष पहले से मैं लगातार 8-12 घंटे प्रतिदिन देता हूँ हमारा ये कार्यक्रम बिना नागा प्रतिदिन चलता है !किसी किसी दिन जब विरोधी लोग भाजापा पर या मोदी जी आप पर या अपनी केंद्र सरकार पर या अपनी विचार धारा पर हमला करता है और हमले ज्यादा हो जाते हैं पार्टी को असहज स्थिति में देखता हूँ उस दिन 14 - 15 चौदह - पंद्रह घंटे समय देने लगता हूँ न केवल इतना कई बायर रात रात भर जगता हूँ !मेरी इस सेवा के गवाह केवल वो लाखों लोग हैं साथ ही वो हजारों पार्टी कार्यकर्त्ता हैं जो इंटरनेट की दुनियाँ से जुड़े हैं ! महोदय ! हमारी सामाजिक और पार्टी की इंटर नेट सेवाओं को इंटर नेट पर कभी भी नेट के किसी भी माध्यम पर चेक किया जा सकता है !मेरे 9 ब्लॉग हैं जो लगभग 600 -  1000 बार के बीच प्रतिदिन पढ़े जाते हैं जिनमें समाज सुधार से लेकर पार्टी प्रचार तक सबकुछ होता है ।महोदय ! हमारे पास धन नहीं है संभवतः इसलिए या जो भी कारण रहा हो मेरी सेवाओं से सुपरिचित पार्टी ने मुझे कोई 
    मोदी जी मैंने चार विषय से एम.ए. एवं BHU से PhD की है लगभग सौ किताबें लिखी हैं जिनमें कई काव्य हैं लगभग 27 किताबें प्रारंभिक कक्षाओं में पूरे देश में पढ़ाई भी जा रही हैं।हमारा 'कारगिल विजय' काव्य से प्रसन्न होकर आपने मेरे लिए प्रभात प्रकाशन वालों से बात भी की थी आपके सहयोगी ओम प्रकाश सिंह जी से मैं काफी बाद तक जुड़ा रहा किंतु पिछले कई वर्षों से उनसे भी कोई संपर्क नहीं हो पाया !
         मेरे दो बच्चे और एक बच्ची है मैं आभारी हूँ अपने परिवार का जो बिना किसी स्वार्थ के हमारा साथ देता है ।
     
        के इस बात को प्रमाणित मैंने का एक ये भी है मैं आभारी हूँ अपने उस परिवार का 

Friday, 25 December 2015


अपने नौसिखिया मुख्यमंत्री की गलतियों के लिए दिल्ली वाले किस किस से माफी माँगें !उधर "केजरीवाल के जाँच आयोग को LG साहब ने बता दिया है  अवैध! उधर प्रधान मंत्री जी के लिए अपशब्द बोलने के बाद सब तो सब लोग कहने लगे हैं कि इन्हें बातचीत की तमीज नहीं है बारे केजरीवाल !see more...http://sahjchintan.blogspot.in/2015/12/blog-post_25.html

"केजरीवाल के जाँच आयोग को LG ने बताया अवैध !-एक खबर "
        किंतु केजरीवाल जैसे नौसिखिया राजनेता को वैध अवैध क्या पता ये तो उसे पता हो जिसने  पहले कभी सरकार चलते देखी हो अखवार पढ़े हों नियम कानून पता हों !ये तो CM शीला जी की निंदा करके CM बने हैं अब PM की निंदा करके PM बनना चाह रहे हैं !जानकारी कुछ है नहीं किसी को कुछ भी बोल जाते हैं दिल्ली वाले इनकी मूर्खता के लिए कहाँ तक माफी माँगें ! केजरीवाल हैं कि मानने का नाम ही नहीं ले रहे हैं अपने को प्रधान मंत्री मान बैठे हैं और अपनी अज्ञानता के कारण कभी PM को ऊटपटांग बोलते हैं कभी LGको कभी दिल्ली के पुलिस कमिश्नर को !देखो दिल्ली वाले कब तक ढो  पाते हैं इन्हें !तब तक के लिए सभी अरुण जेटली नरेंद्र मोदी आदि सभी संभ्रांत शालीन नेताओं से निवेदन है कि माफ कर  देना इस अनाड़ी दिल्ली के मुख्य मंत्री को !see more....http://sahjchintan.blogspot.in/2015/12/blog-post_25.html

 युग पुरुष अटल जी को प्रणाम पूर्वक अनंतानंत शुभ कामनाएँ !
   युग पुरुष  माननीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी  के जन्म दिवस पर अनंतानंत शुभ कामनाएँ -ईश्वर आपको स्वस्थ प्रसन्न तथा दीर्घायुष्यवान  करे
 रखना सुरक्षित स्वस्थ  जीवन प्रसन्न सदा
                   देश की धरोहर इस अमित निशानी को ।
त्याग के तागों से निर्मित कलेवर यह
                    अमर बना रहे ये सत्य कवि  बानी हो ॥
ईश्वर अनंत यश देता रहे आपको
                   अटल! तुम्हारी अमितायु जिंदगानी हो ।
गरिमा मय जीवन सदैव रहे आपका
                 अंत में कलंक मुक्त मंजुल कहानी हो ॥ 1 ॥
 कामना हमारी है ये कुशल रहो सदैव
                          ईश्वर कृपा करे जो सबका सहारा है।
देश ने प्रशासकों के घृणित घोटाले देख
                     आपसे व्रती को आर्त  होकर पुकारा है ॥
भूल मत जाना तुम भूषण हो भारत के
                      मातृ भूमि के लिए ही जीवन सँवारा है।
अटल! अटल सदैव जीवन तुम्हारा रहे
                    भारती वसुंधरा पे सबका दुलारा है ॥2 ॥see more....http://snvajpayee.blogspot.in/2015/12/blog-post.html

Thursday, 24 December 2015

DELhi BJP

वैसे नेता वहाँ पहले तो आने नहीं दिए जाते  और यदि किसी तरह घुस आवें तो टिकने नहीं दिए जाते और जो टिके वे पेंशन लेकर ही निकलेंगे तब तक पार्टी की सेवा अब वही लोग करते रहेंगे और वे अपने नेता बने रहने भर के लिए पार्टी चला ही लेंगे और उससे अधिक उन्हें करना भी क्या है ?मुख्यमंत्री केजरीवाल जी हैं ही इसके पहले पहले शीला जी मुख्यमंत्री के रूप में काम कर ही रही थीं । भगवान जाने दिल्ली भाजपा के इन संतुष्ट नेताओं को नींद कैसे पड़ती है देश की नंबर दो वाली पार्टी पंद्रह वर्ष से दिल्ली की सत्ता से न केवल बाहर है अपितु मात्र तीन सीटें लेकर आई है फिर भी वे नेता नेतृत्व और पार्टी उनकी कार्य कुशलता से संतुष्ट है राजनैतिक पार्टी के रूप में चाणक्य ने लिखा है राजा यदि संतुष्ट हो जाए तो उसका बिनाश होता है !

केजरीवाल जी ! PM के लिए जितना ऊटपटांग आप बोलते हैं विपक्ष यदि सक्षम होता तो तुम्हारी चोंच नोच लेता !!

 देश का प्रधानमंत्री  देश का स्वाभिमान होता है सोनियाँ गाँधी जी ने इस मर्यादा का ध्यान रखा उन्होंने अपने सांसदों को PM का नाम लेने को रोका किंतु तुम्हें लज्जा नहीं आई ! केजरीवाल जी ! अब आप सामाजिक कार्यकर्ता नहीं हैं दिल्ली जैसे प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं अपनी नहीं तो पद की ही कुछ मर्यादा रख लेते आप !छोटे छोटे बच्चों की तरह रोज चें चें करते रहते हैं ! 

 केजरीवाल जी !दिल्ली में डेंगू पर खर्च होने वाला पैसा आपने विज्ञापनों पर फूँक दिया इसीलिए डेंगू ने तोड़ा 19 वर्षों का रिकार्ड !
    अब आप मोदी जी से अपनी तुलना करते हैं कितने लज्जा शून्य  होते जा रहे हैं आप !
आखिर 524 करोड़ कम तो नहीं होते !आपको अपने और अपने विधायकों के बजट तो ध्यान रहा तो आपने सैलरी बढ़ा ली किंतु दिल्ली वालों के बिगड़ते बजट के लिए क्या सोचा आप ने !see more.... http://sahjchintan.blogspot.in/2015/12/blog-post_24.html

"AAP विधायक अमानतउल्लाह के पास बच्चों की फीस भरने के पैसे नहीं, स्कूल ने काटा नाम !"-एक खबर

 किंतु विधायक जी ! 524 करोड़ विज्ञापन के नाम पर जो पास किए गए थे उसमें आपका हिस्सा आपको नहीं मिला क्या ?अकेले ही खा गए होंगे आपकी पार्टी  के मुखिया लोग !

केजरीवाल जी !गरीबों का मजाक उड़ाने की अपेक्षा सरकारी स्कूलों में ताले क्यों नहीं डलवा देते हैं आप ?   
       हे केजरीवाल जी !जब आपके विधायक आपके द्वारा नियंत्रित सरकारी स्कूलों पर भरोसा नहीं करते तो दिल्ली सरकार के ऐसे अविश्वसनीय स्कूलों को बंद क्यों नहीं करवा देते हैं आप !आखिर गरीबों के बच्चों के भविष्य के साथ क्यों खिलवाड़ कर रहे हैं आप !
  "AAP विधायक अमानतउल्लाह के पास बच्चों की फीस भरने के पैसे नहीं, स्कूल ने काटा नाम !"-एक खबर
     केजरीवाल जी !ऐसे विधायकों के बच्चे पढ़वाने के लिए और पास  कर लीजिए  सौ दो सौ करोड़ !क्यों मुशीबत उठा रहे हैं ये बेचारे आपके विधायक ! दिल्ली की जनता जैसे विधायकों की बढ़ी सैलरी भुगतेगी जैसे आपके विज्ञापन के 524 करोड़ भुगत रही है ऐसे ही वो भी भुगत लेगी !वैसे केजरीवाल जी !फीस के लिए रोने धोने वाले आपके विधायक आपके सरकारी स्कूलों में क्यों नहीं पढ़ते हैं अपने बच्चे ? दूसरीबात  जब तक विधायक नहीं बने थे तबतक कहाँ से देते थे अपने बच्चों की फीस ?

पढ़िए हमारा ये लेख भी -

मोदी जी के लिए अपशब्दों का प्रयोग ठीक है क्या केजरीवाल !वे देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं विदेश में !शर्म उन्हें नहीं तुम्हें आनी चाहिए !see more....http://sahjchintan.blogspot.in/2015/12/blog-post_24.html

Tuesday, 22 December 2015

आदरणीय प्रधानमंत्री जी  सादर प्रणाम !
विषय - भारत के प्राचीन विज्ञान पर अनुसंधान हेतु मदद के लिए !
महोदय ,
    भारत का प्राचीन विज्ञान अत्यंत प्रभावी माना जाता रहा है वर्तमान समय में आधुनिक विज्ञान के सामने इससे भी कुछ लाभ हो सकता है क्या इसी विषय पर मेरा रिसर्च सृष्टि और समाज के अनेक रहस्य सुलझाने के लिए चल रहा है जिसमें कई विषयों पर सफलता भी मिलती दिख रही है !मुझे विश्वास है कि इसके आधार पर मानव जीवन से लेकर प्रकृति तक से जुड़े कई गूढ़ रहस्यों का उद्घाटन हो सकता है इसके द्वारा कई दिशाओं में मानव जीवन को सरल बनाया जा सकता है ।प्राचीन विज्ञान में स्वभाव का अध्ययन करने की अद्भुत क्षमता है मैं प्राचीन विज्ञान के अध्ययन और अनुभव के आधार पर कह सकता हूँ कि भारत के प्राचीन विज्ञान के द्वारा स्वभाव के अध्ययन के आधार पर कई बड़ी समस्याओं के समाधान खोजे जा सकते हैं ।
      वर्षा संबंधी पूर्वानुमान लगाने के लिए प्राचीन विज्ञान  विशेष सहयोगी रहा है जैसे प्राचीन विज्ञान के आधार पर वर्षा के विषय में वर्षों महीनों पहले भी पूर्वानुमान लगाया जा सकता है जो साठ  प्रतिशत तक सही हो सकता है इसी के आधार पर हजारों वर्षों से गणना करके भारतीय कृषि व्यवस्था संचालित होती रही है इसी के आधार पर किसान लोग फसलें किया करते थे तथा पशुओं के लिए चारा एवं अपने लिए अनाज का भंडारण करते थे । वर्तमान आधुनिक मौसम विज्ञान नजदीक समय का तो सटीक अनुमान लगा लेता है  किंतु लम्बे समय का अनुमान लगाने में कठिनाई आती है उसे !या वो केवल तीर तुक्का होता है , जबकि किसानों के लिए आवश्यक है कि वर्षा ऋतु आने के चार छै महीने पहले से उन्हें वर्षा विषयक जानकारी मिलनी चाहिए उसी हिसाब से वो  अपनी फसलें बोते  हैं  किंतु आज आधुनिक विज्ञान से किसानों को  वह सुख नहीं मिल पा रहा है और वर्तमान काल में प्राचीन विज्ञान पर कोई विशेष काम ही नहीं हो पा रहा है ।
        अतएव मैंने प्राचीन विज्ञान को ही आधार बनाकर काशी हिन्दू विश्व विद्यालय से Ph.D. की है और तब से इसी अनुसन्धान में लगा हूँ और काफी कुछ सफलता मिलने के आसार भी लग रहे हैं । संसाधनों एवं आर्थिक क्षमता के अभाव में  वो काम उस तरह से नहीं किए जा पा रहे हैं जैसे होने चाहिए इसलिए सरकार से सहयोग की अपेक्षा है ताकि हम अपना रिसर्च कार्य सुचारू रूप से चलाते रह सकें ।                                                                                                                                                                          
भूकंपों का पूर्वानुमान :-
       भूकंपों  के विषय में आधुनिक वैज्ञानिक तो अक्सर कहते सुने जाते हैं कि भूकम्पों के विषय का पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता जबकि प्राचीन विज्ञान के आधार पर तो बनस्पतियों में आने वाले परिवर्तन एवं पशुओं  पक्षियों की चेष्टाओं शकुनों अपशकुनों और आकाशीय ग्रहस्थिति के अध्ययन के आधार पर भी आगामी भूकम्पों का अनुमान लगाने में मदद मिल सकती है ।
     कई बार प्राकृतिक उत्पातों के भी अच्छे बुरे शकुनों के आधार पर भी लाभ हानि का अनुमान लगाया जा सकता है ।जैसे -नेपाल में भूकम्प आने के तीन दिन पहले वहाँ भीषण तूफान आया था जिसमें सैकड़ों जानें गई थीं एक सप्ताह पहले से लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी चक्कर आने लगे थे उल्टियाँ लग रह थीं ये साड़ी चीजें यदि एक साथ हों तो भूकम्प का अंदेशा होता है जैसा कि हुआ भी 22 -4 -2015 को नेपाल से उठा हुआ तूफान न भी उतनी ही भयंकरता से भारत में भी आया था इसी प्रकार 18 -4 - 2015 को भी उत्तर भारत में बड़ा तूफान आया था इसके दुष्प्रभाव स्वरूप ही 25 -4 -2015 को बड़ा भूकम्प आया था ये उन तूफानों का दुष्प्रभाव माना जाए या फिर भूकम्पों की पूर्व सूचना तूफानों को माना जाए !इसी प्रकार से 26 -10-2015 को हिंदूकुश से भारत तक आए भूकंप के कारण मद्रास में भीषण बाढ़ आई और भारत पाकिस्तान के बीच सहज संबंधों पर बात चीत प्रारम्भ हुई !26 -10-2015यही फल 25 (26) -12-2015 को आए भूकम्प का है । यद्यपि सभी भूकंपों का फल एक जैसा नहीं होता है इनकी भी अलग अलग श्रेणियाँ होती हैं जैसे 25 -4-2015 को   और 7-12 - 2015 आए भूकम्प वायु प्रभाव से आए थे ऐसी शास्त्रीय मान्यता है वायु प्रभाव से आए भूकंपों के पहले आंधी तूफान अवश्य आते हैं जैसे 7-12 - 2015 को आए भूकम्प से पहले 1 -12 -2015 भीषण आँधी तूफान आया था इसी प्रकार से 25-4 -2015 को आए भूकंप से पहले 18 और 22 अप्रैल को भीषण आंधी तूफान आए थे !इसी प्रकार से 26 -10-2015यही फल 25 (26) -12-2015 को आए भूकम्पों  को जल प्रभाव से आए भूकम्प माना जाता है । ऐसे ही अन्य भूकम्पों का भी अध्ययन किया जा सकता है ।
        चिकित्सा के क्षेत्र:-
      इसी प्रकार से चिकित्सा के क्षेत्र में भविष्य विज्ञान की दृष्टि से अध्ययन करने के लिए भारत के प्राचीन विज्ञान में बहुत कुछ है जबकि आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में काउंसलिंग से लेकर और भी जितना कुछ है उसमें अँधेरे में तीर मारे जा रहे हैं यह बात मैं प्राचीन विज्ञान से जुड़े शास्त्रीय निजी अनुभवों को आधार मानकर निवेदन कर रहा हूँ !मुझे विश्वास है कि स्वभावों का रहस्य खुलते ही टूटते संबंधों और बिखरते परिवारों को एक सीमा तक बचाया जा सकता है साथ ही बढ़ती असहिष्णुता को कम किया जा सकता है !यहाँ तक कि बढ़ती आपराधिक प्रवृत्ति को काफी हद तक घटाया जा सकता है क्योंकि अपराध सोचे मन से जाते हैं योजना मन में बनती है किंतु तब तक किसी को पता नहीं लग पाता है जब तक कि उसे अंजाम न दे दिया जाए ऐसी परिस्थिति में कोई भी कानून तो अपराध होने के बाद ही सक्रिय हो सकता है किंतु स्वभावविज्ञान के माध्यम से ऐसे लोगों को उनके घर वालों के सहयोग से पहले से नियंत्रित करने के लिए तथा और भी कई क्षेत्रों में प्रभावी प्रयास किए जा सकते हैं ।
      इसी प्रकार से 11 अप्रैल 2015 से 25 अप्रैल 2015 तक एवं 23 नवंबर 2015 से 7 दिसंबर 2015 तक रजो दर्शन अर्थात धूल वर्षण  के योग थे ये धूल न जाने कहाँ से आती है किसी को पता नहीं होता है चूँकि ये अपशकुन  की  धूल होती है अतएव इसका फल होता है देश के प्रधान शासक के लिए संकट होता है बचाव के लिए सतर्कता बरती जानी चाहिए !
          इसी प्रकार से अभी कुछ महीने पूर्व रूस के आकाश में तीन सूर्य एक साथ दिखे थे !चीन के आकाश में एक उड़ता हुआ बादलों का शहर दिखाई पड़ा था !कई बार आकाश में चमकती हुई तीव्रगति गामिनी रोशनी दिखती है और फिर अचानक छिप जाती है इस रोशनी में तरह तरह की आकृतियाँ होती हैं जिसे लोग एलियन  या  UFO कहा करते हैं और ऐसा जहाँ कहीं भी होता है उनके अच्छे या बुरे परिणाम भी होते हैं जिनका वर्णन केवल भारत के प्राचीन विज्ञान में ही मिलता है वहाँ केतु माना गया है जो केवल प्रकाश रूप हैं इनकी संख्या हजारों में है ।
       कुल मिलाकर ऐसे सभी प्राकृतिक बदलाव क्यों दिखते हैं ये हैं क्या ?आदि आदि ! आधुनिक विज्ञान का ध्यान इधर तो है किंतु शकुन अपशकुन मानकर इनके अध्ययन की ओर उसकी रूचि नहीं दिखती है ।
       भारत के प्राचीन विज्ञान के आधार पर ऐसे सभी प्राकृतिक संकेतों का अध्ययन करने हेतु हमारे संस्थान के तत्वावधान में इन पर विशेष शोधकार्य चलाया जा रहा है । सरकार से अपेक्षा है कि सरकार इसमें हमारी सभी प्रकार से मदद करे ! 


Saturday, 19 December 2015

काँग्रेस और केजरीवाल भ्रष्टाचार विरोधी जो जाँच नहीं सह सके उसे आम जनता क्यों सहे ? इज्जत तो आखिर उसकी भी होती है !

जाँच में इतनी घबड़ाहट तो दुर्भाग्य से कहीं यदि दंड की नौबत आई तो ये तो जीने नहीं देंगे देशवासियों को !
    राजनीति में घुसते समय दो दो पैसे के लिए परेशान नेता लोग आज करोड़ों अरबों के ढेरों पर आसन जमाए बैठे हैं उन्होंने व्यापार कोई किया नहीं नौकरी करते नहीं हैं फिर भी संपत्ति करोड़ों अरबों की बनती जा रही है ये आई कहाँ से !जाँच में इसके स्रोत तो बताने होंगे वो पता नहीं हैं क्योंकि वो तो ऑटोमैटिक होते हैं जो बताए नहीं जा सकते केवल अनुभव करने होते हैं । ये दुनियाँ जानती है कि जिम्मेंदारी से जाँच हुई तो भ्रष्टाचारियों को फँसने से बचाया नहीं जा सकता तो घबड़ाहट तो होती ही है किंतु उन्हें ये प्रूफ कैसे करें !
    यदि ऐसा न होता तो पढ़ने वाले विद्यार्थी परीक्षाओं से कहाँ डरते हैं बौखलाहट तो तब होती है जब मन में पाप होता है अफसर पर आरोप लगते ही मुख्यमंत्री की त्योरियाँ ऐसी चढ़ीं ऐसे ऊलजुलूल बकने लगे और कोसने लगे प्रधान मंत्री जी को उनकी घबड़ाहट देख कर लग रहा था कि जैसे भ्रष्टाचार की आत्मा ही प्रवेश कर गई हो मुख्यमंत्री में !बारे  ईमानदार राजनीति के पुरोधा !
    काँग्रेस को अपने नेता पर और केजरीवाल को अपने अफसर पर विश्वास रखते हुए जाँच का सामना करना चाहिए था !
     जाँच ईमानदारी की एक परीक्षा है  इसलिए जाँच होने से बेईमानों का गौरव घटता है ईमानदारों का सम्मान बढ़ता भी है  केजरीवाल जी हों या काँग्रेस जाँच का नाम सुनते ही जब दोनों पगला उठे तो आम जनता क्यों करावे अपनी जाँच ?क्या उसकी कोई इज्जत नहीं होती !  जाँच का नाम सुनते ही दोनों डर गए बौखलाहट इतनी कि PMको भी बोलने लगे ऊट पटाँग ! लालच ये कि हे भगवान PM साहब जाँच रुकवा दें ! क्या यही है कानून का सम्मान ?
 केजरीवाल जी !CM शीला दीक्षित जी को या उनकी सरकार को अपशब्द बोलकर आप CM बन गए कहीं इसी नियत से तो PM को अपशब्द नहीं बक रहे हैं आप ! केजरीवाल हों या काँग्रेस !मैं दोनों से पूछना चाहता हूँ कि नरेंद्र मोदी जी का समर्थन जनता ने करके उनकी सरकार बनवाई तो इसमें मोदी जी का अपराध क्या है ?
 नेता हों या नेताओं के पिट्ठू अफसर ऐसे  तो कितना भी बड़ा अपराध करें किंतु उनकी जाँच नहींं की जा सकती !प्रधानमन्त्री के अंडर में लगभग सारी जाँच एजेंसियाँ आती होंगी मतलब क्या किसी पर भी अपराध या भ्रष्टाचार के आरोप लगें तो वो अपने को सत्यवादी ईमानदार आदि सिद्ध करने के लिए देश की बड़ी से बड़ी जाँच एजेंसी को कटघरे में खड़ा कर दे या देश के प्रधान मंत्री को कटघरे में खड़ा कर दे कितनी ओछी हरकत है ये !यदि देश की कानूनी प्रक्रिया की कार्य पद्धति पर संशय भी हो तो भी  न्यायालयों पर भरोसा तो रखना ही चाहिए यदि लोकतंत्र की प्रक्रिया जीवित रखनी है तो !अन्यथा अपने विरुद्ध किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार का आरोप लगते ही सीधे प्रधान मंत्री को धमकी देने लगना उन पर ऊटपटाँग आरोप मढ़ने लगना वो भी तब जब ऐसा पहले भी किया जा चुका हो जिसमें अपने विधायक पर फर्जी डिग्री के आरोप प्रमाणित भी हुए हों जबकि उस समय भी केंद्र सरकार पर ऐसे ही आरोप लगाए गए थे जो गलत सिद्ध हुए !ऐसी परिस्थिति में धमकी किसी को भी किसी भी प्रकार से दी जाए जिससे ये संकेत जाते हों कि सम्बंधित व्यक्ति पर भ्रष्टाचार के संशय का निराकरण करने में तकलीफ हो रही है तो ये देश के कानून के साथ बगावत मानी जानी चाहिए !
       देश के आम लोगों के साथ भी तो ऐसी परिस्थिति पैदा होती होगी कई बार वो भी तो झूठ फँसाए जा रहे होते होंगे इसका मतलब क्या उन्हें भी सम्बंधित लोगों पर पक्षपात का आरोप लगाकर प्रधानमंत्री को गाली देने लगना चाहिए !आप लोग यदि समझ सकें तो समझें कि वर्तमान समय में प्रधानमंत्री पद की प्रतिष्ठा के साथ जितना खिलवाड़ विपक्ष कर रहा है वो अनुचित है बात बात में प्रधान मंत्री पर आरोप लगाने लगना वो भी तब जब प्रधान मंत्री जी उन आरोपों पर कुछ बोल न रहे हों उचित नहीं है पराजित विपक्ष का भी लोकतंत्र की रक्षा का उतना ही दायित्व होता है जितना सत्तापक्ष का !प्रतिपक्ष ऐसा क्यों सोचता है कि संसद में वो कितना भी गलत व्यवहार करे किंतु दोष सत्ता पक्ष का ही माना जाएगा !इसलिए ये सोच ही गलत है !
     आम जनता पर अपराध के झूठे आरोप भी लगें तो भी किसी शातिर अपराधी के श्रेणी में रखकर पूछ ताछ के नाम पर अपराध कबुलवाने के लिए हर हथकंडा अपनाया जाता है उनपर और भरसक कोशिश होती है कि उसे अपराधी सिद्ध कर दिया जाए !उनके माता पिता आदि अभिभावक अपने निरपराध सदस्य को दी जा रही यातनाओं को न सह पाने के कारण ये सदमा झेल नहीं पाते कई बार मर जाते हैं कई बार आत्महत्या तक कर लेते हैं और बाद में जब फैसला आता है तब निरपराध सिद्ध होने के कारण वो बाइज्जत बरी कर दिया जाता है किंतु तब तक उसे इतना बड़ा दंड मिल चुका होता है जिसकी भरपाई इस जन्म में की ही नहीं जा सकती !       
    मेरे कहने का आशय है कि भ्रष्टाचारी  नेता और सक्षम अफसर पकड़े जाएँ तो बदले की भावना से की गई कार्यवाही का आरोप लगाकर या उसे सरकार प्रेरित बताते हुए  आरोपी नेताओं के द्वारा तुरंत आंदोलन छेड़ने की धमकी देकर जाँच एजेंसियों पर दबाव बनाया जाए जाँच प्रक्रिया से जुड़े अफसरों को भयभीत किया जाए ! दूसरी ओर ये कहना कि कानून का हम सम्मान करते हैं न्याय प्रक्रिया पर हमें भरोसा है इसी कानून का सम्मान करना कैसे माना जा सकता है !आखिर ये सुविधा किसी आम नागरिक को क्यों नहीं है
   अफसरों के भ्रष्टाचार पर कानूनी शिकंजा कसे तो बदले की भावना का आरोप लगाकर हवा में उड़ा दिया जाए ये  उचित है क्या ? नेताओं पर अपराध के आरोप लगें तो  बदले की कार्यवाही और आम लोगों पर लगें तो अपराधी!आम लोगों पर अपराध का आरोप झूठा भी लगे तो भी अपराधी ! और नेता अफसर निरपराध !

Friday, 18 December 2015

भ्रष्टनेताओं और पाखंडीसाधुओं ने बर्बाद किया है देश !इनके पाखंड और भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ना होगा वैचारिक युद्ध !

ईश्वरभक्त संत और देशभक्त नेताओं को पाखंडियों  एवं भ्रष्टाचारियों ने पीछे धकेल दिया है ! अब समाज  एवं देश की सेवा करे कौन ?
   पाखंड और भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ना होगा वैचारिक  युद्ध !भ्रष्टाचारी नेता और पाखंडी साधू लोग समाज को कभी भी अपने पैरों पर नहीं खड़ा होने देंगे समाज जिस दिन अपने पैरों पर खड़ा हो जाएगा उसी दिन दलित लोग आरक्षण लेना अपमान समझने लगेंगे और पापी लोग भी बाबाओं की दलाली बंद करके सीधे धर्म कर्म से जुड़ने लगेंगे !धर्म हो या राजनीति दिनों दिन भयावह होते जा रहे हैं ।आपस में मिलजुलकर इन्हें रोकना होगा शीघ्र रोना होगा !
पाखंडी साधू धर्म की बड़ी बड़ी बातें करते हैं और भ्रष्टाचारी नेता  कानून की किंतु पाखंडी साधू लोग शास्त्र नहीं पढ़ते इसलिए धर्म का ज्ञान नहीं होता और भ्रष्ट नेता संविधान नहीं पढ़ते इसीलिए कानून का ज्ञान नहीं होता !पाखंडी  साधू धर्म का भय देकर और भ्रष्ट नेता कानून का भय देकर समाज को अनाप शाप लूटते हैं पाखंडी साधू लोग पापियों के उद्धार की बातें करते हैं और भ्रष्ट नेता दलितों के उत्थान की बात करते हैं किंतु टार्गेट दोनों का ही समाज को लूटना होता है इस प्रकार से लूटपाट कर दोनों के दोनों समाज का हिस्सा हड़प कर सब सुख भोगते हैं इनके निजी जीवन में सारी  मर्यादाएँ तार तार होती हैं फिर भी ये दोनों ही समाज की आँखों में धूल झोंका करते हैं पाखंडी साधू हों या भ्रष्ट नेता ब्यापार तो इनके लिए बहाना होता है किंतु संपत्ति सारी लूट पाट कर अनेकों के हिस्से हड़प कर एकत्र की गई होती है किंतु ये राज छिपाकर दोनों रखते हैं पाखंडी साधू लोग पापियों से कहते हैं दान करो किंतु खुद समेत कर रख लेते हैं इसी प्रकार भ्रष्ट नेता दलितों की हमदर्दी दिखा दिखा कर सुख सुविधाएँ संपत्ति माँगते हैं और खुद लूट कर ले जाते हैं दलित बेचारे दलित ही बने रहते हैं जबकि नेता जी हो जाते हैं अरबोंपति !ऐसे पाखंडी साधू जब घबड़ाते हैं तो राजनीति की बातें करने लगते हैं और  भ्रष्ट नेता जब फँसने लगता है धार्मिक दिखने का नाटक करने लगता है !पाखंडी साधू हों या भ्रष्ट नेता ये दोनों अपनी अपनी  ताकत दिखाने के लिए करते हैं बड़ी बड़ी रैलियाँ !नेता इस लोक को ठीक करने के भाषण देता है और साधू उस लोक को !एक लाल कपड़ों में और दूसरे सफेद में लिपेटते हैं अपने अपने शरीर !इन पाखंडियों और भ्रष्टों के विरुद्ध हमारे "राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोधसंस्थान " ने छेड़ रखा है जन जागरण अभियान ! देश और समाज की रक्षा के लिए हमें चाहिए आपका सहयोग !आप भी जुड़ें हमारी संस्थान से !
आरक्षण केवल सवर्णों के साथ ही नहीं अपितु दलितों के साथ न केवल अन्याय है अपितु घोर गद्दारी है !
    भ्रष्टनेता यदि संन्यास लेता है तो भ्रष्ट संन्यासी क्या करे ....!
   आधुनिक संतों और आधुनिक नेताओं में बहुत सारी समानताएँ  होती हैं जैसे रैलियॉं दोनों के लिए बहुत जरूरी होती हैं।अपनी अच्छी बुरी कैसी भी बात को समाज पर जबरदस्ती थोपने के लिए भीड़ का सहारा दोनों को लेना पड़ता है।भीड़ को बुलाया तो कुछ और समझा करके जाता है, भाषण किसी और बात के दिए जा रहे होते हैं, उद्देश्य  कुछ और होता है,परिणाम कुछ और होता है। इसीप्रकार रैली में सम्मिलित होने वाले लोग भी समझने कुछ और आते हैं किंतु समझकर कुछ और चले जाते हैं।जहॉं तक भीड़ की बात है। भीड़ तो पैसे देकर भी इकट्ठी की जा रही है वो समाज का प्रतिनिधित्व तो नहीं कर सकती।जो पैसे देकर भीड़ बुलाएगा वो भीड़ से ही पैसे कमाएगा भी। तो राजनीति या धर्म में भ्रष्टाचार तो होगा ही। किसी भी प्रकार का आरक्षण या छूट के लालची लोग अथवा कर्जा माफ करवाने के शौकीन लोग भ्रष्ट नेताओं को जन्म देते  हैं।इसी प्रकार बहुत सारा पाप करके  पापों से मुक्ति चाहने वाले चतुर लोग ही कुछ भ्रष्ट बाबाओं को जन्म देते हैं।ऐसी परिस्थिति में धर्म और राजनैतिक भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदार आखिर है कौन ?
    उसे पकड़े और सुधारे  बिना भ्रष्टाचार के विरुद्ध खोखले नारे लगाने, नेताओं की तथाकथित पोल खोलने से कुछ नहीं होगा।जब तक भ्रष्ट नेताओं और भ्रष्ट बाबाओं के विरुद्ध संयुक्त जनजागरण अभियान नहीं चलाया जाएगा।तब तक इसे मिटा पाना संभव नहीं है,क्योंकि भ्रष्टाचार सोचा मन से और किया तन से जाता है।सोच पर लगाम लगाने के लिए धर्म एवं उसकी क्रिया पर लगाम लगाने के लिए कानून होता है।धर्म तो धार्मिक लोगों एवं धर्मशास्त्रों के आधीन एवं कानून नेताओं के आधीन हो गया है। ऐसे में किसी एक पर लगाम लगाने पर भी अपराध पर अधूरा नियंत्रण हो पाएगा जो उचित नहीं है।     नेता और तथाकथित संतों में बहुत सारी समानताएँ  होती हैं इन संतों के पास ईश्वर भक्ति नहीं होती है। इन नेताओं में देश  भक्ति नहीं होती है।दोंनों अपने  अनुयायिओं की भीड़ के बल पर फूलते हैं। भीड़ देखकर दोनों  ही पागल हो जाते हैं चाहें वह किराए की ही क्यों न हो । दोनों अनाप सनाप कुछ भी बोलने बकने लगते हैं।दोनों को लगता है कि सारा देश  उनके पीछे ही खड़ा है।दोनों की गिद्धदृष्टि  पराई संपत्ति सहित पराई सारी चीजों को भोगने की होती है।दोनों वेष  भूषा  का पूरा ध्यान रखते हैं एक नेताओं की तरह दिखने की  दूसरा महात्माओं की तरह दिखने की पूरी कोशिश   करता है। दोनों रैलियॉं करने के आदी होते हैं।दोनों मीडिया प्रेमी होते हैं इसलिए पैसे देकर भी दोनों टी.वी.टूबी पर खूब बकते बोलते देखे जा सकते हैं।बातों विद्या तपस्या अादि में दम हो न हो किन्तु दोनों में पैसे का दम जरूर दिखता है पैसे के ही बल पर बोलते हैं। नेता जब भ्रष्ट  होता है तो कहता कि यदि ये आरोप सही साबित हुए तो संन्यास ले लूँ गा।जैसे उसे पता हो कि भ्रष्ट लोग ही संन्यासी होते हैं।मजे की बात यह है कि संन्यासी चुप करके सुना करते हैं कोई विरोध दिखाई सुनाई नहीं पड़ता।इसी प्रकार कोई संन्यासी नेता बन जाता है ,क्योंकि  बिना पैसे ,बिना परिश्रम और बिना जिम्मेदारी के उत्तमोत्तम सुख सुविधाओं का भोग इन्हीं दो जगहों पर संभव है।   
      इसप्रकार धार्मिक लोगों की गतिविधियों को भी शास्त्रीय संविधान की सीमाओं के दायरे में बॉंधकर रखने की भी कोई तो सीमा रेखा होनी ही चाहिए। स्वामी जी रैलियॉं कर रहे हैं, आज स्वामी जी साड़ी बॉंट रहे हैं।स्वामी जी स्वदेशी  के नाम पर सब कुछ बेच रहे हैं , स्वामी जी उद्योगधंधे लगा रहे हैं, स्वामी जी चुनाव लड़ रहे हैं, स्वामी जी मंत्री भी हैं।ऐसे लोगों के पर्दे के पीछे के भी बहुत सारे अच्छे बुरे आचरण देखने सुनने को मिला करते हैं।ये सब गंभीर चिंता के बिषय हैं ।
    इनकी दृष्टि में  क्या सारे पापों का कारण केवल विवाहिता पत्नी ही होती है?केवल विवाहिता पत्नी का परित्याग करके या अविवाहित रह कर हर कुछ कर सकने का परमिट मिल जाता है क्या  इन्हें ?वो कितना भी बड़ा पाप ही क्यों न हो? मन पर नियंत्रण न करने पर कैसे विरक्तता संभव  है?
    साधुत्व के अपने अत्यंत कठोर नियम होते हैं उन्हें हर परिस्थिति में नहीं निभाया जा सकता है जबकि राजनीति हर परिस्थिति में निभानी पड़ती है। अपने सदाचारी तपस्वी संयमी जीवन से सारी समाज को ठीक रखने की जिम्मेदारी संतों की ही है।ऐसे में शास्त्रों एवं संतों की गरिमा रक्षा के लिए शास्त्रीय विरक्त संतों को ही आगे आकर यह शुद्धीकरण करना होगा। साथ ही तथाकथित बाबाओं  पर लगाम कैसे लगे?यह संतों को ही सोचना होगा।जो धार्मिक व्यवसायी लोग कहते हैं कि हमारा गुरुमंत्र जपो सारे पाप नष्ट हो जाएँगे इसका मतलब क्या यह नहीं निकाला जा सकता है कि ये पाप करने का परमिट बाँट रहे हैं ?कितना अभद्र है यह बयान ?               जैसे स्वामी जी के किसी प्रवचन में एक पति पत्नी सतसंग करने गए थे पैसे पास नहीं थे काम धाम चलता नहीं था।सोचा चलो सतसंग से ही शांति मिलेगी। वहॉं जाकर सजे धजे मजनूँ टाइप के बाबा को मुख मटका मटका कर नाचते गाते बजाते या था कथित भोगवत कहते और प्रवंचन करते देखा, बहुत सारा सोना पहने बाबाजी और बहुत सारा ताम झाम देखकर उसने सोचा बाबाजी का भी कोई उद्योग धंधा तो है नहीं ,बाबा जी ने  समझादारी से काम लिया है।इस देश  की जनता धर्म केवल सुनना चाहती है सुनाओ दिखाओ अच्छा अच्छा करो चाहे कुछ भी! जो इस देश की जनता को पहचान सका उसने पेट हिलाकर पैसे बना लिए कौन पूछता है कि बाबाजी योग के विषय में आप खुद क्या जानते हैं?बाबाजी को धर्म की बात बताना आता है करते चाहें जो कुछ भी हों इस पर जनता का ध्यान नहीं जाता है। जब बाबाजी का भी कोई उद्योग धंधा तो है नहीं तो बाबा जी ने भी कुछ किया नहीं तो धन आया कहॉं से?आखिर जनता को भी पता है।वैसे भी जो लोग हमारा पेमेंट नहीं देते वो बाबा जी को फ्री में क्यों दे देगें?अब मैं भी वही करूँगा और उसने भी बाबा बनने की ठानी इसप्रकार वह भी अच्छा खासा व्यक्ति धन लोभ  से बाबा बन गया ! क्योंकि अब उसका लक्ष्य धन कमाना ही हो गया था।इसी प्रकार तथाकथित सतसंगों के कई और भी कुसंग होते हैं। इसी जगह यदि किसी चरित्रवान संत का संग होता है तो कई जन्म के कुसंगों का दोष  नष्ट भी हो जाता है किन्तु ऐसे कुसंगों के कारण ही बसों में बलात्कार हो रहे हैं।यदि इन्हें सत्संग माना जाए तो बढ़ रही सतसंगों की भीड़ें आखिर  सतसंगों से सीख क्या रही हैं ?अपराधों का ग्राफ दिनों दिन बढ़ता जा रहा है इसका कारण आखिर क्या है ?      इसी प्रकार नेताओं की एक बार की चुनावी विजय के बाद हजारों रूपए के नेता करोड़ों अरबों में खेलने लगते हैं।इन्हें देखकर भी लोग सतसंगी लोगों की तरह ही बहुत बड़ी संख्या में प्रेरित होते हैं।ईश्वर भक्त संतों एवं देश भक्त नेताओं के दर्शन दिनों दिन दुर्लभ होते जा रहे हैं।बाकी राजनेताओं की बिना किसी बड़े व्यवसाय के दिनदूनी रात चैगुनी बढ़ती संपत्ति सहित सब सुख सुविधाएँ  बढ़ते अपराधों की ओर मुड़ते युवकों के लिए संजीवनी साबित हो रही हैं ।
राजेश्वरी प्राच्य विद्या शोध संस्थान की सेवाएँ
यदि आप ऐसे किसी बनावटी आत्मज्ञानी, बनावटी ब्रह्मज्ञानी, ढोंगी,बनावटी तान्त्रिक,बनावटी ज्योतिषी, योगी उपदेशक या तथाकथित साधक आदि के बुने जाल में फँसाए जा  चुके हैं तो आप हमारे यहाँ कर सकते हैं संपर्क और ले सकते हैं उचित परामर्श ।
       कई बार तो ऐसा होता है कि एक से छूटने के चक्कर में दूसरे के पास जाते हैं वहाँ और अधिक फँसा लिए जाते हैं। आप अपनी बात किसी से कहना नहीं चाहते। इन्हें छोड़ने में आपको डर लगता है या उन्होंने तमाम दिव्य शक्तियों का भय देकर आपको डरा रखा है।जिससे आपको  बहम हो रहा है। ऐसे में आप हमारे संस्थान में फोन करके उचित परामर्श ले सकते हैं। जिसके लिए आपको सामान्य शुल्क संस्थान संचालन के लिए देनी पड़ती है। जो आजीवन सदस्यता, वार्षिक सदस्यता या तात्कालिक शुल्क  के रूप में  देनी होगी, जो शास्त्र  से संबंधित किसी भी प्रकार के प्रश्नोत्तर करने का अधिकार प्रदान करेगी। आप चाहें तो आपके प्रश्न गुप्त रखे जा सकते हैं। हमारे संस्थान का प्रमुख लक्ष्य है आपको अपनेपन के अनुभव के साथ आपका दुख घटाना,बाँटना  और सही जानकारी देना।

Thursday, 17 December 2015

   हमारी छत खाली हो जाएगी ,शर्दियों में धूप मिलेगी गर्मियों में खुली हवा में बैठ सकेंगे रेडिएशन का भय नहीं रहे साथ ही अपरिचित लोगों का बिल्डिंग में घुसना बंद हो जाएगा !आज की ये स्थिति है कोई कितना भी 

पूर्वी दिल्ली कृष्णा नगर में k-71 दुग्गल बिल्डिंग नाम से एक चार मंजिला बिल्डिंग है जिसमें सोलह फ्लैट हैं बिल्डर सारे फ्लैट बेचकर चला गया था ! सामूहिक छत होने के कारण शर्दी में धूप सेकते एवं गर्मियों में बिजली चले जाने पर लोग खुली हवा में छत पर लेट जाया करते थे !

       कुछ वर्ष बाद बिल्डिंग में रहने वालों की जानकारी के बिना बिल्डर से किसी ने आधी छत खरीद ली और उस पर बिल्डिंग में रहने वालों से बिना कोई सलाह मशविरा किए बिना ही एक मोबाईल टावर लगवा दिया जिसका किराया वो लेता है जबकि वो बिल्डिंग में रहता भी नहीं है और न ही बिल्डिंग में उसका कोई फ्लैट ही है ।  शुरू में कहा गया था कि बिल्डिंग के मेंटिनेंस के रूप में 4000 रूपए महीने एवं एक गार्ड देख रेख के लिए बिल्डिंग वालों को दिया  जाएगा उस हिसाब से अब तक लाखों में बनते हैं किंतु न तो कुछ दिया गया और न ही कोई गार्ड आया  !

          रेडिएशन का खतरा है या नहीं सुना है कि इस पर रिसर्च चल रही है किंतु यदि बाद में पता लगा कि रेडिएशन का खतरा है तो ये खतरा बिल्डिंग में रहने वाले लोग अभी तक क्यों भोगते आ रहे हैं जबकि उनका उस टावर से कोई लेना देना नहीं है किराया वो ले रहा है और खतरा बिल्डिंग वाले उठा रहे हैं ।इसका जवाब देने के लिए कोई अधिकारी तैयार नहीं है ।
     दूसरी बात टावर में अक्सर कुछ न कुछ ठीक करने के बहाने  अपरिचित लोग बिल्डिंग में बिना पूछे बताए घुसते रहते हैं अगर वो कभी कोई बारूद रख कर भी चले जाएँ तो पता तभी चलेगा जब विस्फोट होगा । लापरवाही सरकार की भोग रहे हैं बिल्डिंग वाले ! इसके लिए जिम्मेदार आखिर कौन है ?
    बिल्डिंग वालों ने अपरिचित देखकर कई बार एतराज किया तो वो लड़के लड़ने लगे तब पुलिस बोलाई गई किंतु पुलिस को उन लोगों ने प्रसन्न कर लिया और  दसपाँच लोग लेकर बिल्डिंग में रहने वालों को वो लोग धमका गए खबरदार जो अबकी शिकायत की आदि आदि और भी बड़ी बड़ी धमकियाँ !तब से बिल्डिंग वाले बेचारे पूरी तरह शांत हो गए हैं अब कोई कुछ भी करे उनकी बला से !किंतु बिल्डिंग की सुरक्षा के लिए क्या ये सही है !

     दिल्ली प्रशासन की ये लापरवाही देखकर पीड़ित सक्षम लोग तो बिल्डिंग छोड़कर चले गए हैं कुछ किराए पर उठकर बाहर रहने को मजबूर हैं जबकि अक्षम लोग अभी भी यहीं रह रहे हैं कहाँ जाएँ वो ?अब तो कहीं कोई शिकायत करके भी रिस्क नहीं लेना चाहते हैं यहाँ तक कि आज उन पर क्या बीत रही है पूछने पर भी वो बताने में डरते हैं। उन्हें MCD या पुलिस आदि प्रशासन पर भरोसा तो अब बिलकुल नहीं रहा इसलिए सारी समस्याएँ सह रहे हैं बेचारे !

  बिल्डिंग वालों की इसी कमजोरी का लाभ उठाने के लिए बिल्डिंग में सबसे ऊपर जिनका फ्लैट है वो अब अपने को ShO बताने लगे हैं अब उन्हें भी चाहिए धन ! उन्होंने टावर लगने से बची आधी छत पर भी लगभग पिछले एक वर्ष से किसी को टंकियाँ देखने जाने तक के लिए मना कर रखा है !दूसरी ओर छत पर कुछ जगह और खाली है उसके नीचे रहने वाले व्यक्ति अब अपने को वकील कहने लगे हैं उन्हें भी कुछ चाहिए अन्यथा उनके लिए टंकियाँ रखने की बात तो  दूर छत पर से पानी का पाइप भी नहीं निकलने देते हैं लापरवाह अधिकारियों की कृपा से ये रौब है उनका !इस प्रकार से उन दोनों लोगों ने बिल्डिंग वालों का सामूहिक ताला बदल दिया है अब छत पर जाने के लिए लोग उन्हीं लोगों की कृपा पर आश्रित हैं , ताली उन्हीं लोगों के पास है !इतना डेंगू का शोर मचा रहा टंकियाँ साफ रखने के लिए बड़े बड़े विज्ञापन दिखाई सुनाई पड़ते रहे किंतु उन लोगों ने साफ साफ कह दिया कि जिससे जिसको शिकायत करनी हो कर दे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता !आदि आदि !

   पहले भी कुछ वर्षों से कभी टंकियाँ फाड़ दी जाती रही हैं कभी गोबर कुत्ते की बीट कूड़ा आदि डाल दिए जाते रहे हैं यहाँ तक कि एक बार तो मरी हुई बिल्ली  जो पहले छत पर पड़ी हुई देखी गई थी वो उठाकर टंकी में डाल दी गई थी लोग उसी पानी से बर्तन धोते नहाते कुल्ला आदि करते रहे । जब बिल्ली  बिलकुल गल गई तब बिल्डिंग वालों को पता लगा तब साफ कराई  गईं टंकियाँ !  

    अब तो वो लोग यहाँ तक कहने लगे हैं कि छत हमने खरीद ली है और बिल्डिंग वालों को धमकाकर पानी बिलकुल बंद कर रखा है कई महीनों से ये यातनाएँ झेल रहे लोग आज भी  उन लोगों के विरुद्ध मुख खोलने को तैयार नहीं हैं !

   बिल्डिंग दिनोंदिन पुरानी होती जा रही है कभी कभी वेसमेंट में पानी भर जाता है लोग डरते हुए भी उसे इसलिए ठीक नहीं करवा रहे हैं कि बिल्डिंग का मेन्टीनेंश जो तय हुआ था वो या तो टावर वाले दें बिल्डिंग की रिपेयरिंग करवायी जाए अन्यथा टावर तुरंत हटाया जाए तो हम लोग खुद रिपेयरिंग करवा लेंगे !

     अंधेर तो ये है कि अब तो सबसे नीचे की फ्लोर वाले भी वेसमेंट में ताला डालने की चर्चा करने लगे हैं वहाँ पीने के पानी की मोटरें लगी हैं जिनसे काम चल रहा है ! यहाँ एक दो लोग व्यापारिक कार्य कर रहे हैं उन्हें उतनी दिक्कत नहीं है !इसलिए वो क्यों बोलें ! कुल मिलाकर बिल्डिंग वालों को न तो कानून व्यवस्था का भय है और न ही कानून व्यवस्था पर भरोसा ही है इसलिए वो किसी एप्लीकेशन पर साइन तक करने से डरते हैं इतने डराए धमकाए जा चुके हैं ।

       अब तो सरकार  की  ईमानदारी पर ही भरोसा है कि वो सक्षम अधिकारियों को भेजकर वस्तुस्थिति समझें और रहने वाले लोगों से उनकी परेशानियाँ पूछें छत खोलवावें टंकियों की स्थिति देखें स्वतः पता चल जाएगा लोगों की परेशानियों का ! लोगों से सच्चाई समझने के लिए उन्हें विश्वास में लेना होगा क्योंकि शासन प्रशासन से कई बार धोखा खा चुके हैं वो लोग ! इसलिए वो इतनी आसानी से कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं ।

  


हमें चाहिए सभी प्रकार से आपकी भी मदद !यदि आप आप भी जुड़ें एवं  शास्त्रीय ज्ञान विज्ञान की प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध करने का संकल्प के नाम पर किए और कराए जा रहे दुष्कर्मों की आखों में धूल झोंकना धार्मिक कुकर्म बंद हों तो धर्म दिखाई पड़े ! ओं का विरोध करो !ले बाबाओं से समाज की बचाया जाएगा समाज हों    हर प्रकार के भ्रष्टाचार का विरोध करना हमारा कर्तव्य है !राजनैतिक भ्रष्टाचार हो या सामाजिक सभी के विरुद्ध करना होगा जनजागरण !

Saturday, 12 December 2015

'गौ गंगा गायत्री गीता एवं समस्त सनातन शास्त्रों की गौरव रक्षा हेतु '
राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध संस्थान (रजि.)


आचार्य डॉ. शेष नारायण वाजपेयी
एम. ए.(व्याकरणाचार्य) ,एम. ए.(ज्योतिषाचार्य)-संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी
एम. ए.हिंदी -कानपुर विश्वविद्यालय \ PGD पत्रकारिता -उदय प्रताप कालेज वाराणसी
पीएच.डी हिंदी (ज्योतिष)-बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU )वाराणसी
K -71 ,छाछी बिल्डिंग, कृष्णा नगर, दिल्ली -110051 ,011,22002689 \22096548 \9811226973\ 9968657732
Gmail -vajpayeesn @gmail .com \Web -WWW.drsnvajpayee . com

Friday, 11 December 2015

jaruuri

 स्कूलों में शिक्षकों का पहला कर्तव्य शिक्षा देना है क्या ये लागू करवा पाए आप !
     निगम प्रतिभा स्कूलों तक में केवल खाना पूर्ति होने लगी है शिक्षा में सुधार ! केवल इतना हुआ है कि जिस दिन आप या आपके मंत्री संत्री लोग जिस स्कूल में फोटो खिंचवाने जाते हैं वहाँ के शिक्षक सज सँवर कर हाथ बाँधकर निरीह प्राणियों की भाँति उन्हें घेर कर खड़े हो जाते हैं उनके आस पास !आपके लोग ऊंची आवाज में गरज लेते हैं और वो धीमी आवाज में उत्तर दे देते हैं ! आप और आपके लोग तो इससे खुश हैं किंतु इससे जनता का क्या लाभ हुआ ?

           
 शिक्षकों की जाँच जरूरी है किंतु करेगा कौन और हो कैसे ?
शिक्षक जो विषय पढ़ाने के लिए रखे गए हैं वो विषय उन्हें आता है क्या ?दूसरी बात पढ़े लिखे शिक्षकों को भी पढ़ाना आता है क्या ?तीसरी बात शिक्षक क्लास से कितनी देर कितने दिन अनुपस्थित रहते हैं इसका लेखा जोखा रखने वाले प्रधानाचार्यों पर इतना विशवास कैसे कर लिया जाए कि वे सच बोलते होंगे !आदतें तो उनकी भी पुरानी वाली ही पड़ी हैं वो भी विद्यार्थियों की अपेक्षा अपने जूनियर्स का साथ देते हैं ऐसी परिस्थिति में स्कूलों में बच्चों का कौन होता है ?

      शिक्षकों पर भी ड्रेस कोड  लागू किया जाए !
    स्कूल टाईम में शिक्षक घर को छोड़कर जहाँ भी रहें या जाएँ यदि स्कूल में उस दिन की छुट्टी की एप्लीकेशन नहीं लगी है तो ड्रेस में ही जाएँ !जो शिक्षक स्कूल टाइम में बहाने बना बना कर मार्केटिंग आदि करते रहते हैं या घर के अन्य जरूरी काम निपटाते रहते हैं या कुछ युवा शिक्षक शिक्षिकाएँ अपने प्रधानाचार्य को विश्वास में लेकर लव अफेयर आदि के लिए घंटे दो घंटे के लिए किसी बहाने से निकल जाते हैं पार्कों या एकांतिक स्थलों में ऐसे सभी गैर जिम्मेदार लोगों की पहचान हो सके !साथ ही समाज को इस बात के लिए जागरूक किया जाए कि वो शिक्षा में सहयोग करने के लिए ऐसे लोगों की फोटो खींच कर सरकार को भेजे और सरकार ऐसे लोगों की पहचान करके न केवल ऐसे लोगों पर कार्यवाही करे अपितु क्या कुछ हुआ इसकी सूचना बेबसाइट पर भी दे !

कक्षा में शिक्षकों की लापरवाही रोकने के लिए !बनाया जाए एक सतर्कता विभाग !
   कुछ शिक्षक आदतन कक्षाओं में लेट पहुँचते हैं और जल्दी कक्षा छोड़कर निकल आते हैं या कक्षाओं में पहुँचकर इधर उधर की बातें करके बच्चों का मनोरंजन किया करते हैं और चले  आते हैं ,कुछ तो बच्चों को कुछ सरल सा काम देकर अपने मोबाइलों में ही लगे रहते हैं कुछ शिक्षक जिम्मेदारी पूर्वक ठीक से पढ़ाते नहीं हैं या जल्दी जल्दी पढ़ाकर लग जाते हैं मोबाईल आदि के द्वारा अपने निजी कार्यों में !कुछ शिक्षक बच्चों के सामने ही कक्षाओं में  कुछ खाने लगते हैं और भी जो करते हों ऐसे सभी प्रकार के लापरवाह शिक्षकों पर सरकार चाहकर भी अपने संसाधनों से बहुत धन खर्च करके भी निगरानी नहीं कर सकती है !इसलिए यह मानकर कि ऐसे लोगों की लापरवाही का सबसे बड़ा गवाह होता है विद्यार्थी !एक मात्र वही भुक्तभोगी होता है और उसी का भविष्य दाँव पर लगा होता है इसलिए उसे काम से काम इतने अधिकार दिए जाएँ कि वो ऐसी लापरवाहियों के निजी तौर पर आडियो वीडियो आदि बनाकर  सरकारी सतर्कता विभाग को गुप्त रूप से भेज सके ताकि उसकी पहचान प्रकट न हो ! सरकार का विभाग उस पर कार्यवाही करे और उसकी सूचना शिकायती आडियो वीडिया सहित अपनी वेवसाइट पर डाले !इसमें सरकार का कोई खर्च भी नहीं लगेगा और न कोई चेकिंग आदि !

स्कूलों में या कक्षाओं इन कुछ बच्चे नशे का लेन  देन क्रय विक्रय आदि करने लगते हैं ,गाली गलौच या शोर शराबा आदि करते हैं या अपने से छोटों कमजोरों या लड़कियों को तंग करने लगते हैं या कक्षा के अलावा स्कूल में ही कोई ऐसी असमाजिक गतिविधि होने लगती है अक्सर  गंदगी आदि रहती है ऐसी सभी बुराइयों को रोकने की जिम्मेदारी सौंपी जाए छोटे बड़े सभी प्रकार के छात्रों को और उसी का भविष्य दाँव पर लगा होता है इसलिए उसे कम से कम इतने अधिकार दिए जाएँ कि वो ऐसी लापरवाहियों के निजी तौर पर आडियो वीडियो आदि बनाकर  सरकारी सतर्कता विभाग को गुप्त रूप से भेज सके ताकि उसकी पहचान प्रकट न हो ! सरकार का विभाग उस पर ईमानदारी पूर्वक कार्यवाही करे और उसकी सूचना शिकायती आडियो वीडिया सहित अपनी वेवसाइट पर डाले कि किस शिकायत पर क्या हुआ ?जिससे जनता में जागरूकता बढ़े इसमें सरकार का कोई खर्च भी नहीं लगेगा !

Thursday, 10 December 2015

चेन्नई की वर्षा तथा भारत और पाक की आपसी वार्ता साथ साथ चलेगी लगभग 10 मई 2016 तक !वर्षा चालू तो वार्ता चालू वर्षा बंद तो बंद !जानिए क्यों ?see more.... http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/12/blog-post_9.html

Monday, 7 December 2015

जनरल वीके सिंह जी यदि ' सिंह' न होते और पीड़ित परिवार दलित न होता तो भी वीके सिंह जी की बात के ऐसे ही उत्तेजक अर्थ निकाले जाते क्या!

वीके सिंह जी यदि मोदी सरकार के मंत्री न होते तो भी क्या विपक्ष इस बात पर ऐसे ही एकजुट होता ?
    जनरल वी के सिंह जी की सबसे बड़ी गलती कि वो 'सिंह' हैं दूसरी बड़ी गलती कि वे वे मोदी सरकार के मंत्री हैं तीसरी बड़ी गलती कि वो भाजपा के हैं चौथी बड़ी गलती कि वो अफसर रह चुके हैं ये सब बातें असहिष्णु  विपक्ष पचा नहीं पा रहा है ।जनरल वी  के  सिंह जी के नाम में यदि 'सिंह' न लगा होता और वो भाजपा में न होते तो भी क्या वो इतने ही गलत माने जाते !
    बंधुओ !ये जनरल वीके सिंह जी का बयान नहीं अपितु एक पत्रकार के प्रश्न का उत्तर है बयान  और उत्तर के अंतर को समझा जाना चाहिए !बयान  स्वतंत्र होता है उत्तर तो प्रश्न के आधीन होता है । उत्तर को स्वतंत्र बयान नहीं माना जा सकता ! उत्तर तो हमेंशा प्रश्न के अनुरूप होता है । 
    पत्रकार महोदय के प्रश्न पर वीके सिंह जी के उत्तर को यदि ध्यान से देखा जाए तो गलती पत्रकार से हुई है
 पत्रकार को जनरल वीके सिंह जी से प्रश्न करते समय एक पीड़ापूर्ण प्रसंग से जुड़े प्रश्न में राजनीति नहीं घुसानी चाहिए थी!जो गलती उनसे हुई है -
   दोनों प्रश्न अलग अलग किए जाने चाहिए थे चूँकि एक प्रश्न में ही दो प्रश्न थे इसीलिए एक उत्तर में ही दो उत्तर दिए गए !
  पत्रकार महोदय ने पूछा - "हरियाणा में दलित परिवार को जला कर मार दिया गया क्या सरकार वहाँ फेल हो गई है !"
वीके सिंहजी ने कहा - "कभी स्थानीय घटनाओं का सरकार से ताल्लुक मत रखिए उसके ऊपर इंक्वायरी बैठा दी गई है परिवारों के बीच मतभेद था !वो मतभेद किस रूप में परिवर्तित हुआ यहाँ पर इंतजामों का फेलियर है एडमिनिस्ट्रेशन का !उसके बाद फिर सरकार के ऊपर आते हैं"" हर चीज के अंदर कि जी वहाँ पर पत्थर मार दिया गया कुत्ते के तो इसके लिए सरकार जिम्मेदार है।"
         बंधुओ ! यदि ये प्रश्न अलग अलग होते तो उत्तर भी अलग अलग ही होते स्वाभाविक है ऐसे -       

    1.  प्रश्न :- हरियाणा में दलित परिवार को जला कर मार दिया गया !
     1. उत्तर :-कभी स्थानीय घटनाओं का सरकार से ताल्लुक मत रखिए उसके ऊपर इंक्वायरी बैठा दी गई है परिवारों के बीच मतभेद था !वो मतभेद किस रूप में परिवर्तित हुआ यहाँ पर इंतजामों का फेलियर है डमिनिस्ट्रेशन का !
      2. प्रश्न :- क्या सरकार वहाँ फेल हो गई है !
      2. उत्तर :-एडमिनिस्ट्रेशन के बाद फिर सरकार के ऊपर आते हैं ।"" हर चीज के अंदर कि जी वहाँ पर पत्थर मार दिया गया कुत्ते के तो इसके लिए सरकार जिम्मेदार है।"
         यदि ये दोनों बातें अलग अलग करके देखी  जाएँ तो साफ पता चल जाता है कि कुत्ते वाली बात उस दुखी परिवार के लिए नहीं अपितु सरकारी इंतजामों के लिए कही गई है उस परिवार से सम्बंधित बात तो उस उत्तर के साथ ही समाप्त हो गई थी । 
       इसके बाद जब वीके सिंह जी को पता लगा कि मेरी बात मेरी भावना के विरुद्ध गलत ढंग से परोसी जा रही है समाज में तो उन्होंने कहा-
      "अगर किसी की गलती से मेरी गलती से अगर इनको मिक्स करके ऐसा बिठाने का प्रयास किया गया है कि किसी समुदाय विशेष की इज्जत में कमी आई है या उनको ठेस पहुँची है तो मैं उसके लिए माफी माँगता हूँ मुझे कोई संकोच नहीं है !"       see more .... https://www.youtube.com/watch?v=a2Ku-69aPnQ
  
जनरल वीके सिंह जी के साथ जातीय अन्याय हो रहा है !वो ऐसे नहीं इसके लिए उनका गौरव पूर्ण अतीत गवाह है ! 
    बंधुओ !यदि जाने अनजाने में जनरल वीके सिंह जी से कोई गलती हो भी गई हो तो उनके माफी मांगने के बाद ये बात वहीँ समाप्त हो जानी चाहिए थी किंतु उन्हें असंवेदन शील या दलित विरोधी सिद्ध करने के प्रयास क्यों किए जा रहे हैं !हमें नहीं भूलना चाहिए कि मंत्री तो वो आज बने हैं किंतु उनका अतीत उत्तम रहा है वो सभी जातियों सम्प्रदायों वर्गों क्षेत्रों के लोगों की रक्षा के लिए समर्पित भावना से काम कर चुके हैं आज जो लोग उनके मुख से निकली एक बात पर हुए भ्रम को समाप्त करने के लिए माफी मांगने के बाद भी उन्हें माफ करने को तैयार नहीं है आखिर उनका अतीत कैसा है कभी झाँक कर देखें अपने भी अंदर !
  इसके बाद भी पता लगा कि राहुल गांधी जी धरने पर बैठे हैं क्यों आखिर क्या चाहते हैं वो ?
  वीके सिंह जी ने ऐसा कहा क्यों या पीड़ित परिवार दलित है इसलिए !इसीप्रकार से पत्रकार ने भी जब पूछा था तब उसने भी 'दलित' शब्द का प्रयोग किया था ऐसे ही अखलाक वाले केस में भी पीड़त परिवार के प्रति उतनी संवेदना नहीं दिख रही थी जितनी उसके मुस्लिम होने पर थी इसे ही किसी महिला का केस होगा तो अपराध गौण हो जाता है उसका महिलात्व  आगे आ जाता है आखिर क्यों ?क्या देश के सभी नागरिकों की सुरक्षा की समान जिम्मेदारी नहीं है सरकार की फिर उसमें हिन्दू मुस्लिम दलित सवर्ण स्त्री पुरुष क्यों ?

 जाति आधारित राजनीति पर पढ़ें हमारा ये लेख भी -
  ब्राह्मणों को गालियाँ दे देकर लोग कितने बड़े बड़े पदों पर पहुँच गए किंतु ब्राह्मणों ने कभी किसी का बुरा नहीं किया !
विधायक सांसद मंत्री मुख्यमंत्री आदि क्या क्या नहीं बन गए ब्राह्मणों को गालियाँ देकर लोग !ब्राह्मण गलत कभी नहीं रहे यही कारण है कि अंबेडकर साहब ने भी दूसरी शादी ब्राह्मण के यहाँ ही की थी और उनके शिक्षक तो ब्राह्मण थे ही !
 अंबेडकर साहब ने जिनके कहने पर अपने नाम से 'सकपाल' टाइटिल  हटाकर 'अंबेडकर' जोड़ा था वो उनके आत्मीय शिक्षक ब्राह्मण थे उनका नाम था महादेव अंबेडकर !इसी प्रकार से अंबेडकर साहब की दूसरी पत्नी  सविता अम्बेडकर भी  जन्म से ब्राह्मण थीं !
     अम्बेडकर साहब से उनके शिक्षक महादेव अंबेडकर जी न केवल बहुत अधिक स्नेह see more....http://samayvigyan.blogspot.in/2015/12/blog-post_6.html

जनरल वीके सिंह जी यदि ' सिंह' न होते और वो लोग दलित न होते तो भी वीके सिंह जी की बात के निकाले जाते क्या ऐसे ही उत्तेजक अर्थ !

जनरल वीके सिंह जी यदि ' सिंह' न होते और वो लोग दलित न होते  तो भी वीके सिंह जी की बात के निकाले जाते क्या ऐसे ही उत्तेजक अर्थ !
वीके सिंह जी यदि मोदी सरकार के मंत्री न होते तो भी क्या विपक्ष इस बात पर ऐसे ही एकजुट होता ?
    जनरल वी के सिंह जी की सबसे बड़ी गलती कि वो 'सिंह' हैं दूसरी बड़ी गलती कि वे वे मोदी सरकार के मंत्री हैं तीसरी बड़ी गलती कि वो भाजपा के हैं चौथी बड़ी गलती कि वो अफसर रह चुके हैं ये सब बातें असहिष्णु  विपक्ष पचा नहीं पा रहा है ।जनरल वी  के  सिंह जी के नाम में यदि 'सिंह' न लगा होता और वो भाजपा में न होते तो भी क्या वो इतने ही गलत माने जाते !
    बंधुओ !ये जनरल वीके सिंह जी का बयान नहीं अपितु एक पत्रकार के प्रश्न का उत्तर है बयान  और उत्तर के अंतर को समझा जाना चाहिए !बयान  स्वतंत्र होता है उत्तर पराधीन होता है । उत्तर को स्वतंत्र बयान नहीं माना जा सकता ! उत्तर तो हमेंशा प्रश्न के अनुरूप होता है । 
    पत्रकार महोदय के प्रश्न पर वीके सिंह जी के उत्तर को यदि ध्यान से देखा जाए तो गलती पत्रकार से हुई है उन्हें इस अत्यंत दुखद दुर्भाग्य पूर्ण प्रश्न के साथ राजनीति नहीं घुसानी चाहिए थी वो प्रश्न अलग से किया जाना चाहिए था । चूँकि एक प्रश्न में ही दो प्रश्न थे इसीलिए एक उत्तर में ही दो उत्तर दिए गए !
  पत्रकार महोदय ने पूछा - "हरियाणा में दलित परिवार को जला कर मार दिया गया क्या सरकार वहाँ फेल हो गई है !"
    वीके सिंहजी ने कहा - "कभी स्थानीय घटनाओं का सरकार से ताल्लुक मत रखिए उसके ऊपर इंक्वायरी बैठा दी गई है परिवारों के बीच मतभेद था !वो मतभेद किस रूप में परिवर्तित हुआ यहाँ पर इंतजामों का फेलियर है एडमिनिस्ट्रेशन का !उसके बाद फिर सरकार के ऊपर आते हैं ।" " हर चीज के अंदर कि जी वहाँ पर पत्थर मार दिया गया कुत्ते के तो इसके लिए सरकार जिम्मेदार है।"
         बंधुओ ! यदि ये प्रश्न अलग अलग होते तो उत्तर भी अलग अलग ही होते स्वाभाविक है ऐसे -       

    1.  प्रश्न :- हरियाणा में दलित परिवार को जला कर मार दिया गया !
     1. उत्तर :-कभी स्थानीय घटनाओं का सरकार से ताल्लुक मत रखिए उसके ऊपर इंक्वायरी बैठा दी गई है परिवारों के बीच मतभेद था !वो मतभेद किस रूप में परिवर्तित हुआ यहाँ पर इंतजामों का फेलियर है डमिनिस्ट्रेशन का !  
      2. प्रश्न :- क्या सरकार वहाँ फेल हो गई है !
      2. उत्तर :-एडमिनिस्ट्रेशन के बाद फिर सरकार के ऊपर आते हैं ।" " हर चीज के अंदर कि जी वहाँ पर पत्थर मार दिया गया कुत्ते के तो इसके लिए सरकार जिम्मेदार है।"
         यदि ये दोनों बातें अलग अलग करके देखी  जाएँ तो साफ पता चल जाता है कि कुत्ते वाली बात उस दुखी परिवार के लिए नहीं अपितु सरकारी इंतजामों के लिए कही गई है उस परिवार से सम्बंधित बात तो उस उत्तर के साथ ही समाप्त हो गई थी । 
       इसके बाद जब वीके सिंह जी को पता लगा कि मेरी बात मेरी भावना के विरुद्ध गलत ढंग से परोसी जा रही है समाज में तो उन्होंने कहा
      "अगर किसी की गलती से मेरी गलती से अगर इनको मिक्स करके ऐसा बिठाने का प्रयास किया गया है कि किसी समुदाय विशेष की इज्जत में कमी आई है या उनको ठेस पहुँची है तो मैं उसके लिए माफी माँगता हूँ मुझे कोई संकोच नहीं है !"       see more .... https://www.youtube.com/watch?v=a2Ku-69aPnQ
       इसके बाद भी पता लगा कि राहुल गांधी जी धरने पर बैठे हैं क्यों आखिर क्या चाहते हैं वो ?
  वीके सिंह जी ने ऐसा कहा क्यों या पीड़ित परिवार दलित है इसलिए !इसीप्रकार से पत्रकार ने भी जब पूछा था तब उसने भी 'दलित' शब्द का प्रयोग किया था ऐसे ही अखलाक वाले केस में भी पीड़त परिवार के प्रति उतनी संवेदना नहीं दिख रही थी जितनी उसके मुस्लिम होने पर थी इसे ही किसी महिला का केस होगा तो अपराध गौण हो जाता है उसका महिलात्व  आगे आ जाता है आखिर क्यों ?क्या देश के सभी नागरिकों की सुरक्षा की समान जिम्मेदारी नहीं है सरकार की फिर उसमें हिन्दू मुस्लिम दलित सवर्ण स्त्री पुरुष क्यों ?

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विधायक सांसद मंत्री मुख्यमंत्री आदि क्या क्या नहीं बन गए ब्राह्मणों को गालियाँ देकर लोग !ब्राह्मण गलत कभी नहीं रहे यही कारण है कि अंबेडकर साहब ने भी दूसरी शादी ब्राह्मण के यहाँ ही की थी और उनके शिक्षक तो ब्राह्मण थे ही !
 अंबेडकर साहब ने जिनके कहने पर अपने नाम से 'सकपाल' टाइटिल  हटाकर 'अंबेडकर' जोड़ा था वो उनके आत्मीय शिक्षक ब्राह्मण थे उनका नाम था महादेव अंबेडकर !इसी प्रकार से अंबेडकर साहब की दूसरी पत्नी  सविता अम्बेडकर भी  जन्म से ब्राह्मण थीं !
     अम्बेडकर साहब से उनके शिक्षक महादेव अंबेडकर जी न केवल बहुत अधिक स्नेह see more....http://samayvigyan.blogspot.in/2015/12/blog-post_6.html

Sunday, 6 December 2015

देशभक्त सवर्णों को गाली दे देकर अकर्मण्य लोग भी कहाँ के कहाँ पहुँच गए !

  जातिवादी सरकारें अब स्कूलों में भी खेलने लगी हैं बचपन बाँटने का खतरनाक खेल !
    अब तो सरकारें ये भी तो बता दें कि किस दिन किस जाति के बच्चे स्कूल पढ़ने आवें !इससे और कुछ हो न हो किंतु सवर्णों के बच्चे बेचारे जलील होने से तो बच ही  जाएँगे !
      बंधुओ !आरक्षण का जहर स्कूलों तक न पहुँचने  दिया जाता तो  अच्छा होता !  सरकारी स्कूलों में किसी को एससी के नाम पर पैसे मिलते हैं किसी को माइनॉरिटी  के नाम पर और सवर्णों के छोटे छोटे बच्चे ताकते रह जाते हैं वे बेचारे नहीं समझ पाते कि  सरकारें किस पाप का दंड दे रही हैं उन्हें !
     सवर्णों के छोटे छोटे बच्चे स्कूलों से मायूस होकर लौटते हैं घर और पूछते हैं अपने माता पिता से कि एससी या माइनॉरिटी  बनने के लिए क्या पढ़ाई पढ़नी पड़ती है ? माँ ने पूछा क्यों ?बच्चे ने उदास होकर कहा माँ मुझे भी बनना है एससी और माइनॉरिटी  दोनों !माँ ने कहा तू कैसे बन सकता है? बच्चे ने कहा माँ मेहनत करके पढ़ाई लिखाई करूँगा तब भी नहीं बन सकता क्या !माँ ने कहा तुम कभी नहीं बन सकते !बच्चे ने पूछा क्यों  ?तो माँ ने कहा बेटा ये सब कुछ बनने के लिए कुछ पढ़ना वढ़ना नहीं अपितु बेवकूफ रहना होता है । बच्चे ने कहा कि क्यों ?तो माँ ने कहा बेटा भगवान न करे कि  सरकार से भीख माँगने के लिए
किसी को ये तरह तरह के वेष धरने पड़ें !
      बेटा !ये सबकुछ बनने के लिए बड़े झूठ बोलने पड़ते हैं पहले कहना पड़ता है कि मैं  सवर्णों के कारण गरीब हूँ क्योंकि उन्होंने मेरा पहले शोषण किया था किंतु बेटा आजतक ये झूठे ये नहीं बता पाए कि सवर्णों ने इनका शोषण किया कब और कैसे था कितना किया था और वो धन गया कहाँ यदि सवर्णों ने ऐसा किया होता तो वो लोग क्यों गरीब होते !दूसरी बात सवर्णों की संख्या तो कम थी जब  वे शोषण कर रहे थे तब बहु संख्यक लोगों ने उन्हें ऐसा करने क्यों दिया ?आदि बातों के उनके पास  जवाब नहीं होते !
       इसी प्रकार एक तरफ तो ये लोग अपने घर गृहस्थी का खर्च चलाने के लिए सरकारों के आगे हाथ फैलाया करते हैं ये खुद स्वीकार करते हैं कि हम अपने बल पर अपनी तरक्की नहीं कर सकते हमें घर चलाने के लिए के लिए सरकार की मदद चाहिए !तो दूसरी ओर चुनाव लड़कर विधायक मंत्री आदि सब कुछ बन जाना चाहते हैं ऊपर से कहते हैं कि हम तो देश की तरक्की करेंगे !अरे !अपनी तरक्की अपने बल पर कर नहीं  सकते उसके लिए तो आरक्षण चाहिए किंतु देश की तरक्की करने की गारंटी लेते हैं । बहुत झूठ बोलते हैं ये लोग !
        वैसे भी ऐसा झूठ साँच बोलकर पाया गया धन न तो अपने काम आता है और न ही बच्चों की तरक्की के काम और न ही इससे स्वाभिमान ही बन पाता है इसलिए तुम पैसे मांगने या दयादोहन करने के लिए एससी ,माइनॉरिटी आदि कुछ भी न बनो  परिश्रम  करके तरक्की करो और स्वाभिमानी जीवन जियो !
    सरकारों की आरक्षण आदि कृपा के बलपर जीवित रहने वाले लोग पेट तो भर सकते हैं किंतु तरक्की कभी नहीं कर सकते और न ही स्वाभिमान ही बचाकर रख सकते हैं रही बात पेट भरने की तो वो तो पशु भी भर लेते हैं मानव का कर्तव्य तो स्वाभिमानपूर्वक अपनी तरक्की स्वयं करना है । 
      माँ की ये  सब बातें सुनकर बच्चा सच्चाई समझते ही खुश होकर शांत हो गया !
       
      


ब्राह्मणों को गालियाँ दे देकर लोग कितने बड़े बड़े पदों पर पहुँच गए किंतु ब्राह्मणों ने कभी किसी का बुरा नहीं किया !

     विधायक सांसद मंत्री मुख्यमंत्री आदि क्या क्या नहीं बन गए ब्राह्मणों को गालियाँ देकर लोग !ब्राह्मण गलत कभी नहीं रहे यही कारण है कि अंबेडकर साहब ने भी दूसरी शादी ब्राह्मण के यहाँ ही की थी और उनके शिक्षक तो ब्राह्मण थे ही !
 अंबेडकर साहब ने जिनके कहने पर अपने नाम से 'सकपाल' टाइटिल  हटाकर 'अंबेडकर' जोड़ा था वो उनके आत्मीय शिक्षक ब्राह्मण थे उनका नाम था महादेव अंबेडकर !इसी प्रकार से अंबेडकर साहब की दूसरी पत्नी  सविता अम्बेडकर भी  जन्म से ब्राह्मण थीं !  
     अम्बेडकर साहब से उनके शिक्षक महादेव अंबेडकर जी न केवल बहुत अधिक स्नेह करते थे अपितु वैसे भी वे अंबेडकर साहब की मदद किया करते थे उनके आपसी संबंध अत्यंत मधुर थे यदि ऐसा न होता तो उन्होंने उनके कहने पर अपने नाम की टाइटिल क्यों बदल ली थी और यदि बदल भी ली थी तो बाद में फिर से सकपाल बन सकते थे किन्तु  ये उनका आपसी स्नेह एवं उन ब्राह्मण शिक्षक महोदय के प्रति सम्मान ही था जो उन्होंने आजीवन निभाया !
      इसी प्रकार से अंबेडकर साहब की दूसरी पत्नी जन्म से ब्राह्मण थीं विवाह से पहले उनकी पत्नी का नाम शारदा कबीर था। बाद में सविता अम्बेडकर रूप में जानी गईं !वे सन 2002 तक जीवित रही वे अंतिम साँस तक बाबा साहब के आदर्शो के प्रति समर्पित रहीं !  
     ब्राह्मण विरोधी नेताओं ने उन्हें सम्मानित करना तो दूर उनका जिक्र करना तक मुनासिब नहीं समझा !जबकि रमादेवी अम्बेडकर से जुड़े न जाने कितने स्मारक, पार्क इत्यादि हैं  वो बाबा साहेब की पहली पत्नी थीं ! 
   दलितों का शोषण सवर्णों ने बिलकुल नहीं किया किन्तु दलितों के बिछुड़ने के कारण कुछ और ही थे ! 
    दलित लोग यदि वास्तव में अपनी उन्नति चाहते हैं तो ऐसे नेताओं को अपने दरवाजे से दुदकार कर भगा दें जो उन्हें खुश करने के लिए सवर्णों की निंदा करते हैं !दलित लोग भी अब अपना लालच छोड़कर नेताओं से देश एवं समाज के विकास का हिसाब माँगें !सीधे कह दें कि आप मेरी हमदर्दी मत कीजिए आपके पास इतनी संपत्ति कहाँ से आई आपका धंधा व्यापार  क्या है और आप करते कब हैं !और यदि न बतावें तो सीधे पूछिए हमारा हक़ क्यों हड़पा है आपने !भले वो दलित नेता ही क्यों न हों !अपराध अपराध है उसमें जातिवाद नहीं चलता !
    ब्राह्मणों ने सबके साथ अच्छा व्यवहार किया किंतु जो सफल हुए उन्होंने सफलता का श्रेय अपनी योग्यता को दिया  किंतु जो असफल हुए उन्होंने अपने अपमान भय से दोष ब्राह्मणों पर मढ़ दिया !वैसे भी हर असफल व्यक्ति अपनी असफलता की जिम्मेदारी हमेंशा दूसरों पर डालता है । नक़ल करते पकड़ा गया विद्यार्थी हमेंशा अपने बगल में बैठे विद्यार्थी पर ही दोष मढ़ता है बड़े बड़े अपराधों में पड़े गए लोगों को कहते सुना जाता है कि हमें गलत फँसाया गया है किंतु यदि इनकी बात सही मान ली जाए तो क्यों कोई दोषी माना जाएगा !
       बंधुओ !ब्राह्मण यदि किसी की तरक्की में कभी बाधक बने होते तो आजादी के बाद आज तक इतना लंबा समय मिला जिसमें कोई भी स्वाभिमानी व्यक्ति अपनी तरक्की अपने परिश्रम से कर सकता था उसे आरक्षण की भी जरूरत नहीं पड़ती !आखिर गरीब सवर्ण भी तो अपनी तरक्की बिना आरक्षण के अपने बल पर ही करते हैं वो अपने स्वाभिमान को गिरवी नहीं होने देते हैं|अपनेस्वाभिमान को सुरक्षित रखने वाले किसी भी जाति के व्यक्ति का अपमान करने का साहस करने में हर कोई डरता है कि ये अपने स्वाभिमान के लिए मर मिटेगा इसलिए इससे भिड़ना ठीक नहीं है । ऐसे लोगों  की इज्जत भी होती है और माँ बहन बेटियाँ भी सुरक्षित बनी रहती हैं । 
      जो लोग कहते हैं कि हम बिना आरक्षण के तरक्की ही नहीं कर सकते इसका सीधा सा मतलब है कि उन्होंने  अपने मुख से अपने को कमजोर मान लिया है और कमजोर लोगों का अपमान तो होता ही है इसमें जातियाँ  कहाँ से आ गईं !कमजोर जाति की बात छोड़िये कमजोर भाई का अपमान उसका सगा भाई करने लगता है !कमजोर बेटे का पक्ष अधिकाँश माता  नहीं लेते !कमजोर पति को पत्नी सम्मान नहीं देती है कमजोर पिता का सम्मान उसकी संतानें नहीं करती हैं ऐसे में स्वयं अपने ऊख से अपने को कमजोर कहने वाले लोग सम्मान की अपेक्षा कैसे कर सकते हैं बड़े बड़े पदों पर पहुँच कर भी लोग या तो अपने को कमजोर ही मन करते हैं या फिर सवर्णों को शत्रु मानने लगते हैं !
      इसलिए सभी आरक्षण भोगियों को आपस में बैठकर चिंतन करना चाहिए तब उन्हें पता लगेगा कि उन्होंने आरक्षण से पाया कुछ ख़ास नहीं है किंतु भिखारी होने का ठप्पा जरूर लगवा लिया !साथ ही इससे देश का बहुत बड़ा नुक्सान ये हुआ है कि एक से एक नकारा कामचोर मक्कार नेता लोग आरक्षण भोगी जातियों का वोट लेने के लिए चुनावों के समय सवर्णों को दस पाँच दिन गालियाँ  देते हैं और जीत लेते हैं चुनाव किंतु घर तो अपना ही भरते हैं दलितों के उत्थान करने वाले भी नेता ही क्यों न हों आज वो करोड़ों अरबों में खेल रहे हैं जबकि राजनीति में आते समय किराया भी जेब में नहीं था यही हाल हर जाति  के नेता का है वो फुल टाइम राजनीति करते रहे कभी कोई धंधा व्यापार नहीं किया फिर भी करोड़ों अरबों पति हो गए ये धन दलितों के ही हिस्से का है ये धन गरीबों किसानों मजदूरों के हिस्से का है जो नताओं के घरों में जमा है ये लोग दसकों से यही खेल खेलते चले आ रहे हैं किंतु आरक्षण भोगियों की संख्या अधिक है उन्हें खुश करने के लिए ये पापी सवर्णों की निंदा किया करते हैं और संपत्ति का अम्बार लगाए हुए हैं ! अब जरूरत है कि दलित लोग ऐसे नेताओं को दरवाजे से दुदकार कर भगा दें जो सवर्णों की निंदा करके उन्हें खुश करने का प्रयास करें !      





  

Saturday, 5 December 2015

अन्ना हजारे जी ! जब आपका कोई लोभ नहीं है तो आप ऐसे सत्तलोभियों को मुख क्यों लगाते हैं ?

  अन्ना हजारे जी ! अपनी  आम आदमी पार्टी पर अब क्यों नहीं लगा लेते हैं लगाम ?
केवल सैलरी के लिए हुआ रामलीला मैदान में अन्ना जी का धरना ? 
   अन्ना जी ! क्या लाजवाब जनसेवा कर रहे हैं आपके चेले वाह !
      दिल्ली के लोग आपके उपकार को कभी नहीं भूल पाएँगे !भ्रष्टाचारी किसी चूहे तक को तो पकड़  नहीं पाए आपके चेले ! किसी आफिस में जनता का काम भी आसान हुआ, हर जगह जारी है सुविधा शुल्क !जनता सरकारी आफिसों में जाकर कम्प्लेन करने को पहले भी डरती थी आज भी डरती है । सरकारी प्रारंभिक स्कूलों में पढाई पहले भी नहीं होती थी आज भी नहीं होती है सरकारी लोग किसी स्कूल में घुसते हुए जिस दिन फोटो खींचने जाते हैं उस दिन स्कूलों में कुछ चहल पहल जरूर हो जाती है रोड जो पहले टूटे थे वो अब भी टूटे हैं नया क्या हुआ है दिल्ली की नई सरकार में !see more... http://samayvigyan.blogspot.in/2015/12/blog-post_5.html

  • क्या अन्ना जीकुछ बेरोजगारों को लांच करने के लिए ही  बैठे थे धरने पर ?          कुछ बेरोजगार लोग अन्ना जी आपको राम लीला मैदान में तब तक भूखों मारते रहे जब तक उनकी अपनी पहचान इतनी नहीं बन गई जितने में वे राजनीति करने लायक हो पाते !अन्ना जी आप सीधे साधे थे समझ नहीं पाए इन नेताओं की चतुराई !और बैठ गए रामलीला मैदान में धरने पर आपको समझाया तो गया होगा  भ्रष्टाचार के विरुद्ध आंदोलन के विषय में !अन्यथा आप क्यों काटते इतना बवाल !अन्ना जी !आप सच बताओ तब क्या क्या सपने नहीं दिखाए गए थे किंतु पूरे कितने हुए !इतनी सैलरी लेंगे आपके गणों ये राम लीला मैदान में तो नहीं बताया गया था !अन्यथा जो थे वे क्या बुरे थे !आज ग़रीबों मजदूरों से लेकर समस्त दिल्ली वालों की सारी  समस्याएँ इन कृत्रिम ईमानदारों को  नहीं दिखीं केवल अपनी सैलरी बढाकर बैठ गए !बधाई हो अन्ना जी !चलो देश का कुछ भला हुआ हो न हुआ हो किंतु आपतो अपने मकसद में सफल हुए !see more... http://samayvigyan.blogspot.in/2015/12/blog-post_5.html

   

अन्ना की तमन्ना क्या  मात्र इतनी थी कि बेरोजगार कार्यकर्ताओं को विधायक बनाया जाए और उन्हें दिलाई जाए भारी भरकम सैलरी !जन सेवा उनका उद्देश्य नहीं था क्या ?see more... http://sahjchintan.blogspot.in/2015/12/blog-post_5.html
  •   हे अन्ना हजारे जी !आपके मौन के पीछे कौन ? 
    अपनी  आम आदमी पार्टी पर अब क्यों नहीं लगा लेते हैं लगाम ? अन्य पार्टियों के लिए तो बड़ी सादगी की बातें करते थे ! ये सबकुछ आपकी मिली भगत से हो रहा है क्या ?यदि नहीं तो इनके बिगड़ते ब्यवहारों के विरुद्ध क्यों नहीं उठा रहे हैं आवाज ?  इतनी बदनाम हुई बढ़ना हो जाएगी ये तो कल्पना न थी !see more... http://sahjchintan.blogspot.in/2015/12/blog-post_5.html
  •   अन्ना हजारे जी के लिए खुलापत्र - "आप सैलरी बढ़ोत्तरी के समर्थन में हैं या विरोध में ?"
    अन्ना जी ! आपकी ईमानदारी सादगी एवं राजनैतिक शुचिता जैसी बातें अब दिनोंदिन अविश्वसनीय लगने लगी हैं !जिनकी अँगुली पकड़कर आपने समाज से परिचय करवाया था वो तो पद प्रतिष्ठा और पैसा देखते ही दिनों दिन पागल होते जा रहे हैं !अब दशकों तक भ्रष्टाचार को भगाने  वाले आंदोलनों श्लोगनों पर  भरोसा नहीं कर पाएगा देश !    अन्ना जी ! दिल्ली सरकार ने विधायकों की सैलरी बढ़ाई आप इसके समर्थन में हैं या विरोध में या फिर   मौनं स्वीकार लक्षणं ! अन्ना जी !देश सबकुछ समझ चुका है ! see more....http://sahjchintan.blogspot.in/2015/12/letter.html     
कार वालों को बेकार करने पर तुली है दिल्ली सरकार !
   क्या अन्ना से सलाह करके लिया गया है फैसला !अन्ना जी मौन क्यों हैं ?क्या रिमोट अन्ना जी के पास है यदि वो सम्मिलित नहीं हैं तो विरोध में खड़े हों दिल्लीवालों के साथ !see more.... http://samayvigyan.blogspot.in/2015/06/blog-post_36.html
 रोडों पर ताला लगाने वाली दिल्ली सरकार कल शौचालयों पर भी लगा सकती है ताला !
    तब दो दिन में एक दिन जा पाओगे लेट्रीन !तब खाना भी दो दिन में एक दिन खाना होगा !गरीबी महँगाई अपनी आप ही घट जाएगी ! इसी लिए केजरी वाल कहा करते थे कि दिल्ली का सिस्टम ही ख़राब है ।आपातकाल हो या वर्तमानकाल अधिकार तो तब भी जनता के पास नहीं थे अब भी नहीं हैं ! फिर काहे का लोकतंत्र ?    काश !हमारे देश में भी लोकतंत्र होता !जिसमें जनता जो चाहती वो होता या फिर जनता की बात भी सुनी जाती !यह तो नेतातंत्र है इसमें नेता जो चाहते हैं वही होता है ! see more.... http://samayvigyan.blogspot.in/2015/06/blog-post_85.html
केजरीवाल ने सैलरी बढ़ाने के लिए क्यों नहीं कराया जनमत संग्रह ? सांसदों,विधायकों एवं सरकारी कर्मचारियों की सैलरी तय करे जनता, कराया जाए जनमत संग्रह !"अंधा बाँटे रेवड़ी अपने अपने को देय !"बारी सरकारें बारी सरकारी नीतियाँ धिक्कार है ऐसी गिरी हुई सोच को !    जो सांसद विधायक नहीं हैं और सरकारी कर्मचारी भी नहीं हैं उन्हें जीने का अधिकार नहीं है क्या या वे इंसान नहीं हैं !वो गरीब ग्रामीण किसान मजदूर ऐसी महँगाई में कैसे जी रहे होंगें !कभी उनके विषय में भी सोचिए !केवल अपना और अपनों का ही पेट भरनेsee more... http://samayvigyan.blogspot.in/2015/09/blog-post_28.html
 दिल्ली वालो सावधान !दिल्लीसरकार केवल अपना पेट देख रही है !       
  क्या अन्ना हजारे और केजरीवाल की मिली भगत से बढ़ाई  गई सैलरी?
  आम आदमी पार्टी में चलता है अन्ना जी हुक्म !सुना है दो दिन पहले आप वालों ने 'रालेगणसिद्धिधाम' पहुँच अन्ना साईंराम जी  को मना लिया है और मिलजुलकर किया गया है सादगी बिसर्जन व्रत का अनुष्ठान !अब सादगी व्रत का उद्यापन कर आए है दिल्ली सरकार के लोग !अभी गए थे रालेगणसिद्धिधाम!
इधर दिल्ली वाले हैरान परेशान उधर अन्ना जी का मौन !
अन्ना जी की प्रेरणा से भ्रष्टाचार के विरुद्ध हुआ है सैलरी का शंखनाद !
   आमआदमीपार्टी का तीर्थ है रालेगणसिद्धिधाम जहाँ बसते हैं बाबा 'अन्नासाईंराम' उन्हीं का आशीर्वाद है  सैलरी प्रसाद !
       जिस पार्टी में भक्त लोग केवल बाबा के आदेश का पालन करते हैं वहाँ बाबा के आदेश के बिना पत्ता भी कैसे हिल सकता है !अपने बेरोजगार भक्तों की बेरोजगारी दूर करने वाले बाबा बहुत दयालू हैं |बाबा के सम्प्रदाय का मानना है कि  खर्चों की कमी हो तो सैलरी जितनी चाहो उतनी बढ़ा लो उसे भ्रष्टाचार नहीं माना जाएगा !वैसे भी बाबा की कृपा केवल उनके भक्तों पर बरसती है भक्त कुछ भी करें सब खुशी खुशी स्वीकार करते हैं बाबाsee more....http://samayvigyan.blogspot.in/2015/12/blog-post_43.html 


आमआदमीपार्टी ' नेताओं में न सादगी थी न सेवा भावना !ये श्लोगन किसी की नक़ल थे पढ़िए उसे भी! 
    हमारे इस लेख से लिए गए आम आदमी पार्टी का नाम और रीति रिवाज सादगी साधुता आदि आदि !और चुनाव जीतने के बाद भाग गई सारी सादगी ! देखा देखी में ओढ़ी हुई चीजें बहुत समय तक नहीं चल पातीं !हाँ यदि ये सादगी उनके अपने वास्तविक स्वभाव में होती तो सादगी इतनी जल्दी बोझ नहीं बनती !     दूसरों को बेईमान और चोर बताने वाले ये आपिए खुद कितने ईमानदार हैं? वे कितना सच बोलते हैं,उनका रहन सहन क्या वास्तव में इतना ही सादगी पूर्ण है या अतीत में भी ऐसा ही रहा है?मेरा अनुमानित आरोप है कि  मेरे लेख सेsee more... http://samayvigyan.blogspot.in/2015/07/blog-post_28.html
गरीबों के साथ गद्दारी क्यों ?केजरीवाल जी !क्या देश की आजादी पर गरीबों का कोई हक़ नहीं है !
   सरकारों के खून में पाया जाने वाला गद्दारी जन्य दोष अब तो कई सरकारी कर्मचारियों में भी दिखने लगा है! 
  समाज के अंग होने के बाद भी इनके मन में आज समाज के प्रति अपनापन खतम सा होता दिख रहा है घूस दो तो काम होगा  अन्यथा नहीं होगा आप कानूनी अधिकारों की पर्चियाँ पकड़े घूमते रहो !लोगों का मानना है चूँकि घूँस आदि भ्रष्टाचार के माध्यम से लिया धन का हिस्सा जब सरकारी दुलारे राजापूत सरकार तक पहुँचा देते हैं तब अपनेsee more.... http://samayvigyan.blogspot.in/2015/08/blog-post_21.html

आप विधायक कब तक ढोवें बनावटी त्याग तपस्या और राजनैतिक ब्रह्मचर्य !अन्ना जी इतने बदल गए आप !सादगी की बड़ी बड़ी बातें करने वाले  अन्ना जी आपसे इतनी तो उम्मींद थी ही कि कुछ गलत होगा तो आप बोलेंगे किंतु आपका मौन सबसे अधिक दुःख दे रहा है जिन गणों के साथ आपने सादगी का नारा दिया था आज उनकी आत्मा इतनी बदल गई कि आज उनका एक लाख में गुजारा  नहीं हो रहा है दिल्ली वालों का कैसे होता होगा अन्ना जी उसके विषय में भी सोचिए ! see more....http://samayvigyan.blogspot.in/2015/07/blog-post_4.html


अन्ना हजारे जी !विधायक यदि जन सेवक हैं तो क्यों लेते हैं सैलरी ?वो भी इतनी ?
  विधायक यदि सेवक हैं तो सैलरी क्यों ?   जनप्रतिनिधि सैलरी लेते हैं तो सेवा कैसी !सैलरी तो नौकरों को मिलती है सेवकों को नहीं !जनप्रतिनिधियों  के लिए रामराज्य ! ये सांसद हैं या जनसेवक ?ये सेवा है या शोषण ?
 
जनप्रतिनिधियों  की सैलरी डबल करने, पेंशन में बढ़ोत्तरी की सिफारिश -एक खबर
  अरे  सांसदो विधायको !देश की जनता को क्यों देखते हो इतनी गिरी नजर से  !इतनी ही सभ्यता और उदारता  जनता के लिए भी बरतते तुम तो लगता कि हम देश वासियों को भी जिंदा समझते हो तुम !
     अरे देश के कर्णधार जन प्रतिनिधियो !तुम्हारा गुजारा यदि लाखों रुपयों में नहीं होता see more....http://samayvigyan.blogspot.in/2015/07/blog-post_2.html