Thursday, 27 April 2017

अवैध जमीनों के विरुद्ध होगी कार्यवाई कितनी हकीकत कितनी हवा हवाई !

  गाँवों में अवैध कब्जे करवाने का सारा  जुगाड़ लेखपाल करता है वही पैसे लेकर झूठ साँच नाम चढ़ा देता है बड़ा काम हुआ तो बड़े अधिकारियों से सेटिंग करवाकर उसकी दलाली खुद ले लेता है और अधिकारी को अधिकारी का हिस्सा दिला देता है  अवैध कब्जों का सारा बंदोबस्त करने वाले लेखपाल या अन्य अधिकारी कर्मचारी अवैध जमीनों के विषय में सरकार को सही सही जानकारी देंगे क्या?
     बड़े बड़े अधिकारियों कर्मचारियों नेताओं के संरक्षण में होते हैं अवैध कब्जे !यदि ऐसे गलत कामों में सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों को सम्मिलित न किया जाए तो सरकारी मशीनरी होने ही नहीं देगी ऐसे गलत काम !
      इसलिए अवैध कब्जे यदि वास्तव में खोजने हैं तो वर्तमान लेखपाल आदि सरकारी मशीनरी से अलग कोई तंत्र विकसित किया जाए और उससे खोजवाई  जाएँ सरकारी जमीनें !उनकी लिस्ट बनाकर  इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों कर्मचारियों को सबसे पहले कटघरे में खड़ा किया जाए और उनसे पूछा जाए कि आखिर ये अवैध कब्जे रोकने की आपकी जिम्मेदारी थी किन्तु आपने रोके क्यों नहीं !घूस लेकर चुप बैठे रहे या AC आफिसों में सोते रहे आपको कुछ पता ही नहीं चला !जब पता चला तब ऐसे कब्जे खाली करवा लेते किन्तु ऐसा नहीं किया क्यों ? उन्हें गैर जिम्मेदारी और अकर्मण्यता के लिए सर्वप्रथम दण्डित किया जाए इसके बाद मुक्त करवाई जाएँ अवैध कब्जों में पड़ी जमीनें !फिर अवैध कब्ज़ा करने वालों पर हो शक्त कार्यवाही !
     कल्याणपुर कला कानपुर में मैंने भी प्लॉट ख़रीदा था !उसके एक तरफ तालाब की खाली पड़ी हुई जमींन  थी सामने चौड़ा सा रोड !और भी आसपास सरकारी जमीनें पड़ी थीं किंतु अब सब धीरे धीरे कब्ज़ा कर ली गईं न स्कूल न पार्क अब तो घर बन गए !मंदिर बन गए पार्क बना दिए गए ऐसे ही सरकारी जमीनों पर कब्ज़ा किया जाता है !
      जब कल्याणपुर को शहर की तरह विकसित किया जाने लगा था तो जो मकान बने थे उन्हें नम्बर दे दिए गए थे जो खेत थे उनके उन लोगों के पास कागज थे किंतु जिन मकानों के न नम्बर मिले और न ही कागज थे उन सरकारी जमीनों पर कब्ज़ा किए गए कैसे !वो भी अधिकारियों की देख रेख में !क्या उन्हें हटवाएगी सरकार !या पुरानी बस्ती में चिपकाकर चतुराई पूर्वक बनाए गए ऐसे अवैध मकानों को भी छीन पाएगी सरकार !ऐसे सुस्थापित लोग घूस देकर बचने बचने का प्रयास तो यहाँ भी करेंगे !नोटबंदी की तरह ही सरकारी मशीनरी ही तो नहीं सरकार के साथ दगा कर जाएगी और सरकार ताल ठोंकते रह जाएगी !
   इसी कानपुर के कल्याण पुर कला में पुराने शिवली रोड से पनकी रोड के बीच पड़ी सरकारी जमीनों को बेच बेच कर बहुत लोग रईस हो गए !कब्जाकर कर के बहुत लोग जमींदार हो गए ! करोड़ों की जमीनों में कब्ज़ा करने के लिए लाखों की घूस तो बनती है और आफिसों में बैठे अगर अपना हिस्सा मिलता रहे तो बुराई भी क्या है लेने में ! वैसे भी उन सरकारी जमीनों में यदि पार्क स्कूल आदि बन भी जाते तो उन अधिकारियों कर्मचारियों के अपने बच्चे तो खेलने पढ़ने नहीं आते !
       यदि वे कब्जे नहीं भी होने देते तो जो उनके बाद अधिकारी आते वे करवा देते !जब कब्ज़ा करने वाला पैसे खर्च करने को तैयार है तो सामने वाले को करवाने में क्या एतराज !
      वैसे भी अवैध कब्जे करने वाले अक्सर रसूखदार लोग होते हैं मुझे नहीं लगता कि सरकार उनके गिरेबांन में हाथ डाल कर कोई रिस्क लेगी !इसमें भी गरीबों की ही बलि दी जाएगी केवल झुग्गियाँ उजड़ी जाएंगी !किंतु यदि सरकार ऐसा करती है तो ये बड़ा विशवास घात होगा जिसे जनता पचा नहीं पाएगी !
     इसी बस्ती में कई जगह जेई ने रोड बनवाते समय रोड के नीचे लेट्रिन के टैंक बनवाए हैं उसका भी पेमेंट लिया होगा !बड़े बड़े लम्बे चौड़े गड्ढों में यदि कभी कोई हादसा हुआ तो कौन जिम्मेदार होगा !
      सरकारी जमीने बेच बेच  कर बड़े बड़े लोग जमींदार हो गए !जो कभी प्रापर्टी डीलर थे फिर लैंड माफिया बने अब उनकी गणना प्रतिष्ठित लोगों में होती है जहाँ क्षेत्र के जिम्मेदार अधिकारियों कर्मचारियों का अक्सर जमावड़ा लगा रहता हो उनके अवैध कब्जों के विषय में सरकार को सही सही जानकारी देगा कौन !उसमें कई बड़े अधिकारियों कर्मचारियों की अपनी भी पद प्रतिष्ठा नौकरी दाँव पर लग जाएगी !
     कई लोगों ने50 गज जमींन खरीदी डेढ़ सौ गज में मकान बनाकर खड़ा कर दिया है रोड की जमींन  कब्ज़ा कर ली है सरकार उनके मकानों की जमीनें नपवाएगी क्या !
      कई लोगों ने सरकारी जमीनों पर कब्ज़ा की नियत से 5 इंच चौड़ी दीवारों पर बिना किसी पिलर के चार पाँच मंजिल के घर बनाकर किराए पर उठा रखे हैं किराया खा रहे हैं भूकंप आदि में ऐसे मकान गिरेंगे तब क्या होगा और उन्हें रोकने की जिम्मेदारी जिनकी थी उन्होंने बिना पैसे खाए बनाने दिए होंगे क्या ?सरकार उन घूसखोरों पर आखिर क्या कार्यवाही करेगी !
      सरकार को चाहिए कि वो न केवल ईमानदारी पूर्वक अवैध कब्जे हटवावे अपितु इन्हें करने और करवाने वालों पर भी कठोर कार्यवाही करे !ताकि दोबारा ऐसी नौबत ही न आवे !
      इसलिए सरकार अवैध कब्जे हटवावे तो सबके हटवावे अन्यथा ड्रामा करके केवल गरीबों को ही न तंग करे !

Saturday, 22 April 2017

VIP नेताओं की सुरक्षा में बंदूखें ताने खड़े लोग VIP यों की आई हुई मौत को बंदूखें दिखाकर लौटा देंगे क्या ?

       VIP लोगों की सुरक्षा ही क्यों ?जनता मरने को तैयार है तो नेता क्यों डरते हैं मरने से !सुरक्षा में भी भेदभाव ! आश्चर्य !!डरपोक और ईश्वर पर भरोसा न करने वाले नेता लोगों को सुरक्षा क्यों दी जाए ! 
     जो लोग जनता को फूटी आँखों नहीं सोहाते उन्हें VIP क्यों और कैसे मान लिया जाए !किसानों मजदूरों गरीबों ग्रामीणों से ज्यादा परिश्रम देश के लिए उन्होंने किया है क्या ?उन्होंने आखिर मलमूत्र छोड़कर देश को और ऐसा क्या दे दिया है जिसे कि उन्हें VIP मान लिया जाए और उन्हें ज़िंदा रखने के लिए कुछ अच्छे लोगों को उनकी सिक्योरिटी में लगाकर उन्हें नेता जी की मौत के बदले मरने पर क्यों मजबूर कर  दिया जाए !
     वैसे तो अपने अपने बीबी बच्चों के लिए हर कोई VIP ही होता है !अपनों के लिए हर किसी का जिंदा रहना उतना ही जरूरी होता है जितना किसी VIP का |,इसलिए सुरक्षा तो सबकी सुनिश्चित की जानी चाहिए !सबकी सुरक्षा के प्रयास किए जाएँ उसी में VIPलोग भी सुरक्षित अपने आप ही हो जाएँगे !बड़े बड़े नेता लोग खुद तो सुरक्षा ले लेते हैं और बाक़ी सारे देश वासियों को छोड़ देते हैं मरने के लिए !यही शासन है यही सरकार है इसीलिए टैक्स लेते हैं बेचारे !
     कुछ लोगों को सैलरी का लालच देकर नेताओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी जाती है क्यों ?क्या उनके पेट स्टील के लगे हुए हैं क्या ? आखिर मारे जाने का खतरा जितना नेता जी को है उतना ही तो सुरक्षा में लगे लोगों को भी है किंतु उन्हें अपने बच्चे पालने के लिए अपनी जान पर खेलना उनकी मजबूरी है जबकि VIP लोगों के खाना पाखाना का सारा बोझ जनता उठाती है इसलिए न उन्हें कमाने की चिंता और न कहीं जाने की चिंता !ऊपर से उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी भी जनता के कन्धों पर आखिर क्यों ?
      पढ़ने में लापरवाही करने वाले लोग जैसे परीक्षा देने से डरते हैं ऐसे ही पाप और कपट पूर्ण जीवन जीने वाले लोग मौत से डरते हैं किंतु याद रखिए सैकड़ों गायों के झुंड में घुस कर भी जैसे गाय का छोटा सा बछड़ा अपनी माँ को खोज लेता है उसे भ्रमित नहीं किया जा सकता उसी प्रकार से मौत जिस दिन आएगी उस दिन कोई सिक्योरिटी वाला क्या कर लेगा दो चार दस लोग नेता जी के साथ शहीद हो जाएँगे यही न !किंतु वे सुरक्षाकर्मी नेता जी की आई हुई मौत को बंदूखें दिखाकर लौटा नहीं सकते !फिर काहे के VIP!मृत्यु तो कहीं से भी खोज लेगी !मृत्यु जब जहाँ निश्चित हैं वहाँ होगी ही इसलिए नैतिक और ईश्वर पर भरोसा रखने वाले VIPयों को चाहिए कि वे अपनी सुरक्षा में लगे लोगों से कहें कि मुझे तो हमारे कर्मों और आयु के सहारे जीने दो तुम देश और समाज की सेवा करो !तुम उस जनता की सेवा करो जिसकी खून पसीने की कमाई से प्राप्त टैक्स से तुम्हें सैलरी दी जाती है !तुम उसके सहारा बनो यही तुम्हारा नैतिक कर्तव्य है | 
       सुरक्षा हो तो सबकी हो अन्यथा किसी की न हो !रही बात VIP की तो VIPकेवल नेता ही क्यों होते हैं किसानों मजदूरों गरीबों ग्रामीणों में आजतक कोई VIP हुआ ही नहीं क्या ?गरीबों की जान की कोई कीमत नहीं है क्यों ?जान से मारने की धमकियाँ तो उन्हें भी दी जाती हैं बहुत लोग मार भी दिए जाते हैं किन्तु उन्हें तो सिक्योरिटी नहीं दी जाती है उनकी जान की कीमत कम क्यों आँकी जाती है ?और ये लोग किसी के जीवन की कीमत आँकने वाले होते कौन हैं या फिर इनका मानना होता है कि जनता को तो कोई खतरा है नहीं इसलिए उसे सुरक्षा क्यों तो फिर इन्होंने अपने लिए खतरा तैयार किया ही क्यों ?ईमानदार और चरित्रबली नेताओं को मरने से नहीं लगता है डर !वो चरित्र बलपर ही तो मृत्यु को हमेंशा ललकारा करते हैं !
         सरकारी काम काज में बढ़े भयंकर भ्रष्टाचार ने VIP नेताओं के शत्रु तैयार कर दिए हैं !देश में अयोग्य लोगों को योग्य बता दिया और योग्य को अयोग्य !सरकार के हर विभाग में व्याप्त है भ्रष्टाचार ! जिसकी कीमत चुकानी पड़ रही है जनता को !उदाहरण के लिए हमने चार विषय से MA उसके बाद Ph.D.की किंतु हमने घूस नहीं दी तो  नौकरी देने वाले सरकारी ठेकेदारों ने हमें नौकरी नहीं दी !और उन्होंने जिन्हें नौकरी दी है वो जिस विषय में जितने योग्य हैं उनसे खुली बहस करवाकर या उन्हें उन परीक्षाओं में बैठा दिया जाए जिनकी योग्यता के बलपर उन्हें नौकरियाँ दी गई हैं जितने प्रतिशत अधिकारी कर्मचारी पास हो जाएँ उतने प्रतिशत को दी जाने वाली सैलरी सार्थक मानी जाए बाकी को दिया जा रहा है अनुदान !शिक्षक लोग कक्षाओं में गाइड लेकर पढ़ा रहे हैं  मोबाईल में देखकर शब्दों की मीनिंग बता रहे हैं सरकार फिर भी उन पर मेहरबान है न जाने क्यों ?ये सब इन्हीं VIPयों की कृपा से ही तो संभव हो पाया है !फिर भी वे VIP!
       सारा देश नेताओं की दी हुई दुर्दशा ही तो भोग रहा है !नेता जब चुनाव लड़ते हैं तब जिनकी जेब में किराए के पैसे तक नहीं होते चुनाव जीतते ही वो करोड़ो अरबपति हो जाते हैं निगम पार्षद जैसा चुनाव जीतकर दिल्ली जैसी जगहों पर दो चार मकान तो बना ही लेते हैं समझदार नेता लोग !विधायक सांसद मंत्री मुख्यमंत्री जैसे लोगों की कमाई का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है !दो दो चार चार गाड़ियाँ कोठियाँ जहाजों की यात्राएँ इसके बाद भी करोड़ों अरबों की संपत्तियाँ आखिर हुईं कैसे ?व्यापार करते किसी ने देखा नहीं नौकरी किसी की की नहीं !अपनी पैतृक संपत्तियाँ थीं नहीं !खर्चों में कंजूसी करते देखे नहीं गए ये लोकतंत्र को लूट कर बनाई हुई संपत्तियाँ नहीं हैं तो इन नेताओं की अनाप शनाप बढ़ी सम्पत्तियों के स्रोत आखिर हैं क्या ?इस देश को कभी कोई ऐसा ईमानदार नेता मिलने की उमींद की जाए क्या कि जो इन नेताओं की संपत्तियों के स्रोत सार्वजनिक करने का साहस कर सके !
        सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों की जब नौकरियाँ लगी थीं तब उनकी सम्पत्तियाँ कितनी थीं और आज कितनी हैं बीच में बढ़ी संपत्तियों के स्रोत सार्वजानिक किए जाएँ !
    बाबा लोग जब बाबा बने तब से आजतक उन्होंने ऐसे कौन से प्रयास किए जिससे संपत्तियाँ एकत्रित हुईं और यदि संपत्तियाँ ही इकट्ठी करनी थीं व्यापार ही करने थे तो बाबा बने क्यों ?इन शंकाओं के समाधान यदि ईमानदारी से खोजे जाएँ तो संभव है कि कई बड़े अपराधों और अपराधियों के संपर्क सूत्र यहाँ से जुड़े मिलें जिनके द्वारा आश्रमों में लगाए जाते हैं सम्पत्तियों के अंबार और बाबा लोग उन्हें अपने यहाँ शरण देकर अपने राजनैतिक संपर्कों के बल पर बचाते रहते हैं !
    परिश्रम के मामले में किसानों मजदूरों गरीबों ग्रामीणों से कोई नेता अफसर या बाबा बराबरी नहीं कर सकता फिर भी दिन रात परिश्रम करने वाले वे बेचारे गरीब और कभी कुछ न करते देखे जाने वाले नेता बाबा और सरकारी अधिकारी कर्मचारी लोग रईस !आखिर ये चमत्कार होता कैसे है भ्रष्टाचार नहीं है तो !सरकार का हर विभाग जनता को रुला रहा है फिर भी बेतन आयोग उनकी सैलारियाँ बढ़ावा रहा है आखिर क्यों ?सरकारी स्कूलों अस्पतालों को जिन्होंने बर्बाद किया सैलरियाँ  उनकी भी बढ़ा दी जाती हैं !अरे काम नहीं तो पैसे क्यों ?अपने पिता जी की कमाई का पैसा खर्च हो रहा होता तो भी ऐसे लुटाने की हिम्मत की जा सकती थी क्या ?
     

Thursday, 20 April 2017

लालबत्तियाँ हटाने से VIP कल्चर ख़त्म हो जाएगा क्या ? ये मुर्दे के बाल छिलवाकर उसका वजन घटाने जैसा प्रयास है !


 इसलिए सादगी पूर्ण कोई कोई निर्णय लेना ही है तो किसानों गरीबों ग्रामीणों मजदूरों एवं सामान्यवर्ग के लोगों के समान जीवन जीने का पवित्र व्रत लीजिए !क्योंकि सरकारी आफिस काम करने के लिए हैं आराम करने के लिए नहीं फिर AC आदि सुख सुविधाएँ क्यों ?
        VIP कल्चर हटाना ही है तो सरकारी आफिसों और गाड़ियों से हटवाइए AC आदि सुख सुविधा के सारे साजो सामान !कार्यस्थलों को जितना सुख सुविधा पूर्ण बनाया जाएगा काम करने में उतना ही अधिक मन नहीं लगेगा !कार्यस्थल काम करने के लिए होते हैं घर आराम करने के लिए होते हैं आराम करने की जगह होनी चाही सुख सुविधाएँ किंतु काम करने की जगह ही यदि सुख सुविधाओं के सामान उपलब्ध करवा दिए जाएँगे तो लोग काम क्यों करेंगे आराम ही करेंगे जैसा कि हो रहा है आजकल सरकारी विभागों में !
        एक खेत में गेहूं की मड़ाई अर्थात दँवरी का काम चल रहा था अप्रैल का महीना खुले आसमान के नीचे धूप और लू के थपेड़ों के बीच काम चलता था किसान और उसके मजदूर लगे हुए थे | सभी लोग अपने अपने कामों में चुपचाप लगे रहते थे एक दो बार पानी घर से कोई ले आता था तो लोग पी लिया करते थे !खेत के आस पास छाया दूर दूर तक नहीं थी !एक दिन किसान ने सोचा कि धूप से बचने का कुछ प्रबंध किया जाए उसने एक मड़ई बना ली इसके बाद पानी का एक घड़ा रख लिया !अब तो हर किसी को आधे आधे घंटे में प्यास लगने लगी लोग बहाने बना बनाकर मड़ई में चले जाते और आराम करने लगते धीरे धीरे वर्तमान सरकारी विभागों की तरह आराम करने की प्रवृत्ति मजदूरों में बढ़ती चली गई कामकाज चौपट होने लगा !अब आलसियों से कोई काम कहा जाए तो काम करने से खुद तो  कतराने लगे और किसान को ही काम में फँसाए रखने लगे उससे नास्ता मँगावें बीड़ी का बण्डल तंबाकू आदि मँगाकर उसी में फँसाए रखने लगे अब वो बेचारा किसान सामान लेकर दे और ये आराम करें !हद तो तब हो गई जब उसे गाँव भेजकर पानी मँगाने के लिए घड़े का पानी छिपकर फैला दिया करते और प्यास का बहाना बताकर किसान को पानी लेने के लिए भेज दिया करते !बिलकुल अपने देश के सरकारी कार्यालयों की तरह !सरकार यदि इनपर थोड़ी भी शक्ति करना चाहे तो ये सरकारी अधिकारी कर्मचारी लोग ही सरकार को अपने काम बताने लग जाते हैं अपने कार्यालयों का कंप्यूटर प्रिंटर AC कुर्सी जैसा जरूरी सामान खराब करके बैठ जाया करते हैं सरकार की ओर से जैसे ही अंकुश लगाने की प्रक्रिया प्रारंभ की गई तो ये अपने इतने काम गिनाने लग जाते हैं कि सरकार इन्हीं के कामों में उलझी रहती है फिर इनसे काम करने को कहे किस मुख से !इसीलिए ये बेचारे काम करने से बच जाते हैं सरकार उसी किसान की तरह उलझी रहती है इन्हीं की सेवा सुश्रूषा सैलरी आदि सारे संसाधन जुटाने में !
    किसानों मजदूरों की आमदनी से कई कई गुना ज्यादा सैलरी लुटा रही है अपने कर्मचारियों को और काम बिलकुल न के बराबर ले पाती है इन्हें यदि ऐसी ही परिस्थिति में सरकार प्राइवेट विभागों में भेजना चाहे तो इन्हें सरकार जितनी सैलरी आज दे रही है वे प्राइवेट वाले कंपनी मालिक इनके काम काज के हिसाब से इसकी पाँच प्रतिशत से अधिक नहीं देंगे सैलरी !इनका काम काज इतनी घटिहा  क्वालिटी का है कोई जिम्मेदारी नहीं होती !
      किसानों गरीबों ग्रामीणों मजदूरों को भी यदि सुख सुविधाएँ  उपलब्ध करवा दी जाएँ तो वो लोग भी सरकारी कर्मचारियों की तरह आलसी ,अकर्मण्य और बीमार होने लगेंगे उन्हें भी शुगर, BP,हार्ड अटैक जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा ! इसके साथ ही खेती किसानी के कामों से आमदनी तो छोड़िए लागत निकालना कठिन हो जाएगा सरकार एकबार सुविधाएँ देकर देखे तो सही सरकारी विभागों की तरह ही खेत खलिहान भी चौपट हो जाएँगे !
     कुल मिलाकर आम आदमी की अपेक्षा कई कई गुना अधिक सैलरी लेने एवं सुख सुविधाओं के कारण बर्बाद हो चुके हैं सरकारी विभागों के लोग !बिलकुल अकर्मण्य और आलसी हो चुके हैं अधिकारी कर्मचारी !काम करने वाले लोगों को जितनी अधिक सुख सुविधाएँ दी जाएँगी काम करने की भावनाएँ उतनी अधिक मरती चली जाती है AC लगाकर रिक्से नहीं खींचे जा सकते !ये भी बात सच है कि सुख सुविधाएँ दी ही भोगने के लिए जाती हैं भोगी न जाएँ तो बेकार !इसीलिए तो सरकार के द्वारा सरकारी कार्यालयों में प्रदत्त सरकारी सुख सुविधाएँ अधिक से अधिक भोगने में बिजी हैं सरकारी अधिकारी कर्मचारी लोग !चलो सरकार का पैसा बिलकुल बर्बाद नहीं जाने दे रहे हैं !
      टेलीफोन का कम्प्लेन कई बार करने पर भी ठीक नहीं हुआ तो GM के यहाँ जाकर कंप्लेन उन्होंने किसी को फोन किया उसने लाइनमैन पार्क में लेटा  था उसने जवाब दिया कि मैं कंप्लेन पर हूँ और जो नंबर आप दे रहे हैं वो ठीक नहीं हो सकता क्योंकि वो अंडर ग्राउंड केबल ही ख़राब हो गई है !ये सूचना तुरंत GM दे दी गई है GM ने कस्टमर को बता दिया उधर GM के सूचित करने से पहले ही लाइन मैन से कस्टमर की मुलाकात हो गई तो उसने वही फोन ठीक करने के लिए 100 रूपए माँगे उसने दे दिए तो तुरंत ठीक कर दिया गया फोन !क्या 100 के बराबर भी नहीं होनी चाहिए अधिकारियों की औकात !फिर सरकार उन्हें क्यों देती है इतनी सैलरी !
      सुख सुविधा भोगने की भावना ने अधिकारियों को आफिसों के कोप भवनों में कैद कर  रखा है अधिकारियों के आलसी स्वभाव को जानने लगे हैं उनके नीचे के कर्मचारी गण इसीलिए कर्मचारी काम नहीं करते अपने सीनियर को देख देख कर वे भी वैसे ही हो गए हैं !
      दिल्ली के प्रतिभा जैसे सरकारी स्कूलों की ये स्थिति है कि शिक्षकों को उनके अपने विषयों की जानकारी छात्रों से भी कम है वो छोटी छोटी चीजें गाइड देखकर पढ़ाते हैं बच्चे कोई मीनिंग पूछ दें तो मोबाईल पर देखकर बताते हैं ऐसे लोगों से सरकार बच्चों का भविष्य ठीक करवाना चाहती है जिन्हें प्राइवेट स्कूल वाले अपने स्कूलों फ्री में भी नहीं रखते उन्हें सरकार लुटा रही है सैलरी !
     इसलिए सरकार सबसे पहले अपने कर्मचारियों को योग की जगह कर्मयोग सिखावे !तब रुकेगा भ्रष्टाचार ! जो ईमानदारी पूर्वक परिश्रम से कमाई हुई संपत्ति का भोग करेंगे वही स्वस्थ रहेंगे ! कामचोर आलसी अकर्मण्य घूसखोर भ्रष्टाचारी लोग कितना भी योग कर लें बीमार ही रहेंगे उनके बच्चे बिगड़ेंगे ही मुशीबतें आएंगी ही !दूसरों का हिस्सा पचाना इतना आसान होता है क्या ?स्वच्छता अभियान तभी सफल है जब भ्रष्टाचारियों घूसखोरों आलसियों अकर्मण्य लोगों से मुक्त करवाए जाएँ सरकारी विभाग !इसके अलावा लाल बत्तियाँ हटा कर समय पास करना या मुद्दों से ध्यान भटकाना ठीक नहीं है | 

चुनावसंबंधी झूठी भविष्यवाणियाँ करने वाले ऐसे झूठे ज्योतिषियों पर भी कठोर कार्यवाही करे सरकार !


    सरकार यदि डिग्री नियमों का पालन कड़ाई से नहीं करना चाहती तो विश्व विद्यालयों को बंद कर दे !अन्यथा ब्लैकमनी को व्हाईट करने के लिए जबर्दस्ती ज्योतिषी बने लोगों पर लगाम लगाए सरकार !चुनावी भविष्यवाणी करने वाले प्रायः अशिक्षित होते हैं क्योंकि ज्योतिष के आधार पर इस प्रकार की साथी भविष्य वाणियाँ की ही नहीं जा सकती हैं !अन्यथा मेरे साथ  खुली बहस कराई जाए कितनी धोखाधड़ी की जा रही है ये समाज को जान ने का अधिकार है !
     शिक्षण संस्थानों पर  पैसे क्यों बहा रही है सरकार !जिसे जिस विषय का झूठा विशेषज्ञ बनना हो उसे बनने दे सरकार !ये सुविधा केवल ज्योतिष के ही क्षेत्र में क्यों ?ऐसा तो सभी क्षेत्रों में होना चाहिए !अन्यथा ज्योतिष आदि विषयों में भी ज्योतिष क्वालीफिकेशन विहीन लोगों पर भी शक्ति पूर्वक लगाम लगाए सरकार और इनकी तीर तुक्के वाली झूठी भविष्यवाणियाँ करने वाली हरकतें बंद करवाने संबंधी अपनी नैतिक जिम्मेदारी निभाए सरकार !
     जो लोग ज्योतिषी हैं ही नहीं उन्हें भी मीडिया ज्योतिषी साबित करने पर तुला हुआ है !अखवारों  और टीवी चैनलों को चुनौती है कि वो अपने  ज्योतिषी लोगों के ज्योतिष क्वाली फिकेशन की प्रमाणित जानकारी  दर्शकों और पाठकों को दें यह भी बताएँ कि सरकार के किस विश्व विद्यालय से किस सन में उन्होंने ज्योतिष की कौन सी पढ़ाई करके कौन सी डिग्री ली है !साथ ही यह भी बताएँ कि अखवारी ज्योतिषियों ने ये भविष्यवाणियाँ किस ग्रंथ के किस प्रमाण के आधार पर की हैं भविष्य वाणियों के नाम पर तीर तुक्के भिड़ाने वाले और झूठ बोलने वाले लोगों के विरुद्ध कठोर कदम उठाए सरकार !
    इन लोगों ने ऐसी ही मनगढंत बकवास कर कर के कितने पतियों पत्नियों के जीवन में दरारें डाल दी हैं उनके मन में एक दूसरे के चरित्र के प्रति शंका पैदा कर दी है !जिससे होते हैं तलाक ,हत्या ,आत्महत्या जैसे जघन्यतम अपराध !वैवाहिक जीवनों के टूटने में झूठी भविष्यवाणियाँ करने वालों की बहुत बड़ी भूमिका होती है !इसलिए सरकार इनकी भी जवाब देही  तय करे कि ज्योतिष की प्रेक्टिस करना है तो सरकार के विश्वविद्यालयों में जाकर पाठ्यक्रम पूर्वक ज्योतिष पढ़ना होगा डिग्री हासिल करनी होगी उसके बाद वो भविष्यवाणियाँ कर सकते हैं जिन्हें जरूरत पड़ने पर ज्योतिष शास्त्र के  मूल ग्रंथों से प्रमाणित कर सकें !
     टीवी चैनलों अखवारों पर भी सरकार अंकुश लगाए कि जिस व्यक्ति के पास जिस विषय से सम्बंधित किसी सरकारी विश्व विद्यालय से प्राप्त प्रमाणित डिग्री प्रमाण पत्र हों उसी के द्वारा उस विषय में कही गई बातों को प्रमाण माना जाए और उन्हीं की बातों को प्रकाशित किया जाए केवल उन्हीं का विज्ञापन किया जाए !वो ज्योतिषी  वैद्य तांत्रिक आदि कुछ भी क्यों न हों !सरकार के विश्व विद्यालयों में तंत्र भी पढ़ाया जाता है आम विषयों की तरह ही उसकी भी डिग्रियाँ मिलती हैं !  
वैसे तो चुनावी भविष्यवाणियाँ ज्योतिषशास्त्र के द्वारा की ही नहीं जा सकतीं !जो करते हैं वो बोलते हैं सौ प्रतिशत झूठ!see more... http://bharatjagrana.blogspot.in/2016/09/blog-post.html   
      जब ज्योतिष बनी थी तब चुनाव होते नहीं थे पहले तो राजा हुआ करते थे !इसीलिए ऐसी चुनावी भविष्य वाणियों के ज्योतिष शास्त्र में कहीं कोई प्रमाण ही नहीं मिलते हैं चुनावी भविष्यवाणियाँ करने वालों को खुली चुनौती है कि वे अपनी चुनावी भविष्य वाणियों को ज्योतिष शास्त्र से प्रमाणित कर दें अन्यथा सार्वजनिक रूप से स्वीकार करें कि इस विषय में उन्होंने मन गढंत झूठ बोला था जबकि उन्हें ऐसा करके ज्योतिष शास्त्र पर भरोसा करने वालों की आँखों में धूल नहीं झोंकनी चाहिए थी !इसीलिए तो ज्योतिष पढ़े लिखे डिग्री होल्डर विद्वान् ज्योतिषी लोग चुनावी भविष्यवाणियाँ करने में भरोसा नहीं करते ! 
ये हैं कुछ चुनावी भविष्यवाणियाँ मीडिया निर्मित ज्योतिषियों की -
  •  मायावती 2017 में बनेंगी मुख्यमंत्री और भाजपा का ग्राफ गिरेगा अमेरिका में हिलेरी क्लिंटन राष्ट्रपति बनेंगी !
                                                                                                                -डॉ. केदार नाथ शर्मा 'गुरुजी' 
                                                                                                                          अर्थशास्त्र के प्रोफेसर 
                                                                                                                          अग्रवाल कालेज,'जयपुर'
  • "समाजवादी पार्टी को अच्छी तादाद में सीटें मिलेंगी. मगर पूर्ण बहुमत जैसी स्थिति नहीं हैकिसी के सहयोग से मुख्यमंत्री बन जाएं पर जल्द ही पद छोड़ना पड़ेगा.
                                                                - डॉ प्रवेश व्यास, लेक्चरर, लाल बहादुर शास्त्री संस्कृत विद्यापीठ
  •  "ग्रहों की यह स्थिति बीजेपी के लिए ठीक नहीं है. उसे चुनाव में नुकसान होने की आशंका दिख रही है "                                                                                                                   -आचार्य चेतन शर्मा 'मुंबई' 
  •  "सबसे बड़ी पार्टी के रूप में अखिलेश की पार्टी आएगी."                                                                                   -ज्योतिषाचार्य सोनाली दीक्षित 'वाराणसी' 
  •    "यूपी में इस बार एक महिला को कमान मिलेगी। मायावती के सत्ता में आने के चांस सबसे अधिक हैं। "       - ज्योतिषाचार्य गौरव मित्तल
  • "यूपी, पंजाब और उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव 2017 में सिर्फ कमल  खिलेगा! कुछ विशेष तिथियों में चुनाव कराये जायें तो सुश्री मायावती की पार्टी बीएसपी भी सत्ता में दोबारा वापसी कर सकती है। साथ ही साथ इस बात की भी प्रबल संभावना है कि यूपी के वर्तमान मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव भी एक बार फिर से सत्ता की बागडोर संभाल सकते हैं।
                                     -संतबेतरा अशोक, सुदर्शन चक्र ज्योतिषाचार्य

  • "2017 में भी हरीश रावत बनेंगे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बनेंगे"                                                                              -बेजान दारूवाला 
सितारों का संयोजन बसपा प्रमुख मायावती के पक्ष में है इसलिए आज कि तारीख में यूपी में बसपा सरकार बनाती हुई दिख रही है ।
Read more at: https://www.instantkhabar.com/item/2016-08-28-garav.html
  •  "2017 में मायावती बनेंगी मुख्यमंत्री "
गौरव मित्तल
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                                           - गौरवमित्तल लखनऊ 
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सितारों का संयोजन बसपा प्रमुख मायावती के पक्ष में है इसलिए आज कि तारीख में यूपी में बसपा सरकार बनाती हुई दिख रही है ।
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सितारों का संयोजन बसपा प्रमुख मायावती के पक्ष में है इसलिए आज कि तारीख में यूपी में बसपा सरकार बनाती हुई दिख रही है ।
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  • "2017 में समाजवादी पार्टी-कांग्रेस गठबंधन की बनेगी सरकार"
                                                                  -राजीव नारायण शर्मा 
  • "2017 में अखिलेश यादव ही बनेंगे अगले मुख्यमंत्री "
                                                           - अजय भाम्बी 'ज्योतिषाचार्य'
  • "2017 में सपा-कांग्रेस गठबंधन और बसपा का ही चुनाव कांग्रेस को होगा फायदा "
                                                                                  -राजीव मनचंदा
                                                                                                                    -ज्‍योत‌िषशास्‍त्री सतीश शर्मा
  • " 2017 में यूपी में त्रिशंकु सरकार की संभावना के बीच सरकार बनाने के लिए कदम बढ़ाने वाली पार्टी को तात्कालिक अवरोध या विरोध का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में मिली जुली सरकार भी आसानी से नहीं बन पाएगी।"- 

                                                                                                  -ज्योतिषी विमल जैन
see more... http://navbharattimes.indiatimes.com/assembly-elections/uttar-pradesh/up-election-2017-astrologers-predict-surprise-result-in-state-election/articleshow/57528417.cms
  •  "2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में सपा को भारी नुकसान हो सकता है। इसमें मुख्य लड़ाई बसपा और भाजपा के बीच में होगी। बसपा सत्ता के काफी नजदीक होगी।  दिल्ली के सीएम और आप नेता अरविंद केजरीवाल भी यूपी विधानसभा में छाए रहेंगे।"
                                                                                                     -सुषैन कुमार निगम 'लखनऊ'
  • "2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में  "भाजपा नंबर एक पर बसपा नंबर दो पर एवं सपा नंबर तीन पर रहेगी !"see more... https://www.youtube.com/watch?v=YL2vTvr3hBA
  • "2017 में अखिलेश-राहुल के गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिलेगा."
                                      -ज्योतिष अजय भांबी 
  • '2017 में अखिलेश-राहुल की जोड़ी ही कामयाब हो पाएगी यही जीतेंगे ".
                       - गिरिराज शरण शर्मा ज्योतिषाचार्य पंडित 'ग्वालियर' 
  • पद्मेश का कहना है कि नक्षत्र ना तो अखिलेश को पूरी ताकत दे रहे हैं और ना ही भाजपा को, लेकिन 2012 में कमजोर पड़े मायावती के नक्षत्र इस बार ताकतवर हो रहे हैं। अत: यूपी में गठबंधन की सरकार बनने की काफी संभावना है और इसमें मायावती महत्वपूर्ण होंगी। संभव है भाजपा के समर्थन से मायावती मुख्यमंत्री बनें।
                                                                                                 -ज्योतिषाचार्य के.ए. दुबे पद्मेश 

Wednesday, 19 April 2017

अडवाणी जी,जोशी जी जैसे वेदाग छवि वाले नेताओं पर गर्व करता है देश !

      हिंदूराष्ट्र भारत में कहीं भी बनाया जा सकता है श्री राम मंदिर !उसके लिए किया जाने वाला हर प्रयास राष्ट्रभक्ति के दायरे में आता है !और ऐसा हो भी क्यों न श्री राम ने अपने भारत को बनाने के लिए क्या क्या नहीं किया उनके सामने आक्रांता बाबर को खड़ा किया जाना ये हिंदूराष्ट्र भारत का दुर्भाग्य है !
      हजारों करोड़ के घोटाले करने वाले चारा चोर ,कोयलाचोर आदि नेताओं का कानून के नाम पर क्या बिगाड़ लिया गया और सौ प्रतिशत ईमानदार नेताओं की ईमानदारी पर अंगुली उठाना कहाँ तक न्यायोचित है !राजनीति में निरपराधिता पर प्रश्न चिन्ह है !वैसे भी देश के स्वाभिमान के साथ समझौता नहीं किया जा सकता !और किसी भी आक्रांता का नाम देश के किसी भी भाग में हो उसे मिटाना ही राष्ट्रधर्म है!
      श्री राम के नगर से बाबर जैसे आक्रांताओं का नाम मिटाने का हर प्रयास परं पवित्रता की श्रेणी में गिना जाता है| उचित तो ये है कि श्री राम प्रभु के अपने भारत वर्ष में श्री राम मंदिर के विषय में न कोई विवाद  होना चाहिए और न ही उस विवाद को कहीं महत्त्व मिलना चाहिए और बाबर जैसे आक्रांताओं का नाम जिन जिन स्थलों स्मारकों से  जुड़ा हो उन सभी को कानून बनाकर भारत सरकार को स्वयं तोड़वा देना चाहिए !क्योंकि ऐसे कलंकित स्थल राष्ट्रवादियों के मनोबल को तोड़ते हैं अपमान की याद दिलाते हैं !
      धर्म के नाम पर हुए भारत के विभाजन को स्वीकार कर लेने के बाद भी श्री राम मंदिर निर्माण में टाँग अड़ाना कतई स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए !जैसे टैक्स दे देने के बाद बाकी  संपत्ति शुद्ध मान ली जाती है निगमों के द्वारा अवध अतिक्रमणों को हटाने के बाद बाकी जमीनें शुद्ध मान ली जाती हैं तो धर्म के नाम पर पाकिस्तान दिए जाने के बाद भी श्रीराममंदिर निर्माण यदि उनसे आज्ञा लेकर ही करना था तो विभाजन स्वीकार ही क्यों किया गया कम से कम अखंड भारत तो बना रहता ! 
        अयोध्या में श्री राम मंदिर निर्माण की आज्ञा उनसे माँगनी जिनकी श्री राम के प्रति आस्था ही नहीं है उन्होंने तो केवल टाँग अड़ा रखी है ऐसे तो कितने भी समय तक रोके रहेंगे श्री राम मंदिर !ये तो भारत वर्ष की न्याय व्यवस्था है कब तक भी खाँचे जा सकते हैं मुकदमे !आपसी सहमति बनने ही नहीं देंगे !ऐसी परिस्थिति में कानून बनाकर ही किया जा सकता है श्री राम मंदिर निर्माण ! और ऐसा किया भी जाना चाहिए
    हिंदूराष्ट्र ही है भारत यह धर्मनिरपेक्ष हो ही नहीं सकता ! जानिए क्यों ?
  कुछ लोगों के 'इंडिया' कहने लगने से हिंदूराष्ट्र  भारत  धर्मनिरपेक्ष हो जाएगा क्या ?
      अनादि काल से इस देश को सनातन धर्मीराजाओं के नाम पर जाना जाता रहा है! आर्यावर्त, "जम्बूद्वीप" अजनाभवर्ष, भारतवर्ष आदि सनातन धर्मी संस्कृतनिष्ठ  नाम हैं !प्रदेशों गाँवों शहरों के अधिकाँश नाम हिन्दू संस्कृति से संबंधित हैं !नदियों तालाबों पहाड़ों के नाम हिंदू संस्कृति से संबंधित हैं सनातन हिंदू धर्म ही सबसे प्राचीन है इसलिए भारत वर्ष हिंदूराष्ट्र ही है !भारत सनातनधर्मी हिंदूराष्ट्र है धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हिंदुस्तान में हिंदुओ की आस्था को रौंदना असंभव !भारतवर्ष न धर्मनिरपेक्ष है और  न कभी हो सकता है इसे धर्म निरपेक्ष कहकर केवल धोखा दे रहे हैं कुछ लोग ! सनातनधर्मिता इस देश के स्वभाव में है उसे कैसे भूल जाएगा  भारत ! यह सनातन धर्मी हिंदू राष्ट्र है भारत ! गो पूजन इस देश के स्वभाव में है और स्वभाव किसी का बदलता नहीं है अनादि काल से इस देश के नाम आर्यावर्त, अजनाभ वर्ष,भारतवर्ष आदि पड़े हुए हैं ये सभी लोग सनातन धर्मी रहे हैं!
   सनातनधर्मी हिंदूराष्ट्र भारतवर्ष का नाम अनादि काल से सनातनधर्मी हिंदुओं के नाम पर है आर्यावर्त ,अजनाभ वर्ष ,भारतवर्ष ,हिंदुस्तान आदि सारे नाम तो हिंदू संस्कृति से संबंधित हैं | भारत के हर प्रदेश के नाम हिन्दू संस्कृति से संबंधित हैं भारत वर्ष की हर नदी सरोवरों पहाड़ों के नाम हिंदू संस्कृति से संबंधित हैं देश प्रदेश नदियों पहाड़ों के नामों से संबंधित कथा कहानियाँ पुराणों में वर्णित हैं चूँकि सनातन हिंदू धर्म ही सबसे प्राचीन है इसलिए ये भी नहीं कहा जा सकता कि किसी अन्य धर्म के नाम मिटाकर अपने धर्म से सम्बंधित रख लिए गए हैं । 

  ऐसे सभी प्रमाण इस बात की ओर इशारा करते हैं कि भारतवर्ष आदि काल से सनातनधर्मी हिंदुओं का देश है और यदि ऐसा ही है तो इसे धर्मनिरपेक्ष मान लिया जाए हिंदुओं पर ऐसा दबाव क्यों ?क्या ये उस तरह की बात नहीं है जैसे किसी के घर में कुछ लोग जबर्दस्ती घुस आएँ रहने लगें और कहने लगें कि ये घर तो अपना सबका है ये  हिंदुओं को कमजोर दिखाने की कोशिश नहीं है क्या ?
  सभी धर्मों के लोग इस देश में रहते हैं ये और बात है बहुत देशों में ऐसा होता है ये हिन्दुओं की सहिष्णुता का प्रतीक है किंतु ये सब कुछ  आपसी सहिष्णुता से भी तो संभव है इसके लिए किसी देश की प्राचीन पहचान मिटाना जरूरी क्यों है भारत सनातनधर्मी हिंदूराष्ट्र है तो उसे हिंदुराष्ट्र ही क्यों न बना रहने दिया जाए !इसे धर्मनिरपेक्ष  कहलाना जरूरी क्यों है ।
    भारत की धर्म निरपेक्षता के साइड इफेक्ट इतने घातक  होंगे किसी को पता था क्या ? गो रक्षा की बात हो ,अयोध्या काशी मथुरा के मंदिरों की बात हो या वंदे मातरं बोलने की बात हो या योग करने की बात हो या ॐ बोलने की बात हो धर्म निरपेक्षता की आड़ लेकर हर जगह टाँग फँसा कर खड़े हो जाना ये कहाँ का न्याय है इस हिसाब से तो सनातन हिंदू धर्मी भारत वर्ष अपनी सारी पहचान ही भूल  जाए !या उन लोगों के मुख ताक ताक कर काम करे जो सनातन हिंदूधर्मी गतिविधियों  से द्वेष करते हैं !
 मंदिर बनना या न बनना उन लोगों की कृपा पर कब तक टिका  रहेगा जिनकी मंदिर में भगवान् श्री राम में कोई आस्था ही नहीं है !वो ऐसी कोई आपसी सहमति क्यों बनने देंगे जिससे अयोध्या में श्री राम मंदिर बन जाए !क्योंकि उनका कोई नुक्सान ही नहीं है न ही उनका कोई काम ही रुका है |अन्यथा देश को यदि धर्म निरपेक्ष ही बनाना है तो सबके धर्म स्थलों में जगह दिलाई जाए श्री राम मंदिर बनाने की अन्यथा अयोध्या को भी निर्विवादित बनाया जाए !   
 आज सनातन हिंदूधर्मी भारत वर्ष की यह स्थिति हो गई है कि हिंदू लोग अपने तीर्थों में अपने सबसे बड़े भगवानों के मंदिर भी अपनी इच्छा से अपने अनुसार नहीं बना सकते हैं । इसका मतलब इस देश में हिन्दुओं का कुछ है ही नहीं हम ख़ाक आजादी की वर्ष गाँठ मनाते हैं ।
भारतवर्ष और उसके किसी प्रदेश का नाम धर्मनिरपेक्ष नहीं हैं भारतवर्ष यदि धर्मनिरपेक्ष होता ! तो अयोध्या मथुरा और काशी जैसे हिंदुओं के महान तीर्थ हिन्दुओं को सौंप दिए जाते ! सनातन धर्मी हिन्दुओं को उनके अपने धार्मिक तीर्थों मंदिरों नदियों तालाबों पहाड़ों को अपने अनुसार सजाने सँवारने बनाने एवं रख रखाव के निर्णय का स्वतंत्र अधिकार हिन्दुओं को दिए बिना धर्म निरपेक्षता की परिकल्पना ही नहीं की जा सकती !

       इस बात का ध्यान देना चाहिए कि इस देश का स्वभाव ही सनातन धर्मी है गायों के हत्यारों से इस देश का कभी कोई संबंध ही नहीं रहा !इस देश के अभी तक जितने भी नाम पड़े वो सारे सनातनधर्मी हिन्दुओं के ना पर ही पड़े हैं क्योंकि ये देश सनातन धर्मी हिन्दुओं का है हम सनातन धर्मी लोग गाय को पूजते हैं यह जानते हुए भी जो लोग गायों का बध करते हैं वो गलत करते हैं !   
     इस विषय में प्राचीन पौराणिक साहित्य के शोध के अनुशार - हमारे देश का नाम 'भारत' कैसे पड़ा और यह देश अति प्राचीनकाल से आर्यराष्ट्र  ही है इसके प्रमाण क्या हैं जानिए ?
    इस देश का नाम  'भारत ' है जो एक प्राचीन हिन्दू सम्राट 'भरत' के नाम पर रखा गया था । जैसे 'कुरु' से 'कौरव' ,वसुदेव' से 'वासुदेव', 'तिल' से 'तैल'आदि शब्द संस्कृत व्याकरण के अनुशार आदि 'अच'की वृद्धि होकर बनाए  जाते हैं इसीप्रकार से 'भरत'शब्द से 'भारत'शब्द का निर्माण हुआ है ।भारत (भा+रत) शब्द का मतलब है 'आंतरिक प्रकाश' ।
 महाराज 'भरत' मनु के वंशज ऋषभदेव जी के ज्येष्ठ पुत्र थे इससे पहले 'भारतवर्ष' को वैदिक काल या आदिकाल से ही  'आर्यावर्त'अर्थात 'आर्य लोगों का आवास' कहा जाता रहा है"अजनाभदेश"और "जम्बूद्वीप" के नाम से भी जाना जाता रहा है यह देश । इस प्रमाण के अनुशार महाराज भरत 'आर्य' ही थे इसलिए भारत आर्यराष्ट्र ही था । आर्यावर्त'का मतलब ही  'आर्य लोगों का आवास' होता  है ।
तीसरीबात ---
हमारे देश का एक नाम 'अजनाभदेश' भी था !
   पुराणों के अनुशार -महाराज सगर के पुत्रों के पृथ्वी को खोदने से जम्बूद्वीप में आठ उपद्वीप बन गये थे जिनके नाम हैं-स्वर्णप्रस्थ, चन्द्रशुक्ल, आवर्तन, रमणक, मनदहरिण,पाञ्चजन्य,सिंहल तथा लंका।
जम्बूद्वीप के वर्ष-इलावृतवर्ष, भारतवर्ष, भद्राश्चवर्ष, हरिवर्ष, केतुमालवर्ष, रम्यकवर्ष , हिरण्यमयवर्ष, उत्तरकुरुवर्ष और किम्पुरुषवर्ष आदि  आदि ! अब जानिए भारत देश का नाम 'अजनाभवर्ष' कैसे  पड़ा ?
   भारत को एक सनातन राष्ट्र माना जाता है क्योंकि यह मानव-सभ्यता का पहला राष्ट्र था। श्रीमद्भागवत के पञ्चम स्कन्ध में भारत राष्ट्र की स्थापना का वर्णन आता है। भारतीय दर्शन के अनुसार सृष्टि उत्पत्ति के पश्चात ब्रह्मा के मानस पुत्र स्वयंभू मनु ने व्यवस्था सँभाली। इनके दो पुत्र, प्रियव्रत और उत्तानपाद थे। उत्तानपाद भक्त ध्रुव के पिता थे। इन्हीं प्रियव्रत के दस पुत्र थे। तीन पुत्र बाल्यकाल से ही विरक्त थे। इस कारण प्रियव्रत ने पृथ्वी को सात भागों में विभक्त कर एक-एक भाग प्रत्येक पुत्र को सौंप दिया। इन्हीं में से एक थे आग्नीध्र जिन्हें जम्बूद्वीप(वर्तमान भारत) का शासन कार्य सौंपा गया। वृद्धावस्था में आग्नीध्र ने अपने नौ पुत्रों को जम्बूद्वीप के विभिन्न नौ स्थानों का शासन दायित्व सौंपा। इन नौ पुत्रों में सबसे बड़े थे नाभि जिन्हें हिमवर्ष का भू-भाग मिला। इन्होंने हिमवर्ष को स्वयं के नाम अजनाभ से जोड़ कर अजनाभवर्ष प्रचारित किया। यह हिमवर्ष या अजनाभवर्ष ही प्राचीन नाम भारतदेश था। राजा अजनाभ भी क्षत्रिय होने के नाते आर्य ही थे  इस हिसाब से भी भारत प्राचीन काल से ही आर्यराष्ट्र रहा है ।
   इस आर्यराष्ट्र का नाम भारत पड़ने का एक और कारण है इसी प्रकार से राजा नाभि के पुत्र थे ऋषभ।   ऋषभदेव के सौ पुत्रों में भरत ज्येष्ठ एवं सबसे गुणवान थे। ऋषभदेव ने वानप्रस्थ लेने पर उन्हें राजपाट सौंप दिया। भारतवर्ष का नाम पहले ॠषभदेव के पिता नाभिराज के नाम पर अजनाभवर्ष प्रसिद्ध था। भरत के नाम से ही लोग अजनाभखण्ड को भारतवर्ष कहने लगे !
    बंधुओ !जो लोग पुराणों की बातों को सच नहीं मानते हैं तो इन्हें गलत साबित करने का उनके पास आधार क्या है और यदि वो चाहें तो पुराणों को बातों को सच साबित करने के प्रमाण देने के लिए मैं तैयार हूँ मुझे अवसर दिया जाए !

                                         डॉ.शेष नारायण वाजपेयी

        संस्थापक :राजेश्वरी प्राच्य विद्या शोध संस्थान

पाई पाई और पल पल का हिसाब माँगेगा देश ! सरकारें देंगी क्या ?

        केवल आश्वासन और भाषण ही नहीं अपितु कुछ कड़े कदम भी उठाने होंगे ईमानदार सरकारों को !  
    राजनीति की रगों में भरा हुआ है भ्रष्टाचार का संक्रमित खून !इसे बदलना ईमानदार सरकारों के लिए सबसे बड़ी चुनौती !सारा खून निकाल दिया जाए तो खतरा और थोड़ा थोड़ा बदला जाए तो संक्रमण का खतरा !ईमानदार सरकारें कुछ ऐसी ही मजबूरी में अपने दिन काटती जा रही हैं ?क्या सरकार भ्रष्टाचार पोषक बर्जनाओं को लाँघने की हिम्मत कर पाएगी ?
        जनता के जीवन से जुड़े ज्वलंत प्रश्नों के उत्तर दे सरकार -

       सरकार अपने अधिकारियों कर्मचारियों को जो सैलरी देती है और उसके बदले जितना काम ले पाती है सरकार की जगह यदि कोई प्राइवेट कंपनी होती तो  काज को देख कर कितनी सैलरी दे पाती और ऐसे गैर जिम्मेदारों और लापरवाहों को कितने दिन नौकरी पर रख पाती !सरकर के द्वारा जी जा रही सैलरी की अपेक्षा यदि वे इनके काम काज का मूल्यांकन करके केवल पाँच प्रतिशत ही सैलरी दे पाती और 20 गुना ज्यादा काम लेती अन्यथा निकाल बाहर करती फिर सरकार ऐसा क्यों नहीं करती है ?
      अधिकारियों की उच्चकोटि की शिक्षा और बड़ी बड़ी पदवियों पर भारी भरकम अधिकार देकर बैठाए गए उन लोगों की योग्यता और उन्हें दिए गए अधिकार जनता के किस काम के यदि उन विभागों से संबंधित कामों के लिए जनता को दर दर भटकना ही पड़ता है विधायकों सांसदों मंत्रियों मुख्यमंत्रियों के यहाँ फ़रयाद लेकर पहुँचने वाली जनता की भीड़ अधिकारियों की कामचोरी गैर जिम्मेदारी और भ्रष्टाचार से तंग हो चुकी होती है तब  वहाँ पहुँचती है जनता अपने खून पसीने की कमाई से टैक्स देती है सरकार उसी पैसे से अपने कर्मचारियों को  अनाप उन्हीं पैसों से अनाप शनाप सैलरी सुविधाएँ आदि देती है किंतु उनसे काम लेने की यदि सरकार को अकल ही नहीं है तो उन्हें सैलरी देने के लिए जनता से टैक्स लेना भी क्यों न बंद करे सरकार ?
     विधायकों सांसदों मंत्रियों मुख्यमंत्रियों के यहाँ फ़रयादें सुनाने के लिए जो भीड़ें दिखाई पड़ती हैं उन्हें सिपारिसी लेटर पकड़ा कर भगा दिया जाता है काम होने की कोई जिम्मेदारी नहीं होती है !यही जनप्रतिनिधि यदि  ईमानदार जिम्मेदार और कर्तव्यनिष्ठ होते तो वे अपने क्षेत्र के सभी सरकारी विभागों को इतना चुस्त दुरुस्त रखते कि उन विभागों से संबंधित समस्याओं के लिए जनता को अपनी फर्याद लेकर किसी जनप्रतिनिधि के दरवाजे जाकर सिफारिस करने के लिए गिड़गिड़ाना नहीं पड़ता !कर्तव्य पालन में असफल अकर्मण्य विधायकों सांसदों मंत्रियों मुख्यमंत्रियों के दरवाजों पर रोज सुबह से सजा लिए जाते हैं राजाओं की तरह जनता दरवार !किसी को लेटर किसी को आश्वासन देकर सबसे पीछा छोड़ा लिया जाता है उनसे किसी का कोई काम नहीं होता है जनता के ऊपर जनप्रतिनिधियों के द्वारा किए जाने वाले ऐसे भावनात्मक अत्याचारों को कैसे रोकेगी सरकार ?जनप्रतिनिधि भी फरयाद सुनने का नाटक करने के अलावा कोई जिम्मेदारी  नहीं निभाते हैं !क्यों ?
      सरकारी शिक्षकों को सैलरी क्यों देती है सरकार ?
        आधे से अधिक शिक्षक जो पढ़ाने के लिए नियुक्त किए गए हैं वो विषय उन्हें स्वयं नहीं आता है घूस और सोर्स के बल पर नियुक्तियाँ पाने वाले शिक्षक गाइड आदि लेकर पढ़ाने के नाम पर बच्चों के भविष्य के साथ करते  रहते  हैं खिलवाड़ !अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाते हैं!नेताओं को शिक्षा की समझ न होने के कारण शिक्षा के विषय में झूठी घोषणाएँ किया करते हैं ऐसे कहीं होती है पढ़ाई !
     अधिकारियों कर्मचारियों के ट्रांसफर करके क्या दिखाना चाहती हैं सरकारें ?
      अरे !जिनसे यहाँ काम नहीं लिया जा सका वे वहाँ काम क्यों करेंगे जहाँ भेज रही है सरकार !ये तो जनता का ध्यान भटकाने वाली बात है अशिक्षित अयोग्य घूसखोर कामचोर कर्तव्य भ्रष्ट कर्मचारियों को सीधे सस्पेंड करे सरकार !ऐसे कर्मचारियों की संख्या हजारों लाखों में होगी इस गन्दगी को हटाए बिना कामकाज का ढंग सुधर ही नहीं सकता !इसलिए इन्हें सेवामुक्त करके नए लोगों को अवसर दे सरकार जो कांम करे उसे सैलरी दे बिना काम के सैलरी क्यों ?यदि ये काम ही करते होते तो इनसे काम कराने के लिए जनता नेताओं के पास सिफारिस के लिए क्यों मारी मारी फिरती !ऐसे तो मंत्री मुख्य मंत्री समझते हैं कि अधिकारीयों कर्मचारियों को हम सुधार लेंगे जबकि उन लोगों को  भरोसा है कि ऐसे मंत्री मुख्यमंत्री न जाने ठीक कर दिए इन्हें भी थोड़े बहुत दिनों में ठीक कर लेंगे ऐसे लोगों से कैसे निपटेगी सरकार ?

    

उन्हें जिन पर से प्राप्त पैसा ऐसे लोगों की सैलरी पर मनमाने ऐसे लोगों पर सैलरी और सुविधाएँ क्यों लुटाती है सरकार जब उनसे कुछ काम ले पाना सरकारों के बश का है ही नहीं तो

किसानों गरीबों ग्रामीणों मजदूरों से यों भारी  बैठे दी गई बड़ी बड़ी योग्यता  


        भ्रष्ट सरकारों से निराश होकर जनता ईमानदारी के आश्वासनों और भाषणों से प्रभावित होकर जिन नेताओं की सरकार बनाती है 


का चयन करती है वो सरकार भी यदि जनता की भावनाओं पर खरी न उतरे तो जनता पाँच वर्ष बाद फिर बदल देगी किंतु वे भी यदि वैसे ही निकल गए तो झूठे आश्वासन दे देकर जनता की बहुमूल्य जिंदगी बर्बाद करने वाले नेताओं पर क्यों नहीं होनी चाहिए कुछ कठोर कार्यवाही !
  लोकतंत्र की मालिक यदि वास्तव में जनता ही है तो इस विश्वास को बचाने के लिए क्या कड़े कदम उठाएगी सरकार ?

Friday, 14 April 2017

योगी आदित्य नाथ जी आपकी कर्मठता को नमन !आपने ईमानदार प्रयासों से इतने कम समय में जीत लिया है जनता का विश्वास !

आदरणीय मुख़्यमंत्री जी (उत्तर प्रदेश )
                                              आपको सादर नमस्कार  
महोदय, 
      आपसे विनम्र निवेदन है कि  जमीनों के  विषय से लेकर हर विषय में और हर महकमें में समस्याएँ तीन प्रकार की हैं जनता का काम या तो होता नहीं है या पैसे देकर होता है या बहुत लेट लपेट बहुत परेशान करके आधा चौथाई मुश्किल से हो पाता है काम !कई बार लोग इनके व्यवहारों को देख सुनकर  पहले ही हिम्मत हार जाते हैं और निराश हताश होकर घर बैठ जाते हैं या घूस देने के लिए धन न होने के कारण काम हो पाने की आशा ही छोड़ देते हैं !इनमें से बहुत कम हिम्मती लोग ही हैं जो मंत्रियों तक या आप तक पहुँच पाएँगे !आप सबकी बात सुनेंगे कैसे और कैसे उस पर न्याय हो पाएगा ये फर्यादियों की भीड़ तो बढ़ती ही जाएगी लोगों से केवल मिल लेना उन्हें काम होने का आश्वासन दे देना तो संभव है किंतु उस पर न्याय कर पाने के लिए इन्हीं अधिकारियों कर्मचारियों की लेनी होगी मदद !किन्तु आधे से अधिक समस्याएँ तो इन्हीं घूसखोर अधिकारियों कर्मचारियों की तैयार की हुई हैं पैसे ले लेकर लोगों को उलटे सीधे कागज लिख लिख कर दे रखे हैं जिनसे उन्होंने पैसे लिए हैं उनकी तरफदारी तो करनी होगी ही उन्हें आप के यहाँ जो शिकायत करेगा आप उसकी जाँच करने के लिए भेजेंगे तो इन्हीं के पास उसी के अनुशार कार्यवाही होगी जबकि इन्हीं के दुर्व्यवहरों लापरवाहियों और घूसखोरी से तंग आकर ही तो लोग हैरान परेशान  होकर आपके पास पहुँचते हैं आपकी जाँच यदि इन्हीं के अधीन होगी तो वर्तमान परिस्थितियों में शिकायत करने वाले का संतुष्ट हो पाना कठिन ही नहीं असंभव भी होगा !जिन अधिकारियों कर्मचारियों ने जहाँ कहीं से पैसे खाए होते हैं उनके गैर क़ानूनी कामों को भी कोर्ट भेजकर स्टे दिलवा देते हैं फिर तारीख़ बढ़वाते चले जाते हैं समय पार होता चला जाता है !और कोएरत का नाम सुनते ही सरे महकमें हाथ खड़े करते चले जाते हैं और वो अवैध काम भी वैध से अधिक सुख सुविधा पूर्ण ढंग से चलाते चले जाते हैं !
     ऐसी परिस्थितियों से निपटना आसान बनाना होगा !सरकार के द्वारा निर्मित कानूनों नियमों के विरुद्ध या उनसे अलग हटकर बिना लीगल परमीशन लिए दिए ऐसे जो भी काम किए गए हैं उन्हें किसी शिकायत कर्ता की प्रतीक्षा किए बिना सरकार न केवल स्वयं रुकवाए अपितु उन्हें रोकवाने की जिम्मेदारी जिन अधिकारियों कर्मचारियों की किंतु उन्होंने रोका नहीं है जबकि सरकार उन्हें इसी काम के लिए भारी भरकम सैलरी देती है इसलिए ऐसे लोगों से सैलरी वापस ली जाए साथ ही उन पर घूसखोरी का केस दर्ज किया जाए !कोई कठोर कदम उठाए बिना ये अधिकारी कर्मचारी किसी की नहीं सुनेंगे !आप सोच रहे हैं कि इन्हें आप बदल लेंगे जबकि उन्होंने निश्चय कर रखा है कि वो आपको ही बदल लेंगे !उन्हें लगता है कि नए नए आने के बाद थोड़ी बहुत उछलकूद हर मंत्री मुख्यमंत्री करता है और धीरे धीरे शांत हो जाता है इनकी वही आदत पड़ी है उसी प्रकार ये चल रहे हैं और चलते रहेंगे !इसीलिए तो अभी भी 11 बजे मंत्रियों के पहुँचने के बाद भी काफी अधिकारी कर्मचारी लोग गायब मिले !कुछ तो दीवाल कूद कूद कर आते भी देखे गए !किंतु उन पर कोई कठोर कार्यवाही नहीं की गई जबकि की जानी चाहिए थी !
      श्री मान जी !इसलिए उचित यही होगा कि लोगों की शिकायतों का समाधान उन्हीं के जिले में हो ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित की जाए और ऐसा निगरानी तंत्र विकसित शिकायत कर्ता जिसे विशवास पूर्वक अपनी बात बता सके और समाधान की आशा रख सके !शिकायतें  आप स्वयं सुनें उससे अच्छा है कि निगरानी तंत्र इतना अधिक सजीव और सतर्क कर दें ताकि जो जहाँ रहता है उसकी सुनवाई उसी जिले में न केवल होने लगे अपितु शिकायत कर्ता की संतुष्टि भी हो !
      ऐसे तो इतना बड़ा प्रदेश है इतनी जनसंख्या है आप किस किस की शिकायत स्वयं सुनेंगे और सबका निस्तारण स्वयं कैसे कर लेंगे !और यदि सुन भी लें और कर भी लें तो इतनी इतनी मोटी सैलारियाँ देकर ये अधिकारी कर्मचारी रखे ही क्यों गए हैं जब उनके विभागों के काम काज से जनता ही संतुष्ट नहीं हैं जिनके लिए वे नियुक्त हुए हैं तभी तो जनता आपके पास जाती है ये जिम्मेदारी उन पर डाली जानी चाहिए कि वे कानूनी सीमाओं में रहकर जनता के भरोसे को जीतने का प्रयास करें अन्यथा सरकार उन्हें मुक्त करे और उनकी जगह नई नियुक्तियाँ  करे !उनकी भरी भरकम पढ़ाई लिखाई आईएएसआईपीएस को जनता चाटे क्या जब उनकी योग्यता जनता के किसी काम ही नहीं आ रही है !किसी का विवाह हो और दो तीन साल बच्चा न हो तो वो स्त्री पुरुष तलाक लेने का मन बना लेते हैं फिर सरकार ऐसे कर्मनपुंसकों का बोझ क्यों और कब तक ढोती रहेगी इसमें सरकार की आखिर मजबूरी क्या है ?
     महोदय !काम करने के लिए सहारा तो अधिकारियों कर्मचारियों का ही लेना ही पड़ेगा उनका काम करने का अभ्यास बिलकुल छूट चुका है या फिर बिना पैसे लिए काम करने की आदत छूट चुकी है वो अचानक कैसे करने लगेंगे काम !वैसे भी जिन आफिसों में AC लगे होंगे वो वहाँ से निकलकर काम करने जाएँगे क्या ?वैसे भी आराम करने लायक सुख सुविधाएँ उपलब्ध करवाकर अधिकारीयों कर्मचारियों से काम करवा पाना कठिन ही नहीं अपितु असंभव भी है !काम यदि अधिकारी ही नहीं करेंगे तो कर्मचारी क्यों करेंगे !इन्हीं अधिकारियों कर्मचारियों  लापरवाही और घूस खोरी से तंग होकर तो लोग हैरानी परेशानी उठाकर आपके पास अपनी शिकायत लेकर जाते हैं आप उसकी जाँच करने का आदेश देंगे वो जाँच करने अधिकारी तो जाएँगे नहीं वो तो AC वाले कमरे में बैठे बैठे ही जाँच करने का आर्डर कर देंगे जिसके लिए आर्डर किया जाता है वो यदि वहाँ कुछ मिलने लायक होता है तब तो जाता है और जो देता है उसके अनुशार अन्यथा वहीँ बैठे बैठे अपने अनुशार ही रिपोर्ट लगा देता है !उसी रिपोर्ट को सही मानकर आप अधिक से अधिक शिकायत करता को उस रिपोर्ट से अवगत करा देंगे किंतु इससे शिकायत कर्ता संतुष्ट हो पाएगा क्या ?वो दोबारा आपके पास कैसे आ पाएगा अपनी फर्याद लेकर !आपसे मिलना इतना आसान होगा क्या फिर आपके पास इतना समय कहाँ होगा कि आप विस्तार पूर्वक उसकी बात सुन पावें !श्रीमान जी ऐसे लोगों की संतुष्टि का कोई कारगर उपाय सोचिए !

अंबेडकरजयंती गाँधीजयंती और कहाँ 'रामनवमी' !कितने CM - PM जाते हैं अयोध्या ?

   हे अंबेडकर साहब !यदि ब्राह्मण गलत ही थे तो उनका बहिष्कार क्यों नहीं कर दिया गया ?स्वयं आप ब्राह्मणों से दूरी बनाकर क्यों नहीं रह सके ?नेता लोग भी ब्राह्मणों को बाहर का रास्ता क्यों नहीं  दिखा देते !  ब्राह्मणों और सवर्णों के प्रति घृणा की भावना पैदा करने वाले लोग आज राजनीति के प्रियपात्र बने हुए हैं ब्राह्मणों और सवर्णों की निंदा करने वालों की संख्या(वोट)अधिक होने के कारण नेता लोग रामनवमी कम और आपकी जयंती ज्यादा मनाते हैं !
     चूँकि राजनीति इस समय पूरी तरह जातिवादी हो  चुकी है इस दृष्टिकोण से यदि त्रिभुवन स्वामी प्रभु श्री राम को भी देखा जाने लगा हो तो क्या माना जाए कि भगवान राम क्षत्रिय थे सवर्ण थे हिंदू थे ब्राह्मणों से घृणा नहीं करते थे इसलिए चबूतरे पर पड़े हैं रामनवमी पर कोई CM - PM न वहाँ झाँकने जाता है और न ही सरकारी स्तर पर कोई बड़े काम काज ही आयोजित किए जाए हैं क्यों ?जबकि नेताओं की जयंतियाँ मनाई जाती हैं बड़े धूमधाम से !भगवानों के प्रति ऐसी आस्था क्यों है हमारी !मेरा किसी महाप्रुष की जयंती मानाने से कोई द्वेष नहीं है किंतु श्री राम के प्रति आस्था की उपेक्षा भी सही नहीं जाती !
      सनातन हिंदूधर्मसम्राट प्रभु श्री राम ही हैं सनातन हिन्दू धर्म को छोड़कर जब कोई किसी अन्य धर्म को स्वीकार करता है इसका मतलब श्री  राम भावना का परित्याग नहीं तो और  क्या होता है !हम श्री राम को मानते हुए भी किसी ऐसे व्यक्ति को आस्था पुरुष के रूप में स्वीकार कर सकते हैं जिसकी हमारे मर्यादा पुरुषोत्तम से पटरी ही न खाती हो !
   विश्व में भारत की पताका फहराने वाले श्री राम प्रभु के जन्म दिवस पर उचित तो है कि देश के सभी मुख्यमंत्रियों तथा प्रधानमंत्री जी को पहुँचना चाहिए प्रभु श्री राम केवल हिन्दुओं या भारत वासियों के ही नहीं हैं वो तो मानवता पसंद हर जीव जगत के स्वामी हैं उस धर्म को छोड़कर किसी अन्य धर्म की शरण स्वीकार करना और नेताओं का वहाँ पहुँचना और रामनवमी पर अयोध्या न पहुँचना ये सोचने को तो मजबूर करता है कि प्रभु श्री राम के साथ ऐसा क्यों ?
   'रामनवमी' में अयोध्या पहुँचने से नेताओं को इसीलिए डर लगता है क्या ?क्योंकि श्री राम हिंदू थे सवर्ण थे क्षत्रिय थे और ब्राह्मणों का सम्मान करते थे उनसे घृणा न करते थे न फैलाते थे !बारी राजनीति !!
  जाति संप्रदाय और स्त्री पुरुष भेदभाव पर टिकी भारतीय राजनीति क्या इस प्रकरण को भी इसी दृष्टि से देखती है?इसीलिए श्री राम नवमी को अयोध्या जाने में जिन नेताओं को वोट बैंक का खतरा दिखता है वही नेता उन नेताओं की जयंती बड़ी धूम धाम से मनाते देखे जाते हैं जो केवल सवर्णों की निंदा करने जैसे सबसे बड़े गुण के कारण ही कभी प्रसिद्धि पा चुके हैं !
   सवर्णों की निंदा करके कुछ लोग दलितों के मसीहा बन गए  इसी गुण से वे लोग कितने बड़े बड़े पदों पर पहुँच गए किंतु उन्होंने दलितों के लिए किया क्या ?ये भी सोचा जाना चाहिए कि ब्राह्मणों ने कभी किसी का बुरा नहीं किया !
    ब्राह्मण लोग भी यदि बिलासी हो जाते तो भारत की प्राचीन विद्याओं को आज तक सहेज कर किसने रखा होता !ब्राह्मण लोग भी यदि केवल जनसंख्या बढ़ाने में लगे रहते तो आज उनकी भी बात सुनी जाती उनके विषय में भी कोई सोचता !किंतु जन संख्या बढ़ाने में पिछड़ने के कारण कोई भी योजना सवर्णों के नाम पर चलते  नहीं दिखाई सुनाई देती है  वो भी नेताओं की पहली पसंद बने होते और सवर्ण महापुरुषों के यहाँ भीCM - PM जैसे बड़े ओहदों पर बैठे लोग जाया करते और उनकी भी जयंती सरकारी तौर पर धूमधाम से मनाई जा रही होती किंतु जनसंख्या बढ़ाने में पीछे रह गए सवर्ण इसीलिए तो आज अपनी और अपने आस्था पुरुषों की बेइज्जती करवाते घूम रहे हैं !
   ब्राह्मणों को गालियाँ दे देकर सवर्णों के प्रति घृणा फैलाकर लोग खुद तो बड़े बड़े ओहदों पर पहुँच गए किंतु दलितों को भूल गए !पार्कों में मूर्तियाँ लगवाने में हाथी बनवाने में जो पैसा फूँका गया वो गरीबों के विकास में भी लगाया जा सकता था !किंतु दलितों गरीबों को गरीब बनाए रहने में ही अपनी भलाई समझने वाले नेता  लोग ऐसा कुछ करेंगे ही क्यों जिससे उनका उत्थान हो सके !
     सरकारी स्कूलों में ज्यादातर दलितों  और गरीबों के बच्चे पढ़ते हैं इसलिए वहां शिक्षक पढ़ाना ही नहीं चाहते और न पढ़ाते ही हैं चार घंटे उन्हें स्कूल में रुकना होता है वो रुके भी तो !दो घंटे भोजन के ड्रामे में निकल जाता है पढ़ाते कब हैं ये किसी को नहीं पता !उसका कारण यदि वे पढ़ जाएँगे तो नेताओं की सच्चाई समझ जाएँगे इसलिए नेता लोग सरकारी स्कूलों की स्थिति सुधरने ही नहीं देना चाहते !बच्चों को स्कूलों में भोजन और पैसों में फँसा कर रखे हुए हैं उनके अभिभावकों को घरों में आटा दाल चावल कपड़े लत्ते आरक्षण आदि के आश्वासन दे देकर उन्हें फँसाए पड़े हैं !नेता लोग बच्चों को पढ़ने नहीं दे रहे और उनके घर वालों को काम नहीं करने दे रहे हैं !दलित जब तक इस सच्चाई को समझते नहीं तब तक उनका कल्याण भगवान् भी नहीं कर सकते !
    प्रभु श्री राम इस सच्चाई को समझते थे कि ब्राह्मणों ने इस देश और समाज के लिए बहुत कुछ किया है इसलिए वे सम्मान करते थे वो मानते थे कि त्याग बलिदान पूर्वक विद्या की उपासना करने और  लगातार ईश्वर की आराधना में लगे रहने एवं सारे विश्व के प्रति कल्याण कामना रखने वाले व्राह्मण निंदा योग्य नहीं हैं !
   दूसरी ओर  ब्राह्मणों की बुराई करने वाले लोगों ने खुद क्या किया है ब्राह्मणों और सवर्णों के प्रति घृणा फैलाकर खुद ब्राह्मणों सवर्णों से ही चिपक गए और दलितों को बता गए कि तुम्हारी गरीबत और पिछड़ेपन के लिए दोषी हैं ब्राह्मण और सवर्ण !तुम इनसे घृणा करते रहना बस तुम्हें आटा दाल चावल आरक्षण का आश्वासन मिलता रहेगा और जो मेहनत करेंगे वे तरक्की करते चले जाएंगे तुम उन्हें देख देख कर कुढ़ते रहना !
  इस प्रकार से  सवर्णों के विरुद्ध घृणा के बीज बो बोकर नेताओं की कई कई पीढ़ियाँ इस देश को लूटती खाती चली आ रही हैं नेताओं के बेटा बेटी बहू भांजे भतीजे जिन्हें अपनी नाक पोछने का ढंग भी नहीं पता है जिन्हें शौचना भी नौकर सिखाते रहे हैं वे भी जब राजनीति में लांच किए जाते हैं तो विकास की बातें न करके अपनी राजनैतिक यात्रा की शुरुआत सवर्णों की निंदा से और दलितों को विकास का आश्वासन देकर करते हैं यही उनके  बाप किया करते थे यदि दलित सुधरे नहीं तो यही उनके बेटे भी करते रहेंगे !और दलित जहाँ के तहाँ पड़े घुटते रहेंगे !
     राजनीति इतनीगंदी मंडी है जहाँ कानून बनाने के साथ ही दलाल उन्हें बेचने का बयाना लेना शुरू कर देते हैं और सरकारी मशीनरी बेचने लगती है तुरंत !ऐसे भ्रष्टाचारी युग में नेता और सरकारी कर्मचारी पहले अपना और अपनों का ही पेट भर लें फिर दलितों को कुछ देंगे नहीं तो आश्वासन तो देंगे ही ! 
     रही बात दलितों के शोषण की तो ब्राह्मणों और सवर्णों ने कभी किसी दलित का शोषण नहीं किया और करते भी क्या ऐसा था क्या उनके पास !वैसे भी सवर्णों की शोषण की कभी प्रवृत्ति ही नहीं रही वे अपने परिश्रम और ईमानदारी पर ही भरोसा किया करते थे उसी के बल पर आज भी गरीब सवर्ण लोग अपनी तरक्की करते जा रहे हैं और जो ऐसा नहीं करते वे सवर्ण भी गरीब हैं उसके लिए तो कोई नहीं कहता !यदि कोई गरीब किसी के शोषण करने से ही होता है तो गरीब सवर्णों का शोषण किसने किया आखिर उसे भी तो पकड़ कर सामने लाया जाए !
       जिन्हें दोनों समय भूख लगती है शरीर स्वस्थ हैं संतानों को जन्म देने की क्षमता रखते हैं वे ऐसे पुंसत्व संपन्न लोग यदि कहें कि वे किसी के शोषण करने से गरीब हो गए तो ये उनकी कायरता है कमजोरी है आलस्य है स्वाभिमान विहीनता है लक्ष्य लालषा का अभाव है इसमें किसी और को दोषी ठहरना सच्चाई से मुख मोड़ना है !जो उन्नति नहीं अपितु अवनति का मार्ग प्रशस्त करता है !
     कहते हैं सवर्णों की लड़कियों के विवाह दलितों के यहाँ किए जाने लगें तो सामाजिक समरसता आ जाएगी !अरे !सवर्णों की लड़कियों को भेड़ बकडियाँ क्यों समझा जा रहा है कि  में बाँध दी जाएंगी तो बंधी रहेंगी !उनका भी स्वाभिमान है उनकी भी च्वाइस है अपने जीवन का निर्णय लेने का हक़ तो उन्हें भी है वैसे भी आरक्षण पाकर भी खुद कुछ कर न पाने वाले और अपनी असफलता के लिए दूसरों को दोषी ठहराने वाले लोगों का वरण कोई भी स्वाभिमानी कन्या क्यों करना चाहेगी और उसे इसके लिए बाध्य कैसे और क्यों किया जाएगा जिसने उन्हें जन्म दिया है उन पर बोझ नहीं हैं बेटियां जो अपने जीते जी स्वाभिमान विहीन अकर्मण्य लोगों के हाथों में सौंप देंगे अपनी प्राणों से प्यारी बेटियां !इसके लिए पहले पात्रता पैदा करनी होगी आरक्षण का मोह छोड़ना होगा और ईमानदारी से परिश्रम पूर्वक अपनी कमाई से अपना जीवन यापन करने की सामर्थ्य प्रमाणित करनी होगी !सरकारी आटा चावल दाल के भरोसे नहीं ब्याही जा सकती हैं सवर्णों की लड़कियां !स्वाभिमानी दिखने के लिए आरक्षण तो छोड़ना ही होगा और कम्पटीशन में सवर्णों के सामने स्वयं सीधे उतरना होगा !
    दलितों के हित का राग अलापने वाले नेता लोग जब पहला चुनाव  लड़े थे तब कितना धन और संपत्तियाँ थीं उनके पास और आज कितनी हैं इसके बीच कमाई कैसे की और कैसे लगे अरबों की सम्पत्तियों के अंबार !राजनैतिक भ्रष्टाचार के अलावा रोजी रोजगार तो उन्हें कुछ करते नहीं देखा गया किंतु उनकी जाँच करवावे कौन !चोर चोर मौसेरे भाई !आज वो उनकी करवा दें तो कल वे उनकी करवाएँगे भय तो सबको है !इस ऊहापोह में दलितों और गरीबों के लिए कागजों में बनाई जाने वाली योजनाएँ नेता अधिकारी कर्मचारी आदि मिलकर चबा जाते हैं जनता देखते रह जाती है !
   दलितों को सिखाया गया है अपने विकास के लिए औरों पर बोझ बनना और अपने ह्रास का दोषी औरों को ठहरा देना किंतु इसका मतलब आपका अपना वजूद कुछ नहीं था आपके अपने उत्थान पतन में आपकी अपनी कोई भूमिका ही नहीं थी आखिर क्यों ?आपकी इतनी बड़ी जनसंख्या भयवश तो घुटने टेक नहीं सकती थी फिर आप पिछड़े क्यों ?अपने पूर्वजों से क्यों नहीं पूछा कि आप करते क्या रहे !इसलिए जब तक अपने विकास और ह्रास की जिम्मेदारी आप स्वयं नहीं संभालेंगे तब तक कोई दूसरा कन्धा लगाकर कब तक आपको खड़ा बनाए रखेगा !    
 ब्राह्मणों में यदि योग्यता और ईमानदारी जैसे पवित्रगुण न होते तो नेता लोग कब का बर्बाद कर चुके होते सवर्णों को किंतु गुणों से रक्षा होती रहती है !
   घरों से गरियाकर भगाए गए दो दो कौड़ी के नेता लोग ब्राह्मणों को गालियाँ दे देकर विधायक सांसद मंत्री मुख्यमंत्री आदि क्या क्या नहीं बन गए !ब्राह्मण गलत कभी नहीं रहे यही कारण है कि हर कोई ब्राह्मणों से जुड़ा रहना चाहता है यदि ब्राह्मण गलत ही थे तो उनका बहिष्कार क्यों नहीं किया गया ?अंबेडकर साहब ने भी दूसरी शादी ब्राह्मण के यहाँ ही की थी और उनके शिक्षक तो ब्राह्मण थे ही !
   अंबेडकर साहब ने जिनके कहने पर अपने नाम से 'सकपाल' टाइटिल हटाकर 'अंबेडकर' जोड़ा था वो उनके आत्मीय शिक्षक ब्राह्मण थे उनका नाम था महादेव अंबेडकर !इसी प्रकार से अंबेडकर साहब की दूसरी पत्नी सविता अम्बेडकर भी जन्म से ब्राह्मण थीं !
अम्बेडकर साहब से उनके शिक्षक महादेव अंबेडकर जी न केवल बहुत अधिक स्नेह करते थे अपितु वैसे भी वे अंबेडकर साहब की मदद किया करते थे उनके आपसी संबंध अत्यंत मधुर थे यदि ऐसा न होता तो उन्होंने उनके कहने पर अपने नाम की टाइटिल क्यों बदल ली थी और यदि बदल भी ली थी तो बाद में फिर से सकपाल बन सकते थे किन्तु ये उनका आपसी स्नेह एवं उन ब्राह्मण शिक्षक महोदय के प्रति सम्मान ही था जो उन्होंने आजीवन निभाया !
इसी प्रकार से अंबेडकर साहब की दूसरी पत्नी जन्म से ब्राह्मण थीं विवाह से पहले उनकी पत्नी का नाम शारदा कबीर था। बाद में सविता अम्बेडकर रूप में जानी गईं !वे सन 2002 तक जीवित रही वे अंतिम साँस तक बाबा साहब के आदर्शो के प्रति समर्पित रहीं !
ब्राह्मण विरोधी नेताओं ने उन्हें सम्मानित करना तो दूर उनका जिक्र करना तक मुनासिब नहीं समझा ! जबकि रमादेवी अम्बेडकर से जुड़े न जाने कितने स्मारक, पार्क इत्यादि हैं वो बाबा साहेब की पहली पत्नी थीं !
दलितों का शोषण सवर्णों ने बिलकुल नहीं किया किन्तु दलितों के बिछुड़ने के कारण कुछ और ही थे !
दलित लोग यदि वास्तव में अपनी उन्नति चाहते हैं तो ऐसे नेताओं को अपने दरवाजे से दुदकार कर भगा दें जो उन्हें खुश करने के लिए सवर्णों की निंदा करते हैं ! दलित लोग भी अब अपना लालच छोड़कर नेताओं से देश एवं समाज के विकास का हिसाब माँगें ! सीधे कह दें कि आप मेरी हमदर्दी मत कीजिए आपके पास इतनी संपत्ति कहाँ से आई आपका धंधा व्यापार क्या है और आप करते कब हैं ! और यदि न बतावें तो सीधे पूछिए हमारा हक़ क्यों हड़पा है आपने ! भले वो दलित नेता ही क्यों न हों ! अपराध अपराध है उसमें जातिवाद नहीं चलता !
ब्राह्मणों ने सबके साथ अच्छा व्यवहार किया किंतु जो सफल हुए उन्होंने सफलता का श्रेय अपनी योग्यता को दिया किंतु जो असफल हुए उन्होंने अपने अपमान भय से दोष ब्राह्मणों पर मढ़ दिया ! वैसे भी हर असफल व्यक्ति अपनी असफलता की जिम्मेदारी हमेंशा दूसरों पर डालता है । नक़ल करते पकड़ा गया विद्यार्थी हमेंशा अपने बगल में बैठे विद्यार्थी पर ही दोष मढ़ता है बड़े बड़े अपराधों में पड़े गए लोगों को कहते सुना जाता है कि हमें गलत फँसाया गया है किंतु यदि इनकी बात सही मान ली जाए तो क्यों कोई दोषी माना जाएगा !
बंधुओ ! ब्राह्मण यदि किसी की तरक्की में कभी बाधक बने होते तो आजादी के बाद आज तक इतना लंबा समय मिला जिसमें कोई भी स्वाभिमानी व्यक्ति अपनी तरक्की अपने परिश्रम से कर सकता था उसे आरक्षण की भी जरूरत नहीं पड़ती ! आखिर गरीब सवर्ण भी तो अपनी तरक्की बिना आरक्षण के अपने बल पर ही करते हैं वो अपने स्वाभिमान को गिरवी नहीं होने देते हैं । अपने स्वाभिमान को सुरक्षित रखने वाले किसी भी जाति के व्यक्ति का अपमान करने का साहस करने में हर कोई डरता है कि ये अपने स्वाभिमान के लिए मर मिटेगा इसलिए इससे भिड़ना ठीक नहीं है । ऐसे लोगों की इज्जत भी होती है और माँ बहन बेटियाँ भी सुरक्षित बनी रहती हैं ।
जो लोग कहते हैं कि हम बिना आरक्षण के तरक्की ही नहीं कर सकते इसका सीधा सा मतलब है कि उन्होंने अपने मुख से अपने को कमजोर मान लिया है और कमजोर लोगों का अपमान तो होता ही है इसमें जातियाँ कहाँ से आ गईं । कमजोर जाति की बात छोड़िये कमजोर भाई का अपमान उसका सगा भाई करने लगता है । कमजोर बेटे का पक्ष अधिकाँश माता नहीं लेते ! कमजोर पति को पत्नी सम्मान नहीं देती है कमजोर पिता का सम्मान उसकी संतानें नहीं करती हैं ऐसे में स्वयं अपने ऊख से अपने को कमजोर कहने वाले लोग सम्मान की अपेक्षा कैसे कर सकते हैं बड़े बड़े पदों पर पहुँच कर भी लोग या तो अपने को कमजोर ही मन करते हैं या फिर सवर्णों को शत्रु मानने लगते हैं !
इसलिए सभी आरक्षण भोगियों को आपस में बैठकर चिंतन करना चाहिए तब उन्हें पता लगेगा कि उन्होंने आरक्षण से पाया कुछ ख़ास नहीं है किंतु भिखारी होने का ठप्पा जरूर लगवा लिया ! साथ ही इससे देश का बहुत बड़ा नुक्सान ये हुआ है कि एक से एक नकारा कामचोर मक्कार नेता लोग आरक्षण भोगी जातियों का वोट लेने के लिए चुनावों के समय सवर्णों को गाली देकर हीरो बन जाते हैं और चुनाव के बाद दलितों की स्थिति जस की तस रहती है कोई बदलाव नहीं आता ।
   
भगवान श्री राम से किसी नेता की कोई तुलना हो ही नहीं सकती किंतु आश्चर्य होता है ऐसे नेताओं को देखकर !जिस किसी ब्राह्मण से विद्या पाई हो भोजन सहयोग लिया हो उसकी जातीय टाइटिल आजीवन अपने नाम के साथ धारण किए रहा हो दूसरा विवाह भी ब्राह्मण लड़की के साथ किया हो फिर उस ब्राह्मण जाति की आलोचना का औचित्य क्या था !
ब्राह्मणों और सवर्णोंके नाम पर कुछ सवर्ण परिवारों में भी डालडा पैदा हो गया है उसे लगता है कि उनके पुरखों ने पहले कभी दलितों का शोषण किया होगा इसलिए आज वो डालडा चाह रहा है कि ब्राह्मणों को कश्मीर चला जाना चाहिए और यहाँ हिन्दुओं को भेदा भाव भूलकर उन कायरों की तरह सभी सवर्णों को दलित देवताओं की गालियां खानी चाहिए किंतु असली सवर्ण कायरों की तरह जीना कभी पसंद नहीं करेंगे !डालडे को देशी घी से घृणा होना स्वाभाविक ही है !ऐसेलोग अपने नामों के साथ टाइटिल तो सवर्णों की लगाते हैं किंतु मिलावट उनकी है जिनके गुण गाते हैं अगर ऐसे डुब्लिकेट ब्राह्मणों सवर्णों या उनके पुरखों ने किसी दलित का कोई शोषण किया है तो उनको माफी मांगनी चाहिए और दलितों का हिस्सा वापस लौटाना चाहिए !