Tuesday, 31 January 2017

साइकिल पर 'कटाहाथ' रख तो दिया है किंतु ठहरेगा कब तक ! इसमें पकड़ तो होती नहीं है !

 नौसिखिया चुनाव नौका लेकर दो राजनीति में उतर रहे !
  वोट माँगने के खातिर उत्तर प्रदेश में विचर रहे ॥
साइकिल पर कैसे टिक  सकता है राजनीति का 'कटाहाथ '!
धचके कैसे सह पाएगा कितने दिन इनका निभे साथ ॥
कटाहाथ अपशकुन बड़ा घपलों घोटालों का गवाह । 
सब दल जानने लगे इसको नहिं होगा इसके संग निवाह ॥ 
साइकिल दो पहिए का वाहन गिर सकती है ये कभी कहीं । 
 कितने लोगों को गिरा चुकी बूढ़ों के बस की है ही नहीं ॥ 
अपनों के सपने चूर किए वो कटा हाथ क्यों ढोएगी ।
घायल को लादे घूम रही अब अपने हाथ डुबोएगी ॥
पुर्जा पुर्जा टेंशन में है मड गार्ड बजा ही करता है । 
है चैनकवर ढीला इसका हर समय फँसा ही करता है ॥ 
ऐसी बीमार साइकिल  पर चढ़ बैठा घायल हाथ और !
उत्तर प्रदेश पर दया करो हे ईश्वर इसको मिले ठौर ॥
साइकिल पर कटा हाथ !
     साइकिल में तो धचके लगते ही बहुत हैं वैसे भी कटे हुए हाथ में पकड़ तो होती नहीं है वैसे भी ये साइकिल बहुतों को गिरा चुकी है! वैसे भी राजनैतिक साइकिल में पिता पुत्र आदि दो ही पहिए होते हैं पिता धक्का देता है पुत्र के हाथ स्टेयरिंग है !इसके मडगार्ड बजट ही रहते हैं चैन कवर कभी भी खड़खड़ाने लगता है !वैसे इस कटे हुए  हाथ में इतना अधिक लोड है कि इसके रख जाने के बाद इसका फ्रीब्हील कभी भी फेल हो सकता है !
    फिलहाल इस साइकिल का ड्राइवर बदलने की कोशिश की गई है किंतु ड्राइवर नौसिखिया है और साइकिल के साथी को भी नौसिखिया ही समझो !            दो नौसिखिए लोगों ने कटेहाथ को साइकिल पर रखने की कोशिश की तो है किंतु कब तक के लिए !फिर भी सीखने में बुराई भी क्या है !
                  



Wednesday, 25 January 2017

शरदयादव जी !"वोटों की इज्जत बेटी से ज्यादा तो फिर क्या नेताओं की इज्जत दामाद से ज्यादा ?ये नेता हैं या दामाद !

  शरद जी !बेटियाँ तो माँ बाप की आन बान  शान हैं सम्मान हैं स्वाभिमान हैं जीवन हैं प्राण धन हैं ऐसी प्राण प्यारी पुत्रियों की तुलना वोटों से !तो फिर दामादों की तुलना नेताओं से क्या ?जो अपने कुकर्मों से दिन रात खून पी रहे हैं जनता का !
    भ्रष्टाचार ही अधिकांश राजनेताओं का जीवन और जीवन शैली बन चुका है !इसीलिए तो टिकटार्थियों की इतनी बड़ी भीड़ है और बेचे जा रहे हैं टिकट !राजनीति में कितने लोग सच बोलते हैं !कितने लोग ईमानदार हैं !कितने लोग चरित्रवान हैं कितने नेतालोग ईमानदारी की कमाई से अपने परिवार पालने पर भरोसा रखते हैं बेईमानी से संपत्तियाँ बनाने के लालची नेता लोग इसीलिए तो अपने बेटों बहुओं को राजनीति में घसीटे घूमते हैं उन्हें पता है कि उनकी गंदी कमाई को खाकर पले बढ़े लोग राजनीति में  ही सफल हो सकते हैं !
   यदि वोट की तुलना बेटी से तो ऐसे घटिहा नेता लोगों को क्यों दिए जाएँ वोट !जिनकी अधिकांश संपत्तियाँ ही चोरी चकारी से जुटाई गई हैं जो अपनी आमदनी के स्रोत प्रमाणित ही नहीं कर सकते ऐसे संदिग्ध चरित्र वाले नेता लोगों को कोई क्यों दे अपना बहुमूल्य वोट !
   वोट की इज्जत बेटी से ज्यादा "तब तो हो गई नेताओं की इज्जत दामाद से ज्यादा किन्तु बेईमान, भ्रष्ट,कामचोर राजनैतिक लुटेरों को जनता कैसे बना ले अपना दामाद ! भ्रष्टनेता लोग टिकट देते हैं अपने बेटा बहुओं को और वोट माँगते हैं जनता से !ऊपर से कहते हैं कि "वोटों की इज्जत बेटी से ज्यादा "है ।ऐसे में कोई वोट ही देने क्यों जाए ऐसे भ्रष्टनेताओं को ?
       जिनमें न कोई गुण न कोई योग्यता न संयम न सदाचार न सत्यता न ईमानदारी न अनुभव न पारदर्शिता !न भाषा में पकड़ न भाव न भावाभिव्यक्ति !हर बात ऊटपटाँग बोलकर मीडिया पर दोष मढ़ देने वाले दो कौड़ी के करप्ट लोगों से सदनों की कार्यवाही तो चलती नहीं है इन्हें कैसे बना ले कोई अपना दामाद !इनमें बोलने समझने की अकल ही होती तो ये कार्यवाही न  चलाते ! ये तो कार्यवाही बाधित करने वाले मास्टर लोग हैं !सदनों में बैठकर कभी सोते हैं कभी मोबाईल पर गेम खेलते हैं कभी घूमने फिरने बाहर चले जाते हैं कभी सदनों में हुल्लड़ मचाने लगते हैं !इन्हें कोई क्यों बनाले अपना दामाद ?
   कामचोरों मक्कारों बेईमानों अनपढ़ों के लिए राजनीति से अच्छा कोई दूसरा धंधा नहीं हो सकता !इसीलिए तो नेता लोग अपने बेटा बेटी बहू भतीज़े भाँजे आदि सारे के सारे नाते रिस्तेदार घुसा लाते हैं राजनीति में और सबको अरबो खरबो पति बना देते हैं राजनैतिक लूट पाट  करने में सब घर माहिर हो जाते हैं बचपन से यही तो सीख रहे होते हैं । बाप को मेहनत करते कभी नहीं देखा तो बेटा भी बचपन से ही कमाने खाने के इरादे बदल लेता है ।  सब अपना अपना शिकार करने लगते हैं ! कभी किसी भ्रष्टाचार के तगड़े शिकार की कोई हड्डी गले में फँस जाती है तो पूरा खान दान ही हिल उठता है यूपी के राजनैतिक खानदान की तरह !
        राजनीति में जहाँ बिना कुछ धंधा व्यापार नौकरी आदि किए धरे भी अनाप शनाप खर्च करके भी राजाओं जैसी सुख सुविधाएँ भोगने को और कहाँ मिल सकती हैं कामचोरों को !अपार सम्पत्तियाँ इकट्ठी कर लेने वाले बेईमान राजनेता लोग जब राजनीति में आते हैं तब इनकी जेब में बसों का किराया नहीं होता !नेतालोगों को न घर में ठिकाना होता है और न बाहर घर वाले उधर से धक्का देते हैं बाहर वाले इधर से !
   व्यापार  करने के लिए फंड नहीं होता है ब्याज पर लें तो देंगे कहाँ से ऐसे में बेईमानों के पास केवल दो रास्ते बचते हैं या तो बाबा बनकर  समाज से माँगें या फिर नेता बनकर और जब भीख माँग माँग कर राजनीति करने के लिए टिकट खरीदने लायक पैसे हो जाएँ तो टिकट खरीद लें और शुरू कर दें राजनैतिक लूट पाट  !
        काले धन के विरुद्ध ताल ठोंकने वाले पाखंडियों को यदि कुछ करना ही है तो सबसे पहले राजनीति में घुसे काले धन वालों को पकड़ें आखिर कहाँ से आई इनके पास इतनी संपत्तियाँ क्या हैं इनकी संपत्तियों के स्रोत !ठीक ठीक से जांच हो जाए तो सबप्रकार के अपराधियों की गतिविधियों की सारी  जानकारी मिल जाएगी इन्हीं राजनैतिक गलियारों में !उनके आका  लोग  इन्हीं की सरकारी कोठियों में तो आनंद ले रहे होते हैं!
     जनता ऐसे बेईमानों को सबक सिखाए जो जनता को केवल वोट देने लायक ही समझते हैं बस !जनता  राजनीति में जाकर सेवा कार्य नहीं  कर सकती क्या !नेताओं के बेटा बहुओं को नाक पोछने की तमीज भले ही न हो तो भी वे उन्हें तो सांसद विधायक बनाने के लिए प्रत्याशी बनाते हैं दूसरी ओर उन्हीं क्षेत्रों में जनसेवा कार्यों में लगे बहुत सारे गुणों से सम्पन्न योग्य चरित्रवान सदाचारी जनसेवी अनुभवी सज्जन एवं भाषा पर पकड़ रखने वाले ईमानदार लोगों को पार्टी की सेवा करने का पाठ पढ़ाते हैं !जनता जबतक अपने ऐसे गुप्त  शत्रुओं को सबक नहीं सिखाती है तब तक देश में कुछ शुभ भी होगा हमें इसकी आशा भी नहीं करनी चाहिए !बेईमान लोग अपने सारे घर खान दान को राजनीति में घुसाते इसीलिए हैं ताकि मिलजुल कर बेईमानी करें कोई किसी की पोल खोल देगा इसका भय ही न रहे !
     अभी कुछ समय पहले ही उत्तर प्रदेश के एक राजनैतिक शाही खानदान में पिछले कुछ महीने से उपद्रव उठा हुआ था अब शांत हो गया किसी को पता  ही नहीं लगा कि तब हुआ क्या था और अब शांत कैसे हो क्या !ऐसे राजनैतिक घरानों में घपले घोटाले जैसे शिकार तो चलते ही रहते हैं और सब पचाते चले जाते हैं आखिर करोड़ों अरबों की प्रापर्टियाँ बेईमानों ने ईमानदारी से तो बनाई नहीं हैं और बनाएँगे भी कैसे करते धरते तो कुछ हैं नहीं राजनीति में सम्मिलित सारे के सारे खानदान केवल लूट पाट में ही लगे रहते हैं !कभी दलितों के हित  की बात करेंगे कभी अल्प संख्यकों की कभी अपाहिजों की कभी शिक्षा की कभी चिकित्सा की सबके नाम पर पैसे पास करते हैं और सब खुद खा जाते हैं! इसीलिए न दलित सुधरे न अल्पसंख्यक न शिक्षा न चिकित्सा केवल नेताओं के घरसुधर गए बेटा बेटी बहू भतीज़े भाँजे आदि सारे के सारे नाते रिस्तेदार आदि सब मालोमाल हो गए !ऐसे भ्रष्टाचारियों को कोई कैसे बना ले अपना दामाद और बेटियों के बराबर कैसे मान ले वोट को !


Tuesday, 24 January 2017

नेताओं की बातों व्यवहारों में सुनने समझने मानने लायक कुछ है ही नहीं !भरोसा किया जाए तो कैसे ?

     नेताओं पर दलितों ने भरोसा किया तो आज तक दाल चावल में ही अटका  रखा है उन्हें !दलितों के प्रति हमदर्दी दिखाने वाले नेताओं की कई कई कोठियाँ और करोड़ों के बैंक बैलेंश !और दलित बेचारे जहाँ के तहाँ पड़े हैं !ये दलितों के नाम पर राजनीति से लूटा गया धन नहीं है तो आखिर कहाँ से कैसे आया उनके पास ये भी जानकारी तो सार्वजनिक की जाए !
     लोकतंत्र का मतलब है सबका समान अधिकार किन्तु यहाँ तो केवल नेता हैं और उनके नाते रिस्तेदार बाकी सब मतदाता सब  बेकार !राजनैतिक दलों के अध्यक्ष हैं या ठेकेदार !सब जगह भ्रष्टाचार !!
   देशवासियो ! प्यारे भाई बहनों से निवेदन !आप भी  लोकतंत्र की रक्षा के लिए आगे आएँ !और आप स्वयं विचार करें कि जो नेता लोग आपको कुछ नहीं समझते हैं उन्हें आप भी कुछ मत समझो जो आपको चुनाव लड़ने लायक नहीं समझते उन्हें आप भी वोट देने लायक मत समझो !जो आपको चुनावी टिकट नहीं देते आप भी उन्हें वोट मत दो !      
        जो नेता लोग टिकट देते हैं अपने बीबी बच्चों को !अपने घर खानदान वालों को !अपने नाते रिस्तेदारों को तथा वोट माँगते हैं आप से ! ऐसे पापी पाखंडियों को जिताने के लिए किसी भी कीमत पर आप वोट न दें लोकतंत्र की रक्षा के लिए ऐसे  प्रत्याशियों को पराजित करवाकर पुण्य कमाएँ !लोकतंत्र के सबल साधकों से निवेदन है कि ऐसे भाई भतीजा वादी लोकतंत्र द्रोही प्रत्याशियों को अवश्य सबक सिखाएँ !आपके क्षेत्र में अच्छे अच्छे पढ़े लिखे ईमानदार अनुभवी चरित्रवान लोग भी होते हैं किंतु उनकी उपेक्षा करके नेता लोग या तो अपने नाते रिस्तेदारों को टिकट देते हैं या फिर टिकट बेंच लिया करते हैं ऐसे पक्ष पात का विरोध करने के लिए आप उन्हें हरवाकर अपना जन्म सफल बनाएँ और अपने जीवित होने का सबूत दें !राजनीति में भाई भतीजे वाद को जड़ से उखाड़ फेंकें !
    यदि आप चाहते हैं कि आपके विधायक सांसद  आदि भी सदनों में भाषण दे सकें तो पढ़े लिखे प्रत्याशियों को ही वोट दें !यदि आप भी बलात्कारियों से तंग हैं तो चरित्रवान प्रत्याशियों को ही वोट दें !यदि आप भी भ्रष्टाचार से तंग हैं तो ईमानदार प्रत्याशियों को ही वोट दें !यदि आप भी देश में लोकतांत्रिक पद्धति को जिन्दा रखना चाहते हैं तो उन पार्टियों को बिलकुल वोट न दें जिनका अध्यक्ष किसी एक फैक्ट्री मालिक की तरह केवल एक ही व्यक्ति या परिवार का सदस्य होता हो ऐसी पार्टियों के विरुद्ध मतदान कीजिए और बचा लीजिए अपने पूर्वजों के प्यारे लोकतंत्र को !जिस प्रत्याशी को टिकट इसलिए मिला हो कि वो किसी नेता की बीबी है नेता की बेटी या बेटा है या किसी नेता के घर खानदान का है या नाते रिस्तेदार है इसलिए उसे प्रत्याशी बनाया गया है ऐसे नेताओं को वोट न खुद दीजिए न किसी और को देने दीजिए संपूर्ण प्रयास करके इन्हें पराजित करके लोकतंत्र बचा लीजिए ! 
   राजनैतिक पार्टियाँ दूध देने वाली भैंसों की तरह हैं जैसे भैंसों के मालिकों को जो पैसे दे वो उसे दूध देते हैं ऐसे ही दलों के दलाल जिन्हें  दाम देते हैं वे उन्हें टिकट देते हैं किंतु आप उन्हें वोट क्यों देते हैं वे आपको क्या देते हैं ?
  • यदि आप जाति देखकर वोट देंगे तो वो जाति जनाएँगे ही यदि आप संप्रदाय देखकर वोट देंगे तो वो सांप्रदायिक दंगे करवाएँगे ही यदि आप उनका धन देखकर वोट देंगे तो वो भ्रष्टाचार करेंगे ही !
  • प्रत्याशियों की उच्च शिक्षा, अच्छे संस्कार, ईमानदारी ,सेवा भावना और चरित्र देखकर वोट दोगे तो तुम्हें पछताना नहीं पड़ेगा और वेईमानों को वोट दोगे तो वो तुम्हारे नाम पर भी घपले घोटाले ही करेंगे !
  • जैसे छोटी छोटी बच्चियाँ बड़ी होकर दादी बन जाती हैं ऐसे ही बचपन के छोटे छोटे अपराधी भी बड़े होकर आजकल नेता बनने लगे हैं किंतु अभी भी राजनीति में भी कुछ अच्छे और ज़िंदा लोग हैं उन्हें खोजिए और ऐसे प्रत्याशियों को ही वोट देकर आप भी अपने देश और समाज के निर्माण में योगदान दें !ऐसे लोग किसी भी पार्टी के क्यों न हों !
  • भ्रष्ट नेता चुनाव जीतकर यदि मंत्री भी बन जाते हैं तो वे समाज का भला नहीं करेंगे वो तो सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों से वसूली ही करवाएँगे !उनसे अपनी सैलरी बढ़वाने के लिए उन्हें पोल खोलने की धमकी देकर वही सरकारी लोग हड़ताल पर चले जाएँगे फिर वे उन्हें मनाएँगे फिर उनकी सैलरी बढ़ाएँगे !ऐसे ही रूठते मनाते बीत जाएँगे 5 साल ! इसलिए अपना वोट बर्बाद मत होने दो !
  •  भ्रष्ट नेताओं को वोट दोगे तो भ्रष्टाचार सहना ही पड़ेगा !कमाओगे तुम खाएँगे नेता और उनके परिवार !
          "राजनीति शुरू करते समय गरीब से गरीब नेता लोग चुनाव जीतते ही करोड़ों अरबोंपति हो जाते हैं कैसे  आखिर उनके पास कहाँ से आता है ये पैसा !ऐसे बेईमानों को वोट देकर ईमानदारी की आशा मत करो !"
  • बलात्कारी नेताओं को वोट दोगे तो बहू बेटियों की सुरक्षा कैसे कर पाओगे ?नेताओं का बलात्कार तो प्यार और गरीबों का बलात्कार ! 
         "बलात्कारी नेता लोगों के पास काम के लिए जाने वाली या पार्टी के पद पाने के लिए जाने वाली महिलाओं के चरित्र से ही ये खेलेंगे !अपने बलात्कार को प्यार बताएँगे और गरीबों के बच्चों पर बलात्कार के आरोप लगते ही उनके लिए फाँसी की सजा माँगेंगे !अपने कुकर्मों पर तो पीड़ितों को डरा धमकाकर या कुछ लालच देकर शांत कर देते हैं आम बलात्कारियों के पास डराने धमकाने और लालच देने की हैसियत नहीं होती है इसलिए उसे फाँसी पर चढ़ाने की माँग करते हैं ये पापी !
  • भूमाफिया नेताओं को वोट दोगे तो वो बेच खाएँगे तुम्हारे पास पड़ोस की सारी सरकारी जमीनें पार्क पार्किंगें आदि !
   नेता लोग जब राजनीति शुरू करते हैं तब गरीब होते हैं चुनाव जीतते ही करोड़ों अरबों पति हो जाते हैं न धंधा करते हैं न नौकरी न व्यापार !न जाने कैसे कर लेते हैं इतनी जल्दी इतना बड़ा चमत्कार ! आखिर उनके पास ये पैसा आता कहाँ से है ?ऐसे लोग सरकारी जमीनें पार्क आदि बेच कर पहले वहाँ बस्तियाँ बसाते हैं फिर  छेड़ते हैं उनके नियमितीकरण का राग !ऐसी पाप की कमाई से पालते हैं वे अपने परिवार !
  • कम पढ़े लिखे नेताओं को सांसद विधायक बनाकर संसद और विधान सभाओं में चुनकर भेजोगे तो वो सदनों में चर्चा कैसे कर पाएँगे ?ऐसे  बुद्धू नेता लोग या तो मोबाईल पर फिल्में देखेंगे या सोएंगे या घूमें टहलेंगे या हुल्लड़ मचाएँगे !अपनी नाक कटवाने के लिए ऐसे अनपढ़ों को चुनकर क्यों भेजते हैं आप लोग !जो सदनों का बहुमूल्य समय बर्बाद करने के लिए पहुँच जाते हैं वहाँ !
     सदनों की कार्यवाही में उच्चस्तरीय चर्चाएँ होती हैं किंतु जो नेता बेचारे न बोल पाते हैं और न समझ पाते हैं वो चर्चा के समय सदनों में ही अपनी कुर्सियों पर सोकर,मोबाईल पर मनोरंजन करके या घूम फिर करके अपना समय कब तक कैसे और क्यों पास करें ! जो लोग बाहर रहकर गाली गलौच लड़ाई भिड़ाई कुस्ती आदि करते रहे हैं वे अंदर मुख बंद करके हाथ पैर बाँधे आखिर कब तक और क्यों बैठे रहें !जो पढ़े लिखे हैं वे अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हैं ऐसे ही जो नहीं पढ़े लिखे हैं वे अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन क्यों न करें !जिसके आपस जो  योग्यता होती है उसे भी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने का अवसर तो मिलना ही चाहिए !जिसने जीवन भर केवल पहलवानी की हो वो वहाँ चुप करके कैसे और कितनी देर तक बैठा रहे !


Monday, 23 January 2017

चुनावी टिकटें खरीदो चुनाव लड़ो !जीत जाओ तो घोटाले करो हार जाओ तो घुट घुट मरो !बारे लोकतंत्र !!

  लोकतंत्र का मतलब है सबका समान अधिकार किन्तु यहाँ तो केवल नेता हैं और उनके नाते रिस्तेदार बाकी सब मतदाता सब  बेकार !राजनैतिक दलों के अध्यक्ष हैं या ठेकेदार !सब जगह भ्रष्टाचार !!
   देशवासियो ! प्यारे भाई बहनों से निवेदन !आप भी  लोकतंत्र की रक्षा के लिए आगे आएँ !और आप स्वयं विचार करें कि जो नेता लोग आपको कुछ नहीं समझते हैं उन्हें आप भी कुछ मत समझो जो आपको चुनाव लड़ने लायक नहीं समझते उन्हें आप भी वोट देने लायक मत समझो !जो आपको चुनावी टिकट नहीं देते आप भी उन्हें वोट मत दो !      
        जो नेता लोग टिकट देते हैं अपने बीबी बच्चों को !अपने घर खानदान वालों को !अपने नाते रिस्तेदारों को तथा वोट माँगते हैं आप से ! ऐसे पापी पाखंडियों को जिताने के लिए किसी भी कीमत पर आप वोट न दें लोकतंत्र की रक्षा के लिए ऐसे  प्रत्याशियों को पराजित करवाकर पुण्य कमाएँ !लोकतंत्र के सबल साधकों से निवेदन है कि ऐसे भाई भतीजा वादी लोकतंत्र द्रोही प्रत्याशियों को अवश्य सबक सिखाएँ !आपके क्षेत्र में अच्छे अच्छे पढ़े लिखे ईमानदार अनुभवी चरित्रवान लोग भी होते हैं किंतु उनकी उपेक्षा करके नेता लोग या तो अपने नाते रिस्तेदारों को टिकट देते हैं या फिर टिकट बेंच लिया करते हैं ऐसे पक्ष पात का विरोध करने के लिए आप उन्हें हरवाकर अपना जन्म सफल बनाएँ और अपने जीवित होने का सबूत दें !राजनीति में भाई भतीजे वाद को जड़ से उखाड़ फेंकें !
    यदि आप चाहते हैं कि आपके विधायक सांसद  आदि भी सदनों में भाषण दे सकें तो पढ़े लिखे प्रत्याशियों को ही वोट दें !यदि आप भी बलात्कारियों से तंग हैं तो चरित्रवान प्रत्याशियों को ही वोट दें !यदि आप भी भ्रष्टाचार से तंग हैं तो ईमानदार प्रत्याशियों को ही वोट दें !यदि आप भी देश में लोकतांत्रिक पद्धति को जिन्दा रखना चाहते हैं तो उन पार्टियों को बिलकुल वोट न दें जिनका अध्यक्ष किसी एक फैक्ट्री मालिक की तरह केवल एक ही व्यक्ति या परिवार का सदस्य होता हो ऐसी पार्टियों के विरुद्ध मतदान कीजिए और बचा लीजिए अपने पूर्वजों के प्यारे लोकतंत्र को !जिस प्रत्याशी को टिकट इसलिए मिला हो कि वो किसी नेता की बीबी है नेता की बेटी या बेटा है या किसी नेता के घर खानदान का है या नाते रिस्तेदार है इसलिए उसे प्रत्याशी बनाया गया है ऐसे नेताओं को वोट न खुद दीजिए न किसी और को देने दीजिए संपूर्ण प्रयास करके इन्हें पराजित करके लोकतंत्र बचा लीजिए ! 
   राजनैतिक पार्टियाँ दूध देने वाली भैंसों की तरह हैं जैसे भैंसों के मालिकों को जो पैसे दे वो उसे दूध देते हैं ऐसे ही दलों के दलाल जिन्हें  दाम देते हैं वे उन्हें टिकट देते हैं किंतु आप उन्हें वोट क्यों देते हैं वे आपको क्या देते हैं ?
  • यदि आप जाति देखकर वोट देंगे तो वो जाति जनाएँगे ही यदि आप संप्रदाय देखकर वोट देंगे तो वो सांप्रदायिक दंगे करवाएँगे ही यदि आप उनका धन देखकर वोट देंगे तो वो भ्रष्टाचार करेंगे ही !
  • प्रत्याशियों की उच्च शिक्षा, अच्छे संस्कार, ईमानदारी ,सेवा भावना और चरित्र देखकर वोट दोगे तो तुम्हें पछताना नहीं पड़ेगा और वेईमानों को वोट दोगे तो वो तुम्हारे नाम पर भी घपले घोटाले ही करेंगे !
  • जैसे छोटी छोटी बच्चियाँ बड़ी होकर दादी बन जाती हैं ऐसे ही बचपन के छोटे छोटे अपराधी भी बड़े होकर आजकल नेता बनने लगे हैं किंतु अभी भी राजनीति में भी कुछ अच्छे और ज़िंदा लोग हैं उन्हें खोजिए और ऐसे प्रत्याशियों को ही वोट देकर आप भी अपने देश और समाज के निर्माण में योगदान दें !ऐसे लोग किसी भी पार्टी के क्यों न हों !
  • भ्रष्ट नेता चुनाव जीतकर यदि मंत्री भी बन जाते हैं तो वे समाज का भला नहीं करेंगे वो तो सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों से वसूली ही करवाएँगे !उनसे अपनी सैलरी बढ़वाने के लिए उन्हें पोल खोलने की धमकी देकर वही सरकारी लोग हड़ताल पर चले जाएँगे फिर वे उन्हें मनाएँगे फिर उनकी सैलरी बढ़ाएँगे !ऐसे ही रूठते मनाते बीत जाएँगे 5 साल ! इसलिए अपना वोट बर्बाद मत होने दो !
  •  भ्रष्ट नेताओं को वोट दोगे तो भ्रष्टाचार सहना ही पड़ेगा !कमाओगे तुम खाएँगे नेता और उनके परिवार !
          "राजनीति शुरू करते समय गरीब से गरीब नेता लोग चुनाव जीतते ही करोड़ों अरबोंपति हो जाते हैं कैसे  आखिर उनके पास कहाँ से आता है ये पैसा !ऐसे बेईमानों को वोट देकर ईमानदारी की आशा मत करो !"
  • बलात्कारी नेताओं को वोट दोगे तो बहू बेटियों की सुरक्षा कैसे कर पाओगे ?नेताओं का बलात्कार तो प्यार और गरीबों का बलात्कार ! 
         "बलात्कारी नेता लोगों के पास काम के लिए जाने वाली या पार्टी के पद पाने के लिए जाने वाली महिलाओं के चरित्र से ही ये खेलेंगे !अपने बलात्कार को प्यार बताएँगे और गरीबों के बच्चों पर बलात्कार के आरोप लगते ही उनके लिए फाँसी की सजा माँगेंगे !अपने कुकर्मों पर तो पीड़ितों को डरा धमकाकर या कुछ लालच देकर शांत कर देते हैं आम बलात्कारियों के पास डराने धमकाने और लालच देने की हैसियत नहीं होती है इसलिए उसे फाँसी पर चढ़ाने की माँग करते हैं ये पापी !
  • भूमाफिया नेताओं को वोट दोगे तो वो बेच खाएँगे तुम्हारे पास पड़ोस की सारी सरकारी जमीनें पार्क पार्किंगें आदि !
   नेता लोग जब राजनीति शुरू करते हैं तब गरीब होते हैं चुनाव जीतते ही करोड़ों अरबों पति हो जाते हैं न धंधा करते हैं न नौकरी न व्यापार !न जाने कैसे कर लेते हैं इतनी जल्दी इतना बड़ा चमत्कार ! आखिर उनके पास ये पैसा आता कहाँ से है ?ऐसे लोग सरकारी जमीनें पार्क आदि बेच कर पहले वहाँ बस्तियाँ बसाते हैं फिर  छेड़ते हैं उनके नियमितीकरण का राग !ऐसी पाप की कमाई से पालते हैं वे अपने परिवार !
  • कम पढ़े लिखे नेताओं को सांसद विधायक बनाकर संसद और विधान सभाओं में चुनकर भेजोगे तो वो सदनों में चर्चा कैसे कर पाएँगे ?ऐसे  बुद्धू नेता लोग या तो मोबाईल पर फिल्में देखेंगे या सोएंगे या घूमें टहलेंगे या हुल्लड़ मचाएँगे !अपनी नाक कटवाने के लिए ऐसे अनपढ़ों को चुनकर क्यों भेजते हैं आप लोग !जो सदनों का बहुमूल्य समय बर्बाद करने के लिए पहुँच जाते हैं वहाँ !
     सदनों की कार्यवाही में उच्चस्तरीय चर्चाएँ होती हैं किंतु जो नेता बेचारे न बोल पाते हैं और न समझ पाते हैं वो चर्चा के समय सदनों में ही अपनी कुर्सियों पर सोकर,मोबाईल पर मनोरंजन करके या घूम फिर करके अपना समय कब तक कैसे और क्यों पास करें ! जो लोग बाहर रहकर गाली गलौच लड़ाई भिड़ाई कुस्ती आदि करते रहे हैं वे अंदर मुख बंद करके हाथ पैर बाँधे आखिर कब तक और क्यों बैठे रहें !जो पढ़े लिखे हैं वे अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हैं ऐसे ही जो नहीं पढ़े लिखे हैं वे अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन क्यों न करें !जिसके आपस जो  योग्यता होती है उसे भी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने का अवसर तो मिलना ही चाहिए !जिसने जीवन भर केवल पहलवानी की हो वो वहाँ चुप करके कैसे और कितनी देर तक बैठा रहे !


Sunday, 22 January 2017

'आरक्षण' अधिकार नहीं हो सकता ! अधिकार तो अधिकारियों को ही मिलता है भिखारियों को नहीं !

    गरीबों को दलित कहने वाले नेता लोग उन तथाकथित दलितों के नाम पर पैसे पास करते हैं और खुद खा जाते हैं इससे दलित लोग तो जहाँ थे वहीँ हैं किंतु दलितों की हमदर्दी में बढ़चढ़ कर बोलने वाले राजनैतिक लुटेरों की संपत्तियाँ दिनोंदिन बढ़ती जा रही हैं !वे चेक की जाएं और पता लगाया जाए कि जब वे नेता जी राजनीति में आए थे तब उनके पास कितनी संपत्ति थी और आज कितनी  है ?उसे कमाने के लिए उन्होंने कौन कौन से रोजगार व्यापार किए हैं !जिस संपत्ति की आमदनी के स्रोत वो न बता पावें वो दलितों के नाम पर पास की गई संपत्ति है जो उन्होंने भ्रष्टाचार के द्वारा अपने नाम करा रखी है !
    किसी का विकास करने के लिए उस वर्ग को सरकारी भिखारी घोषित करना जरूरी है क्या ?दलित कहे बिना किसी की तरक्की क्यों नहीं की जा सकती है ?जिस दलित शब्द के अर्थ टुकड़े -टुकड़े, छिन्न -भिन्न, नष्ट- भ्रष्ट, विदीर्ण, कटा हुआ चिरा हुआ आदि होते हैं मनुष्यों के किसी भी वर्ग को ऐसे अशुभ सूचक 'दलित' शब्द से संबोधित करना उनका अपमान नहीं है क्या ?
    मनुस्मृति के आधार पर चुनाव लड़ने वाले ये पाखंडी नेता लोग जाति विहीन समाज बनाने के नारे लगाते हैं किंतु जातियों का सहारा लिए बिना एक कदम आगे नहीं बढ़ते हैं!इसमें महर्षि मनु का दोष क्या है ?
   ये पाखंडी नेता लोग जातियाँ बनाने के लिए महान जातिवैज्ञानिक उन महर्षि मनु की निंदा करते नहीं थकते हैं जिन्होंने करोड़ों बर्ष पहले हमारे पुरखों के चेहरे पढ़कर सारे समाज को जातिश्रेणियों में बाँट दिया था जिन श्रेणियों को हम लोग आरक्षण जैसे क्षुद्र प्रयासों से भी आज तक झुठला नहीं सके हैं !
    महर्षि के द्वारा लाखों वर्ष पहले जातियों के आधार पर किया गया पूर्वानुमान आज भी उसी प्रकार से सही घटित होता दिखाई दे रहा है जातियों के उस वर्गीकरण को आज तक झुठलाया नहीं जा सका है ।महर्षि मनु ने मुख्य रूप से दो वर्ग बनाए थे एक सवर्ण दूसरा  असवर्ण !जो स्वाभिमानी संघर्षप्रिय अपनेबल पर अपनी उन्नति करने वाला वर्ग है उसे सवर्ण एवं शासकों के आश्वासनों पर जिंदगी ढोने वाला स्वाभिमान विहीन वर्ग असवर्ण मान लिया गया था !
     महान जातिवैज्ञानिक उन महर्षि मनु का मानना था कि कुछ जातियाँ अपना एवं अपने परिवारों  का स्वाभिमान बनाने और बढ़ाने के लिए संघर्ष स्वयं करेंगी ,खुद जूझ कर अपने अंदर वो योग्यता पैदा करेंगी जिसके बलपर तरक्की के शिखरों को वे स्वयं चूम लेंगी अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए ये सवर्ण लोग  केवल अपने पुरुषार्थ का सहारा लेंगे ।शासकों की कृपा के बल पर पशुओं की तरह पेट भरने से पहले ऐसी जातियों के स्वाभिमानी लोग मरना पसंद करेंगे !इन सवर्ण जातियों के लोगों में शासकों से काम लेने की योग्यता होगी ये शासकों के सामने भिखारी बनकर गिड़गिड़ा नहीं सकते और न ही लालच देने वाले निकम्मे शासकों को पसंद ही करेंगे ऐसे पापीशिखंडियों को तो अपने दरवाजों से दुदकार कर दूर भगा देने का इनमें साहस होगा !
    वैसे भी मक्कारशासकों में इतना शौर्य कहाँ पाया जाता है जो ऐसी स्वाभिमानी जातियों के सामने आरक्षण जैसा कोई प्रस्ताव लेकर फटकने भी पाएँ !ऐसी जीवंत जातियों के लोगों को आरक्षण जैसी भीख देने की बात तो छोड़िए पाखंडी पापी शासक इनसे कभी आँख मिलाकर बात करने का साहस नहीं कर सकेंगे !ऐसे स्वाभिमानी पौरुष पसंद  लोगों को सवर्ण जातियों में रखा गया !
      उन्हीं महान जातिवैज्ञानिक महर्षि मनु का  ये भी मानना था कि कुछ जातियों के लोग अपने जीवन को जीवन्त बनाने के लिए स्वयं कोई प्रयास नहीं करेंगे और न ही इनका कोई अपना लक्ष्य ही होगा !लक्ष्य तो हमेंशा वो लोग बनाते हैं जिन्हें कुछ करना होता है जिन्हें कुछ करना ही न हो वो लक्ष्य बनाने में ही दिमाग क्यों खपाएँगे !जिन्हें खुद कुछ करना ही न हो ऐसे लोगों का स्वाभिमान कैसा ! क्योंकि किसी की कृपा से सब कुछ मिल सकता है किंतु स्वाभिमान नहीं ! 
    ऐसी जातियों के लोग केवल पेट भरने के लिए अपना अच्छा खासा जीवन ढोते रहते हैं ! इनकी इस मनोवृत्ति को समझने वाले चतुर शासकों को ऐसे स्वाभिमान विहीन लोग बहुत पसंद हैं ऐसे लोगों की संख्या जितनी अधिक बढ़ेगी हमसे जवाब माँगने वालों की संख्या उतनी ही अधिक घटती चली जाएगी !इसलिए बदमाश शासक समय समय पर इनकी संख्या में वृद्धि किया करते हैं वे इन लोगों से कुछ न कुछ देने की बातें किया करते हैं जिससे हमेंशा लेने के लिए मुख फैलाए हाथ पसारे लोगों को अपने चंगुल में अपने बुने जाल में ही हमेंशा फँसाए रहते हैं अपने बनाए दायरे से बाहर न वे निकलने देते हैं और न ही ये निकलना ही चाहते हैं ऐसे स्वाभिमान विहीन लोगों को असवर्ण जातियों में सम्मिलित किया गया है ।
      उन्हीं असवर्णों की बेइज्जती करने के लिए ही इन चालाक नेता लोगों ने उनका नाम अपनी सुविधानुसार 'दलित' रख लिया और उन्हें 'दलित' 'दलित'' कहने लगे ! ये बदमाश नेता लोग अच्छे खासे हँसते खेलते स्वस्थ सुखी लोगों को दलितों में सम्मिलित करके ऐसा लगता है कि जैसे उन्हें कोई पुरस्कार दे दिया हो किंतु इतनी गन्दी संज्ञा से मनुष्यों के किसी वर्ग को संबोधित करने से बड़ी उनकी और दूसरी बेइज्जती और क्या की जा सकती है आप स्वयं देखिए क्या होता है दलित शब्द का अर्थ !पढ़िए हमारा ये लेख -
        दलित शब्द का अर्थ क्या होता है ? फिर पहचानो दलितों को !seemore....http://snvajpayee.blogspot.in/2013/01/blog-post_9467.html
    

Sunday, 15 January 2017

कम पढ़े लिखे नेताओं को टिकट देकर प्रत्याशी बनाने वाली पार्टियों का बहिष्कार करो !इन्हें वोट मत दो !!

 प्यारे भाई बहनें लोकतंत्र की रक्षा का व्रत लें और कसम खाएँ कि अपराधी अयोग्य अनपढ़ ,कम पढ़े लिखे या अनुचित तरीके से टिकट हासिल कर लेने वाले नेताओं को वोट नहीं देंगे !
    संसद जैसे सदन उच्चस्तरीय चर्चा के मंच होते हैं जो नेता लोग कम पढ़े लिखे होने के कारण वहाँ अपनी बात कह नहीं पाते हैं औरों की समझ नहीं पाते हैं इसलिए केवल हुल्लड़ मचाया करते हैं या फिर सदनों में ही कुर्सियों पर बैठे बैठे सोया करते हैं या वीडियो देखते रहते हैं या कार्यवाही छोड़कर घूमने फिरने चले जाते हैं !टीवी चर्चाओं में  डिवेट के नाम पर ये बेसुरे केवल लड़ा करते हैं भाषण देने की तमीज न होने के कारण ऐसे नेता लोग पहले तो ऊट पटाँग बोलते हैं फिर सफाई देते घूमते हैं या मीडिया पर दोष मढ़ने लगते हैं !ऐसे नाककटाऊ नेताओं को वोट देकर आप क्यों करते हैं पाप !
   भ्रष्ट अनपढ़ नेताओं को टिकट देते हैं राजनैतिक दल किंतु ऐसे नेता बेइज्जती करवाते हैं वोट देने वालों की !जिन्होंने उन्हें जिता कर भेजा होता है ।राजनैतिक दल तो मूर्खों अनपढ़ों लुटेरों भूतपूर्व डाकुओं कम पढ़े लिखे नेताओं और कुसंस्कारी भ्रष्ट नेता लोगों को भी चुनावी टिकट दे देते हैं चूँकि वो टिकट देने के बदले उनसे पैसे ले रहे होते हैं किन्तु ऐसे नेताओं को आप क्यों देते हैं वोट !जो आपकी नाक कटवाने के लिए ही चुनाव लड़ने आते हैं । 
   अरे मतदाताओ !आप किसी राजनैतिक दल के बँधुआ मजदूर नहीं हैं कि वो जिसे टिकट दे दे आप उसी को वोट देने लग जाओ!अरे !अपनी अकल आप भी तो लगाओ !गलत लोगों को वोट देकर अपनी जिम्मेदारियों से आप बच नहीं सकते !आप का क्या लोभ होता है ऐसे पापियों का साथ देने का इसके लिए पाप आपको भी लगेगा !ऐसे नकारा नेताओं को वोट देकर उस क्षेत्र के वोटर अपनी नाक क्यों कटवाते हैं जिन्होंने ऐसे कागजी शेरों को चुनावों में जिता कर भेजा होता है !सारा पाप उन्हें ही लगता है ।       
    अशिक्षा अल्पशिक्षा  अयोग्यता या अनुभव हीनता के कारण जो सदस्य लोग संसद और विधान सभाओं की चर्चा में भाग ले पाने लायक न हों जो बोलने और समझने की योग्यता न रखते हों वे सदन में शांत बैठे रहते हों !चर्चा के समय कुर्सी छोड़कर समय पास करने बाहर निकल जाते हों या सदनों के अंदर ही कुर्सी पर बैठे सोने लगते हों या मोबाईल फोन में वीडियो देखने लगते हों या अपनी पार्टी के मालिक का इशारा पाकर हुल्लड़ मचाने लगते हों !ऐसे अयोग्य प्रत्याशियों को वोट देकर हम लोग पाप क्यों करें ?
 राजनैतिक दलों के मालिक नेता लोग पैसे लेकर प्रत्याशियों को टिकट देते हैं तो देने दो तुम उन्हें वोट न दो न किसी और को देने दो !टिकट खरीदकर चुनाव लड़ने वाले नेताओं को वोट देकर पाप क्यों किया जाए ?
      जो व्यापारी राजनैतिक पार्टियों से पैसे देकर टिकट खरीदेगा वो यदि चुनाव जीत जाएगा तो उसे टिकट लेने में लगा अपना पैसा इसी राजनीति से निकालना चाहिए या नहीं !और नहीं तो क्यों और हाँ तो कैसे !भ्रष्टाचार भी न करे और वो करोड़ों रूपया निकाल भी ले ऐसा हो ही नहीं सकता इसके लिए वो भ्रष्टाचार करेगा ही और उसे करना भी चाहिए क्योंकि उसकी पार्टी ने टिकट देने के बदले उससे पैसे लिए हैं इसलिए उसे भी क्यों नहीं लेना चाहिए ?ऐसी टिकट व्यापारी पार्टी के  ऐसे अयोग्य प्रत्याशियों को वोट देकर हम लोग पाप क्यों करें ?
   प्यारे भाई बहनें लोकतंत्र की रक्षा का व्रत लें और कसम खाएँ कि अपराधी अयोग्य अनपढ़ ,कम पढ़े लिखे या अनुचित तरीके से टिकट हासिल कर लेने वाले नेताओं को वोट नहीं देंगे !
     बड़े बड़े नेताओं के नाते रिस्तेदार होने के नाते टिकट पाने वाले या पैसे के बल पर टिकट खरीदने वाले प्रत्याशियों को न अपना वोट देंगे और न ही औरों को ही देने देंगे ! अपराधियों और अयोग्य नेताओं को संसद और विधान सभा जैसे पवित्र सदनों में बिलकुल न पहुँचने दो !ऐसे नेताओं को चुनावों में हराने का हर संभव प्रयासकर पुण्य के भागी बनें !आपका गुप्त मतदान कोई नहीं देखता है इसलिए बिना किसी डर के योग्य और ईमानदार लोगों को ही वोट दें वो किसी भी दल के क्यों न हों !
     चुनावों में पापी प्रत्याशियों को वोट न खुद दो न औरों को देने दो अन्यथा चुनाव जीतकर ऐसे प्रत्याशी जो भी पाप करेंगे उसका दोष आपको भी लगेगा क्योंकि उन्हें आपने ही इस योग्य बनाया है अन्यथा चाहकर भी वे ऐसा न कर पाते !इसलिए दोष पूर्ण प्रत्याशियों को हरवाने का हर संभव प्रयास करके पुण्य कमाने का सुनहरा अवसर !
     जिन राजनैतिक पार्टियों का मालिक एक ही परिवार का बना रहता हो ये लोकतंत्र के लिए घातक है जिन राजनैतिक दलों में पार्टी को चलाने की योग्यता केवल एक व्यक्ति या एक ही परिवार में मानी जाती हो बाकी कार्यकर्ताओं को भेड़ बक़डियों की तरह भर लिया जाता हो जिन्हें पार्टियों के मालिक दिहाड़ी मजदूरों की तरह अपनी इच्छाओं का गुलाम बनाकर सेवाएँ लेते हों !राजनीति से ऐसी ठेकेदारी पृथा समाप्त करने के लिए ऐसी पार्टियों के प्रत्याशियों को बिलकुल वोट न दिए जाएँ !ऐसे प्रत्याशी जनता का पक्ष न लेकर अपनी पार्टी के मालिक की इच्छा के अनुशार ही आचरण करेंगे इस लिए ऐसे सभी प्रत्याशियों का चुनावों में बहिष्कार किया जाए !
 राजनैतिक पार्टियों पर भरोसा करके किसी प्रत्याशी को वोट क्यों दे दिया जाए ?
        राजनैतिक पार्टियाँ देश को केवल एक आँख से देखती हैं वो आँख है चुनावों  में अपनी एवं अपनी पार्टी की विजय !वो कैसे भी मिले उसके लिए अपने सिद्धांतों से कितने भी बड़े समझौते क्यों न करने पड़ें !प्रत्याशी बहुत बुरा हो किंतु वो यदि अपनी आपराधिक प्रवृत्ति के कारण समाज को डरा धमका कर भी वोट हासिल करके चुनाव जीतने की ताकत रखता है तो भी वो राजनैतिक दलों की पहली पसंद बन सकता है !किंतु वो अपराधी चुनाव जीतने के बाद अपनी अपराध करने की प्रवृत्ति छोड़  देगा क्या ?अपने पुराने अपराधी मित्रों को छोड़ देगा क्या ?ऐसे आपराधिक पृष्ठ भूमि वाले नेताओं को वोट देकर उनके समर्थन का पाप हम क्यों करें !
    नेताओं के नाते रिश्तेदार या घर परिवार वाला होने के नाते किसी को प्रत्याशी बनाया गया हो तो ऐसे नेताओं को वोट देकर पाप क्यों किया जाए ?
   राजनैतिक पार्टियों के मालिक लोग चरित्रवान सदाचारी ईमानदार लोगों को अपनी पार्टियों में सम्मिलित करने में इसीलिए डरते हैं क्योंकि उन्हें पता होता है कि ये बेईमानी न करेगा न करने देगा !इसलिए भले लोगों को तो राजनैतिक पार्टियों में नेता लोग घुसने ही नहीं देते ! योग्यता ईमानदारी ,जन सेवा और सदाचरण के बल पर चुनाव जीतने की हिम्मत रखने वाले नेताओं की उपेक्षा करके उन बड़े बड़े नेताओं के घर वालों या सगे  सम्बन्धियों को चुनावी टिकट दे दिए गए हों !किसी नेता पर भ्रष्टाचार जैसे कोई आरोप लगें तो उसके बीबी बच्चों को प्रत्याशी बना दिया गया हो !ऐसे अयोग्य प्रत्याशियों को वोट देकर हम लोग पाप क्यों करें ?राजनैतिक दलों के ऐसे पापों में जनता सम्मिलित क्यों हो ?
  राजनीति में सबसे बड़ा दान किसी भी पार्टी के पापी प्रत्याशियों को वोट न देना है !ऐसे लोगों को टिकट देने वाले दलों का बहिष्कार किया जाए !
     मकरसंक्रांति  के पवित्र अवसर पर हाथ में गंगाजल लेकर संकल्प लीजिए कसम खाइए कि इस देश में पाप अब और नहीं होने देंगे और विश्व गुरु भारत को एक बार फिर से विश्व गुरुत्व के पद पर प्रतिष्ठित करेंगे !अपने घरों के मंदिर या तीर्थ क्षेत्र में जाकर कसम खाएँ कि भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए चुनाव लड़ने वाले पापी प्रत्याशियों को पराजित करके पुण्य कमाएँगे  !ऐसे दलों का बहिष्कार करेंगे !
      चुनाव लड़ाए जाने वाले प्रत्याशियों के चरित्र ,शिक्षा,संस्कार और व्यवहार पर क्यों न ध्यान दिया जाए !जो पार्टियाँ ऐसा नहीं करती हैं इसका सीधा सा मतलब है कि वो या तो चुनावी टिकटें बेंच रही हैं या अपने नाते रिश्तेदारों परिचितों को दे रही हैं जो दल ऐसे अलोक तांत्रिक कार्यों में लगे हुए हैं ऐसे दलों के कार्यकर्ता लोगों से निवेदन है कि वे ऐसे लोगों के बहकावे में न आएँ और पैसे एवं परिचय के बल पर चुनावी टिकट पाने वालों का बहिष्कार करें ! उन्हें चुनावों में पराजित करके पुण्य लाभ कमाएँ करें का उन्हीं पार्टियों कार्यकर्ता यदि ऐसा नहीं किया see more....http://sahjchintan.blogspot.in/2017/01/blog-post_8.html


प्रत्याशियों से पैसे लेकर टिकट देने वालों को वोट मत दो न किसी और को देने दो ! सबक सिखाना है तो ऐसे सिखाओ अपराध मुक्त भारत बनाओ !

     राजनैतिक पार्टियाँ टिकट देते समय प्रत्याशियों का पारदर्शी परीक्षण कैसे करती होंगी !क्या क्या देखा जाता होगा उनका !चरित्र शिक्षा संस्कार सदाचार बात व्यवहार आदि या इसका उलट सब कुछ पसंद किया जाता है राजनीति में !आखिर कुछ नेताओं के बात व्यवहार से तो बहुत निराशा  लगती है ।
    राजनैतिक दलों के मालिक नेता लोग पैसे लेकर प्रत्याशियों को टिकट देते हैं तो देने दो तुम उन्हें वोट न दो न किसी और को देने दो !टिकट खरीदकर चुनाव लड़ने वाले नेताओं और पार्टियों को वोट देकर पाप क्यों किया जाए ?
      जो व्यापारी राजनैतिक पार्टियों से पैसे देकर टिकट खरीदेगा वो यदि चुनाव जीत जाएगा तो उसे टिकट लेने में लगा अपना पैसा इसी राजनीति से निकालना चाहिए या नहीं !और नहीं तो क्यों और हाँ तो कैसे !भ्रष्टाचार भी न करे और वो करोड़ों रूपया निकाल भी ले ऐसा हो ही नहीं सकता इसके लिए वो भ्रष्टाचार करेगा ही और उसे करना भी चाहिए क्योंकि उसकी पार्टी ने टिकट देने के बदले उससे पैसे लिए हैं इसलिए उसे भी क्यों नहीं लेना चाहिए ?ऐसी टिकट व्यापारी पार्टी के  ऐसे अयोग्य प्रत्याशियों को वोट देकर हम लोग पाप क्यों करें ?
   प्यारे भाई बहनें लोकतंत्र की रक्षा का व्रत लें और कसम खाएँ कि अपराधी अयोग्य अनपढ़ ,कम पढ़े लिखे या अनुचित तरीके से टिकट हासिल कर लेने वाले नेताओं को वोट नहीं देंगे !
     बड़े बड़े नेताओं के नाते रिस्तेदार होने के नाते टिकट पाने वाले या पैसे के बल पर टिकट खरीदने वाले प्रत्याशियों को न अपना वोट देंगे और न ही औरों को ही देने देंगे ! अपराधियों और अयोग्य नेताओं को संसद और विधान सभा जैसे पवित्र सदनों में बिलकुल न पहुँचने दो !ऐसे नेताओं को चुनावों में हराने का हर संभव प्रयासकर पुण्य के भागी बनें !आपका गुप्त मतदान कोई नहीं देखता है इसलिए बिना किसी डर के योग्य और ईमानदार लोगों को ही वोट दें वो किसी भी दल के क्यों न हों !
     चुनावों में पापी प्रत्याशियों को वोट न खुद दो न औरों को देने दो अन्यथा चुनाव जीतकर ऐसे प्रत्याशी जो भी पाप करेंगे उसका दोष आपको भी लगेगा क्योंकि उन्हें आपने ही इस योग्य बनाया है अन्यथा चाहकर भी वे ऐसा न कर पाते !इसलिए दोष पूर्ण प्रत्याशियों को हरवाने का हर संभव प्रयास करके पुण्य कमाने का सुनहरा अवसर !
     जिन राजनैतिक पार्टियों का मालिक एक ही परिवार का बना रहता हो ये लोकतंत्र के लिए घातक है जिन राजनैतिक दलों में पार्टी को चलाने की योग्यता केवल एक व्यक्ति या एक ही परिवार में मानी जाती हो बाकी कार्यकर्ताओं को भेड़ बक़डियों की तरह भर लिया जाता हो जिन्हें पार्टियों के मालिक दिहाड़ी मजदूरों की तरह अपनी इच्छाओं का गुलाम बनाकर सेवाएँ लेते हों !राजनीति से ऐसी ठेकेदारी पृथा समाप्त करने के लिए ऐसी पार्टियों के प्रत्याशियों को बिलकुल वोट न दिए जाएँ !ऐसे प्रत्याशी जनता का पक्ष न लेकर अपनी पार्टी के मालिक की इच्छा के अनुशार ही आचरण करेंगे इस लिए ऐसे सभी प्रत्याशियों का चुनावों में बहिष्कार किया जाए !
 राजनैतिक पार्टियों पर भरोसा करके किसी प्रत्याशी को वोट क्यों दे दिया जाए ?
        राजनैतिक पार्टियाँ देश को केवल एक आँख से देखती हैं वो आँख है चुनावों  में अपनी एवं अपनी पार्टी की विजय !वो कैसे भी मिले उसके लिए अपने सिद्धांतों से कितने भी बड़े समझौते क्यों न करने पड़ें !प्रत्याशी बहुत बुरा हो किंतु वो यदि अपनी आपराधिक प्रवृत्ति के कारण समाज को डरा धमका कर भी वोट हासिल करके चुनाव जीतने की ताकत रखता है तो भी वो राजनैतिक दलों की पहली पसंद बन सकता है !किंतु वो अपराधी चुनाव जीतने के बाद अपनी अपराध करने की प्रवृत्ति छोड़  देगा क्या ?अपने पुराने अपराधी मित्रों को छोड़ देगा क्या ?ऐसे आपराधिक पृष्ठ भूमि वाले नेताओं को वोट देकर उनके समर्थन का पाप हम क्यों करें !
  संसद जैसे सदन उच्चस्तरीय चर्चा के मंच होते हैं जो नेता कम पढ़े लिखे होने के कारण चर्चा करने और समझने योग्य न हों उन्हें वोट देकर पाप क्यों किया जाए ?
    अशिक्षा अल्पशिक्षा  अयोग्यता या अनुभव हीनता के कारण जो सदस्य लोग संसद और विधान सभाओं की चर्चा में भाग ले पाने लायक न हों जो बोलने और समझने की योग्यता न रखते हों वे सदन में शांत बैठे रहते हों !चर्चा के समय कुर्सी छोड़कर समय पास करने बाहर निकल जाते हों या सदनों के अंदर ही कुर्सी पर बैठे सोने लगते हों या मोबाईल फोन में वीडियो देखने लगते हों या अपनी पार्टी के मालिक का इशारा पाकर हुल्लड़ मचाने लगते हों !ऐसे अयोग्य प्रत्याशियों को वोट देकर हम लोग पाप क्यों करें ?
  नेताओं के नाते रिश्तेदार या घर परिवार वाला होने के नाते किसी को प्रत्याशी बनाया गया हो तो ऐसे नेताओं को वोट देकर पाप क्यों किया जाए ?
   राजनैतिक पार्टियों के मालिक लोग चरित्रवान सदाचारी ईमानदार लोगों को अपनी पार्टियों में सम्मिलित करने में इसीलिए डरते हैं क्योंकि उन्हें पता होता है कि ये बेईमानी न करेगा न करने देगा !इसलिए भले लोगों को तो राजनैतिक पार्टियों में नेता लोग घुसने ही नहीं देते ! योग्यता ईमानदारी ,जन सेवा और सदाचरण के बल पर चुनाव जीतने की हिम्मत रखने वाले नेताओं की उपेक्षा करके उन बड़े बड़े नेताओं के घर वालों या सगे  सम्बन्धियों को चुनावी टिकट दे दिए गए हों !किसी नेता पर भ्रष्टाचार जैसे कोई आरोप लगें तो उसके बीबी बच्चों को प्रत्याशी बना दिया गया हो !ऐसे अयोग्य प्रत्याशियों को वोट देकर हम लोग पाप क्यों करें ?राजनैतिक दलों के ऐसे पापों में जनता सम्मिलित क्यों हो ?
  राजनीति में सबसे बड़ा दान किसी भी पार्टी के पापी प्रत्याशियों को वोट न देना है !ऐसे लोगों को टिकट देने वाले दलों का बहिष्कार किया जाए !
     मकरसंक्रांति  के पवित्र अवसर पर हाथ में गंगाजल लेकर संकल्प लीजिए कसम खाइए कि इस देश में पाप अब और नहीं होने देंगे और विश्व गुरु भारत को एक बार फिर से विश्व गुरुत्व के पद पर प्रतिष्ठित करेंगे !अपने घरों के मंदिर या तीर्थ क्षेत्र में जाकर कसम खाएँ कि भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए चुनाव लड़ने वाले पापी प्रत्याशियों को पराजित करके पुण्य कमाएँगे  !ऐसे दलों का बहिष्कार करेंगे !
      चुनाव लड़ाए जाने वाले प्रत्याशियों के चरित्र ,शिक्षा,संस्कार और व्यवहार पर क्यों न ध्यान दिया जाए !जो पार्टियाँ ऐसा नहीं करती हैं इसका सीधा सा मतलब है कि वो या तो चुनावी टिकटें बेंच रही हैं या अपने नाते रिश्तेदारों परिचितों को दे रही हैं जो दल ऐसे अलोक तांत्रिक कार्यों में लगे हुए हैं ऐसे दलों के कार्यकर्ता लोगों से निवेदन है कि वे ऐसे लोगों के बहकावे में न आएँ और पैसे एवं परिचय के बल पर चुनावी टिकट पाने वालों का बहिष्कार करें ! उन्हें चुनावों में पराजित करके पुण्य लाभ कमाएँ करें का उन्हीं पार्टियों कार्यकर्ता यदि ऐसा नहीं किया see more....http://sahjchintan.blogspot.in/2017/01/blog-post_8.html

Thursday, 12 January 2017

प्रधानमंत्री जी को दोगला बताने वाले लालू जी !तुम इतना गिर गए !अरे ! माताओं का गौरव गिराने वाले पापी !तुम्हें धिक्कार हो !

लालू जी की गन्दी जबान से निकले ये घिनौने शब्द !
"'दोगले पीएम', - लालू प्रसाद यादव "
       अरे लालू जी !'दोगले' शब्द का अर्थ क्या होता है क्या कभी सोचा है ?  दोगले शब्द का अर्थ होता है वर्णशंकर अर्थात जिसके बाप का भरोसा न हो अर्थात प्रधान मंत्री जी की माँ के चरित्र पर उठाई गई है अँगुली !
      Definition of दोगला (शब्दकोष )

पुं० [फा० दोगलः] [स्त्री० दोगली] १. ऐसा जीव जो दो विभिन्न जातियों या नस्लों के माता-पिता के योग से उत्पन्न हुआ हो। वर्ण-संकर। २. उक्त के आधार पर उत्पन्न होनेवाला ऐसा जीव जो प्रायः कुरूप तथा अशक्त होता है। ३. ऐसा मनुष्य जो अपनी माता के गर्भ से परन्तु उसके उपपति या यार के योग से उत्पन्न हुआ हो। जो ऐसे व्यक्ति की संतान हो जिससे उसकी माता का विवाह न हुआ हो। जारज।see more... http://dict.hinkhoj.com/%E0%A4%A6%E0%A5%8B%E0%A4%97%E0%A4%B2%E0%A4%BE-meaning-in-english.words 
   माँ किसी की भी हो उसके लिए गंगा यमुना से ज्यादा पवित्र होती है जिनके दिए हुए स्नेह को लोग जीवन भर खाजते खोजते मर जाते हैं किन्तु खोज नहीं पाते हैं माँ इस धरती का एक मात्र इस सम्बन्ध है जिसे खोने बाद इस शरीर से दोबारा पाना संभव नहीं होता माँ को दो बार पाने के लिए एक बार मरना पड़ता है । जिस माँ की यादों के सहारे लोग जिंदगी काट लिया करते हैं !ऐसी पवित्रतम माँ जिसकी अभी जीवित हो जिसने लोगों के यहाँ बर्तन माँज माँजकर अपने बच्चों को पाला पोषा हो जिसके दिए हुए संस्कारों के बल पर उनका वही बच्चा आज देश का प्रधान मंत्री बना हो !उस प्रधानमंत्री को दोगला बता रहे हो तो तुम ये उनकी सहन शीलता ही है अन्यथा किसी आम आदमी को इतनी बड़ी बात बोलकर कितने लोग सुरक्षित बच पाते हैं !इसके बाद भी मूर्ख लोग कहते हैं कि मोदी राज में असहिष्णुता बढ़ी है !
     जिनके पवित्र चरित्र ने देश को सुसंस्कारवान ईमानदार प्रधान मंत्री दिया है जिनके चरित्र और ईमानदारी पर विरोधी भी अंगुली नहीं उठा सके हैं जो सर्वाधिक समय देश को अच्छा बनाने के चिंतन में देते हैं जो हर किसी से हाथ जोड़कर विनम्रता पूर्वक बात करते हैं जो अपनों से बड़ों और छोटों के साथ शिष्टाचार पूर्वक बात व्यवहार करते हैं उनकी माँ की पवित्रता पर प्रश्न खड़ा करने वाले चारा चोरी के आरोप में जेल जा चुके पापी इस कहते समय तेरी जीभ कट कर जमीन में गिर जानी चाहिए थी !

Saturday, 7 January 2017

महिलाओं के कपड़े कम करने पर तुले हैं नंगई के कारोबारी जहरीली आँखों वाले कुछ काले लोग !

   नंगों ने इस देश को इतना बर्बाद कर दिया है कि इंसानों को कुत्ते बिल्लियों के श्रेणी में लाना चाह रहे हैं ये लोग !     
   इन्हें इंसानों का भारत अच्छा नहीं लग रहा है ये कुत्तों के देश के रूप में देश को प्रसिद्धि दिलवाना चाहते लगते हैं !ये टुच्चे पापी लोग जबसे बहन बेटियों को हॉट सेक्सी बोल्ड सुपरहॉट जैसे घिनौने शब्दों से संबोधित करने लगे हैं तबसे ही बढ़ी हैं बलात्कार की दुर्घटनाएँ !नंगेपन को प्रोत्साहित करने के लिए इनका बश चले तो ये पुरस्कार बाँटने लगें !
      नंगों के कारण ही ये दुर्दशा हुई है देश की !नंगपन के समर्थक नेताओं अभिनेताओं खिलाड़ियों व्यापारियों शिक्षकों पत्रकारों बुद्धिजीवियों बाबाओं विद्वानों फैशनप्रणेताओं फ़िल्म निर्माताओं का चूँकि अपना चरित्र बिगड़ चुका होता है इसलिए वो चाहते हैं कि सारी  दुनियाँ उन्हीं की तरह रहने बलात्कार प्रिय भावनाओं का अवगाहन करने लगे ताकि वो अपनी आत्मा को ढाढस बँधा सकें कि बलात्कारों में केवल उनकी ही रूचि नहीं है अपितु बहुत लोग उनके बलात्कारी जीवन से प्रेरणा ले रहे हैं और बलात्कारों से ही अपनी रोजी रोटी चला रहे हैं । इससे ऐसे लोगों का अपना भी मनोबल बढ़ जाता है !ये बार बार नए नए शिकार करने लगते हैं । 
    प्रेम प्यार का खेल खेलने वाले  प्रायः सारे लोग शुरू शुरू में  तो बलात्कार भावना से ही ग्रसित होते हैं वो जिसे चाहते हैं किसी भी तरह उसे पा लेना चाहते हैं इसी भावना से उससे बलात्कार करते हैं वो चाहें शारीरिक हो या मानसिक किन्तु ये नंगई का कारोबार करने वालों के पास धन संपत्ति गाड़ी घोड़ा सामाजिक पद प्रतिष्ठा सोर्स सिफारिस आदि सब कुछ होने के कारण ये लोग तमाम प्रकार का लोभ लालच देकर अपने सामने वाले को पटा लेते हैं और अपने बलात्कारी कुकर्म रूपी काले धन को प्यार का नाम देकर सफेद कर लेते हैं इतने ही अपराध के लिए गरीबों के पास लोभ लालच दिखाकर पटाने के लिए कुछ होता नहीं है उन बेचारों को फाँसी पर लटकवा देते हैं ये बलात्कारी नंगपने के समर्थक रईस लोग !
    कपड़े पहनने और न पहनने में क्या कोई फर्क ही नहीं पड़ता है और यदि वास्तव में नहीं पड़ता है तो फिल्मों विज्ञापनों एवं फैशन शो के नाम पर नंगापन परोसा क्यों जा रहा है !जिन  पशुचित्रों अर्थात नंगे अधनंगे  चित्रों को हॉटसीन सेक्सीसीन बोल्डसीन सुपरहॉटसीन आदि कहकर जिन्हें नंगा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है क्या उनकी अपनी आँखें फूटी हैं क्या ?उन्हें ये समझ में क्यों नहीं आता कि नंगा होना यदि इतना ही अच्छा होता और इसमें कोई पुरस्कार मिलने लगता तो पहले  पुरस्कार के हकदार तो कुत्ते बिल्ली जैसे पशु ही होते मनुष्य प्रजाति को ऐसा पुरस्कार पाने का  सपना कभी पूरा नहीं होता !क्योंकि प्रायः फैशन के प्रणेताओं का लक्ष्य समाज को किस्तों में नंगा करना होता है किसी का ब्लाउज काटकर पीठ दिखवाते हैं और किसी की स्लीव !किसी किसी का पैंट फड़वा देते हैं किसी किसी को इतनी टाइट पैंटी पहना देते हैं ताकि वो शर्म से बीच चौराहे पर ही फट जाए !
       किस्तों में नंगा न करके अगर वो एक साथ कर भी दें तो कुछ दिन बाद ऐसे शरीरों या नंगों की कीमत ही समाप्त हो जाएगी फिर कौन देखेगा ही इनकी कुकर्मी भावनाओं के प्रोडक्ट !फिर इन फैशनव्यापारियों के नंगापन बेचने की मार्केट  ही बैठ जाएगी !
      ऐसे नंगपने की कमाई खाने वालों ने ही समाज का बेड़ा गर्क किया है कन्या पूजन करने वाला देश जो कभी कन्याओं को बहन बेटी दीदी माता जी जैसे संबोधनों से सम्मान दिया करता था !वो आज उन्हें मैडम बुलाता है जिस देश में शरीरों के बासनात्मक उभारों को देखने दिखाने से बचना सिखाया जाता था आत्मसंयम सिखाया जाता था तब लोग श्रद्धापूर्वक बहन जी कहा करते थे उनके शरीरों की प्रकृति ही बिकाऊपन की नहीं हुआ करती थी वो महान महिलाएँ मलमूत्रांगों एवं मांसल सौन्दर्य की जगह अपने सदाचरण,संस्कारों एवं गुणों के गौरव के बलपर समाज का माथा झुका लिया करती थीं अपने चरणों पर !
   चूँकि अपने चरित्र की रक्षा करना उन्हें स्वयं पसंद होता था इसलिए इस देश के गिद्ध भी प्राण न्योछावर कर दिया करते थे उनके लिए ! रामायण और महाभारत जैसे महान  संग्राम देश की इस पवित्र भावना के गवाह हैं !जिनके हाव भाव वेषभूषा आदि से ये लगेगा ही नहीं कि चरित्र बचाकर रखने का उनके मन में कोई महत्त्व भी है ऐसे लोगों की दिखावटी रक्षा के लिए कोई अपने प्राण न्योछावर क्यों करे !क्योंकि ऐसे लोगों को एक जगह यदि बचा भी लिया जाए तो वो दूसरी जगह वही करेंगे !ऐसी परिस्थिति में ऐसे लोगों के लिए अपना बलिदान देने से पुण्य लाभ की आशा भी तो नहीं होती है !इसलिए राहों चौराहों पर भी हो रही हैं छेड़ छाड़ की घटनाएँ !
    ब्यूटी पार्लर कौन कितना अच्छा है इसका मूल्यांकन जब इस दृष्टि से किया जाने लगे कि जिसके यहाँ पेंट पोताई करवाने से जितने ज्यादा लोग छेड़ते हैं वो उतना अच्छा ब्यूटी पार्लर और ऐसे ब्यूटीपार्लरों में खर्च होने वाला पैसा सार्थक ही तभी माना जाता है जब कोई छेड़े !ऐसे लोगों के साथ होने वाली छेड़ छड़ की घटनाओं में अक्सर देखा जाता है कि छेड़ने वाले से ज्यादा योगदान छेड़वाने वाले का होता है !
     अपने शरीरों की नुमाइस लगाकर औरों की आँखों में पट्टियाँ नहीं बाँधी जा सकतीं !जिसे लगता है कि हमें कोई देखे नहीं तके नहीं छुए नहीं उन्हें भी अपने शरीरों को देखने तकने के लिए परोसना बंद करना होगा !यदि वो अपने को छूने नहीं देना चाहते तो उन्हें भी अपने को छुआने की भावना पर लगाम लगानी होगी !दूसरों को दिखा दिखाकर रसगुल्ले खाने खिलाने की आदत उन्हें भी छोड़नी होगी !अक्सर मेट्रो पार्कों पार्किंगों कूड़ादानों के पास कुत्तों बिल्लियों की तरह श्वानमुद्रा में खड़े लोगों की छेड़ छाड़ का विरोध समाज इसलिए नहीं करता हैं क्योंकि श्वानसंस्कारों में छेड़ छाड़ के विरोध करने की परम्परा ही नहीं है सामूहिक जगहों पर शर्मशार कर देने वाली हरकतें करने की परंपरा मानव जाति में कभी रही ही नहीं है आज तो मेट्रों में कई कांड  होते रहते हैं ऐसे सार्वजनिक स्थलों में चूमने चाटने चिपकने की अधिकांश दुर्घटनाएँ होती ही उन्हीं की ओर से हैं जिन्हें लोगों को देखने ताकने  छूने से आपत्ति है । आचार इतने गंदे और आशा सीता अनसूया जैसा सम्मान पाने की !
     ऐसे नंगों ने आम समाज का जीना दूभर कर दिया है महिलाओं बच्चियों का घरों से निकलना दिनों दिन मुश्किल होता जा रहा है उनका पढ़ना लिखना काम काज करना सब कुछ मुश्किल होता जा रहा है जो बच्चियां अपने पौरुष और पराक्रम के बलपर अपनी प्रतिभाओं का विस्तार कर सकती हैं देश की यश पताका वैश्विक व्योम में फैला  सकती हैं जो अपने परिवारों का सहारा बन सकती हैं जो व्यवसायिक काम काज में सशक्त सहभागिता निभा सकती हैं ऐसे पवित्र संस्कारों वाली बहनों बेटियों माताओं को भी उसी दृष्टि से देखने लगे हैं पापी लोग ! अब तो लोगों की पहचान ही मिटती जा रही है और मुट्ठी भर पापी जोड़ों या लोगों के कारण बहुत बड़े महिलासमाज को अपनी सभी प्रकार की इच्छाओं का दमन करके घुट घुट कर जिंदगी ढोनी पड़ रही है !सदाचारी पुरुषों को अपमानित होना पड़ रहा हैं जब होता है तब महिला सुरक्षा का प्रश्न उठने लगता है किंतु इस वाक्य का मतलब ही पुरुषों को संदेह के घेरे में ला खड़ा करना होता है ऐसी परिस्थिति में भले लोग कहाँ किसे और क्यों सफाई देते घूमें कि वे वैसे नहीं हैं जैसा उन्हें समझा  जा रहा है । 
    महिला शरीरों के महान महत्त्व को समझने वाली महिलाएँ पुरुषों की बराबरी कर ही नहीं सकतीं !
 "पुरुष अकेले घूम सकते हैं तो 'मैं क्यों अकेले नहीं घूम सकती ?-एक महिला कार्यकर्त्री"
      देवी ! आपको अकेले घूमने से रोकता कौन है वो आपकी शारीरिक ,सामाजिक एवं सरकारी परिस्थितियाँ ही हैं जो आपको अकेले आने जाने से रोकती हैं !
   सब्जी वाले रेड़ी पर सब्जी लादे गली गली भटकते बेचते दिन भर देखे जाते हैं किंतु किसी हीरा बेचने वाले जौहरी को कभी रेड़ी  पर हीरा लादकर बेचते देखा है क्या ?दूसरी बात क्या हीरा बेचने वाला कोई व्यक्ति कभी सब्जी बेचने वाले से अपनी तुलना करते देखा जाता है क्या ? 
  जो ऐसा करेगा वो मरेगा !क्योंकि जो वस्तु जितनी अलभ्य होती है उसे पाने के लिए लोग उतना ही बड़ा बलिदान देने को तैयार रहते हैं अपनी बासनास्पद को पाने के लिए जो लोग जीवन का मोह छोड़कर आत्म हत्या करने लगते हैं अर्थात मारने से नहीं डरते हैं वे पुलिस से क्या डरेंगे !
    कामी अर्थात सेक्सालु पुरुषों के लिए महिला शरीर कितने अलभ्य होते हैं इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सेक्स की इच्छापूर्ति के जतन में लगे कामांध लोग महिलाशरीरों के शवों से भी दुष्कर्म करते देखे जाते हैं दो दो महीने की बच्चियों को भी नहीं छोड़ते !स्त्रीलिंग पशुओं तक को नहीं छोड़ते !ऐसे कामांध लोग महिलाओं के सजे धजे युवा शरीरों को बक्स देंगे क्या !वो  भी उट पटांग आधे चौथाई कपड़े पहनकर तरह तरह से शरीर दिखाने की शौकीन महिलाओं के तो इरादों पर ही कभी कभी शक होने लगता है कि क्या वे वास्तव में अपनी सुरक्षा चाहती हैं ! वो भी सरकारी कानून के भरोसे !सरकारी कामकाज की जिम्मेदारियों को निभाने का सच जानते हुए भी । 
      जिस देश में हर प्रकार के अपराधों को करने के लिए सरकारी विभागों से काम करवाने वाले दलालों ने अघोषित रेटलिस्ट बना रखी हो कि किस अपराध को करने के लिए किसको कितने पैसे देकर बचा जा सकता है !जिसमें जितने पैसे खर्च कर सकने की क्षमता हो वो उतना बड़ा अपराध कर सकता है !देश में ईमानदारी के बड़े बड़े दम्भ भरने वाली सरकारें आईं किन्तु सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों के प्रति आम अपराधी की इस मानसिकता को तोड़ने में वो अभी तक असफल रही हैं उस देश में  कानून के भरोसे जो महिलाएँ अपनी सुरक्षा करवाना चाहती हैं वे अंधेले में हैं ।
    नोट बंदी अभियान को ही ले लें प्रधानमंत्री जी जनता से 50 दिन माँगने के लिए गिड़गिड़ाते रहे और सरकार के अपने कर्मचारियों ने सबसे पहले उन्हीं कालेधन वालों के गोदामों के बोरे सफेद किए जिनके विरुद्ध प्रधानमंत्री जी ने युद्ध छेड़ रखा था !जिनसे 50 दिन की मोहलत माँगी जा रही थी वे दो दो हजार के लिए दम तोड़ रहे थे !
     इसे सरकारी भ्रष्ट तंत्र की कार्यशैली का छोटा सा सैंपल माना जाए या फिर सरकार के अपने कर्मचारियों की सरकार को सीधी चुनौती माना जाए !कि हे प्रधान मंत्री जी तुम हमें घूस लेकर भ्रष्टाचार करने से नहीं रोक सकते !अब इसे PM साहब चुनौती न मानें तो और बात है । 
     जिस देश में कानून के रखवाले प्रधानमंत्री की योजनाओं की ऐसे धज्जियाँ उड़ा देते हों उस देश में सरकारी सुरक्षा के बलपर आधुनिकता और फैशन परस्त महिलाओं को अपनी सुरक्षा की बागडोर स्वयं अपने हाथ में सँभालनी चाहिए और यदि सुरक्षित रहने का  इरादा वास्तव में हो तो जैसे रहन सहन आचार व्यवहार में अपनी सुरक्षा संभव हो वैसा ही रहन सहन स्वयं बनाकर चलने का व्रत लें !
      

 

Tuesday, 3 January 2017

सपा के समाप्ति की ओर बढ़ते कदम !इसे आत्महत्या नहीं तो क्या कहा जाए !

 सपा को नेता जी ही चलाएँगे या फिर पार्टी इस चुनाव में हारेगी तब सपाइयों का दिमाग हल्का होगा !
   टिकट के लालच में भीड़ लगाने वाले नेताओं को अखिलेश मान रहे हैं अपना समर्थक किंतु उन्हें जहाँ टिकट मिलेगी वहाँ जाएँगे उनका किसी अखिलेश से कोई संबंध नहीं है !वैसे भी जो नेता बाप के नहीं हुए वे आपके कैसे हो जाएंगे !बुढ़ापे में धोखा देने वाले इन नेताओं को पहचानिए और पिता से सम्बन्ध सुधारिए !अन्यथा भावुकता प्रधान उत्तर प्रदेश पिता के द्रोही को पसंद नहीं करेगा और बुरी तरह ऐसी पार्टी  दफन कर देगा !

        सरकार बनने की सुगंध पाकर अखिलेश के पीछे पूँछ हिलाने वाले स्वार्थी नेता लोग अपने इन कुसंस्कारों से क्या प्रदेश वासियों को प्रभावित कर सकेंगे और पा  सकेंगे वोट !ऐसे नेताओं के बलपर क्या सपा बना पाएगी सरकार ?जनता की नज़रों से गिर चुके हैं ये स्वार्थी सपाई !जो लोग नेता जी की इच्छा का सम्मान  नहीं कर सके ऐसे संस्कार भ्रष्ट लोग प्रदेशवासियों की सेवा क्या खाक करेंगे !
      वर्तमान परिस्थिति में समाजवादी पार्टी को बनाए और बचाये रखने के लिए इससे उत्तम दूसरा कोई विकल्प था ही नहीं कि अखिलेश को केवल मुख्यमंत्री रहना चाहिए बाकी सारे निर्णयों का अधिकार नेता जी के पास ही होना चाहिए !वर्तमान परिस्थिति में सभी को साथ लेकर चलने का जितना अच्छा दायित्व नेता जी निभा सकते हैं उतना अच्छा अखिलेश नहीं निभा सकते हैं सत्ता से हटने के बाद कितने लोग जुड़े रहेंगे अखिलेश के साथ जबकि सत्ता से हटने के बाद भी मुलायमसिंह जी का वजूद कभी घटा नहीं है !इसलिए नेता जी की बुढौती को चुनौती देना कतई ठीक नहीं होगा !अभी भी अखिलेश के लिए सर्वोत्तम सलाह यही है कि उन्हें पिता के निर्णय के आगे अभी भी सिर झुका देना चाहिए और मुख्यमंत्री बने रहना चाहिए इसमें उनका कुछ घटेगा नहीं बिरासत की चाभी अखिलेश के पास ही बनी रहेगी और मुख्यमंत्री पद की प्रतिष्ठा उन्हीं के पास बनी रहेगी ! इसके अलावा अखिलेश यदि कोई भी दूसरा विकल्प चुनते हैं तो उससे बहुत सारी सीटें जीत कर भी अपना बहुत बड़ा नुक्सान कर लेंगे अखिलेश !उनकी सौम्य छवि ,विनम्र स्वभाव,संस्कारवान व्यक्तित्व एवं मधुर भाषण शैली आदि सद्गुणों के कारण ही उनकी प्रतिष्ठा बनी है केवल मुख्यमंत्री होने के कारण नहीं इसलिए उन्हें अपनी स्थापित छवि के अनुकूल ही आचरण करना चाहिए उनके लिए भी लाभप्रद होगा !पार्टी के अंदर अखिलेश के गुप्त विरोधियों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही थी अखिलेश केवल टिकटार्थियों के अस्थाई समर्थन की चकाचौंध में खोए हुए थे इसलिए नेताजी को निभाना पड़ा प्रखर पितृत्व का सक्षम दायित्व ! ज्योतिषीय दृष्टि से मैंने भी कुछ ऐसी ही सलाह लिखकर चार पत्र डाक के द्वारा श्री नेता जी के पास भेजे थे संभव है कि ऐसा निर्णय लेने में हमारे सुझावों का भी कुछ असर रहा हो जिन्हें पढ़ने के लिए आप भी इस लिंक पर क्लिक करें और एकबार जरूर पढ़ेंsee more....http://bharatjagrana.blogspot.in/2016/12/blog-post_29.html

Monday, 2 January 2017

जातियों धर्मों के नाम पर चुनाव लड़ना बंद हुआ तो ठठुआ नेता फिर कैसे लड़ेंगे चुनाव !

  ब्राह्मणों पर शोषण करने का आरोप लगाकर चुनाव  जीतने वाले नेतालोग अब सुधर जाएँ !सतयुग आने वाला है !शिक्षित सदाचारी ईमानदार लोगों को तो कोई दिक्कत नहीं होगी किंतु राजनीति में ऐसे भले लोग होते कितने हैं ! 
      अपनी योग्यता ईमानदारी ,जन सेवा और सदाचरण के बल पर चुनाव जीतने की हिम्मत रखने वाले नेताओं की संख्या राजनैतिक पार्टियों में है कितनी !राजनैतिक पार्टियों के मालिक लोग चरित्रवान सदाचारी ईमानदार लोगों को अपनी पार्टियों में सम्मिलित करने में इसीलिए डरते हैं क्योंकि उन्हें पता होता है कि ये बेईमानी न करेगा न करने देगा !इसलिए भले लोगों को राजनैतिक पार्टियों में नेता लोग घुसने ही नहीं देते !किसी नेता पर भ्रष्टाचार जैसे कोई आरोप लगें उसके बीबी बच्चों को पद देकर उनका चेहरा दिखाकर माँग लिए जाते हैं वोट !वैसे भी राजनेता चुनाव लड़ने के लिए अपनी सीटें रिजर्व कर लेते हैं अपने रिस्तेदारों परिवार वालों को सीटें रिजर्व कर लेते हैं अपने को पैसे देकर सीटें खरीदने वालों की सीटें रिजर्व कर लेते हैं इसके बाद आता है कार्यकर्ताओं का नंबर !किन्तु आमजनता का चुनाव लड़ने लायक कभी नंबर ही नहीं आता है वो तो तालियाँ बजाने के लिए भीड़ लगाने के लिए वोट देने के लिए होती है नेता लोग इसके अलावा आम जनता में से बड़े बड़े ज्ञानी गुणवान योग्य परिश्रमी और ईमानदार लोगों को राजनीति में आने कौन देता है थोड़े बहुत लोग जुगाड़ लगाकर घुस भी आए तो डरा धमका कर बैठा दिए जाते हैं !
      
राजनैतिकदलों में चर्चा करने समझने तथा अपनी बात कहने और दूसरों के विचार सहने योग्य विचारवान कई लोग राजनैतिक दलों में किन्नरों जैसा उपेक्षित जीवन जीने के लिए मजबूर कर दिए गए हैं हैं वे शिक्षित समझदार अनुभवी एवं जीवंत नेता लोग हैं !किंतु वे अपने इमानधर्म को भी महत्त्व देना चाहते हैं वे अपनी आत्मा की आवाज भी सुनना चाहते हैं इसलिए उनकी उपेक्षा करके राजनैतिक दलों के मालिकों की पहली पसंद होते हैं नेताओं की बीबी बहन बेटियाँ बच्चे एवं नाते रिस्तेदार आदि दूसरी पसंद होते हैं पैसे वाले वे लोग जो पार्टी के मालिक की जेब भर सकते हैं तीसरी पसंद होते हैं पार्टी मालिकों के इशारे पर सदनों में हुल्लड़ मचाने वाले लोग !चर्चा करने की योग्यता रखने वाले लोगों को पसंद कौन करता है उन्हें चुनावी टिकट या पार्टी का पदाधिकार देना कौन चाहता है पार्टी के पदों और चुनावी प्रत्याशियों के रूप में तो अपने और अपनों को ही देखना चाहते हैं नेता लोग !

     संसद चर्चा का मंच है किंतु अशिक्षा अल्पशिक्षा  अयोग्यता या अनुभव हीनता के कारण जो सदस्य लोग उस चर्चा में चाह कर भी भाग न ले पा रहे हों वे सदन में शांत कब तक बैठे रहें वे  कुर्सी छोड़कर समय पास करने बाहर निकल जाएँ ! या कुर्सी पर बैठे बैठे सोवें या मोबाईल फोन में वीडियो देखें या अपनी पार्टी के मालिक का इशारा पाकर तब तक हुल्लड़ मचाते रहें जब तक मालिक चुप रहने को न कहे आखिर वे क्या करें !सदन की सार गर्भित चर्चाओं में जो बोलने और समझने की योग्यता न रखते हों सदनों की कार्यवाही न चलने के लिए वे कितने दोषी माने जाएँ उनमें जितनी योग्यता है उससे अधिक अपेक्षा उनसे कैसे की जा सकती है और चाह कर भी उस पर वे खरे कैसे उतरें !
     
अयोग्य लोग सदनों में जाकर वहाँ की कार्यवाही रोक ही सकते हैं चलाना तो उनके बश का होता नहीं है कार्यवाही चलाने अर्थात चर्चा के लिए जो शिक्षा समझ अनुभव चाहिए वो उनके पास होता नहीं है और दूसरों के अच्छे विचारों को मानने एवं अपने विचारों को विनम्रता पूर्वक औरों को मना लेने की प्रतिभा नहीं होती है वो बेचारे ज्ञानदुर्बल लोग चर्चा कैसे करें !सदनों में चर्चा करना आसान होता है क्या ?
       जिस राजनीति में शिक्षा की अनिवार्यता न हो समझ सदाचरण एवं अनुभव का महत्त्व ही न हो केवल अपनों को या पैसे वालों को या प्रसिद्ध लोगों को पद प्रतिष्ठा एवं चुनावी टिकट बाँटे जाने लगे हों वो संसद में आवें या न आवें ! चर्चा करने और समझने की योग्यता रखते हों या न रखते हों वो कुर्सियों पर बैठ के सोवें या समय पास करने के लिए बाहर चले जाएँ या संसद की कार्यवाही के समय ही अपने मोबाईल पर वीडियो देखने लगें या अपने पार्टी मालिकों का आदेश पाकर हुल्लड़ मचाने लगें !किंतु संसद में चर्चा करने और समझने की योग्यता यदि उनमें नहीं है तो वो संसद कीsee more.... http://samayvigyan.blogspot.in/2016/12/blog-post.html

Sunday, 1 January 2017

अखिलेश का भविष्य दाँव पर लगा !नेता जी ही सपा हैं उनके बिना पतन प्रारंभ !!

 अखिलेश जी ! जो नेता लोग आज आपके बाप के नहीं हुए वे आपके क्या होंगे !बुढ़ापे में धोखा !
        सरकार बनने की सुगंध पाकर अखिलेश के पीछे पूँछ हिलाने वाले स्वार्थी नेता लोग अपने इन कुसंस्कारों से क्या प्रदेश वासियों को प्रभावित कर सकेंगे और पा  सकेंगे वोट !ऐसे नेताओं के बलपर क्या सपा बना पाएगी सरकार ?जनता की नज़रों से गिर चुके हैं ये स्वार्थी सपाई !जो लोग नेता जी की इच्छा का सम्मान  नहीं कर सके ऐसे संस्कार भ्रष्ट लोग प्रदेशवासियों की सेवा क्या खाक करेंगे !
      वर्तमान परिस्थिति में समाजवादी पार्टी को बनाए और बचाये रखने के लिए इससे उत्तम दूसरा कोई विकल्प था ही नहीं कि अखिलेश को केवल मुख्यमंत्री रहना चाहिए बाकी सारे निर्णयों का अधिकार नेता जी के पास ही होना चाहिए !वर्तमान परिस्थिति में सभी को साथ लेकर चलने का जितना अच्छा दायित्व नेता जी निभा सकते हैं उतना अच्छा अखिलेश नहीं निभा सकते हैं सत्ता से हटने के बाद कितने लोग जुड़े रहेंगे अखिलेश के साथ जबकि सत्ता से हटने के बाद भी मुलायमसिंह जी का वजूद कभी घटा नहीं है !इसलिए नेता जी की बुढौती को चुनौती देना कतई ठीक नहीं होगा !अभी भी अखिलेश के लिए सर्वोत्तम सलाह यही है कि उन्हें पिता के निर्णय के आगे अभी भी सिर झुका देना चाहिए और मुख्यमंत्री बने रहना चाहिए इसमें उनका कुछ घटेगा नहीं बिरासत की चाभी अखिलेश के पास ही बनी रहेगी और मुख्यमंत्री पद की प्रतिष्ठा उन्हीं के पास बनी रहेगी ! इसके अलावा अखिलेश यदि कोई भी दूसरा विकल्प चुनते हैं तो उससे बहुत सारी सीटें जीत कर भी अपना बहुत बड़ा नुक्सान कर लेंगे अखिलेश !उनकी सौम्य छवि ,विनम्र स्वभाव,संस्कारवान व्यक्तित्व एवं मधुर भाषण शैली आदि सद्गुणों के कारण ही उनकी प्रतिष्ठा बनी है केवल मुख्यमंत्री होने के कारण नहीं इसलिए उन्हें अपनी स्थापित छवि के अनुकूल ही आचरण करना चाहिए उनके लिए भी लाभप्रद होगा !पार्टी के अंदर अखिलेश के गुप्त विरोधियों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही थी अखिलेश केवल टिकटार्थियों के अस्थाई समर्थन की चकाचौंध में खोए हुए थे इसलिए नेताजी को निभाना पड़ा प्रखर पितृत्व का सक्षम दायित्व ! ज्योतिषीय दृष्टि से मैंने भी कुछ ऐसी ही सलाह लिखकर चार पत्र डाक के द्वारा श्री नेता जी के पास भेजे थे संभव है कि ऐसा निर्णय लेने में हमारे सुझावों का भी कुछ असर रहा हो जिन्हें पढ़ने के लिए आप भी इस लिंक पर क्लिक करें और एकबार जरूर पढ़ेंsee more....http://bharatjagrana.blogspot.in/2016/12/blog-post_29.html