Friday, 31 January 2014

संन्यास से सत्यानाश के पथ पर ...! कलियुगी वैराग्य !

साम्राज्य ! क्या यही वैराग्य है क्या इसीलिए घर द्वार छोड़ने का नाटक किया गया था ! 

     यह संन्यास से सत्यानाश की यात्रा तीन चरणों में प्रारम्भ होती है

     

    काले मन - वैराग्य को धोने के लिए लोग महात्मा बनते हैं किन्तु पूर्व जन्म के पाप की अधिकता से भजन में मन नहीं लगता है!अब घर गृहस्थी में वापस जा नहीं सकते अब क्या करना चाहिए !

  इसके लिए वैराग्य परमावश्यक होता है रामदेव भी पहले महात्मा बने वो अभी बन भी नहीं पाए थे कि काले तन अर्थात अस्वस्थ  शरीरों को मुद्दा बना लिया। यदि वो महात्मा नहीं बन पाए थे तो संतोष कि चलो बेशक प्राच्यविद्याओं के विद्वान न हों किंतु योग आदि का नाम तो प्रचारित हो  ही रहा है।
 अब बात काले धन की, अरबों  रूपयों की कमाई ईमानदारी पूर्वक इतनी जल्दी वो भी बिना किसी व्यापार के नहीं की जा सकती। यदि किसी ने कमाए हैं वो भी महात्मा होकर फिर भी वो अपने को ईमानदार कहे ये तो बहुत बड़ा झूठ है। संविधान कहे न कहे किंतु शास्त्रीय संविधान तो सन्यासी के धनसंग्रह को पाप मानता है,शास्त्र तो इस धन संग्रह को कालाधन ही मानेगा।अब आप स्वयं सोचिए अरबों रूपयों की भूख रखने वाला व्यक्ति यदि अपने को वैरागी कहता हो तो ये उसी तरह है जैसे कोई पण्यबधू अर्थात वेश्या अपने को पतिव्रता कहे एवं बहुत बच्चों का बाप अपने को ब्रह्मचारी बतावे। यह कितना विश्वसनीय होगा? सोचने की आवश्यकता है।
     इसी प्रकार बाबा जी योग के नाम पर केवल आसन सिखाते रहे और योग शिविरों एवं टी.वी. चैनलों आदि पर बड़े-बड़े भयंकर रोगों की लंबी लंबी लिस्टें न केवल पढ़ते रहे अपितु उन्हें ठीक करने का दावा भी ठोंकते रहे। उनके दावे कितने सच हैं? सरकार ने कभी यह जानने के लिए मेरी जानकारी में तो कोई ऐसा चिकित्सकीय जाँच दल गठित नहीं किया जिससे जनता के सामने सारी सच्चाई आती। यदि बाबा जी के दावों में दम थी तो उन्हें और अधिक प्रोत्साहित किया जाना चाहिए था और यदि ये वास्तव में पाखंडी थे तो उचित कार्यवाही करके जनता को बचाने का दायित्व भी तो सरकार का ही था। कालेधन से धनी बाबा ने भविष्य में अपने धन की सुरक्षा के लिए काले धन  को ही मुद्दा बना लिया।संभवतः सोचा होगा कुछ तक सांसद यदि अपने बन गए तो किसी प्रतिकूल कार्यवाही के समय संसद में शोर मचाने के काम आएँगे।
  फिर भी यदि बाबा रामदेव या उनके लोग गलत थे तो उनकी निष्पक्ष जॉंच पहले ही क्यों नहीं की गयी? उनसे दूरी बनाकर क्यों नहीं रहा गया? उन्हें मनाने के लिए मंत्री क्यों भेजे गए ? क्या मिलजुल कर देश  को लूटने का समझौता करने का बिचार था ? आखिर इस सरकारी घबड़ाहट का इशारा किस ओर है ? स्वतंत्र भारत में सर्वाधिक समय तक सत्ता में रहने वाला दल भ्रष्टाचार में कहीं स्वयं को ही तो सबसे अधिक संलिप्त नहीं मान रहा है?

Tuesday, 28 January 2014

काँग्रेस का चमत्कार ! आठ विधायकों से चली महीने भर दिल्ली की सरकार !

     दिल्ली की सरकार का एक महीना पूरा होने पर बधाई ! किन्तु किसको ?

        दिल्ली सरकार को ! किन्तु दिल्ली वासियों को तो लग ही नहीं रहा है कि यहाँ कोई सरकार  भी है कोई नौसिखिया सीख रहा है यह बात और है !

   फिर बधाई चुप रहकर सब कुछ सहने वाली दिल्ली की जनता को दें क्या ?किन्तु उसके पास और विकल्प ही क्या है!

    फिर बधाई भाजपा को दें क्या ?किन्तु भाजपा करे भी तो क्या !वो आपस में ही कुछ वैसी है दिल्ली में सरकार बनाने के लिए जैसी नहीं होनी चाहिए यदि वो इस लायक ही होती तो क्यों इस तरह बनती दिल्ली की सरकार? फिर तो उसी तरह बन सकती थी जैसी जरूरी थी !

   फिर तो पक्का है कि बधाई  काँग्रेस की ही बनती है जानिए क्यों ? 

     अपने आठ विधायकों के बल पर काँग्रेस ने दिल्ली में जब सरकार चलानी प्रारम्भ की तो अबकी बार उसे एक नए प्रकार की समस्या का सामना करना पड़  रहा  है उसे एक मुख्यमंत्री भी खोजना पड़ा !खैर !! 

    काँग्रेस के लिए तो केजरीवाल जी दिल्ली के लिए छोटे से मन मोहन सिंह जैसे ही हैं जैसे वो शांत हैं वैसे  ये भी शांत हो गए हैं आज केजरी वाल जी काँग्रेस के सारे दोष भूल गए से लगते हैं किसी के भ्रष्टाचार की अभी तक कोई फाइल खुली ही नहीं या तो केजरी वाल ने उन पर झूठे आरोप लगाए होंगे या फिर जाँच कराने में डर रहे होंगे !और डरना भी चाहिए क्योंकि केजरीवाल जी आज सरकार में हैं जहाँ ईमानदारी से काम कर पाना काफी कठिन होता है और यदि थोडा भी ऐसा वैसा हुआ तो जाँच  की बड़ी एजेंसियाँ उन्हीं के हाथ में हैं क्या पता कब क्या हो जाए !बड़े बड़े लोगों को निर्भीकता पूर्वक ललकारने वाली सपा और बसपा जैसी पार्टियाँ एवं लालू जी जैसे शूरमा आज भी अपने समर्थन से जिनकी आरती उतारा करते हैं आखिर केजरीवाल जी भी पढ़े लिखे तो हैं ही अफ्सर रह चुके हैं समझदारी से काम ले रहे हैं आखिर अपने से बड़े बूढ़े विद्वान प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह जी से सीख लेने में बुराई भी क्या है कि काँग्रेस में केवल एक परिवार ही बोलता है बाकी सब सुनते हैं ,उनके इशारे   पर देश की राजनीति करवट बदलती है!

     उनसे बिना पूछे तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई पुलिस से जबान लड़ाने की! तुम्हारे मंत्री की ताकत क्या है दिल्ली के दरोगाओं पर अंगुली उठाने की! तुम्हारे प्रदर्शन का मतलब क्या है यहाँ बात पुलिस की है ही नहीं !यह केस तो सीधा सा एक परिवार के अनुशासन की अवलेहना का बनता है ,इसलिए दिल्ली पुलिस के विरोध में बैठने जैसी अपनी धृष्टता का एहसास करते हुए अपना अनशन छोड़कर भाग जाओ अन्यथा काँग्रेस के लट्ठ में इतनी ताकत है कि बड़े बड़े बाबाओं के अनशन तुड़ा देती है! अनशन करने वाले लोग इतना घबड़ा जाते हैं कि बस मोदी! मोदी! करने लगते हैं उसके अलावा काँग्रेस के कोप से और बचा भी कौन सकता है?खैर! अच्छा हुआ अनशन छोड़ दिया यह कहते हुए छोड़ा कि दिल्ली की जनता की विजय हुई है लोगों ने भी राहत की साँस ली है किसी भी प्रदेश के मुख्य मंत्री के सम्मान से जनता का भी स्वाभिमान जुड़ा होता है चलो बात नहीं मानी गई तो नहीं सही सम्मान तो बचा लिया ,ठीक भी रहा -"जान बची लाखों पाए ,लौट के …!"

       खैर,काँग्रेस की दृष्टि से भी ठीक ही रहा अब तक का 'आप'का कार्यकाल ! काँग्रेस अच्छा एवं प्रभावी 'आप'को कुछ करने नहीं देगी और यदि कुछ 'आप' कर भी पाए तो उसका श्रेय या तो काँग्रेस स्वयं लेगी आखिर सरकार उसने अपने लिए बनवाई है अन्यथा वो काम होने नहीं देगी।पुलिस वालों को सस्पेंड छोड़िए ट्रांसफर भी नहीं करा पाए आप !आखिर इससे क्या नुक्सान हो जाता केवल यही न कि 'आप'का सम्मान बन जाता इसलिए ऐसा क्यों करे काँग्रेस !     

     केजरी वाल जी !यदि आप अपने स्वाभिमान की रक्षा के लिए त्यागपत्र दे देते तो वो कहते कि आप कुछ कर नहीं पाए इसलिए सरकार छोड़कर भाग गए !जब आपने त्यागपत्र नहीं दिया तो भाजपा आप को पद लोलुप कहे  जा रही  है !खैर आपकी  सरकार बनने से एक फायदा भाजपा को हुआ है कि चिरंतन मौन रहने वाले  भाजपा के कृत्रिम मुख्यमंत्री भी अब चीघने चिल्लाने लगे हैं किसी की नमस्ते का जवाब न देने वाले लोग भी अब सुधरना चाह रहे हैं किन्तु केजरी वाल की नक़ल करने का आरोप न लग जाए ये संकोच भी है फिर भी नए लोगों से मिलने पर ऐसे लोग भी हँसने मुसुकुराने का अभ्यास करते दिखने लगे हैं चलो सुधार तो हो रहा है उम्र में अपने से छोटों से भी गुण लेने में बुराई क्या है !खैर जो भी हो हम तो सामान्य नागरिक हैं हमें किसी के विषय में क्या कहना !

      मुख्य विषय तो यह है कि केजरीवाल जी को भी काँग्रेस केवल आँकड़े ही देने देगी मनमोहन सिंह जी की तरह जो आम जनता के शिर के  ऊपर से निकल जाएँगे जिससे जनता को प्रत्यक्ष लाभ कुछ मिलना नहीं है और उसका रुष्ट होना स्वाभाविक भी है!

       काँग्रेस  दूसरी ओर केजरीवाल को इस लिए भी फँसाकर रखना चाहती है कि अनशन धरना प्रदर्शन आदि के  आदी  केजरीवाल जी यदि खाली रहेंगे तो पूरे देश में घूम घूम कर भ्रष्टाचार का शोर मचाएँगे इससे सत्तासीन पार्टी काँग्रेस की ही जड़ें काटेंगे ऐसे मुख्यमंत्री नाम के पद पिंजरे में बंद करके इन्हें यदि दिल्ली में ही कैद करके रख लेंगें तो पूरे देश में छीछालेदर होने से बचाव हो जाएगा !धन्य है काँग्रेस !जो हो सो हमारी ओर से दिल्ली की सरकार का एक महीना पूरा होने पर बधाई !

   आखिर क्या मिला केजरीवाल  को ?कष्ट और पश्चात्ताप!!!काँग्रेस की भंवर में फँसी है "आप" 

 जस  जस  सुरसा  बदन  बढ़ावा । तासु   दून कपि  रूप  दिखावा ॥ 

  शत जोजन तेहि आनन कीन्हा।अति लघु रूप पवनसुत लीन्हा॥  

                काँग्रेस और केजरी वाल


       काँग्रेस के समर्थन का मतलब ही होता है दुम हिलाना और गाली खाना! जहाँ तक सरकार चलाने की बात हैकाँग्रेस का समर्थन लेकर आज तक कोई सरकार चला पाया हो तो केजरीवाल भी चला लेंगे !

   काँग्रेस से समर्थन लेने वाले केजरीवाल नए तो हैं नहीं !ऐसे तो पहले भी लोग प्रधानमंत्री आदि बन चुके हैं जिनके शिर पर मुकुट दुबारा नहीं लग पाया अब केजरी वाल रगड़े जा रहे हैं आखिर यों ही कोई मुख्यमंत्री धरने के नाम पर रोड़ों पर नहीं तड़पता है !जिन केजरीवाल का सब कुछ दाँव पर लगा है वो धरना न दें क्या बाँसुरी   बजावें? काँग्रेस ये तो स्वप्न में भी नहीं होने देगी कि केजरीवाल कुछ कर पाएँ  या करते हुए दिखें!जहाँ तक जनता से किए गए वायदे पूरे करने की बात है तो अपना वायदा पूरा करते हुए तो काँग्रेस के लोग ही अच्छे लगते हैं !ये क्या वायदे पूरे करेगी बेचारी आम आदमी पार्टी  कहीं की !

       खैर, देखना अब यह है कि आम आदमी पार्टी अब काँग्रेस का ग्रास  बनती है कि बचती है ?अर्थात केजरी वाल को काँग्रेस अपने चंगुल में फँसा पाएगी या नहीं !क्योंकि श्री चौधरी चरण सिंह जी,श्री चन्द्र शेखर जी, श्री देवगौड़ा जी ,श्री इंद्र कुमार गुजराल जी काँग्रेस के समर्थन से ही प्रधान मंत्री बने थे । श्री देवगौड़ा जी की जगह श्री इंद्र कुमार गुजराल जी को कैसे बनाया गया था प्रधान मंत्री सबने देखा है ?जब संयुक्त मोर्चा की सरकार का केवल सिर बदला गया था !कैसे भूलेगा देश काँग्रेस के समर्थन देने की शैली को ?

      काँग्रेस जिसे  समर्थन देती है वह चाहे अनचाहे उसका ग्रास बन ही जाता है काँग्रेस किसी दल के साथ कितना भी बुरा बर्ताव क्यों न करे किन्तु जब वह धर्म निरपेक्षता की मौहर बजाने लगती है तब बड़े बड़े मणियारे  बिषैले राजनैतिक दल फन फैला फैला कर नाचते नजर आते हैं!        

       सम्भवतः इसीलिए आम आदमी पार्टी को काँग्रेस जैसे जैसे समर्थन, सुविधाएँ एवं समाधान देती जा रही है वैसे वैसे केजरी वाल न केवल अपनी शर्तें एवं शंकाएँ बढ़ाते जा रहे हैं अपितु पैर एवं दायरा भी फैलाते जा रहे हैं।

      रामायण में एक प्रसंग आता है कि जब हनुमान जी लंका की ओर बढ़ रहे थे  उसी समय सर्पों की माता सुरसा आती है और हनुमान जी को अपने मुख में रखना चाहती है हनुमान जी जैसे जैसे अपना शरीर बढ़ाते हैं वैसे वैसे सुरसा अपना मुख बढ़ाते जाती है ।वही हालात आज दिल्ली की राजनीति में पैदा हो गए हैं काँग्रेस जैसे जैसे केजरीवाल का साथ देने और शर्तें मानने की घोषणा करती चली जा रही है अरविन्द  केजरीवाल जी वैसे वैसे अपनी शर्तों का पिटारा खोलते  चले जा रहे हैं।

     आखिर ऐसा करें भी क्यों न केजरीवाल  जी? वे तो शर्तों के साक्षात समुद्र हैं वे तो कभी भी कोई भी कहीं भी कैसी भी नई से नई शर्त का नया पिटारा खोल सकते हैं!अब केजरी वाल सरकार बना सकते हैं 

केजरीवाल का इंकार काँग्रेस का फिर भी समर्थन !इतनी उदार !!!

               देखो बन रही है "आप" की सरकार  

  •  सुना है कि आम आदमी पार्टी के लोग कहते हैं कि यदि उनकी सर कार बनी तो "भाजपा और काँग्रेस वाले जेल जाएँगे!"

      अरविन्द केजरीवाल का यह कहना कितना न्यायोचित है कि भाजपा और काँग्रेस वाले जेल जाएँगे ! इन दलों में जो ईमानदार लोग हैं क्या ये उनका अपमान नहीं है?यदि आप  पार्टी सरकार में आती  तो जाँच कराती  उसमें जिसके साथ जो होना होता  सो होता किन्तु बिना जाँच के सबको जेल भेजने की बात करना कौन सी बुद्धि मानी है इसे आप  की बकवास क्यों न मानी जाए ?

  • सुना है कि आम आदमी पार्टी काँग्रेस को विश्वासघाती मानती है -

 आम आदमी पार्टी  का काँग्रेस को विश्वासघाती कहना कितना उचित है जिस दाल पर बैठना है उसी को काटना यह कौन सी बुद्धि मानी है जबकि वो काँग्रेस ही   मुख्यमंत्री पद तक पहुँचाने का जोर शोर से समर्थन कर रही है !आम आदमी पार्टी के  इन वर्त्तमान कालिदासों की यह राजनैतिक अपरिपक्वता नहीं तो इसे और क्या कहा जाएगा  ?

  • सुना है कि आम आदमी पार्टी  के नेता जी काँग्रेस को दोमुँहा साँप मानते हैं -

यदि काँग्रेस दोमुँहा साँप है तो काँग्रेस का एक मुख तो उसका अपना है जबकि  उसका दूसरा मुख तो  आम आदमी पार्टी ही है संभवतः इसी लिए विरोधी लोग आम आदमी पार्टी को काँग्रेस की बी पार्टी मानते हैं !

  •  सुना है  आम आदमी पार्टी की सरकार बनने पर बधाई काँग्रेस को ही दी जाएगी !

        बधाई उसकी ही बनती भी  है क्योंकि इसमें वास्तविक तरक्की तो काँग्रेस की ही होगी इसलिए आम आदमी पार्टी की सरकार बनने पर बधाई तो काँग्रेस को ही देनी होगी क्योंकि पहले उसका मुख्यमंत्री था अब काँग्रेस होगी मुख्यमंत्री की बॉस !

  • सुना है आम आदमी पार्टी के नेता अरविन्द केजरीवाल जी ने सुरक्षा लेने से लिए मना  कर दिया है 

           मेरी समझ में यह कदम उन्होंने अच्छा उठाया है क्योंकि काँग्रेस के लोग न जाने कब समर्थन वापस लेकर इनका उपहास उड़ाने लगें !और जब सरकार चलती दिखाई पड़ेगी  तब  किसी बहाने से ले ली जाएगी सुरक्षा, वो तो अपने हाथ की बात होगी ,यदि सरकार नहीं चलती है तो सौ कैरेट शुद्ध आम आदमी बने रहेंगे अरविन्द केजरीवाल जी इसमें क्या संदेह है ! उनका यह आम आदमियत्व  दूसरे चुनावों में भी खूब फूले फलेगा !

  •  सुना है कि केजरी वाल की सरकार से काँग्रेस का कोई लेना देना नहीं होगा यह सरकार केवल आम आदमी पार्टी की होगी -

        यह आम आदमी पार्टी की सरकार बनेगी या नहीं बनेगी, चलेगी या नहीं चलेगी, चलेगी तो कब तक चलेगी आदि इन सब प्रश्नों पर तो आम आदमी पार्टी की सरकार काँग्रेस के ही आधीन रहेगी बात अलग है कि इस बात को वो मानें या न मानें ! यदि काँग्रेस के समर्थन से आम आदमी पार्टी की सरकार  बनती है तो बधाई आम आदमी पार्टी को कैसे दी जा सकती है बधाई तो काँग्रेस की ही बनती है ? क्योंकि अभी तक तो काँग्रेस पार्टी की मुख्य मंत्री ही थीं अब तो मुख्य मंत्री आम आदमी पार्टी का होगा किन्तु उसका बॉस तो काँग्रेस का ही होगा जिसकी कृपा पर यह सरकार टिकी होगी इस लिए आम आदमी पार्टी की सरकार बनने पर वास्तविक  पदोन्नति तो काँग्रेस की ही हुई तब मुख्य मंत्री तो अब मुख्य मंत्री की बॉस !बधाई हो काँग्रेस को बधाई !!!

      सुना है कि 'आप' का मानना है कि काँग्रेस और भाजपा के नेता ईमानदार नहीं हैं किसी भी पार्टी के नेता की ईमानदारी का निर्णय अब केवल आम आदमी पार्टी के लोग ही करेंगे !

     श्री अन्ना हजारे जी ने  अपनी जिस पूर्व टीम पर संदेह किया हो  वो विश्वसनीय कैसे हैं ? ईमानदारी और राष्ट्र निष्ठा के प्रति जीवन समर्पित करने वाले समाज सुधारक श्री अन्ना हजारे जी जिन आप नेताओं के आचरण पर अंगुली उठा चुके हों उन्हें ईमानदार कैसे माना जाए जब तक वे अच्छा कुछ करके दिखाते नहीं हैं यदि वो अच्छा करने में सफल हों तो सौ सौ बधाइयाँ किन्तु बिना कुछ किए ही सबको बेईमान कहने लगना उन लोगों के शैक्षणिक जीवन के गौरव के भी अनुकूल नहीं है। 

  •  सुना है  आम आदमी पार्टी काँग्रेस और भाजपा नेताओं को भ्रष्ट मानती है -

          काँग्रेस और भाजपा के नेताओं को बेईमान कहने वाले आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं में हिम्मत है तो अटल अडवाणी जोशी जी जैसे महान नेताओं के जीवन पर भ्रष्टाचार का कोई दाग दिखा दें इन  नेताओं का क्या व्यक्तित्व है क्या जीवन दर्शन है क्या आदर्श है ! ये ईमानदार मूर्ति हैं  इस भ्रष्टाचार के युग में भी ऐसे अच्छे नेता अन्यदलों में भी हैं जिनके जीवन के कुछ सिद्धांत हैं जिनसे वे समझौता नहीं कर सकते । ऐसे सभी दलों के लोग ,मीडिया के लोग व अन्य भी देश विदेश के लोग ईमानदारी के विषय में जिनके उदाहरण देते हों उन्हें ईमानदार न मानने वाला कोई व्यक्ति  कैसे ईमानदार हो सकता है इसका मतलब ईमानदारी के विषय में उसकी अपनी अलग मनगढंत परिभाषा है जिसे मानना हर किसी के लिए जरूरी नहीं है वो अपनी कल्पना में कुछ भी हो जाए !

          ईमानदार सरकार अटल जी की थी 

       अटल जी की सरकार एक वोट से गिरी थी तब भी ख़रीदे जा सकते थे वोट ? 

अरविन्द केजरी वाल जैसी बातें ... ! कोई राजनेता कैसे कर सकता है ?
       अभी अभी आगामी चुनावों की कन्वेसिंग जैसी करते हुए अरविन्द केजरीवाल को देखा गया इससे अच्छा अवसर अपनी ईमानदारी और दूसरों को बेईमान प्रचारित करने का और कौन हो सकता है? सभी पार्टियों को इसी बहाने बिना कहे बेईमान सिद्ध कर दिया गया ये गलत बात है सारे विश्व ने अटल जी की अल्पमत सरकार को देखा था जब एक वोट से सरकार गिरी थी उस समय भी मंडी में माल बहुत था किन्तु भाजपा चाहती तो एक सीट खरीदकर अपना प्रधान मंत्री बचा सकती थी किन्तु ऐसा नहीं किया गया इससे अधिक ज्वलंत उदाहरण और क्या हो सकता है ?अरविंद की भाषा में एक बहुत बड़ा दोष यह है कि वो दूसरे को बेईमान सिद्ध करके अपने को ईमानदार बताते हैं जबकि अपनी और अपने दल कि अच्छाइयां बताना जैसे आपका अधिकार है उसी प्रकार अन्य दलों के भी अपने अपने अधिकार हैं
      इसीप्रकार कोई दल किसी और के एजेंडे को सम्पूर्ण रूप से कैसे स्वीकार कर ले आखिर उसे इतना कमजोर सिद्ध करने का प्रयास क्यों किया जा रहा है ?दुबारा सम्भवित चुनावी खर्च के बोझ से दिल्ली की जनता को बचाने के लिए बड़ी पार्टियों ने जो उदारता दिखाई है उसका दुरूपयोग कर रहे है अरविन्द !

 

          "अरविन्द केजरीवाल की अन्नाहजारे से नहीं बनी तो अरविन्द सिंह लवली से कैसे बनेगी ? - ज्योतिष"
अ अक्षर के कारण बिगड़े अन्ना और अरविन्द के आपसी सम्बन्ध फिर मिला वही अ अक्षर अरविन्द सिंह लवली कब तक चल पाएगा यह सरकार बनाने का जुगाड़ ?
अन्नाहजारे-अरविंदकेजरीवाल-असीम त्रिवेदी- अग्निवेष- अरूण जेटली - अभिषेकमनुसिंघवीमें
जब अरविन्द केजरीवाल की अन्ना हजारे, अग्निवेश, अमित त्रिवेदी आदि किसी अ अक्षर से प्रारम्भ नाम वाले की पटरी नहीं खा सकी तो अरविन्द सिंह लवली से कब तक सम्बन्ध चल पाएँगे कहा ही नहीं जा   see more...http://snvajpayee.blogspot.in/2013/12/blog-post_1451.html

"काँग्रेस का समर्थन केजरीवाल का इनकार !ऐसे कैसे बनेगी सरकार ?"

 काँग्रेस के समर्थन से चली सरकारों का अनुभव कभी अच्छा नहीं रहा! see more ...http://bharatjagrana.blogspot.in/2013/12/blog-post_19.htmlअब केजरी वाल सरकार बना सकते हैं -धन्यवाद

Saturday, 25 January 2014

नमस्ते चोर नेताओं को खतरा है केजरीवाल से ....! इसलिए अब भाजपा के सुधरने का समय !

आम लोगों से  बात करने में तौहीन समझने वाले भाजपाई अब आम लोगों से किस मुख से करें  बात एवं  कैसे माँगें  वोट ?

   केजरीवाल की चर्चा तो बहुत है मीडिया ने इस ईमानदार विभूति की बात विदेशों तक फैला भी खूब रखी है किन्तु उन्होंने किया आखिर क्या है ऐसी कौन सी हमदर्दी की है दिल्ली की जनता के साथ? 
    इतना सब कुछ होने के बाद भी केजरीवाल जी का बर्चस्व जैसा  कुछ भी समाज में बिलकुल नहीं है और इसलिए लोक सभा चुनावों में भी केजरीवाल जी कोई करिश्मा करने नहीं जा रहे हैं। बात साफ है कि दिल्ली से लेकर सारे देश में लुटी पिटी काँग्रेस ने अन्य प्रदेशों की तरह ही दिल्ली में भी आम आदमी पार्टी के रूप में अपनी एक फीडर पार्टी तैयार करना प्रारंभ कर दिया है जैसे -बिहार में लालू प्रसाद जी की पार्टी ,यू.पी.में सपा बसपा के मुलायम और मायावती जी जैसे लोग जो चुनावों के समय काँग्रेस की आलोचना एवं जनता का पक्ष ले करके पहले औने पौने में जनता से वोट हासिल कर लेते हैं फिर अपनी अपनी शर्तों पर काँग्रेस की शरण में पहुँच जाते हैं


दिल्ली भाजपा के आपसी कलह  के कारण कई जगह से ऐसे प्रत्याशी बनाए गए जो चुनाव जीतने लायक थे ही नहीं वो कागजी शेर पराजित होने ही थे सो हुए परिणाम सवरूप भाजपा को बहुमत से दूर रहना था सो रही। जो मतदाता काँग्रेस से तो दुखी था ही और भाजपा के न जीतने योग्य कार्यकर्त्ता को वोट देना उसने ठीक नहीं समझा अब वो अपना वोट कुँए में डालना चाह रहा था तो आम आदमी पार्टी को दे दिया । इससे आम आदमी के साथ वो भाजपा को मिलने वाली सीटें भी जुड़ गईं तो उनकी सीटें बढ़नी ही थीं सो बढ़ गईं । इसमें केजरीवाल का कमाल क्या है जो उनकी प्रशंसा में कसीदे पढ़े जा रहे हैं। भाजपा ने   उत्तर प्रदेश में पहली बार मायावती को प्रत्यक्ष समर्थन देकर वहाँ से अपना पत्ता काट लिया दूसरी बार आपस में ही एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए न चाहते हुए भी अप्रत्यक्ष रूप से केजरीवाल जैसे नेताओं को फायदा पहुँचाया है कुछ भी हो केजरीवाल के नाम के साथ मुख्यमंत्री तो लगवा ही दिया ! इसका श्रेय भाजपा को ही जाता है अब मायावती की तरह ही दिल्ली में भाजपा को ही चोट पहुँचाएँगे केजरीवाल!अभी भी भाजपा यदि अटल अडवाणी जी के स्वभाव और शैली से प्रेरणा लेकर आगे बढे तो भाजपा का कुछ नहीं बिगाड़ पाएँगे केजरीवाल!  केजरीवाल  का अभी तक न कहीं विस्तार है और न कहीं चमत्कारिक विस्तार होगा ।दिल्ली  


     

भाजपा पर समाज का भरोसा बढ़े आखिर कैसे?

स्वयंभू नीति नियामकों से बचना होगा भाजपा को!
   भाजपा के कथनानुसार दूसरी पार्टियाँ और उनके नेता तो भ्रष्टाचार में लिप्त हैं ये बात मान ली गई और यह भी मान लिया गया कि वे दल सरकार में रहने के बाद भी कुछ अच्छा करने में सफल नहीं हो सके हैं जहाँ तक राहुल और सोनियां गांधी जी का प्रश्न है माना  जा सकता है कि उन्हें सत्ता चलाने का अनुभव नहीं है सोनियां गांधी जी विदेशी हैं यह भी सर्व विदित है वो राजनीति करती हैं इसमें उनका दोष क्या है! अपने पति एवं पिता के काम को ही प्रायः सभी लोग जीवन का आधार बनाते हैं वही राहुल और सोनियां गांधी जी ने किया है वह बात और है कि जनता साथ न देती तो हो सकता है कि वो लोग कुछ और धंधा चुनते !किन्तु जनता ने एक बार नहीं अपितु दो दो बार उन्हें सरकार बनाने में  सहयोग दिया । जहाँ तक बात मनमोहन सिंह जी की है पहलीबार तो उन्हें अचानक ही प्रधान मंत्री बना दिया गया था  किन्तु दूसरी बार तो उनका नाम घोषित करके ही चुनाव लड़ा गया था फिर भी जनता का सहयोग उन्हें मिला और वे प्रधानमंत्री बने !काँग्रेस या अन्य विरोधी पार्टियों में लाख कमियाँ रही हों किन्तु जनता का विश्वास जीतने में वे क्यों और कैसे कामयाब हुए इस बात पर गम्भीर चिंतन किया जाना चाहिए उसके अनुशार बनाई गई रणनीति ही भाजपा के लिए चुनावी विजय  व्यवस्था  में सहायक होगी !इस विषय में मुझ समेत कई भाजपा समर्थक चिंतकों का मानना है कि चुनावी प्रचार  अभियान में भाजपा अपने विरोधियों की आलोचना करने एवं उनकी कमियां ढूंढने में जो ताकत एवं समय लगाती है उसका उपयोग यदि देश वासियों को अपनी नीतियाँ समझाने एवं उन्हें अपनी कही हुई बातों पर भरोसा दिलाने में करे तो शायद इसका लाभ अधिक उठाया जा सकता है ।
   भाजपा को समझना होगा कि अपने को अच्छा सिद्ध करने के लिए दूसरे को गलत सिद्ध करना ही जरूरी नहीं होता है और न ही यही एक मात्र उपाय है अपितु अपने को अच्छा सिद्ध करने के लिए अपने  जन हितकारी कार्यक्रम जनता के सामने परोसे जाएँ उन पर जनता का भरोसा जीतना जरूरी है ! क्योंकि भाजपा अपनी बारी की प्रतीक्षा करते करते पिछले कई चुनावों से जनता की अदालत में अनुपस्थित सी होती रही है बिना विशेष तयारी के भाजपा चुनाव लड़ने की केवल खाना पूर्ति मात्र करती रही है,इसीलिए अतीत में पार्टी की छवि दिनोंदिन धूमिल होती चली गई किन्तु  अब जनता की अदालत में सेवा भावना से भाजपा को भी  अपनी  हाजिरी लगानी ही होगी!जिसका प्रयास परिश्रम पूर्वक अब भाजपा कर भी रही है इसके अच्छे परिणाम भी दिखेंगे ऐसी आशा रखनी भी चाहिए इसलिए अब भाजपा को किसी की शर्त के सामने घुटने नहीं टेकने चाहिए!केवलअपने कार्यकर्ताओं के समर्पण बल पर चुनाव लड़ना चाहिए।बाबा बैरागी या फिल्मी अभिनेताओं की गुड़बिल के पीछे खड़े होकर  चुनावों में जीत जाने पर भी पार्टी के स्वाभिमान या आत्म सम्मान के तौर पर न जाने क्यों भाजपा हार ही जाती है इसीलिए उसकी अपनी छवि में निखार नहीं आ पाता है। इससे पार्टी पर वो लोग हमेंशा अपनी धौंस चलाना चाहते हैं जिन्होंने भाजपा को जिताने का मिथ्या बहम पाल रखा होता है।वैसे भी पार्टी अपने कार्यकर्ताओं के कठोर परिश्रम से ही जीतती है किन्तु जब पार्टी से असम्बद्ध लोग भाजपा की नीतियों को  हाइजेक करके भाजपा के ही माथे पर उसी की नीतियाँ अपने नाम से मढ़ने लगते हैं जिसे  सुन कर भी मौन रह जाता है पार्टी का शीर्ष नेतृत्व !
    ऐसी गतिविधियों से पार्टी के प्रति दशकों से समर्पित कार्यकर्ता अपने को अपमानित महसूस करने लगते हैं इसलिए किसी आगन्तुक सैलिब्रेटी का सहयोग लेने में कोई बुराई नहीं है किन्तु उसके समर्थक थोड़े से वोटों के लालच में उसी के हवाले पार्टी करने की अपेक्षा उचित होगा कि बड़े मुद्दों पर भाजपा के अपने कार्यकर्ताओं की भी रायसुमारी हो !इस प्रकार की विनम्र भाजपा यदि समाज में जाएगी तो आम आदमी पार्टी का औचित्य ही क्या रह जाएगा !
      कुछ हो न हो किन्तु भाजपा को एक बात तो समाज के सामने स्पष्ट कर ही देनी  चाहिए कि उसे आम समाज के सहारे चलना है या साधू या सैलिब्रेटी समाज के ? जो चरित्रवान विरक्त तपस्वी एवं शास्त्रीय स्वाध्यायी संत हैं उनके धर्म एवं वैदुष्य में सेवा भावना से सहायक होकर विनम्रता से साधुओं का आशीर्वाद लेना एवं उनकी समाज सुधार की शास्त्रीय बातों विचारों के समर्थन में सहयोग देना ये और बात है! सच्चे साधू संत भी अपने धर्म कर्म में सहयोगी दलों नेताओं व्यक्तियों कार्यक्रमों में साथ देते ही  हैं किन्तु उसके लिए कोई शर्त रखे और वो मानी जाए ये परंपरा किसी भी राजनैतिक दल के लिए  ठीक नहीं है !
        विदेश से कालाधन लाने जैसी भ्रष्टाचार निरोधक लोकप्रिय योजनाओं के लिए भाजपा को स्वयं अपने कार्यक्रम न केवल बनाने अपितु घोषित भी करने चाहिए ताकि ऐसी योजनाओं का श्रेय केवल भाजपा और उसके लिए दिन रात कार्य करने वाले उसके परिश्रमी कार्यकर्ताओं को मिले।वो भाजपा की पहचान में सम्मिलित हो जिन्हें लेकर दुबारा समाज में जाने लायक  कार्यकर्ता बनें उनका मनोबल बढ़े !अन्यथा कुछ योजनाओं का श्रेय नाम देव ले जाएँगे कुछ का कामदेव और कुछ का वामदेव! भाजपा के पास अपने लिए एवं अपने कार्यकर्ताओं के लिए बचेगा क्या ? ऐसे तो दस लोग और मिल जाएँगे वो भी अपने अपने दो दो मुद्दे भाजपा को पकड़ा कर चले जाएँगे भाजपा उन्हें ढोती फिरे श्रेय वो लोग लेते रहें ।
      इसलिए भाजपा को मुद्दे अपने बनाने चाहिए उनके आधार पर समर्थन माँगना चाहिए । अब यह समाज ढुलममुल भाजपा का साथ छोड़कर अपितु सशक्त भाजपा का  ही साथ देना चाहता है।
        इसके अलावा जो ऐसी शर्तें रखते हैं ऐसे लोगों के अपने समर्थक कितने हैं और वो उनका कितना साथ देते हैं यह उनके आन्दोलनों  में देखा जा चुका है किसी ने पुलिस के विरोध में एक दिन धरना प्रदर्शन भी नहीं किया था सब भाग गए थे ।
        दूसरी बात संदिग्ध साधुओं की विरक्तता पर अब सवाल उठने लगे हैं अब  लोग किसी बाबा की अविरक्तता  सहने को तैयार नहीं हैं किसी भी व्यापारी या ब्याभिचारी बाबा से अधिक संपर्क इस समय लोग नहीं बना  रहे  हैं सम्भवतः इसीलिए कथा कीर्तन भी दिनोदिन घटते जा रहे हैं ।
       इसलिए भाजपा समर्थकों का भाजपा से निवेदन है कि वो अपने मुद्दों पर ही समाज से समर्थन माँगे तो बेहतर होगा !

 

Tuesday, 21 January 2014

क्या यही सीख कर आए हैं नेता जी ?

     आजम अय्याशी करने नहीं, सीखने गए थे कि आखिर कैसे बनाते हैं कूड़े से बिजली-आजतक

      यदि कुछ सीखने ही भेजना था तो क्या जवान विद्यार्थियों की कमी थी उन्हें भेजा जाना चाहिए था जो लम्बे समय तक देश के काम भी आते !बूढ़े तोते कूड़े से बिजली बनाना सीखने गए कहीं उलटा पुल्टा न सीख आए हों जो बिजली का कूड़ा कबाड़ा करने लगें !
     वैसे भी ,जो नेता सभ्यता से बोलना नहीं सीख पाए क्या वो सीखेंगे बिजली बनाना !कुछ सीखने के लिए विनम्र बनना  पड़ता है जिसकी इनसे उमींद नहीं की जा सकती !इसलिए देश की गरीब जनता की गाढ़ी  कमाई चाहें जहाँ लुटा आएँ  किन्तु कुछ सीख कर आएँगे हमें तो लगता नहीं !फिर भी हो सकता है कि अंधे के हाथ बटेर लग ही गई हो !

जनता जानना चाहती है कि भाजपा का अपना संकल्प क्या है ?

  स्वयंभू नीति नियामकों से बचना होगा भाजपा को!

    अपनी बारी की प्रतीक्षा करते करते पिछले कई चुनावों से जनता की अदालत में अनुपस्थित सी होती रही भाजपा चुनाव लड़ने की केवल खाना पूर्ति मात्र करती रही है,इसीलिए पार्टी की छवि दिनोंदिन धूमिल होती चली गई किन्तु  अब जनता की अदालत में सेवा भावना से भाजपा को भी  अपनी  हाजिरी लगानी ही होगी!अब भाजपा को किसी की शर्त के सामने घुटने नहीं टेकने चाहिए!केवलअपने कार्यकर्ताओं के समर्पण बल पर चुनाव लड़ना चाहिए।बाबा बैरागी या फिल्मी अभिनेताओं की गुड़बिल के पीछे खड़े होकर  चुनावों में जीत जाने पर भी पार्टी के स्वाभिमान या आत्म सम्मान के तौर पर न जाने क्यों भाजपा हार ही जाती है इसीलिए उसकी अपनी छवि में निखार नहीं आ पाता है। इससे पार्टी पर वो लोग हमेंशा अपनी धौंस चलाना चाहते हैं जिन्होंने भाजपा को जिताने का मिथ्या बहम पाल रखा होता है।वैसे भी पार्टी अपने कार्यकर्ताओं के कठोर परिश्रम से ही जीतती है किन्तु जब पार्टी से असम्बद्ध लोग भाजपा की नीतियों को  हाइजेक करके भाजपा के ही माथे पर उसी की नीतियाँ अपने नाम से मढ़ने लगते हैं जिसे  सुन कर भी मौन रह जाता है पार्टी का शीर्ष नेतृत्व !

    ऐसी गतिविधियों से पार्टी के प्रति दशकों से समर्पित कार्यकर्ता अपने को अपमानित महसूस करने लगते हैं इसलिए किसी आगन्तुक सैलिब्रेटी का सहयोग लेने में कोई बुराई नहीं है किन्तु उसके समर्थक थोड़े से वोटों के लालच में उसी के हवाले पार्टी करने की अपेक्षा उचित होगा कि बड़े मुद्दों पर भाजपा के अपने कार्यकर्ताओं की भी रायसुमारी हो !इस प्रकार की विनम्र भाजपा यदि समाज में जाएगी तो आम आदमी पार्टी का औचित्य ही क्या रह जाएगा !

      कुछ हो न हो किन्तु भाजपा को एक बात तो समाज के सामने स्पष्ट कर ही देनी  चाहिए कि उसे आम समाज के सहारे चलना है या साधू या सैलिब्रेटी समाज के ? जो चरित्रवान विरक्त तपस्वी एवं शास्त्रीय स्वाध्यायी संत हैं उनके धर्म एवं वैदुष्य में सेवा भावना से सहायक होकर विनम्रता से साधुओं का आशीर्वाद लेना एवं उनकी समाज सुधार की शास्त्रीय बातों विचारों के समर्थन में सहयोग देना ये और बात है! सच्चे साधू संत भी अपने धर्म कर्म में सहयोगी दलों नेताओं व्यक्तियों कार्यक्रमों में साथ देते ही  हैं किन्तु उसके लिए कोई शर्त रखे और वो मानी जाए ये परंपरा किसी भी राजनैतिक दल के लिए  ठीक नहीं है ! 

        विदेश से कालाधन लाने जैसी भ्रष्टाचार निरोधक लोकप्रिय योजनाओं के लिए भाजपा को स्वयं अपने कार्यक्रम न केवल बनाने अपितु घोषित भी करने चाहिए ताकि ऐसी योजनाओं का श्रेय केवल भाजपा और उसके लिए दिन रात कार्य करने वाले उसके परिश्रमी कार्यकर्ताओं को मिले।वो भाजपा की पहचान में सम्मिलित हो जिन्हें लेकर दुबारा समाज में जाने लायक  कार्यकर्ता बनें उनका मनोबल बढ़े !अन्यथा कुछ योजनाओं का श्रेय नाम देव ले जाएँगे कुछ का कामदेव और कुछ का वामदेव! भाजपा के पास अपने लिए एवं अपने कार्यकर्ताओं के लिए बचेगा क्या ? ऐसे तो दस लोग और मिल जाएँगे वो भी अपने अपने दो दो मुद्दे भाजपा को पकड़ा कर चले जाएँगे भाजपा उन्हें ढोती फिरे श्रेय वो लोग लेते रहें ।

      इसलिए भाजपा को मुद्दे अपने बनाने चाहिए उनके आधार पर समर्थन माँगना चाहिए । अब यह समाज ढुलममुल भाजपा का साथ छोड़कर अपितु सशक्त भाजपा का  ही साथ देना चाहता है। 

        इसके अलावा जो ऐसी शर्तें रखते हैं ऐसे लोगों के अपने समर्थक कितने हैं और वो उनका कितना साथ देते हैं यह उनके आन्दोलनों  में देखा जा चुका है किसी ने पुलिस के विरोध में एक दिन धरना प्रदर्शन भी नहीं किया था सब भाग गए थे । 

        दूसरी बात संदिग्ध साधुओं की विरक्तता पर अब सवाल उठने लगे हैं अब  लोग किसी बाबा की अविरक्तता  सहने को तैयार नहीं हैं किसी भी व्यापारी या ब्याभिचारी बाबा से अधिक संपर्क इस समय लोग नहीं बना  रहे  हैं सम्भवतः इसीलिए कथा कीर्तन भी दिनोदिन घटते जा रहे हैं ।

       इसलिए भाजपा समर्थकों का भाजपा से निवेदन है कि वो अपने मुद्दों पर ही समाज से समर्थन माँगे तो बेहतर होगा !



श्रृद्धा पुरुष माननीय श्री अटल जी को कोटिशः प्रणाम !

  युग पुरुष  माननीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी  के उत्तम स्वास्थ्य के लिए अनंतानंत शुभ कामनाएँ -ईश्वर उन्हें स्वस्थ प्रसन्न तथा दीर्घायुष्यवान  करे 

 रखना सुरक्षित स्वस्थ  जीवन प्रसन्न सदा 

                   देश की धरोहर इस अमित निशानी को

त्याग के तागों से निर्मित कलेवर यह 

                    अमर बना रहे ये सत्य कवि  बानी हो

ईश्वर अनंत यश देता रहे आपको 

                   अटल! तुम्हारी अमितायु जिंदगानी हो

गरिमा मय जीवन सदैव रहे आपका 

                 अंत में कलंक मुक्त मंजुल कहानी हो ॥ 1 ॥

 कामना हमारी है ये कुशल रहो सदैव

                          ईश्वर कृपा करे जो सबका सहारा है। 

देश ने प्रशासकों के घृणित घोटाले देख 

                     आपसे व्रती को आर्त  होकर पुकारा है ॥

भूल मत जाना तुम भूषण हो भारत के 

                      मातृ भूमि के लिए ही जीवन सँवारा है। 

अटल! अटल सदैव जीवन तुम्हारा रहे 
                    भारती वसुंधरा पे सबका दुलारा है ॥2 ॥

त्याग के सभी का मोह राष्ट्र निर्माण हेतु 

                   भारतीय  क्षितिज में अटल सितारा था। 

स्वार्थ पे न ध्यान सदा ध्येय परमार्थ रहा 

                    देश के लिए ही निज जीवन उतारा था॥ 

लूटते स्वशासकों के घृणित घोटाले देख 

                      राष्ट्र की सुरक्षा हेतु शासन सँवारा  था। 

रो चला था देश देख आपकी  विनम्रता को 

                  तेरह दिनों का ताज हँसके उतार था ॥3 ॥ 

 जीवन का सारा भाग भारती की सेवा हेतु 

                 सौंप दिया जिसने समस्त सुख विसार के। 

 धैर्य धर्म सत्यता समाज के हितों का ध्यान 

                         रखते रहे सदैव त्याग के आधार पे ॥

 साधना  चरित्र वा पवित्र राष्ट्र सेवा की जो 

                   आज लौं  बचा रखी है चढ़ के भी धार पे । 

चाहते तो जाते सिद्धांत सरकार नहीं 

                 बिकने के लिए लोग तब भी तैयार थे ॥4॥                                                  - कारगिल विजय से


आदरणीय अटल जी जब प्रधानमंत्री थे तो एक दिन उनसे बात करने और अपनी काव्य पुस्तक कारगिल विजय भेंट करने एवं कविताएँ सुनाने का सौभाग्य मुझे मिला इतने व्यस्त जीवन में भी कितना तन्मय होकर वो सुन रहे थे हमारी रचनाएँ! उनकी टिप्पणियाँ  मुझे आज भी याद हैं देश एवं समाज के प्रति कितना अपनापन  है उनमें !वास्तव में वो राष्ट्र निष्ठा के समुद्र हैं साथ में भाजपा सांसद श्री श्याम बिहारी मिश्र जी एवं एक और पंडित जी थे जब मैं कविताएँ सुनाने लगा तो वो न केवल सुन रहे थे अपितु टिप्पणियाँ भी करते जा रहे थे । जब मैंने उनसे निवेदन किया कि आपके आदर्श जीवन को कोई आम आदमी समझना चाहे तो क्या पढ़े कितना पढ़े तो वो हँसने लगे और कहा -

         न भीतो मरणादस्मि केवलं दूषितो यशः । 

   अर्थात मैं मृत्यु से भयभीत नहीं हूँ केवल यश दूषित होने से डरता हूँ !

       हमारे द्वारा लिखी गई कारगिल विजय पुस्तक की श्री अटल जी से सम्बंधित कुछ और रचनाएँ -

  जेनेवा में भेजे जाने के लिए -

  चाह के भी सत्ता पक्ष खोज न विकल्प सका 

               अटल को भेजना ही एक मात्र चारा था ।

सबकी निगाहें ढूँढ़ते न थकती थीं जिसे 

         बुद्धिजीवियों कि भावनाओं का सितारा था ॥

  विज्ञ नरसिंह राव से प्रबुद्ध शासक ने

                      अपने ही मुख से कह गुरू पुकारा था  ।

कैसे छिनाया गया ताज उस शासक से 

     जो सौ करोड़ हिंदुओं कि आस का सहारा था ॥1॥

आपस में बढ़ते विवादों से विषाक्त विश्व 

                 चुने चुने नायकों का भारी अखारा था।

विश्व की विभूतियाँ न रौंद दें हमारा मान

          ध्यान था सभी का देश चिंतित बिचारा था॥

सौ करोड़ हिंदुओं कि आश का सहारा था जो 

             अटल बिहारी वहाँ प्रतिनिधि हमारा था । 

उससे छिनाया था ताज पद लोलुपों ने 

        जाकर जेनेवा जो न हारा  ललकारा था ॥ 2 ॥    

 भारत को शक्तिवान मान ले विशाल विश्व 

              करके परमाणु विस्फोट जो दहाड़ा  था। 

शोर सुन घोर चीत्कार उठे रौद्र राष्ट्र 

              जिनकी बहादुरी का बजता नगाड़ा था ॥

मान के कँगाल हमें कोटि प्रतिबन्ध किए

            पहले के शासकों की भीरुता को ताड़ा था । 

किन्तु पाला  पड़ा था आज अटल बिहारी जी से 

             डटे निःशंक और सबको लताड़ा था ॥ 3 ॥

                                                - कारगिल विजय से 

केजरीवाल जी !यदि अबकी बार भी किसी को बहुमत नहीं मिला तो मिला तो क्या लेंगे फिर से काँग्रेस का समर्थन !

  केजरीवाल जी धरना न दें तो क्या बाँसुरी बजावें ?उनका  सब कुछ तो दिल्ली के सहारे ही दाँव पर लगा है !वाराणसी तो है नहीं जो छोड़ कर चले जाएँगे ये तो दिल्ली है !

 काँग्रेस का समर्थन और केजरीवाल का इंकार,फिर भी मिलजुलकर चला ली 49 दिन सरकार!

 जस  जस  सुरसा  बदन  बढ़ावा । तासु   दून कपि  रूप  दिखावा ॥ 

  शत जोजन तेहि आनन कीन्हा।अति लघु रूप पवनसुत लीन्हा॥  


                काँग्रेस और केजरी वाल  का स्नेह !


       काँग्रेस के समर्थन का मतलब ही होता है दुम हिलाना और गाली खाना! जहाँ तक सरकार चलाने की बात हैकाँग्रेस का समर्थन लेकर आज तक कोई सरकार चला पाया हो तो केजरीवाल भी चला लेंगे !



   काँग्रेस से समर्थन लेने वाले केजरीवाल नए तो हैं नहीं !ऐसे तो पहले भी लोग प्रधानमंत्री आदि बन चुके हैं जिनके शिर पर मुकुट दुबारा नहीं लग पाया अब केजरी वाल रगड़े जा रहे हैं आखिर यों ही कोई मुख्यमंत्री धरने के नाम पर रोड़ों पर नहीं तड़पता है !जिन केजरीवाल का सब कुछ दाँव पर लगा है वो धरना न दें क्या बाँसुरी   बजावें? काँग्रेस ये तो स्वप्न में भी नहीं होने देगी कि केजरीवाल कुछ कर पाएँ  या करते हुए दिखें!जहाँ तक जनता से किए गए वायदे पूरे करने की बात है तो अपना वायदा पूरा करते हुए तो काँग्रेस के लोग ही अच्छे लगते हैं !ये क्या वायदे पूरे करेगी बेचारी आम आदमी पार्टी  कहीं की !

       खैर, देखना अब यह है कि आम आदमी पार्टी अब काँग्रेस का ग्रास  बनती है कि बचती है ?अर्थात केजरी वाल को काँग्रेस अपने चंगुल में फँसा पाएगी या नहीं !क्योंकि श्री चौधरी चरण सिंह जी,श्री चन्द्र शेखर जी, श्री देवगौड़ा जी ,श्री इंद्र कुमार गुजराल जी काँग्रेस के समर्थन से ही प्रधान मंत्री बने थे । श्री देवगौड़ा जी की जगह श्री इंद्र कुमार गुजराल जी को कैसे बनाया गया था प्रधान मंत्री सबने देखा है ?जब संयुक्त मोर्चा की सरकार का केवल सिर बदला गया था !कैसे भूलेगा देश काँग्रेस के समर्थन देने की शैली को ?

      काँग्रेस जिसे  समर्थन देती है वह चाहे अनचाहे उसका ग्रास बन ही जाता है काँग्रेस किसी दल के साथ कितना भी बुरा बर्ताव क्यों न करे किन्तु जब वह धर्म निरपेक्षता की मौहर बजाने लगती है तब बड़े बड़े मणियारे  बिषैले राजनैतिक दल फन फैला फैला कर नाचते नजर आते हैं!        

       सम्भवतः इसीलिए आम आदमी पार्टी को काँग्रेस जैसे जैसे समर्थन, सुविधाएँ एवं समाधान देती जा रही है वैसे वैसे केजरी वाल न केवल अपनी शर्तें एवं शंकाएँ बढ़ाते जा रहे हैं अपितु पैर एवं दायरा भी फैलाते जा रहे हैं।

      रामायण में एक प्रसंग आता है कि जब हनुमान जी लंका की ओर बढ़ रहे थे  उसी समय सर्पों की माता सुरसा आती है और हनुमान जी को अपने मुख में रखना चाहती है हनुमान जी जैसे जैसे अपना शरीर बढ़ाते हैं वैसे वैसे सुरसा अपना मुख बढ़ाते जाती है ।वही हालात आज दिल्ली की राजनीति में पैदा हो गए हैं काँग्रेस जैसे जैसे केजरीवाल का साथ देने और शर्तें मानने की घोषणा करती चली जा रही है अरविन्द  केजरीवाल जी वैसे वैसे अपनी शर्तों का पिटारा खोलते  चले जा रहे हैं।

     आखिर ऐसा करें भी क्यों न केजरीवाल  जी? वे तो शर्तों के साक्षात समुद्र हैं वे तो कभी भी कोई भी कहीं भी कैसी भी नई से नई शर्त का नया पिटारा खोल सकते हैं!अब केजरी वाल सरकार बना सकते हैं 

केजरीवाल का इंकार काँग्रेस का फिर भी समर्थन !इतनी उदार !!!

               देखो बन रही है "आप" की सरकार  

  •  सुना है कि आम आदमी पार्टी के लोग कहते हैं कि यदि उनकी सर कार बनी तो "भाजपा और काँग्रेस वाले जेल जाएँगे!"

      अरविन्द केजरीवाल का यह कहना कितना न्यायोचित है कि भाजपा और काँग्रेस वाले जेल जाएँगे ! इन दलों में जो ईमानदार लोग हैं क्या ये उनका अपमान नहीं है?यदि आप  पार्टी सरकार में आती  तो जाँच कराती  उसमें जिसके साथ जो होना होता  सो होता किन्तु बिना जाँच के सबको जेल भेजने की बात करना कौन सी बुद्धि मानी है इसे आप  की बकवास क्यों न मानी जाए ?

  • सुना है कि आम आदमी पार्टी काँग्रेस को विश्वासघाती मानती है -

 आम आदमी पार्टी  का काँग्रेस को विश्वासघाती कहना कितना उचित है जिस डाल पर बैठना है उसी को काटना यह कौन सी बुद्धि मानी है जबकि वो काँग्रेस ही   मुख्यमंत्री पद तक पहुँचाने का जोर शोर से समर्थन कर रही है !आम आदमी पार्टी के  इन वर्त्तमान कालिदासों की यह राजनैतिक अपरिपक्वता नहीं तो इसे और क्या कहा जाएगा  ?

  • सुना है कि आम आदमी पार्टी  के नेता जी काँग्रेस को दोमुँहा साँप मानते हैं -

यदि काँग्रेस दोमुँहा साँप है तो काँग्रेस का एक मुख तो उसका अपना है जबकि  उसका दूसरा मुख तो  आम आदमी पार्टी ही है संभवतः इसी लिए विरोधी लोग आम आदमी पार्टी को काँग्रेस की बी पार्टी मानते हैं !

  •  सुना है  आम आदमी पार्टी की सरकार बनने पर बधाई काँग्रेस को ही दी जाएगी !

        बधाई उसकी ही बनती भी  है क्योंकि इसमें वास्तविक तरक्की तो काँग्रेस की ही होगी इसलिए आम आदमी पार्टी की सरकार बनने पर बधाई तो काँग्रेस को ही देनी होगी क्योंकि पहले उसका मुख्यमंत्री था अब काँग्रेस होगी मुख्यमंत्री की बॉस !

  • सुना है आम आदमी पार्टी के नेता अरविन्द केजरीवाल जी ने सुरक्षा लेने से लिए मना  कर दिया है 

           मेरी समझ में यह कदम उन्होंने अच्छा उठाया है क्योंकि काँग्रेस के लोग न जाने कब समर्थन वापस लेकर इनका उपहास उड़ाने लगें !और जब सरकार चलती दिखाई पड़ेगी  तब  किसी बहाने से ले ली जाएगी सुरक्षा, वो तो अपने हाथ की बात होगी ,यदि सरकार नहीं चलती है तो सौ कैरेट शुद्ध आम आदमी बने रहेंगे अरविन्द केजरीवाल जी इसमें क्या संदेह है ! उनका यह आम आदमियत्व  दूसरे चुनावों में भी खूब फूले फलेगा !

  •  सुना है कि केजरी वाल की सरकार से काँग्रेस का कोई लेना देना नहीं होगा यह सरकार केवल आम आदमी पार्टी की होगी -

        यह आम आदमी पार्टी की सरकार बनेगी या नहीं बनेगी, चलेगी या नहीं चलेगी, चलेगी तो कब तक चलेगी आदि इन सब प्रश्नों पर तो आम आदमी पार्टी की सरकार काँग्रेस के ही आधीन रहेगी बात अलग है कि इस बात को वो मानें या न मानें ! यदि काँग्रेस के समर्थन से आम आदमी पार्टी की सरकार  बनती है तो बधाई आम आदमी पार्टी को कैसे दी जा सकती है बधाई तो काँग्रेस की ही बनती है ? क्योंकि अभी तक तो काँग्रेस पार्टी की मुख्य मंत्री ही थीं अब तो मुख्य मंत्री आम आदमी पार्टी का होगा किन्तु उसका बॉस तो काँग्रेस का ही होगा जिसकी कृपा पर यह सरकार टिकी होगी इस लिए आम आदमी पार्टी की सरकार बनने पर वास्तविक  पदोन्नति तो काँग्रेस की ही हुई तब मुख्य मंत्री तो अब मुख्य मंत्री की बॉस !बधाई हो काँग्रेस को बधाई !!!

      सुना है कि 'आप' का मानना है कि काँग्रेस और भाजपा के नेता ईमानदार नहीं हैं किसी भी पार्टी के नेता की ईमानदारी का निर्णय अब केवल आम आदमी पार्टी के लोग ही करेंगे !

     श्री अन्ना हजारे जी ने  अपनी जिस पूर्व टीम पर संदेह किया हो  वो विश्वसनीय कैसे हैं ? ईमानदारी और राष्ट्र निष्ठा के प्रति जीवन समर्पित करने वाले समाज सुधारक श्री अन्ना हजारे जी जिन आप नेताओं के आचरण पर अंगुली उठा चुके हों उन्हें ईमानदार कैसे माना जाए जब तक वे अच्छा कुछ करके दिखाते नहीं हैं यदि वो अच्छा करने में सफल हों तो सौ सौ बधाइयाँ किन्तु बिना कुछ किए ही सबको बेईमान कहने लगना उन लोगों के शैक्षणिक जीवन के गौरव के भी अनुकूल नहीं है। 

  •  सुना है  आम आदमी पार्टी काँग्रेस और भाजपा नेताओं को भ्रष्ट मानती है -

          काँग्रेस और भाजपा के नेताओं को बेईमान कहने वाले आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं में हिम्मत है तो अटल अडवाणी जोशी जी जैसे महान नेताओं के जीवन पर भ्रष्टाचार का कोई दाग दिखा दें इन  नेताओं का क्या व्यक्तित्व है क्या जीवन दर्शन है क्या आदर्श है ! ये ईमानदार मूर्ति हैं  इस भ्रष्टाचार के युग में भी ऐसे अच्छे नेता अन्यदलों में भी हैं जिनके जीवन के कुछ सिद्धांत हैं जिनसे वे समझौता नहीं कर सकते । ऐसे सभी दलों के लोग ,मीडिया के लोग व अन्य भी देश विदेश के लोग ईमानदारी के विषय में जिनके उदाहरण देते हों उन्हें ईमानदार न मानने वाला कोई व्यक्ति  कैसे ईमानदार हो सकता है इसका मतलब ईमानदारी के विषय में उसकी अपनी अलग मनगढंत परिभाषा है जिसे मानना हर किसी के लिए जरूरी नहीं है वो अपनी कल्पना में कुछ भी हो जाए !

          ईमानदार सरकार अटल जी की थी 

       अटल जी की सरकार एक वोट से गिरी थी तब भी ख़रीदे जा सकते थे वोट ? 

अरविन्द केजरी वाल जैसी बातें ... ! कोई राजनेता कैसे कर सकता है ?
       अभी अभी आगामी चुनावों की कन्वेसिंग जैसी करते हुए अरविन्द केजरीवाल को देखा गया इससे अच्छा अवसर अपनी ईमानदारी और दूसरों को बेईमान प्रचारित करने का और कौन हो सकता है? सभी पार्टियों को इसी बहाने बिना कहे बेईमान सिद्ध कर दिया गया ये गलत बात है सारे विश्व ने अटल जी की अल्पमत सरकार को देखा था जब एक वोट से सरकार गिरी थी उस समय भी मंडी में माल बहुत था किन्तु भाजपा चाहती तो एक सीट खरीदकर अपना प्रधान मंत्री बचा सकती थी किन्तु ऐसा नहीं किया गया इससे अधिक ज्वलंत उदाहरण और क्या हो सकता है ?अरविंद की भाषा में एक बहुत बड़ा दोष यह है कि वो दूसरे को बेईमान सिद्ध करके अपने को ईमानदार बताते हैं जबकि अपनी और अपने दल कि अच्छाइयां बताना जैसे आपका अधिकार है उसी प्रकार अन्य दलों के भी अपने अपने अधिकार हैं
      इसीप्रकार कोई दल किसी और के एजेंडे को सम्पूर्ण रूप से कैसे स्वीकार कर ले आखिर उसे इतना कमजोर सिद्ध करने का प्रयास क्यों किया जा रहा है ?दुबारा सम्भवित चुनावी खर्च के बोझ से दिल्ली की जनता को बचाने के लिए बड़ी पार्टियों ने जो उदारता दिखाई है उसका दुरूपयोग कर रहे है अरविन्द !

 

          "अरविन्द केजरीवाल की अन्नाहजारे से नहीं बनी तो अरविन्द सिंह लवली से कैसे बनेगी ? - ज्योतिष"
अ अक्षर के कारण बिगड़े अन्ना और अरविन्द के आपसी सम्बन्ध फिर मिला वही अ अक्षर अरविन्द सिंह लवली कब तक चल पाएगा यह सरकार बनाने का जुगाड़ ?
अन्नाहजारे-अरविंदकेजरीवाल-असीम त्रिवेदी- अग्निवेष- अरूण जेटली - अभिषेकमनुसिंघवीमें
जब अरविन्द केजरीवाल की अन्ना हजारे, अग्निवेश, अमित त्रिवेदी आदि किसी अ अक्षर से प्रारम्भ नाम वाले की पटरी नहीं खा सकी तो अरविन्द सिंह लवली से कब तक सम्बन्ध चल पाएँगे कहा ही नहीं जा   see more...http://snvajpayee.blogspot.in/2013/12/blog-post_1451.html

"काँग्रेस का समर्थन केजरीवाल का इनकार !ऐसे कैसे बनेगी सरकार ?"

 काँग्रेस के समर्थन से चली सरकारों का अनुभव कभी अच्छा नहीं रहा! see more ...http://bharatjagrana.blogspot.in/2013/12/blog-post_19.html

अब केजरी वाल सरकार बना सकते हैं -धन्यवाद


-धन्यवाद

Thursday, 16 January 2014

अब भाजपा में भी होना चाहिए बड़ा बदलाव और दिखना चाहिए जनता से लगाव !

अब जनता से न केवल सच बोलना होगा अपितु उस पर खरा भी उतरना होगा यदि ऐसा हो पाया तो भाजपा का क्या बिगाड़ लेगी आम आदमी पार्टी या कोई और ?

    भाजपा में भावनात्मक आत्मीयता देने का  बड़ा बदलाव लाना होगा आम जनता से आँख मिलाकर बात करनी होगी ऊँचे ऊँचे मंचों से ललकारने दुदकारने धिक्कारने हुंकारने फुंकारने एवं शंखनादने  वाली बड़ी बड़ी रैलियों  के माध्यम से दूर दूर से बात करके वोट माँगने के दिन  अब चले गए अब तो फेस टू  फेस आम जनता से मिलकर सहलाने होंगे उसके घाव और दिलाना होगा अपनेपन का सुखद एहसास !यह काम अकेले मोदी जी नहीं कर सकते इसमें हर कार्यकर्त्ता को सहभागिता करनी होगी !

       अपनी अपनी राजनैतिक महत्वाकांक्षा  की पूर्ति के लिए जो लोग मोदी जी की प्रशंसा  में लगे हैं या जो लोग मोदी जी का पूजन भजन कर रहे हैं या जो लोग मोदी जी से यह कहकर उनको झाड़ पर चढ़ा रहे हैं कि आप प्रधान मंत्री बन रहे हैं या आपको २७२ + सीटें मिल रही हैं !ये ढंग ठीक नहीं है !

  आज तक भाजपा के द्वारा चलाया जाने वाला प्रचार कार्य भाजपा वाले चला रहे हैं भाजपा वाले रैली आयोजित कर रहे हैं  फिर भाजपा वाले ही इकट्ठे  होकर भाषण सुन रहे हैं भाजपा वाले ही बोल रहे हैं और सुन भी भाजपा वाले ही  रहे हैं भाजपा वाले ही ताली बजा रहे हैं वही  लोग  प्रशंसा कर रहे हैं वही भाजपा वाले आपस में बहस कर ले रहे हैं वही मोदी के पक्ष में भारी जनसमर्थन सिद्ध करने के लिए तरह तरह से बहस कर ले रहे हैं वही बातों बातों में भाजपा को जिता दे रहे हैं  और बातों में ही बना दे रहे हैं मोदी जी को प्रधान मंत्री!इतना ही नहीं मोदी जी प्रधान मंत्री बन रहे हैं यह बात बताने के लिए सोसल साइटों पर भाजपा वालों की मच रही है मारा मारी !चिंता की बात यह है कि इसमें जनता की सहभागिता की अत्यंत कमी है उसका कारण न कोई जनता का मन टटोलने का प्रयास कर रहा है न जनता से पूछ रहा है बस केवल बताए जा रहा है कि मोदी जी बन रहे हैं प्रधान मंत्री ! क्या जनता को अपने साथ सम्मिलित नहीं किया जाना चाहिए ?

अब जनता को केवल समझाने से कुछ नहीं होगा अब कुछ सेवा कार्य करने भी पड़ेंगे !!!

जिन गरीबों को देखकर मुख फेर लेते रहे हैं आप !

यदि वो अब भी कर देते हैं माफ !

तब होगा पी. एम. बनने का रास्ता साफ !!

अरे!भाई भाजपा वालो  !जनता को कोई  विजन तो दीजिए  आखिर कैसे सुधारेंगे आप ? 

यह चुनावी समय है भाजपा को जनता से जुड़े मुद्दे उठा कर जनता में फैलाने चाहिए साथ ही यह वह समय है जिसमें भाजपा को अपने कार्यक्रम जन जन तक पहुँचाने चाहिए कि यदि वह सत्ता में आई तो दूसरी पार्टियों की अपेक्षा क्या और अधिक उत्तम कार्यक्रम जनता को देगी अर्थात भाजपा जनता को वह सेवा सुख देगी जो  अन्य दल नहीं दे सकते! किन्तु यह इसलिए आसान नहीं होगा क्योंकि उस सेवा की पुष्टि उसे अपने पिछले शासन काल से करनी होगी अन्यथा प्रश्न उठने लगेंगे कि जब आप पहले सत्ता में थे तब ऐसा क्यों नहीं किया था उसके जवाब भी ढूंढने होंगे जो परिश्रम पूर्वक ही किया जा सकेगा जिसका अभ्यास अब भाजपा को बिलकुल नहीं रहा है क्योंकि भाजपा वालों ने जनता की ओर दिमाग लगाना ही वर्षों पहले छोड़ दिया था । किसी वार्षिक मेले की धार्मिक मूर्तियों की तरह ही चुनावों के समय  अपनी पार्टी को धो पोछकर चुनावों में उतार देती है भाजपा  जनता के बीच । जनता को जो समझ में आता है वह भी कुछ वोट भाजपा की झोली में भी अपनी श्रद्धानुशार डाल देती है उसी में संतोष कर के शांत होकर अगले चुनावों की आशा में बैठ जाती है भाजपा । इसके आलावा जनता से सीधे जुड़ने का कोई कार्यक्रम नहीं दिखाई पड़ा है।  भाजपा के द्वारा बिगत कुछ वर्षों से कभी कोई आंदोलन  प्रभावी रूप से नहीं चलाया जा सका है ।भाजपा की रणनीति  इतनी कमजोर  होती है कि  जनता के बीच जाने से पहले  ही हर मुद्दे की पोल खुल जाती है और समाज यह समझ कर करने लगता है उपहास कि भाजपा का यह चुनावी हथकंडा है क्योंकि दुर्भाग्य से भाजपा जनता के दुखते घावों को सहलाने का कोई विश्वसनीय कार्यक्रम बना ही नहीं पा रही है !

      श्रद्धेय अटल जी के कार्यक्रमों में झलकती थी लोक पीड़ा! उनकी बोली भाषा भाषणों  आचरणों में झलका करती थी लोक सेवा की भावना !आखिर आज भी उनसे सम्बंधित खबरें कितनी श्रद्धा से सुनते हैं लोग !आखिर क्या सुगंध है उस महापुरुष के व्यवहार में कि गैर राजनैतिक लोग भी उनकी उन से हुई मुलाकातों बातों भाषणों की याद कर कर के अभी भी आँखे भर लेते हैं!  मैं विश्वास से कह सकता हूँ कि हर किसी को अटल जी के जीवनादर्शों में कुछ न कुछ मिला जरूर है उसी याद को सँजोए हुए राजनीति में या विशेषकर भाजपा में आदर्श ढूँढ रहे हैं लोग!संघ और भाजपा में और भी ऐसे अनेक महामनीषी हुए हैं जिनकी आवाज में सुनाई पड़ती थी जन पीड़ा ! मैं क्षमा याचना के साथ कहना चाहता हूँ कि इन्हीं कारणों से आज भाजपा जनता से दूर होती जा रही है । एक और बड़ी बात कि जिसके पास अटल जी जैसे जनता से जुड़े नेताओं के आचरण शैली की  विराट सम्पदा हो वह उसे भूलकर केजरीवाल की देखा दूनी टोपी लगाते घूम रहे हैं क्या इसे जनता से जुड़े मुद्दों के आभाव में अथवा घबड़ाहट में किया गया आचरण नहीं माना  जाना चाहिए ?

        भाजपा अभी तक  जनता से जुड़े कोई मुद्दे नहीं उठा पाई है ऐसी कोई बात जनता के सामने नहीं रख पा रही है जो जनता के हृदय से जुड़ी  हो जिसे जनता सीधे स्वीकार कर सके अर्थात जो सीधे जनता के हृदयों तक उतर जाए, जैसे भाजपा के बयोवृद्ध नेताओं की बातें उतरती रही हैं उसी प्रकार से वही शैली आज केजरी वाल ने अपना रखी है किन्तु  भाजपा उस शैली की खोज में तो है नहीं अपितु टोपी पहनती घूम रही है कितना हल्का बच्चों जैसा आदर्श है यह !

          भाजपा ने राष्ट्रीय स्तर पर आज जिसे अपनी नैया का खेवन हर बना रखा है भाजपा के उस  महान मनीषी के भाषणों को सुनकर जनता के हृदयों में उतरने की कभी कोई गम्भीर कोशिश दिखाई ही नहीं दे रही है । उनके भाषणों में भारी भ्रम है कि वो प्रधान मंत्री का चुनाव लड़ रहे हैं या कि मुख्य मंत्री का !यदि वो अपने को वास्तव में भाजपा का प्रधानमंत्री का प्रत्याशी मानते हैं तो उन्हें हम और हमारे प्रदेश के भाषणों से बाहर निकलना होगा अपितु अपनी पार्टी के  आदर्श  प्रधानमंत्री अटल जी केआदर्शों योजनाओं कार्यक्रमों को लेकर समाज में जाना होगा जिनसे समाज सुपरिचित है उन्हें वह जानता भी है मानता भी है उनसे  वह प्रभावित भी रहा है वही वो आज सुनना   भी चाह रहा है जिसकी पर्याप्त आपूर्ति नहीं की जा पा रही है भाजपा के द्वारा !जो कर रहे हैं केजरीवाल वो  भाजपा के विकास के लिए भी अत्यंत  आवश्यक है !जिसे भाजपा भी अपने प्रारंभिक काल में अपनाती रही है वह सादगी चाहिए जनता को !उसमें दिखता है देशवासियों को अपनापन।  इसलिए पार्टी के पी.एम.प्रत्याशी जी को चाहिए कि  आप भले ही किसी प्रदेश के मुख्य मंत्री भी हैं जो नहीं होना चाहिए था किन्तु यदि हैं ही तो अपने प्रदेश के विकास की चर्चा करते समय आपकी पार्टी से शासित अन्य प्रदेशों को भी वही प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए जिसका नितांत अभाव रहता है आपके भाषणों में । अपने और अपने प्रदेश की चर्चा के अलावा सारी  चर्चाएं खानापूर्ति मात्र होती हैं । दूसरी बात आपके  भाषणों में प्रहार भ्रष्टाचार पर होना चाहिए और जनता के हृदयों तक उतरने वाले मुद्दे उठाए जाने चाहिए किन्तु प्रहार राहुल गाँधी  पर क्यों वो हैं क्या ?यदि पारिवारिक पृष्ठभूमि उनकी इस प्रकार की न होती तो उनकी निजी क्षमता क्या है किन्तु आपने अपने को अपने त्याग और परिश्रम से बुना है इसलिए आपके सामने उनका व्यक्तित्व कहीं ठहरता भी नहीं है फिर आप अपनी वाणी का विषय उन्हें क्यों बनाते हैं ?निजी तौर पर जिनका सामाजिक या राजनैतिक कोई वजूद ही नहीं दिखता है!

     जहाँ तक बात राहुल की है यदि वो अपने पैतृक व्यवसाय को आगे बढ़ा रहे हैं तो इसमें गलत क्या है उन्हें जनता का समर्थन मिल रहा है जब नहीं मिलेगा तो कुछ और धंधा सोचेंगे इसी प्रकार सोनियां गांधी जी को क्यों केंद्रित करना? वो जिनकी पत्नी हैं  उनका जो व्यापार होता उसे संभालतीं चूँकि उनका व्यवसाय ही राजनीति है तो वो उसे न संभालें तो करें क्या ?लोक तंत्र में जनता ही मालिक होती है उसने उन्हें लगाम सौंपी है इसलिए उनकी आलोचना करने का मतलब जनता के निर्णय को चुनौती देना है इसलिए उनकी आलोचना न करके उनके किए गए भ्रष्टाचारी कार्यों की ही आलोचना की जानी चाहिए और अपने भावी कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाने चाहिए आगे का निर्णय जनता का है !

      एक और बात है कि अपनी विनम्र शैली से जनता के सामने अपनी योजनाएं प्रस्तुत की जानी चाहिए  किन्तु ऐसा नहीं हो पा रहा है, कैसे कैसे वीर रस के नाम रखे जाते हैं रैलियों के !हुंकार रैली, ललकार रैली, दुदकार रैली फुंकार रैली,शंख नाद रैली आदि आदि बारे नाम! कितने कर्णप्रिय हैं ये शब्द कितना सुन्दर है इनमें सन्देश ? क्या यही हैं संघ के संस्कार! किन्तु ये सारी चुनौतियाँ किसको दी जा रहीं हैं जनता को या विरोधी पार्टियों को? अजीब सी बात है कि केजरीवाल जहाँ विनम्रता का प्रयोग कर रहे हैं भाजपा वहाँ वीर रस का प्रयोग करे और टोपी पहनकर बराबरी करने से भाजपा का कुछ लाभ हो पाएगा क्या ? केजरी वाल हाथ जोड़े घूम रहे हैं जनता पर असर उनका अधिक होना स्वाभाविक है ।

      भाजपा वाले बताते घूम रहे हैं कि हमें 272 + सीटें लेनी हैं जैसे जबरजस्ती लेनी हैं! जनता को बताते घूम रहे हैं कि प्रधानमंत्री भाजपा का बन रहा है एक बड़बोले स्वयंभू जोगी एवं स्वयंभू प्रवक्ता अपनी चुलबुलाहट रोक नहीं सके और छत्तीसगड़ में बता आए कि भाजपा को तीन सौ सीटें मिल रही हैं !जनता भी सोच लेगी कि जब इन्हें तीन सौ सीटें मिल ही रही हैं तो हम अपना वोट बर्बाद क्यों करें हम किसी और को दे देंगे !इसलिए आखिर समाज में काल्पनिक चुनावी परिणाम बताते घूमने की जल्द बाजी क्यों है ?दूसरी ओर केजरी वाल अपने कार्यक्रमों को परोस रहे हैं और हाथजोड़ कर जनता से सहयोग  मांग रहे हैं जनता उनकी इस शैली को पसंद कर रही है वोट जनता से ही मिलना है। पैसे के बल पर भाड़े के प्रशंसा कर्मी कितने भी रख लिए जाएं और कराइ जाए अपनी जय जय कार किन्तु वो वोट तो नहीं पैदा कर देंगे !वोट तो जनता ही देगी । 

    आज केजरीवाल ने अपनी हालत ऐसी बना रखी है कि "रावण रथी विरथ रघुवीरा " अर्थात रणस्थल में रावण के पास रथ है किन्तु राम जी के पास नहीं है जनता का स्नेह श्री राम जी को उनकी सादगी के कारण मिला मिला रावण पराजित हुआ इसी आर्थिक अहंकार से केजरीवाल अपने को अलग रखते दिखाई पडने का प्रयास कर रहे हैं  जबकि भाजपा आर्थिक अहंकार की ओर बढ़ती  हुई दिख रही है। 

       भाजपा के जिन कार्यकर्ताओं के लिए आवश्यक है कि वो अपने वोटर से संपर्क करें उसके सुख दुःख सुनें उसका सहयोग भी करें किन्तु दुर्भाग्य से वो टिकट पाने के लिए कुछ टिकट माँगने लायक बनने के लिए प्रयास किया करते हैं हमेंशा जोड़ तोड़ में लगे रहते हैं कभी केंद्रीय नेताओं के पास तो कभी प्रांतीय नेताओं के पास भाग दौड़ में लगे रहते हैं कौन जाए जनता के पास या जनता के दुःख दर्द टटोलने समय कहाँ होता है कभी कोई क्षेत्रीय कार्यकर्ता  मिल भी गया तो उसे बता दिया कि अबकी अपनी सरकार बनने जा रही है। जिससे वोट माँगने हैं उसे चुनाव परिणाम बताने जाते हैं जबकि अरविन्द केजरीवाल अपने कार्यकर्ताओं को जनता की समस्याओं के समाधान के लिए जनता से जुड़ने के लिए प्रेरित करते हैं ऐसी परिस्थिति में भाजपा अपने कार्यकर्ताओं को आम जनता के दुःख दर्द टटोलने के लिए क्यों नहीं प्रेरित करती है !

           कार्यकर्ता अपने अपने क्षेत्र में अपने अपने समर्थकों सहित आम जनता के विश्वास को जीतने का प्रय़ास क्यों नहीं करते हैं उनके साथ घुलमिलकर रहने में अपना अपमान क्यों समझते हैं कुछ भाजपा के कार्यकर्ताओं में मानवता का क्षरण इतनी तेजी से हो रहा है कि आम जनता से वे स्वयं तो संपर्क करते ही नहीं हैं अपितु जो लोग स्वयं जुड़ने आते हैं उनसे मिलते नहीं हैं यदि मिले तो उनकी बात नहीं सुनते हैं यदि बात सुनी तो उनकी मदद तो नहीं  ही करते हैं अपितु उसकी समस्याओं के समाधान के लिए काम न करना पड़े इसलिए उस प्रकरण में उसी व्यक्ति की इतनी गलतियां निकाल देंगे कि जिससे वह मदद माँगने लायक ही न रह जाए !

    कुछ बड़े बड़े भाजपाइयों को शिष्टाचार का भी अपमान करते देखा जाता है वो इतने नमस्ते चोर हो गए हैं कि अपने बराबर वालों को तो छोड़िए अपने से बड़े बुजुर्गों के नमस्ते का भी जवाब नहीं देते हैं शिर तक नहीं हिलाते हैं दिल्ली में ही भाजपा के जिन बड़े कार्यकर्ताओं को साफ सुथरी छवि के नाम से पार्टी पर  प्रोत्साहन  मिलता है उन बड़ों में यह शिष्टाचार नहीं होता है कि उनके पैर छूने वाले अपने कार्यकर्ताओं  या आम लोगों के लिए दो शब्द ही प्रेम से बोल दें लोगों से हंसकर बात करने में तो मानों अपनी बेइज्जती ही समझते हैं ऐसे स्वच्छ पवित्र नेताओं को अबकी बार दिल्ली के विधान सभा के चुनाओं के बाद केजरीवाल से लिपट चिपट कर मिलते एवं हंस हंसकर बातें करते देखा गया तब उनके अपने विश्वसनीय कई लोगों के फोन भी मेरे पास आए उन लोगों ने बड़ा आश्चर्य जताया कि यार अपने विधायक जी भी तो हंस बोल लेते हैं हो सकता है कि हमें इस लायक ही न समझते हों !इसलिए  क्या भाजपा को अपनी दिल्ली पराजय से कुछ  सीखने की भी जरूरत है? यद्यपि जिन प्रदेशों में भाजपा की विजय हुई है वहाँ कार्यकर्ताओं की भावनाओं के सम्मान करने की परंपरा भी  होगी अन्यथा जनता का इतना अपार स्नेह उनको कैसे मिल पाता ?ऐसी जगहों पर भाजपा के पैर हिला पाना बहुत कठिन होगा वो अरविन्द केजरीवाल ही क्यों न हों !

    इस लिए मेरा निवेदन है कि भाजपा को घबड़ाहट में टोपी पहनकर अपना उपहास कराने की  जरूरत नहीं है अपितु आवश्यकता इस बात की है कि भाजपा अपने कार्यकर्ताओं को भी प्रेरित करे कि वे लोग सभी वर्गों के मान सम्मान की सुरक्षा के लिए सेवा पूरी भावना के साथ उनसे जुड़ें ।यदि ऐसा कर पाना  किसी भी प्रकार से सम्भव हुआ तो कहा जा सकता है कि भारत का अगला प्रधान मंत्री भाजपा से ही होगा!












Wednesday, 15 January 2014

मायावती -राज्य पाने के लिए रैली ! सत्ता बिनु अब तो रहा न जाए !!!

          भाषण के नाम पर जो लेख मायावती जी पढ़  रही थीं पता नहीं कि वो उन्हें समझ में आया भी है कि नहीं ! 

       मायावती जी को  लिखने वाले ने  समझाया भी है या नहीं क्योंकि यदि वो समझकर ही बोल रही होतीं तो अपने मन से बोलतीं फिर लिखा पढने की जरूरत ही क्या थी मुझे इस बात की पक्की आशंका है कि जब कुछ महीनों बाद मायावती जी को उनके आज के भाषण का अर्थ समझ में आएगा तो वो इसमें भी मनुवादियों का ही दोष देंगी !क्योंकि उन्हें कांशीराम जी की कही गई इस बात पर पूरा भरोसा है कि भाषण कभी कहीं कैसा भी देना कुछ भी बोलना वो अच्छा बुरा कैसा भी हो उसमें बीच बीच  में मनुवाद, जातिवाद ,अपरकाष्ठ जैसे जुमले जरूर दोहराते रहना इससे तुम्हारा भाषण पूरा मान लिया जाएगा अन्यथा और कोई क्वालिटी अपने पास है नहीं और राजनीति में जमे रहने के लिए कोई क्वालिटी तो चाहिए ही खैर ,जो भी हो वो जानें और जानें मायावती जी हमें क्या लेना देना ?

     आज के भाषण में उन्होंने कई बातें अपने स्वभाव के विपरीत बोलीं यदि उन्हें इन  बातों के अर्थ समझ में आए होते तो ऐसे कतई नहीं बोलतीं-


  •  2014 के लोकसभा चुनाव में पूरे देश में अकेले लड़ेगी बीएसपी: मायावती

           जब कोई पार्टी आपका भरोसा ही नहीं करती है तो दूसरा साथी आप लाएंगी कहाँ से ?

  • बीजेपी ने हमें धमकी दी थी: मायावती

         आपने भाजपा को १९९५ में धोखा दिया था इसलिए आपको केवल आशंका रहती है 

  • सपा से नाराज़ मायावती ने कहा - 'हमारी सारी कल्याणकारी योजनाएं सपा ने करवा दी है बंद'.

       आपने  हाथी  और हाथी वाले पार्क एवं अपनी तथा अपनों की मूर्तियों में गरीब जनता की गाढ़ी कमाई लगाकर कौन जग्य कर दी थी इसी बर्बादी से बचने के लिए जनता ने सपा को चुना था वो अपने घर गाँव खानदान वालों के साथ मौज मस्ती कर रहे हैं आपको फिर मौक़ा मिले तो आप फिर हाथी ही बनाएँगी !और न कुछ आपको पता है और न ही और कुछ आपके बश का है !

  • कांग्रेस-बीजेपी से सावधान रहें: मायावती

 काँग्रेस नेहरू गांधी खानदान के नाम पर कुछ योजनाएँ  चलादेगी उसके बल्ले बल्ले !कांग्रेस-बीजेपी का नाम आप लेती ही क्यों हैं देश की जनता तो अब हाथी और हाथ दोनों से ही डरने लगी है सपा बसपा और कांग्रेस तो ऐसे ही फजूल खर्ची किया करते हैं किन्तु कोई कुछ नहीं बोलता है आपके भी हजारों हाथी बन जाते हैं मूर्तियाँ बनवाने में बर्बाद करते हो देश का पैसा, और जहाँ भाजपा हिंदुओं के प्राण स्वरूप श्री राम मंदिर बनाने की बात करती है तो बसपा भी कांग्रेस के चिपक कर शोर मचाने लगती है!

  • बीजेपी ने सीबीआई के जरिए मुझ पर दबाव डलवाया: मायावती

         आपको नाम भूल गया होगा भाजपा की जगह कांग्रेस होगी जिसके डंडे के इशारे पर सपा बसपा न केवल नाचा करती है हैं अपितु बिन मांगे समर्थन भी देती रहती हैंआप डर के कारण भाजपा का नाम ले रही हैं किन्तु आपको भय तो कांग्रेस का ही है !

  • मेरे खिलाफ झूठे केस बनाए गए: मायावती 

           सच झूठ का फैसला तो कानून करेगा आपको जल्दबाजी क्यों है ?

  • देशहित में बीएसपी को प्रदेश के साथ देश में भी लाना होगा: मायावती

देश में रहने के लिए जगह नहीं है जनता के पालन पोषण के लिए व्यवस्था नहीं है सपा बसपा ने उ.प्र.को बर्बाद किया है पूरा देश क्यों बर्बाद होना चाहेगा

     दलित और जातिवाद पर ही केंद्रित आपकी राजनीति है उसमें कुछ भ्रम आप लोगों ने जनता के मन में फैलाए  हैं अपनी राजनैतिक रोटियां सेकने के लिए आप लोगों ने सवर्णों के विरुद्ध जो जनता के मन में जहर घोला है उस पर कुछ लेख पुष्प हमने भी चढ़ाए हैं ये भी पढ़िए और स्वीकार कीजिए अपनी गलतियां तथा कीजिए प्रायश्चित्त !



Daliton ke Shoshan men Daliton Ka Kitana Dosh? 

      दलितों के शोषण में दलितकितने दोषी ?

 दलित शब्द का अर्थ क्या होता है ये जानने के लिए मैंने शब्दकोश देखा जिसमें टुकड़ा,भाग,खंड,आदि अर्थ दलित शब्द के  किए गए हैं।मूल शब्द दल से दलित शब्द बना है।मैं कह सकता हूँ कि टुकड़ा,भाग,खंड,आदि शब्दों का प्रयोग कोई किसी मनुष्य के लिए क्यों करेगा?इसके बाद दल का दूसरा अर्थ समूह भी होता है।जैसे कोई भी राजनैतिक या गै see more...http://snvajpayee.blogspot.in/2012/11/daliton-ke-shoshan-men-daliton-ka.html






             कोई इंसान गरीब हो सकता है दलित नहीं 

http://snvajpayee.blogspot.in/2012/12/daliton-ke-dushman-hi-dikha-rahe-jhuthi.html