भाग्य से ज्यादा और समय से पहले किसी को न सफलता मिलती है और न ही सुख ! विवाह, विद्या ,मकान, दुकान ,व्यापार, परिवार, पद, प्रतिष्ठा,संतान आदि का सुख हर कोई अच्छा से अच्छा चाहता है किंतु मिलता उसे उतना ही है जितना उसके भाग्य में होता है और तभी मिलता है जब जो सुख मिलने का समय आता है अन्यथा कितना भी प्रयास करे सफलता नहीं मिलती है ! ऋतुएँ भी समय से ही फल देती हैं इसलिए अपने भाग्य और समय की सही जानकारी प्रत्येक व्यक्ति को रखनी चाहिए |एक बार अवश्य देखिए -http://www.drsnvajpayee.com/
Sunday, 30 November 2014
" नेपाल में पांच हजार भैंसों की बलि दी " किन्तु ये बलि नहीं अपितु ये तो पशु संहार है !
हिंदू राष्ट्र रहे नेपाल में लाखों पशुओं की बलि, वीभत्स नजारा
टीम डिजिटल
शनिवार, 29 नवंबर 2014
अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated @ 1:16 PM IST
नेपाल में इन दिनों मनाया जाने वाला एक त्यौहार अलग वजह को लेकर सुर्खियों में है। भारत की सीमा से सटे बरियारपुर गांव में गढ़ीमाई के त्यौहार पर लाखों पशुओं की बलि दी जाएगी। दो दिन चलने वाले इस त्यौहार की शुरूआत शुक्रवार से हुई। पहले दिन पांच हजार से अधिक पशुओं की बलि दी गई। डेलीमेल के मुताबिक हर पांच साल पर मनाए जाने वाले इस दो दिन के त्योहार में लाखों पशुओं की बलि दी जाती है। इस आयोजन को देखते हुए बारियापुर गांव के पास सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। दो दिन तक चलने वाले इस आयोजन के दौरान यह गांव दुनिया का सबसे बड़ा बूचड़खाना बन जाएगा। पेटा के अनुसार पिछले साल भी ढाई लाख पशुओं की बलि दी गई थी। पेटा हर बार इस आयोजन का विरोध करता रहा है।
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दया करुणा आदि भावों का निर्वाह करने वाले हिंदू धर्मपर गर्व करने वाला कुछ वर्ष पूर्व तक विश्व में एक मात्र हिन्दूराष्ट्र कहला चुका नेपाल ऐसे भीषण पशु संहारों को कैसे सह रहा है !
ऐसी सामूहिक पशु हत्याओं को त्यौहार या उत्सव नहीं माना जा सकता वो किसी भी धर्म के क्यों न हों !मानवता के रक्षक संगठनों को इधर भी चाहिए ! क्योंकि मानव जाति को स्वस्थ एवं निरोग बने रखने के लिए पशु हमारे जीवन रक्षा के लिए अभिन्न अंग हैं!यदि हमारे यहाँ लुप्त हो रही पशु पक्षियों की प्रजातियों के संरक्षण पर काम चल रहा है उन्हें चिड़ियाघरों में सुरक्षित रखने की कोशिश की जा रही है !बंधुओ !वो पशु पक्षी तो हम चिड़िया घरों में देख कर काम चला सकते हैं किन्तु गायों भैंसों बकरियों को यदि ये लोग ऐसे ही खाते पीते रहेंगे दो ये समाप्त हो जाएँगे फिर कुछ गायों भैंसों बकरियों आदि को यदि चिड़ियाघरों में सुरक्षित रख भी लिया गया तो वो दर्शन भले ही देती रहें किंतु दूध नहीं दे पाएँगी और जितना दूध वो देंगी वो किसको नसीब हो पाएगा ! जिन्हें पशुओं का गला काटने में दया नहीं आती वो मौका मिलने पर मनुष्यों पर क्यों दया करेंगे ! जिनके त्यौहार पशु संहारों से शुरू होते हों उनके आम दिन कैसे बीतते होंगे ईश्वर ही जाने! किन्तु त्यौहार
ऐसे पशुसंहारोँ पर रोक लगाई जाए ! आखिर भविष्य में कहाँ से आएगा दूध दही घी मक्खन खोआ मिठाइयाँ आदि ! क्या पीकर जिएँगे अपने छोटे छोटे बच्चे !बीमारों को दूध की जरूरत पड़ेगी कहाँ से लाया जाएगा दूध ! शरीरों में शक्ति का संचार करने वाला अमृतमय दूध कैसे मिल पाएगा ! अरे पशु हत्यारो यदि पशु ही खा जाओगे तो कहाँ से मिल पाएगा दूध ! वस्तुतः ये केवल पशुओं की हत्या ही नहीं है अपितु अप्रत्यक्ष रूप से सम्पूर्ण मानवता को कमजोर करने की ओर बढ़ते कदम हैं अरे ! जरा सोचो तो कि यदि पेड़ ही काट डालोगे तो कहाँ से मिलेंगे फल फूल आदि ! जो जीव बोल नहीं पाते हैं उनकी हत्या करना क्या अपराध नहीं है क्या उनके कोई अधिकार नहीं होते !उनकी आवाज मनुष्य या मनुष्यों की अदालतें भले ही न सुनें किन्तु ईश्वर तो उनकी भी मौन वाणी सुनेगा ही !उस अदालत में सबकी सुनी जाती है !पशुओं की भी सुनी जाएगी !आप भी पढ़िए ये समाचार -
रविवार, 30 नवम्बर, 2014 | 08:52 | IST
काठमांडू, एजेंसी First Published:29-11-14 11:45 PMLast Updated:29-11-14 11:45 PM
नेपाल में पशुओं की बलि देने के एक बड़े उत्सव में पांच हजार से अधिक भैंसों की बलि दे दी गई। यह दुनिया में इस तरह की सबसे बड़ी प्रथा मानी जाती है। पशु अधिकार कार्यकर्ताओं के इस बर्बर प्रथा को खत्म करने के तमाम प्रयासों के बावजूद इन जानवरों की बलि दी गई।दक्षिणी नेपाल के बारा जिले के बरियारपुर गांव के गढ़ीमाई मंदिर में हर पांच साल बाद इस उत्सव का आयोजन होता है। इसमें इस बार हजारों श्रद्धालु शामिल हुए जिनमें भारत से आए श्रद्धालु भी हैं। श्रद्धालुओं का मानना है कि पशुओं की बलि से हिन्दू देवी गढ़ीमाई प्रसन्न होती हैं और इससे उनके लिए अच्छी किस्मत और समृद्धि आती है। पुलिस के अनुसार उत्सव के पहले दिन शुक्रवार को करीब 5,000 भैंसों की बलि दी गई। उत्सव के खत्म होने से पहले हजारों बकरियों, सूअरों और मुर्गियों की भी बलि दी जाएगी।
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Saturday, 29 November 2014
पुलिस विभाग की आँखों में ईमानदारी का अंजन आँजते ही दिखने लगेंगे अपराधियों के चेहरे !
पुलिस पर पॉलिस की जरूरत ! सरकार यदि ऐसा कर पाने में सफल हुई तो वास्तव में अच्छे दिन आएँगे ही !अन्यथा अच्छे दिनों की बात कहकर लोग उपहास ही करते रहेंगे !
पुलिस जनता के मन में अपने विभाग के प्रति बढ़ते अविश्वास को दूर करने का प्रयास करे ताकि जनता उसके साथ विश्वास पूर्वक खड़ी हो सके और जिस दिन जनता का भरोस जीतने में कामयाब हो जाएगी पुलिस उस दिन अपराधियों के आचरण पर केवल अंकुश ही नहीं लगेगा अपितु अपना समाज अपराध मुक्त होने की ओर अग्रसर होगा !
"आखिर किसी मंत्री की खोई हुई भैंसें या कुत्ते कैसे खोज लेती है पुलिस और किसी के गायब बच्चों को नहीं खोज पाती !" ये अंतर समाप्त करने की जिम्मेदारी पुलिस विभाग स्वयं ले !तब पुलिस पर बढ़ेगा जनता का भरोस !
आज पुलिस वालों तक पर लोग हाथ छोड़ने या हमले करने लगे हैं ये गंभीर चिंता का विषय है क्योंकि पुलिस को तो हर जगह हर परिस्थिति में पहुँचना ही होता है और हर किसी से जूझना ही होता है यदि पुलिस ईमानदारी पूर्वक शीघ्र ही अपने सम्मान के लिए सतर्क नहीं हुई तो बाकी समाज की जो दुर्दशा होगी वो तो होगी ही पुलिस भी सुरक्षित नहीं होगी अपराधियों के हौसले दिनोंदिन इतने बढ़ते जाएँगे !
पुलिस का गौरव गिराने में दो लोगों की बड़ी भूमिका है एक तो पुलिस के विभाग के ही घूस खोर लोग और दूसए वे नेता जो दरोगा जी के थप्पड़ मार कर अपनी नेतागिरी चमकाने के चक्कर में होते हैं उन्हें भी सोचना चाहिए कि पुलिस का सम्मान यदि हम नहीं करेंगे तो कोई और क्यों करेगा और पुलिस का सम्मान संकट में पड़ते ही हम एवं हमारी पारिवारिक व्यापारिक सामाजिक आदि सारी सुरक्षा संकट में पड़ जाती है इस लिए हमें प्रयास करके कभी भी ईमानदार पुलिस कर्मियों की प्रतिष्ठा घटने नहीं देनी चाहिए !और बेईमान पुलिस कर्मियों पर नियंत्रण पुलिस अंदर से लगाए !
जो पुलिस वाले पैसे लेकर गलत काम करने की अनुमति दे देते हैं वो वास्तव में पुलिस विभाग को बदनाम करने के अपराधी हैं क्योंकि गलत काम करने वालों की शिकायत जो ऐसे पुलिस वालों से करता है उसकी सूचना शिकायत करने वाले के नाम पते के साथ वे तुरंत अपराधियों को दे देते हैं क्योंकि वो इसी के पैसे ले लेते हैं । फिर होती है शिकायत करता की मरम्मत जिसमें वो अपराधी उसे एवं उसके परिवार को सभी प्रकार से प्रताड़ित करते हैं जिसमें वो बिलकुल अकेला होता है ! इसका दुष्परिणाम ये होता है कि इसके बाद कोई कितना भी बड़ा अपराध क्यों न करता रहे किन्तु वो व्यक्ति आँखें झुका कर निकल जाता है किन्तु पुलिस को सूचना देने की हिम्मत नहीं करता है उससे प्रेरित होकर अन्य लोग भी ऐसा करने लगते हैं अब अपराध का सपना तो पुलिस को होगा नहीं अब तो जब कोई अपराधी ही गलत काम करने की अनुमति लेने आएगा तभी पता लग पाएगा किन्तु जिसे पता लगेगा वो पकड़ेगा क्यों ?और जो पकड़ सकता होगा उसे वो मिलेगा ही क्यों ?इतने मूर्ख तो अपराधी भी नहीं होते हैं !
ऐसे घूसखोर पुलिस के लोगों की जब कहीं बहुत अधिक भद्द पिटने लगती है और अपनी ही नौकरी पर बन आती है तो फिर सगे किसी के नहीं होते और अपराधी को पकड़ कर मीडिया के सामने नहा धोकर खड़े हो जाते हैं और बाकायदा करते हैं प्रेस कांफ्रेंस ! कहाँ कितने तीर मारे तब पकड़ में आए अपराधी आदि सबकुछ बड़े विस्तार पूर्वक बताते हैं ! किन्तु इस बात का उनके पास कोई जवाब नहीं होता है कि यह गलत काम आखिर आज तक हो क्यों रहा था और यदि आपको पता नहीं था तो क्यों ?आपका सूचना तंत्र इतना कमजोर क्यों है ?
दिल्ली जैसी राष्ट्रीय राजधानी में पार्क में लड़के लड़कियों के जोड़े बैठकर अश्लील हरकतें बड़ी ठसक में करते हैं कोई रोक ले उन्हें !एक दिन मेरे सामने किसी ने थाने में फोन कर दिया तो वहाँ से दो लोग आए और गाली गलौच करते पार्क में घुस गए और चारों तरफ डंडा फटकारते वहाँ पहुँचे जहाँ ये सब हो रहा था और कुछ बोल बाल कर एक को पकड़ कर थोड़ी दूर ले गए फिर छोड़कर चले गए कुछ देर बाद मैं उधर पहुँचा तो देखा फिर सब वैसा ही चल रहा था तो मैंने उनमें से एक को धमकाते हुए बोला ये सब क्या हो रहा है अभी पुलिस बाले फिर आ जाएँगे क्यों ऐसे काम करते हो जो वो आकर फिर से गाली दें ! तो उन्होंने कहा गाली तो पार्क में आने वालों को देते हैं वो हमें दे ही नहीं सकते हैं ! हमने कहा यदि वो तुम्हें इतना ही डरते हैं तो तुम्हें पकड़ कर क्यों ले गए थे ?उन्होंने कि यदि पकड़ कर ले जाते तो छोड़ क्यों देते !इसपर मैंने कहा कि तुमने माफी माँगी होगी इसलिए छोड़ दिया होगा ,तो वो सब हँस पड़े और कहने लगे कि हमें पकड़ना तो नाटक था वस्तुतः वो हमें पकड़कर जिनके पास ले गए थे वही लोग हैं जिन्होंने हमारी शिकायत की थी उन्हीं की पहचान करवाने ले गए थे और भी जो लोग हम लोगों की शिकायत करते हैं उनकी भी पहचान करवा देते हैं ऐसे ही लोगों में से दो लोगों की पहचान करवा कर गए हैं वो उनसे संडे को निपटूँगा मैं !
जो लोग पुलिस वालों को कुछ देते नहीं हैं पार्क में फ्री में घूम घाम कर चले जाते हैं उन्हें गाली देते हैं वो हम लोगों को नहीं देते ,हमने कहा क्यों ?तो उनमें से एक बोला हमसे तो उन्हें आमदनी होती है सप्ताह में दो दो सौ रूपए लेते हैं हमसे बाकी कोई क्या दे देता है उन्हें !कहने लगे कि आज तो पुराना वाला भी पुलिस वाला आ गया था उसकी ड्यूटी आजकल कहीं और लगती है लेकिन वो कह रहा है कि ट्रांसफर करवा कर जल्द ही यहीं आ जाऊँगा !इसलिए लेता है नहीं तो फिर बैठने नहीं देगा !दूसरे दिन पुलिस वाले वही दोनों महाशय मिले तो मैंने उनसे पूछा कि क्या हुआ कल वो तो भागे ही नहीं तो उन्होंने कहा क्या कहें नए लड़के हैं करने दो उन्हें भी मौज मस्ती !और आप लोग उधर मत जाया करो ऐसे लड़कों के मुख लगना ठीक नहीं है ये सब चाकू वाकू भी लिए होते हैं ! बंधुओ !ऐसे कैसे बढ़े पुलिस का सम्मान !
चौराहे पर जाम लगा हो तो खड़े देखा करते हैं ये किंतु मोटरसाइकिल वालों को रोक लेते हैं उनकी तलाशी लेने के बाद कोई न कोई कमी निकल ही आती है उनमें और कमी के ही पैसे होते हैं ऐसे टैम्पो आदि हर सवारी के साथ करते हैं ट्रक वालों से तो लेते ही हैं !छोटे छोेटे बच्चे गाड़ियाँ चला रहे होते हैं उन्हें एक ही बल होता है कोई पकड़ेगा तो सौ पचास रूपए ले लेगा !
शहरों में व्यूटी पार्लरों की आड़ में कई जगहों पर वेश्यालय चलाए जा रहे हैं जहाँ लड़कियों के लिए लड़के और लड़कों के लिए लड़कियाँ रखी हुई होती हैं अथवा कस्टमर आने पर काल करके बुला लिए जाते हैं ऐसे लोग !सुना जाता है कि ऐसे ही पार्लरों से नशे के सामान की सम्मानजनक सप्लाई होती है ! जब तक पार्लर इस प्रकार की आपराधिक गतिविधियों में सम्मिलित नहीं थे तब तक समाज में घटने वाली आपराधिक गतिविधियाँ आज की अपेक्षा कम थीं !अच्छे अच्छे परिवारों के लोग भी ऐसे पार्लरों की पवित्र वेश्यावृत्ति में आसानी से सम्मिलित हो जाते हैं संभवतः इसी सुविधा के चलते पार्लरी संस्कृति दिन दूनी रात चौगुनी फैलती जा रही है !हो सकता है कि ऐसे असामाजिक कार्य करने वाले पार्लरों की संख्या बहुत कम हो किन्तु जो भी है उसे रोकने की जिम्मेदारी किसकी है और जिसकी भी है वो इस दिशा में क्या कुछ कर रहे हैं !ऐसा होने क्यों और कैसे दिया जा रहा है !
इसी प्रकार से सब्जी बेचने वालों से, सार्वजनिक जगहों पर गाड़ी खड़ी करने वालों से,बिना टिकट रेलवे में चलने वालों से या और किसी भी प्रकार से गलत काम करने वालों का एक ही बल है पकड़े जाएँगे तो पुलिस को पैसे देकर छूट जाएँगे !
इन सब बातों को कहने के पीछे हमारा उद्देश्य केवल ये है कि इस प्रकार के निंदनीय आचरण करने वाले लोग जिस किसी भी विभाग में हों उसका सम्मान घटाया ही करते हैं इसलिए ऐसे विभागों में जो ईमानदार अधिकारी कर्मचारी हों सरकार उन्हें चिन्हित करे और उनसे उन विभागों की सफाई स्वयं करवावे और उनकी मदद पीछे से सरकार स्वयं करे ! अन्यथा ईमानदार अधिकारियों कर्मचारियों को बेईमान लोग जीने ही नहीं देंगे उनके नाम पहले ही अपराधियों को देकर उनकी धुनाई करवा देंगें ! ये हाल हर विभाग का है !
दिल्ली में तीस हजारी मेट्रो स्टेशन से उतर कर जब तीस हजारी की ओर चलने लगो तो वहाँ कुछ लँगड़े लूले भिखारी बैठे होते हैं एक दिन मैं वहाँ से निकल रहा था तो एक भिखारी अपनी अधकटी टाँग बीच रास्ते तक फैलाए था लोग बचा बचा कर निकल रहे थे यह देखकर मैंने उससे कहा कि पैर समेट कर रख लो तो उसने कहा क्यों रख लूँ मैंने कहा कहीं चोट लग जाएगी तो वो कहने लगा ऐसे कैसे लग जाएगी मार के देखो तो सही मैंने कहा मैं मारने को नहीं कह रहा हूँ मैं तो ये कह रहा हूँ कि लग सकती है खैर वो ज्यादा गरम हुआ तो मैंने कहा मैं अभी पुलिस बोलाता हूँ था तो उसने कहा बोला लो क्या कर लेगा वो रोज बीस रूपए हमसे लेता है दस रूपए बैठने के और दस रूपए ये घायल वाली टाँग आगे करके बैठने के इसी टाँग को देखकर लोग पैसे देते हैं !यह सुनकर मुझे आश्चर्य जरूर हुआ किन्तु सच्चाई श्री राम जी जाने ! हाँ ,यदि ऐसा वास्तव में है तो बहुत गलत है इस पर नियंत्रण किया जाना चाहिए !अन्यथा पुलिस का गौरव दिनोंदिन घटता जा रहा है !
Friday, 28 November 2014
भागवत भ्रष्ट लोगों ने बढ़ाया धार्मिक एवं सामाजिक भ्रष्टाचार !
दो. व्यास कहाँ शुकदेव कहँ कहाँ भागवत 'शेष' ।
कथा कहत किन्नर फिरहिं धरि बहुरुपिया वेष ॥
भागवत कथा कहने वाले लोग पहले भागवत कथाएँ कहकर आत्म रंजन किया करते थे तो फिल्मों से जुड़े लोग नाच गाकर समाज का मनोरंजन कर लिया करते थे तब तक सब कुछ ठीक चल रहा था ,किंतु आध्यात्मिक ज्ञान विज्ञान रूपी भागवत कथा के परं पवित्र क्षेत्र में अचानक कुछ अकर्मण्य एवं आलसी लोगों की दृष्टि पड़ी उन्होंने इस सुशांत क्षेत्र को भी नहीं बक्सा और जगह जगह भागवत कथाओं के बड़े बड़े बैनर लगा लगाकर नाचने कूदने लगे भागवत के सुशांत मंचों पर ये भागवती मल्ल ! इस प्रकार भागवत में ऐसी भगदड़ हुई कि भागवत कथाओं में नचैया गवैया लोगों के समूह तेजी कूदने लगे ! इस प्रकार से कथाओं की कमान किन्नरों के हाथ में पहुँचते ही फिल्मों से जुड़े लोग बेरोजगार होने लगे क्योंकि मनोरंजन वाला उनका काम भागवत वीरों ने छीन लिया था तो उन्होंने एक नया तरीका खोज निकाला और फिल्मों में बोल्ड सीन, सुपर बोल्ड सीन ,सेक्सी सीन आदि जितने नंगपन के खेल थे जिन्हें गाँव वाले तक फूहड़ मानते थे वे सब फिल्मों के बहाने खुले तौर पर परोसे जाने लगे समाज में !धीरे धीरे फिल्मों का स्वरूप भी बदलने लगा और फिल्मों से कला गायब होने लगी मांसल सौंदर्य का प्रचलन बढ़ने लगा !इससे समाज में तो भयंकर विकृति आई किन्तु फिल्मी जगत बेरोजगार होने से बच गया !
Thursday, 27 November 2014
शास्त्रसम्मत बाबाओं एवं संविधान सम्मत नेताओं की पवित्र प्रजाति समाप्त होने की कगार पर है
भाजपा दिल्ली में अब सरकार बनाने पर पूरी तरह उतारू है !
मंत्री और मुख्यमंत्री पद भले ही किसी को भी क्यों न देने पड़ जाएँ किंतु अपनी पीठ सहलाने के लिए केवल इतना भर कहने को मिल जाए कि देखो कितने काबिल हैं ये लोग ! अंततः दिल्ली में भी झंडा गाढ़ ही दिया इन्होंने ! वास्तव में अद्भुत चुनावी रणनीतिकार हैं ये !इसीलिए इन्होंने कभी कोई चुनाव हारा नहीं !क्योंकि जिस दल से चुनाव लड़ना होता है उसी के सदस्यों के साथ मिलकर चुनाव लड़ लेते हैं वास्तव में बड़े हिम्मती हैं ये लोग !बधाई हो भाई बधाई !आज दिल्ली भाजपा में पत्रकारों से बात करने के लिए आत्मग्लानि गरते मूल भाजपाई लोग सामने आएँ न आएँ किन्तु दूसरी पार्टियों से आए हुए सदस्य हँसते हँसते लपक लेते हैं माइक और बताने लगते हैं भाजपा की संस्कृति सिद्धांत एवं चुनावी रणनीतियाँ !यहाँ तक कि दिल्ली के पार्टी कार्य कर्ताओं के लिए स्वच्छता अभियान और किरन वेदी जी के लिए मुख्य मंत्री पद !दिल्ली भाजपाइयों के लिए पार्टी का यह कैसा इशारा कि हम तुम्हें कुछ नहीं मानते किंतु तुम हमारी मानो ! ऐसी अपेक्षा करना सामान्य साहस की बात नहीं है !
अन्यथा जैसे किरण वेदी वैसे केजरीवाल अन्ना जी के साथ दोनों लोगों ने भ्रष्टाचार का विरोध किया था !
15 फरवरी को कार्यकर्ताओं लूंगा CM की शपथः केजरीवाल
किंतु
उस समय राजगद्दी कैसे जो त्यागपत्र का है मुहूर्त।
संकेत समय का साफ साफ समझो प्यारे यह स्वतः स्फूर्त ॥
पिछले वर्ष
शास्त्रसम्मत बाबाओं एवं संविधान सम्मत नेताओं की पवित्र प्रजाति समाप्त होने की कगार पर है !बाबा हों या नेता जो पकड़े जाएँ वो दोषी जो न पकड़े जाएँ वे निर्दोष !
मंत्री और मुख्यमंत्री पद भले ही किसी को भी क्यों न देने पड़ जाएँ किंतु अपनी पीठ सहलाने के लिए केवल इतना भर कहने को मिल जाए कि देखो कितने काबिल हैं ये लोग ! अंततः दिल्ली में भी झंडा गाढ़ ही दिया इन्होंने ! वास्तव में अद्भुत चुनावी रणनीतिकार हैं ये !इसीलिए इन्होंने कभी कोई चुनाव हारा नहीं !क्योंकि जिस दल से चुनाव लड़ना होता है उसी के सदस्यों के साथ मिलकर चुनाव लड़ लेते हैं वास्तव में बड़े हिम्मती हैं ये लोग !बधाई हो भाई बधाई !आज दिल्ली भाजपा में पत्रकारों से बात करने के लिए आत्मग्लानि गरते मूल भाजपाई लोग सामने आएँ न आएँ किन्तु दूसरी पार्टियों से आए हुए सदस्य हँसते हँसते लपक लेते हैं माइक और बताने लगते हैं भाजपा की संस्कृति सिद्धांत एवं चुनावी रणनीतियाँ !यहाँ तक कि दिल्ली के पार्टी कार्य कर्ताओं के लिए स्वच्छता अभियान और किरन वेदी जी के लिए मुख्य मंत्री पद !दिल्ली भाजपाइयों के लिए पार्टी का यह कैसा इशारा कि हम तुम्हें कुछ नहीं मानते किंतु तुम हमारी मानो ! ऐसी अपेक्षा करना सामान्य साहस की बात नहीं है !
अन्यथा जैसे किरण वेदी वैसे केजरीवाल अन्ना जी के साथ दोनों लोगों ने भ्रष्टाचार का विरोध किया था !
15 फरवरी को कार्यकर्ताओं लूंगा CM की शपथः केजरीवाल
किंतु
उस समय राजगद्दी कैसे जो त्यागपत्र का है मुहूर्त।
संकेत समय का साफ साफ समझो प्यारे यह स्वतः स्फूर्त ॥
पिछले वर्ष
शास्त्रसम्मत बाबाओं एवं संविधान सम्मत नेताओं की पवित्र प्रजाति समाप्त होने की कगार पर है !बाबा हों या नेता जो पकड़े जाएँ वो दोषी जो न पकड़े जाएँ वे निर्दोष !
जिस पार्टी की सरकार हो उससे जुड़े नेता हों या बाबा सभी निर्दोष और सभी को सिक्योरिटी और जो विरोधी पार्टी के नेता हों या बाबा उनको जेल या फिर इसी प्रकार का कुछ और !जिनकी सरकार न हो उन्हें जेल या फिर उनकी पिटाई ! जो न नेता हों और न बाबा वो बेचारे कहाँ जाएँ !उनकी कौन सुने वो किसे बताएँ अपना दुःख दर्द ! नेता पिटने लगते हैं तो रैलियाँ करते हैं और बाबा पिटते हैं तो रैलियाँ करते हैं एक मंथन शिविर लगाते हैं तो दूसरे सत्संग शिविर ।
नेता और बाबा !
नेता इस लोक के सपने दिखाते हैं बाबा उस लोक के ! दोनों यहाँ वहाँ का भय देकर धमकाते हैं जबकि लक्ष्य दोनों का अपने लिए सुख सुविधाएँ इकठ्ठा करना होता है जनता कैसे किस पर करे भरोस !
नेता और बाबा !
नेता इस लोक के सपने दिखाते हैं बाबा उस लोक के ! दोनों यहाँ वहाँ का भय देकर धमकाते हैं जबकि लक्ष्य दोनों का अपने लिए सुख सुविधाएँ इकठ्ठा करना होता है जनता कैसे किस पर करे भरोस !
अब जबसे परेशान इसके बाद
यहाँ
संपत्ति बली बाबाओं एवं संपत्ति बली नेताओं की सिक्योरिटी का खर्च देश क्यों उठावे ?
बाबाओं के संपर्क से नेता ईमानदार दिखने लगते हैं और नेताओं के संपर्क से बाबा सोर्सफुल दिखने लगते हैं !
इस सोर्स के बल पर बाबा लोग वो सारे दुष्कर्म करते हैं जिनकी शास्त्रीय संत संविधान में निंदा की गई है बड़े बड़े अपराधों को अंजाम देने के बाद भी उन पर पुलिस प्रशासन जल्दी जल्दी हाथ नहीं डालता है उन नेताओं की इसके बाद भी
बाबा जिस नेता से संपर्क रखते हैं जिसके साथ उठते बैठते हैं जिस नेता के यहाँ आते जाते हैं जिस नेता की प्रशंसा करते हैं ऐसे नेता कितना भी भ्रष्टाचार करते रहें उन पर एक सीमा तक कोई संदेह नहीं करता कि ये भी भ्रष्टाचारी होंगें अर्थात उन पर ईमानदारी का ठप्पा सा लग जाता है इसके बाद जनता का ध्यान उधर से हट जाता है इसी ईमानदारी की आड़ में फिर ऐसे नेता लोग वो सबकुछ कर लेते हैं जिसे संविधान सम्मत नहीं कहा जा सकता !
आज बाबा लोग स्वयं धर्म शास्त्रों के विरुद्ध आचरण अर्थात पाप कर रहे हैं वो किसी और को क्या शिक्षा देंगे !
जो बाबा लोग पकड़े जा रहे हैं वहाँ वहाँ सेक्स सामग्री जरूर मिल रही है एवं उनके धनसंग्रह के स्रोत छल फरेब धोखाधड़ी अादि के समुद्र हैं !
आज नेता लोग स्वयं संविधान के विरुद्ध आचरण अर्थात अपराध कर रहे हैं वो किसी और को क्या सुरक्षा देंगे ! जो नेता भ्रष्टाचार के किसी भी केस में पकड़े जा रहे हैं वो केवल अपराधी ही नहीं अपितु बड़े बड़े अपराधियों को अभय दान देने वाले निकलते हैं
अन्यथा
साईं बाबा हों या रामपाल बाबा या और कोई बाबा !
इन का कोई भी आचरण धर्म शास्त्रों से मेल नहीं खाता है ये अपने अपने पुजवाने के लिए अपनी अपनी सुविधानुशार अपने धर्म कर्मों का निर्माण करते हैं दोनों कबीर पंथी अर्थात हिन्दू मुस्लिम एकता का ढिंढोरा पीटते हैं ।
साईं बाबा और रामपाल बाबा दोनों के चेले दोनों के पाखण्ड में इस कदर समर्पित होते हैं कि मिनटों में गाली गलौच मारपीट पर उतर जाते हैं । दोनों के अनुयायी दोनों को भगवान बनाकर प्रचारित करते हैं !
साईं बाबा और रामपाल बाबा दोनों के यहाँ झूठ फरेब के द्वारा इकट्ठा की गई संपत्ति का ही बल है उसी के बल पर भंडारा चलता है और जो जो इन बाबाओं का बशीकरणी खीर प्रसाद खाता है वो कहने लगता है कि वास्तव में बाबा बड़े दयालू हैं !बंधुओ !अब समय आ गया है जब ऐसे सभी पाखंडों पर विराम लगाना चाहिए और शास्त्रीय धर्म को ही महत्त्व मिलना चाहिए !
को न मानने वाले थे ,दोनों अपनी
दुर्लभ फिर भी इनके पीछे भगति जनता आचरण
पूज्य संतों एवं शास्त्रों से न जाने किस जन्म की शत्रुता निभा रहे हैं बाबा !
श्रद्धेय देशभक्त नेताओं एवं संविधान
बाबाओं में ईश्वर भक्ति एवं नेताओं में देश भक्ति के संस्कार ही मरते जा रहे हैं !
बाबा धार्मिक भ्रष्टाचार फैला रहे हैं और नेता संवैधानिक भ्रष्टाचार फैला रहे हैं
बाबा संस्कृति का संकट समाप्त करने के लिए विरक्तों के लिए बनी प्राचीन शास्त्रीय परंपराओं को आगे करना होगा कैसे हो ?
खेल !कर के घाल मेल से
को समाप्त
अशास्त्रीय है
साईं बाबा से लेकर रामपाल से समाज हो सावधान
बाबाओं और नेताओं ने मिलजुलकर बर्बाद किया है समाज !अभी भी समय है समाज के सावधान होने का !!!
दिनों दिन दुर्लभ होती जा रही है !
baba
कुछ समय पहले जिन बाबा जी को भारत सरकार
के सम्मानित चार चार मंत्री एयरपोर्ट पर मनाने पहुँचे हों उन्हें उसी
सरकार की पुलिस ने ऐसी पिटाई की कि सलवार कुर्ता पहन कर भागते हुए उन्हें
समाज ने देखा इसके दो एक दिन बाद फिर वो और उनके सहयोगी दोनों ही मीडिया के
सामने रोते हुए प्रकट हुए ! जिनके इस प्रकार के भव्य दर्शन मीडिया के
माध्यम से सारे देश ने किए ! कई दौर की बात करने के बाद भी जब उस समय की
सरकार ने उन्हें सिक्योरिटी नहीं दी होगी जिससे हैरान परेशान होकर वो सारे
देश में उनकी निंदा करते घूमते रहे फिर विरोधी पार्टी से ऐसी कुछ हुई होगी
उनकी डील तो उसके पक्ष में भाषण भूषण तो कम देते रहे किन्तु उस पार्टी की
निंदा अधिक करते रहे जिसने उन्हें सिक्योरिटी नहीं दी ! इसके बाद सत्ता
परिवर्तन हुआ और सरकार ने उन्हें उनकी अभिलाषा के अनुशार सुरक्षा देकर पीछा
छोड़ाया तब जाके बाबा जी कहीं शांत हुए अन्यथा न जाने कब देने लगते गाली
!खैर उनकी आत्मा को शांति मिली देश भी खुश और समाज भी खुश उनके अनुयायी भी
खुश और वो तो खुश हैं ही ताम झाम जो बन गया है !ठीक भी है मेहनत का फल तो
मिलना ही चाहिए !वैसे भी जिसके पास इतनी संपत्ति होती है उससे ईर्ष्या
करने वाले लोग भी होते ही हैं और इस अकूत संपत्ति के संग्रह में हो सकता है
कि कुछ भले पुरुषों के साथ अन्याय भी हुआ हो! अगर मन के किसी कोने में
बाबा जी को उन गुप्त शत्रुओं का भय भी रहा हो तो समाज को क्या पता !किन्तु
ऐसे किसी भी उद्योगपति की सुरक्षा का खर्च देश क्यों बहन करे वो भी तब
जबकि उन्हें जनता ने बहुत सारा धन स्वयं ही दे रखा है उसी से करवानी चाहिए
अपनी सुरक्षा !
Wednesday, 26 November 2014
हे सर्वश्रेष्ठ मोदी जी !बड़ी बड़ी योजनाएँ बनाने की अपेक्षा खोजे जाएँ लोक जीवन की दैनिक समस्याओं के समाधान !
भारत वर्ष में स्वच्छता अभियान के सूत्रधार प्रधानमंत्री मोदी जी !सरकार से अब न कोई आश्वासन चाहिए और न ही उपकार केवल लोक जीवन की दैनिक समस्याओं का समाधान करे सरकार !लोगों की शंकाएँ समाधान के बिना अधूरी हैं इसलिए सरकार लोगों की व्यवहारिक कठिनाइयों को भी समझे !
भारत वर्ष से गन्दगी हटाकर देश को स्वच्छ करने के महान संकल्प पर स्वदेश से लेकर विदेश तक भाषण करने वाले मोदी जी !स्वच्छता पर भाषण खूब हो रहे हैं बड़े बड़े लोगों को झाड़ू पकड़वाने में आपने सफलता हासिल की है इसमें कोई संदेह नहीं है और इसकी आवश्यकता भी है !किंतु आपका ध्यान इस ओर भी दिलाना चाहेंगे -
प्रधानमंत्री जी!किसी के मरने या मार दिए जाने के बाद मीडिया से लेकर मंत्री तक मातम मनाने पहुँचने से अच्छा है कि ऐसे लोगों का जीवन बचाया जाए !
प्रधानमंत्री जी!यदि कोई व्यक्ति किसी ऐसे उत्पीड़न का शिकार हो जिससे उसकी या उसके परिजनों की निजी जिंदगी खतरे में पड़ने की संभावना हो जिससे बचाव के लिए वह अपनी पहुँच के नेता और अफसरों के पास अपनी प्रार्थना ले जाकर थक गया हो किन्तु कोई उसकी पीड़ा समझने को तैयार न हो ऐसी परिस्थिति में उसे कहाँ जाना चाहिए किससे मिलना चाहिए किससे मदद माँगनी चाहिए ? क्योंकि ऐसे निराश हताश लोग या तो अपने शत्रुओं के द्वारा मार दिए जाते हैं या स्वयं मर जाते हैं इसके बाद मीडिया से लेकर मंत्री तक मातम मनाने उसके यहाँ पहुँचते हैं जब वो कुछ कहने लायक ही नहीं रह जाता है ?इसलिए यदि संभव हो तो उसके जीवित रहते ही कुछ ऐसी सुविधा उपलब्ध कराई जाए जिससे उसका बहुमूल्य जीवन बचाया जा सके !
प्रायः ऐसे पीड़ित वर्ग का शोषण किसी संपन्न ,सक्षम वर्ग, नेता ,अफसर, पत्रकार वकील,पुलिस या ऐसे ही और दबंग लोगों के द्वारा हो रहा होता है जिसने अपने धन और धमक के बल पर कम से कम अपने जिले के अधिकारियों कर्मचारियों को धमका रखा होता है इसीलिए उसके विरुद्ध न कोई कार्यवाही हो पाती है और न कोई जाँच !फिर भी ऊपर से अधिक दबाव यदि जाँच के लिए पड़ा भी तो जाँच की रिपोर्ट उस दबंग व्यक्ति की इच्छानुशार बनाई जाती है ! हे मोदी जी ! ऐसी परिस्थिति में उस पीड़ित पुरुष को आपके लाए हुए अच्छे दिनों का लाभ कैसे मिले इसके विषय में आप की निकट भविष्य में क्या कोई योजना है और है तो क्या ?
हे प्रधानमंत्री मोदी जी ! आम व्यक्ति जब अपने पास पड़ोस के स्वाभाविक दबंगों अर्थात नेताओं ,पुलिसवालों ,अफसरों वकीलों, पत्रकारों एवं धनबलियों जैसे सभी प्रकार के सोर्स सिफारिसों से लैस लोगों के द्वारा प्रताड़ित किया जाता है तो अपनी पीड़ा वो किससे कहे ? ऐसे लोगों को नियंत्रित करने के लिए क्या कुछ करेंगे आप ? जिससे ये अपने आस पास पड़ोस के आम लोगों को भी चैन से जी लेने दें और यदि ये लोग ऐसा नहीं करते हैं तो ऐसे लोगों के लिए आप क्या कुछ करेंगे और आम आदमी को अपने बचाव के लिए क्या कुछ करना चाहिए !और उसका सहयोग सरकार किस प्रकार से करेगी ?
हे प्रधानमंत्री मोदी जी ! जब कोई आम आदमी ऐसे स्वाभाविक दबंगों के विरुद्ध कहीं कोई शिकायत करने जाता है तो वो सरकारी अधिकारी कर्मचारी शिकायतकर्ता से लिखित शिकायत लेते हैं और वह शिकायत पत्र लेकर उन लोगों को दिखाते हैं जिनके विरुद्ध उसने शिकायत की होती है क्योंकि ऐसे दबंग लोगों से दबंगई करने का महीना सप्ताह आदि कुछ कुछ बँधा होता है जिसके बदले में ऐसे अधिकारी कर्मचारी उन्हें ये सेवाएँ प्रदान करते रहते हैं । यह शिकायत पत्र उस दबंग के हाथ पड़ते ही शिकायत कर्ता को सबक सिखाने के लिए वो कुछ भी कर बैठता है !वह सारी पीड़ा शिकायतकर्ता एवं उसके परिवार को अकेले सहनी पड़ती है जबकि उसकी शिकायत भ्रष्टाचार एवं दबंगई के विरुद्ध थी !प्रधानमंत्री जी ! ऐसे समाज शोधकों की आवाज आप तक या अापके द्वारा नियुक्त किए गए विश्वसनीय लोगों तक कैसे पहुँचाई जाए
मान्यवर मोदी जी ! आप सहृदय प्रधानमंत्री हैं इसलिए आपसे आशा भी है कि आप इस ओर भी जरूर कुछ ध्यान देंगे और कोई ऐसा हेल्प लाइन नंबर उपलब्ध करवाएँगे जहाँ ऐसे लोग किसी भी विभाग की शिकायत कर सकें और उसकी किसी समस्या का उचित एवं संवैधानिक समाधान करने की जवाबदेही हो सके !
श्रीमान मोदी जी ! आपके अच्छे दिन तो आ गए किन्तु कब और कैसे आएँगे जनता के अच्छे दिन ?
मोदी जी! सरकार की योजनाएँ सरकारी कर्मचारियों के आधीन हैं किंतु उन्हें काम करने की अब आदत नहीं रही है इसलिए यदि कर्मचारी ही लापरवाह हों तो आखिर इन योजनाओं के लिए काम कौन करेगा और कैसे आएँगे अच्छे दिन ?
श्रीमान
मोदी जी !जैसा कि सबको पता है कि सरकारी कर्मचारियों का बेतन तो सरकार देती
है जबकि उन्हें काम आम जनता का करना होता है किंतु आम लोग तो उन्हें सैलरी
देते नहीं है फिर ऐसे कर्मचारी उनकी बात क्यों सुनें ? जनता भी अपना काम
उनसे किस हक़ या हनक से करवावे ! वो लोग काम करें या न करें पूर्ण
रूप से स्वतंत्र होते हैं अब उनसे जिनको काम लेना है वे या तो उनसे हाथ पैर जोड़
कर अपना जरूरी काम करवावें या फिर घूस देकर !
इसके अलावा चूँकि सरकार उनको
सैलरी देती है इसलिए सरकार में सम्मिलित लोगों की और अपने से बड़े अफसरों की
बात सुनना तो उन बेचारे कर्मचारियों की मजबूरी है क्योंकि वो अफसर उन पर कार्यवाही कर सकते हैं
इसलिए उन अफसरों की आव भगत तो वो लोग किया करते हैं किन्तु आम जनता के हाथ
में काम कराने के लिए घूस देने के अलावा ऐसे कोई अधिकार नहीं होते इसलिए
सरकारी कर्मचारी उनकी बात सुनते ही नहीं हैं ।
मित्रो !हर विभाग में सरकार तो जा नहीं सकती, रही बात अफसरों की तो सरकारी तो वो भी हैं इसलिए वातानुकूलित कमरों से निकलकर बाहर वो
क्यों जाएँ आखिर उनका क्या लाभ है !
इसीलिए जो काम जितना अच्छा आठ दस हजार रूपए सैलरी देकर एक आम
आदमी अपने कर्मचारियों से करवा लेता है वो काम पचास हजार से लेकर एक लाख का
बेतन देकर भी सरकार नहीं करवा पाती है आखिर क्यों ? या यूँ कह लिया जाए कि
कई विभागों में जिस काम को करने की सैलरी तो सरकारी कर्मचारी लेते हैं किन्तु उन्हीं विभागों
का वही काम करते प्राइवेट कर्मचारी हैं !
सरकार एवं सरकारी कर्मचारी एवं सरकारी स्कूलों के लोग अपने बच्चे
प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाते हैं आखिर क्यों ?इसका सीधा सा अर्थ है कि
उन्हें सरकारी स्कूलों के काम काज पर भरोसा नहीं होता है और सरकारी
कर्मचारी अपनी इस अकर्मण्यता को आभूषण मानते हैं !अन्यथा उन्होंने अब तक
कुछ तो सुधार किया होता !
इसी
प्रकार से सरकारी चिकित्सा पद्धति पर लोग भरोसा नहीं करते हैं चिकित्सा के लिए प्राइवेट
नरसिंग होम में जाते हैं ! सरकारी फोनों पर भरोसा नहीं करते हैं प्राइवेट
कंपनी के फोन रखते हैं यही डाक का हाल है पोस्ट आफिस की अपेक्षा कोरियर पर
विश्वास अधिक करते हैं ।
इसप्रकार से सरकारी काम काज की पद्धति से तंग आकर शिक्षा ,चिकित्सा ,डाक,फोन आदि कई और भी विभागों से जुड़े काम इन्हीं विभागों से सम्बंधित प्राइवेट लोगों
या कंपनियों से जनता करवा रही है इस प्रकार से अपनी सेवाओं के द्वारा आम
लोगों का विश्वास सरकारी कर्मचारी न जीत पा रहे हैं और न जीतने का प्रयास
ही कर रहे हैं और यदि सरकारी काम काज का यही हाल है तो प्राइवेट विकल्प से
विहीन पुलिस जैसे विभागों से असंतुष्ट जनता अपनी पीड़ा किससे कहे ? आज पुलिस
से निराश लोग अपराधियों के संरक्षण में जीवन यापन करने पर मजबूर हो रहे हैं वो
अपराधी या दबंग वर्ग उन्हें अभय दान दे रहा है और उनसे मासिक या साप्ताहिक वसूली कर रहा है । सरकार एवं सरकारी कर्मचारियों की ऐसी ही लापरवाही से
दबंग वर्ग कालांतर में अलगाववादी उग्रवादी नक्सली आदि तो नहीं बन जाता है
!अन्यथा उनके पास इतना धन कहाँ से आता है और क्यों मिलता जाता है भारी भरकम जन समर्थन ?
Tuesday, 25 November 2014
बाबाओं को केवल तीन लोग बर्बाद करते हैं ! "मंत्री,महात्मा और मीडिया
बंधुओ !बाबाओं का राजनैतिकबर्चस्व,अकूतसंपत्ति, आश्रमों का आतंक और मिनिस्टर,मनीलेंडर और मीडिया
महिलाओं का यौन शोषण बाबा के कमांडो किया करते थे।रामपाल के ‘सतलोक’ में गर्भपात का गोरखधंधा -amar ujaala
"रामपाल जिस महिला को पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद देता था उसकी अल्ट्रासाउंड से जांच आश्रम में ही करवाई जाती थी। जांच में यदि किसी महिला के गर्भ में कन्या भ्रूण होता था तो उसका गर्भपात करवा दिया जाता था और रामपाल कहता था कि अभी तुम्हारा समय सही नहीं है। तुम्हें एक बार और आशीर्वाद लेना पड़ेगा।"
"जिनके दो से तीन बेटियां थीं। वह बाबा के पास इसी आस में आते थे कि बाबा उन्हें पुत्र प्राप्ति का वरदान देंगे। दिल्ली निवासी अनुयायी ने बताया कि कई बार नए जोड़े भी बाबा के आश्रम में पहुंचते थे। किसी कारण से बच्चा न होने की परेशानी वह रामपाल को बताते थे। ऐसी महिलाओं का बाबा के कमांडो ही यौन शोषण करते थे।"
"सतलोक आश्रम के अस्पताल में पिछले दो तीन दिनों से लगातार प्रिग्नेंसी टेस्ट किट, सेक्स वर्द्धक दवाइयां, महिलाओं से संबंधित कुछ बेनामी दवाइयां बरामद हो रही हैं। सोमवार को भी आश्रम से प्रिग्नेंसी टेस्ट की किटें बरामद हुई हैं। इसके साथ ही अस्पताल में बिना लाइसेंस के लगी अल्ट्रासाउंड मशीन भ्रूण जांच और गर्भपात के धंधे की ओर इशारा कर रही है।'
धर्म निरपेक्षता की पहचान -
यदि आप हिंदूधर्म,हिन्दू धर्मशास्त्रों एवं हिंदूपरंपराओं का उपहास उड़ाते हैं, इनकी निंदा करते हैं इनसे घृणा करते हैं तो आप धर्म निरपेक्ष हैं !
सांप्रदायिकता की पहचान-यदि आप हिंदूधर्म,हिन्दू धर्मशास्त्रों एवं हिंदूपरंपराओं का उपहास नहीं उड़ाते हैं, इनकी निंदा नहीं करते हैं और इनसे घृणा नहीं करते हैं तो आप सांप्रदायिक हैं !अंधविश्वास -यदि आप भारत के प्राचीन ज्ञान विज्ञान पर आस्था रखते हैं ,भारत के प्राचीन संस्कारों के मूल्यों काहमसे ज्योतिष संबंधी परामर्श के लिए सुविधाएँ -
बंधुओ ! ज्योतिषशास्त्र के विषय में सही एवं शास्त्रीय सलाह देना हमारा कर्तव्य है इसलिए आपसे निवेदन है कि कम्प्यूटर से बनी हुई जन्मपत्री का आधार गलत होने के कारण उसके आधार पर भविष्य नहीं बताया जा सकता है इस लिए ज्योतिष के विद्वान लोग कम्प्यूटराइज्ड कुंडली पर पूर्ण भरोसा कम करते हैं ! पंचांग पद्धति से बनी कुंडली ही विश्वसनीय मानते हैं वैसे जिनके पास जन्मपत्री न हो ऐसे लोग प्रश्नकुंडली भी दिखा सकते हैं।
किसी के भविष्य के अच्छे बुरे समयों की खोज करने के लिए कुंडली तो चाहिए ही और वो भी बिलकुल सही ! सही कुंडली विद्वान लोग बना सकते हैं विद्वान लोग दो तरह से पहचाने जा सकते हैं पहली बात जिनके विषय में आपका अनुभव ठीक हो या फिर किसी अच्छे विश्व विद्यालय से ज्योतिष सब्जेक्ट लेकर एम.ए.पी.एच.डी.आदि तक पढ़ाई की हो !
बंधुओ ! ज्योतिष,वास्तु,कुंडली, नग नगीना यंत्र तंत्र ताबीज आदि धर्म एवं धर्म शास्त्र से जुड़े सभी क्षेत्रों में उनकी सच्चाई समझने एवं ज्योतिष शास्त्र के नाम पर भी आजकल जो कुछ भी चल रहा है उसमें क्या सच है और क्या झूठ ! आदि सब कुछ समझने के लिए पढ़िए हमारा ब्लॉग 'ज्योतिष विज्ञान अनुसंधान'see more.... http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2014/11/blog-post_24.html
बंधुओ!अपने एवं अपने परिवार से जुड़े किसी भी विषय में ज्योतिषीय परामर्श के लिए किसी विद्वान ज्योतिष वैज्ञानिक की खोज में यदि आप भी हैं तो देखिए हमारा यहलिंक उपयोगिता - -http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/p/blog-page_10.html
Monday, 24 November 2014
स्मृति ईरानी के राष्ट्रपति बनने सम्बन्धी भविष्यवाणी का ज्योतिषीय आधार आखिर क्या है ?
स्मृति ईरानी के राष्ट्रपति बनने सम्बन्धी भविष्यवाणी का ज्योतिषीय आधार आखिर क्या है ?
किसी ज्योतिषी के पास कोई नेता पहुँच जाए तो इतना हो हल्ला क्यों मच जाता है ?ज्योतिषी अछूत होते हैं क्या ?ज्योतिष से यदि अंधविश्वास फैलता है तो सरकार अपने संस्कृत विश्व विद्यालयों में पढ़वाने के लिए इतनी भारी धनराशि क्यों खर्च करती है ?जहाँ तक स्मृति ईरानी जी के विषय में उस ज्योतिषी का यह कहना कि वे भविष्य में राष्ट्रपति बनेंगी यह शुभ कामना हो सकता है कि साकार हो भी जाए किन्तु इतनी बात विश्वास से कही जा सकती है कि ऐसी बातों का ज्योतिष शास्त्र से दूर दूर तक कोई सम्बन्ध नहीं है फिर भी यदि कोई व्यक्ति अपनी ऐसी बातों का सम्बन्ध ज्योतिष शास्त्र से जोड़ना चाहे तो किसी भी मंच पर शास्त्रार्थ किया जा सकता है और यदि इस बात का ज्योतिष से कोई सम्बन्ध नहीं है वो कहते हैं की हमारी निजी बात है तो उसमें हमें कोई आपत्ति नहीं है ! वैसे ज्योतिष और ज्योतिषियों की सच्चाई समझना सरकार एवं समाज के लिए बहुत जरूरी है !ज्योतिष शास्त्र को अच्छे ढंग से समझने के लिए पढ़िए हमारे ये लेख - बंधुओ ! ज्योतिष शास्त्र बहुत सक्षम विज्ञान है यह जीवन के कई क्षेत्रों में उतनी बड़ी मदद कर सकता है जितना कहीं और से संभव न हो !ज्योतिष शास्त्र जैसी अत्यंत महत्वपूर्ण एवं उपयोगी विधा की उपेक्षा करना हानि कारक है और इसके प्रति अंधश्रद्धा रखना सबसे अधिक खतरनाक है !इसलिए पहले ज्योतिष एवं ज्योतिषियों के प्रभाव को पढ़िए और समझिए साथ ही यह भी जानिए कि आपके see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2014/11/blog-post_24.html
किसी ज्योतिषी के पास कोई नेता पहुँच जाए तो इतना हो हल्ला क्यों मच जाता है ?ज्योतिषी अछूत होते हैं क्या ?ज्योतिष से यदि अंधविश्वास फैलता है तो सरकार अपने संस्कृत विश्व विद्यालयों में पढ़वाने के लिए इतनी भारी धनराशि क्यों खर्च करती है ?जहाँ तक स्मृति ईरानी जी के विषय में उस ज्योतिषी का यह कहना कि वे भविष्य में राष्ट्रपति बनेंगी यह शुभ कामना हो सकता है कि साकार हो भी जाए किन्तु इतनी बात विश्वास से कही जा सकती है कि ऐसी बातों का ज्योतिष शास्त्र से दूर दूर तक कोई सम्बन्ध नहीं है फिर भी यदि कोई व्यक्ति अपनी ऐसी बातों का सम्बन्ध ज्योतिष शास्त्र से जोड़ना चाहे तो किसी भी मंच पर शास्त्रार्थ किया जा सकता है और यदि इस बात का ज्योतिष से कोई सम्बन्ध नहीं है वो कहते हैं की हमारी निजी बात है तो उसमें हमें कोई आपत्ति नहीं है ! वैसे ज्योतिष और ज्योतिषियों की सच्चाई समझना सरकार एवं समाज के लिए बहुत जरूरी है !ज्योतिष शास्त्र को अच्छे ढंग से समझने के लिए पढ़िए हमारे ये लेख - बंधुओ ! ज्योतिष शास्त्र बहुत सक्षम विज्ञान है यह जीवन के कई क्षेत्रों में उतनी बड़ी मदद कर सकता है जितना कहीं और से संभव न हो !ज्योतिष शास्त्र जैसी अत्यंत महत्वपूर्ण एवं उपयोगी विधा की उपेक्षा करना हानि कारक है और इसके प्रति अंधश्रद्धा रखना सबसे अधिक खतरनाक है !इसलिए पहले ज्योतिष एवं ज्योतिषियों के प्रभाव को पढ़िए और समझिए साथ ही यह भी जानिए कि आपके see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2014/11/blog-post_24.html
भारत सरकार इतनी उदार ! कि सरकार आने के कुछ महीने पहले ही देश को बता दिया गया कि अच्छे दिन आने वाले हैं किंतु कब और कैसे ये दोनों प्रश्न लोगों के मन में कौतूहल पैदा कर रहे हैं आम समाज को आज तक ऐसा कोई हेल्प लाइन नंबर नहीं मिला जिसमें वो अपनी परेशानी बतावे और उस पर कार्यवाही हो और यदि कार्यवाही हो तो भ्रष्टाचारियों में भय भी होगा स्वाभाविक है किन्तु अभी तो बिलकुल उल्टा चल रहा है अभी अपने आस पास हो रहे किसी गलत काम की सूचना यदि कोई सरकार को मुहैया कराना चाहे तो चूँकि लगभग हर गलत काम उस विभाग के सरकारी कर्मचरियों के संरक्षण या जानकारी में चल रहा होता है जिसे वो सह रहे होते हैं -
इस धैर्य के लिए उन्हें धन मिलता है !
रोकने के लिए कोई कहीं शिकायत तो नहीं कर रहा है उसके नाम पता समेत सके विषय में कोई कार्यवाही तो नहीं
see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/03/mcd.html
Sunday, 23 November 2014
श्री राम मंदिर निर्माण से सम्बंधित भविष्यवाणी कहीं झूठ न हो जाए !
श्री राम मंदिर निर्माण मिल जुल कर प्राथमिकता पूर्वक अभी निकाल लेना चाहिए समाधान !फिर कहीं देर न हो जाए !
बंधुओ ! पिछले वर्ष यह ज्योतिषीय भविष्यवाणी यह सोचकर की गई थी कि 19.6.2014 से 14.7.2015 तक श्री राम मंदिर निर्माण के लिए अत्यंत उत्तम ग्रहयोग है अर्थात इस समय मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त होगा । इस पर आज कुछ लोगों का इस विषय में हमारे शास्त्रीय विचारों पर शंका करना स्वाभाविक ही है । बंधुओ! हमारी उस भविष्य वाणी का आधार ग्रहों की उत्तमता से लेना चाहिए हमारा अभिप्राय था कि जो भारतीय जनता पार्टी श्री राम मंदिर बनवाना चाहती थी 2014 के चुनावों में उसकी विजय होगी इसलिए वह मंदिर बनवा देगी !बंधुओ !ग्रहयोग के प्रभाव से भाजपा की पूर्ण बहुमत से सरकार तो बनी किंतु उसके द्वारा श्री राम मंदिर बनाने के सम्बंध में अभी तक कोई कार्य योजना समाज़ के सामने नहीं आ पाई है! हो सकता है कि भाजपा के लोग इस विषय में कुछ बहुत अच्छा सोच रहे हों किन्तु कहीं ऐसा न हो कि सोचते सोचते ही वह महत्वपूर्ण समय निकल जाए ! क्योंकि यह इतना अच्छा समय 14.7.2015 तक ही है ।
ज्योतिष शास्त्र के अनुशार यह एक वर्ष का समय है जब समाज सुखी प्रसन्न एवं सतोगुणी होता है इसीलिए भ्रष्टाचार पापाचार सभी प्रकार के पाखण्ड एवं पाखंडियों के विरुद्ध समाज सरकार एवं प्रशासन स्वयं उठ खड़ा होता है इस समय ऐसे ही दलों की सरकारें बनती हैं जो ईमानदारी पूर्वक देश एवं समाज के हित में कुछ अच्छे कार्य करना चाहती हैं इसलिए इस समय विजयी होने वाले दलों को इस विजय का श्रेय स्वयं न लेकर समय की बलवत्ता को देना चाहिए अन्यथा आज के चार वर्ष बाद ग्रहों की चाल बदल चुकी होगी समय प्रभाव से परिस्थितियाँ भी स्वयमेव बदलती चली जाएँगी प्राकृतिक प्रकोप बढ़ेंगे जिससे वस्तुओं का अभाव होगा उस अभाव से समाज में आक्रोश एवं वैचारिक विषैलापन पैदा होगा ,परोक्ष रूप से जिसका सामना वर्तमान सरकार को ही करना होगा क्योंकि वही सत्ता में है उससे बचाव के प्रयास सरकार को अभी से करने चाहिए और जनता को जो आश्वासन एवं विश्वास देकर पार्टी सत्ता में आई है उसे न केवल पूरा करे अपितु पूरा करते दिखाई भी दे ताकि चार वर्ष बाद आने वाले प्रतिकूल समय में अभी के किए गए पवित्र आचरण उस समय उसकी ढाल बन सकें !
रही बात श्री राम मंदिर बनाने की तो यह सतोगुणी समय श्री राममंदिर निर्माण के लिए अभी सर्वोत्तम है इस समय इस दिशा में किए गए अल्प प्रयासों का आशा से अधिक परिणाम निकलेगा और शान्ति पूर्ण प्रयास भी सफल होंगें तथा श्री राम मंदिर निर्माण का कोई सर्वस्वीकृत मार्ग इस समय प्रशस्त हो सकता है यदि श्री राजनाथ सिंह जी को आगे करके कोई पहल न की जाए तो और अधिक आसान होगा !
बंधुओ ! श्री राम मंदिर निर्माण की दिशा में सहयोगी यह समय (19.6.2014 से 14.7.2015तक)किसी कारण से अभी यदि निकल जाता है तो इस विषय में सहयोगी ऐसा उत्तम समय दस बारह वर्षों बाद फिर आएगा तब तक इस दिशा में की गई किसी भी पहल का सार्थक समाधान निकल पाना कठिन होगा ऐसी परिस्थिति में इस दृष्टि से खाली हाथों ही अगले लोकसभा चुनावों का सामना वर्तमान सरकारी पार्टी को करना होगा जहाँ, विरोधी पार्टियाँ ये कमजोर बातें जनता को बार बार याद दिलाएँगी और जनता उन बातों पर विश्वास भी करेगी !क्योंकि समाज का चिंतन उस साय उतना सात्विक नहीं होगा इसलिए सरकार के द्वारा तब तक किए गए परिश्रम पूर्ण विकास कार्यों की चमक जनता के मानस पटल पर तब तक धूमिल पड़ने लगेगी !तब इस विषय में जनता को अपनी कोई भी मजबूरी समझा पाना कठिन होगा !
मित्रो ! श्री राम मंदिर निर्माण के विषय में लगभग एक वर्ष पहले की गई उस भविष्य वाणी को पढ़ने के लिए यह लिंक देखें -http://snvajpayee.blogspot.in/2013/02/blog-post_4187.html
Friday, 21 November 2014
'बाबा रामपाल 'की गिरफ़्तारी के ढंग से हमें तो नहीं लगता कि दाऊद जैसों को पकड़ पाना हमारे लिए आसान होगा !
बंधुओ ! अमेरिका से हम कितना पीछे हैं ? ओसामा बिन लादेन और बाबा रामपाल !
एक ओर विश्व के मोस्टवांटेड आतंकवादी ओसामा को समुद्र पार करके किसी दूसरे देश से उठा ले जाना और उस देश को पता भी न लगने देना, एक चिड़िया तक न मरने देना !अपनी सारी रणनीति को गुप्त रख लेना ! वहीँ दूसरी ओर भारत में घोषित बाबा रामपाल अपने घोषित आवास में अपनों के साथ स्वाभाविक रूप से रह रहा था, वहाँ वो अपनी सहज प्रक्रिया के तहत लोगों की बड़ी संख्या के साथ साथ बड़े हथियार इकठ्ठा करता रहा 15 दिनों तक शोर मचा रहा विश्व का सारा मीडिया देखता रहा कि हम कितने काबिल हैं हमारे पत्रकारों की पिटाई हुई बड़ी संख्या में हमारे पुलिस के जवान जख्मी हुए कुछ मौतें भी हुईं तब हम पकड़ पाए अपने एक बाबा को !जहाँ केंद्र से लेकर प्रान्त तक एक ही पार्टी की सक्षम सरकार है !आखिर किसी ऐसी विधा पर विचार क्यों नहीं किया जा सका जिससे बिना इतना शोर शराबा किए एवं अपने नागरिकों को सुरक्षित रखते हुए और पकड़ कर समय से कोर्ट के सामने उपस्थित कर पाते उस विवादित बाबा को !
अब तो लोग कहने लगे हैं कि बातों में भले हम अमेरिका जैसे देशों से आगे हों ,भीड़ जूता कर अपनोंके बीच बड़ी बड़ी बातें कर लें अपनी पीठ थपथपाने को हमें कौन रोक सकता है ईश्वर ने हमें मुख दिया है किन्तु काम में हम कितने सुस्त एवं अदूरदर्शी हैं ये दुनियां देख कर हम पर क्या हँस नहीं रही होगी!
Wednesday, 19 November 2014
आश्रमों ,संतों एवं शास्त्रों की मर्यादा की रक्षा के लिए शास्त्रीय संत आगे आएँ !
नेताओं , भोगियों ,भिखारियों और व्यापारियों को संत एवं उनके कार्यस्थलों को आश्रम न कहा जाए ! मीडिया भी निभाए इतनी भूमिका !ऐसे लोग संत वेष में ही क्यों न हों तो भी उनके साथ आम जनता जैसा व्यवहार ही होना चाहिए !
संतों के वेष में छिपे नेता लोग -
नेतागिरी करने की उत्कट इच्छा को पूरा करने के लिए कुछ लोग बाया सधुअई नेता बनते हैं अर्थात पहले साधू बनकर धन संग्रह करते हैं समाज में विश्वास जमाते हैं ऐसा भी कहा जा सकता है कि नेता बनने के लिए सधुअई का इस्तेमाल करते हैं इनके रहन सहन आचार व्यवहार आदि में धर्म कर्म पूजा पाठ आदि के कोई लक्षण नहीं होते हैं । ये धार्मिक बातों की अपेक्षा हमेंशा सामाजिक एवं राजनैतिक बातों विचारों में ही रूचि लेते हैं पूर्व संचित पापों के कारण इनका मन पूजा पाठ में नहीं लगता है ऐसे लोग साधुओं जैसा वेष धारण करके हर समय झूठ साँच धोखा धड़ी आदि व्यवहारों से उतना बच नहीं पाते हैं।
नेता बनने के लिए इन्हें पहले साधू क्यों बनाना पड़ता है ?
सधुअई से एक सबसे बड़ा लाभ ये होता है कि ऐसे लोग साधुवेष में होने के कारण धर्म या समाज के नाम पर कभी भी किसी से भी कुछ भी माँग लेते हैं वो भी ऐसा जो कभी वापस देना न पड़े !दूसरा इस वेष में राजनैतिक दृष्टि से बड़े से बड़े नेता से मिलने पहुँच सकते हैं साधुवेष के प्रति आदर होने के कारण वो मना भी नहीं कर सकते !समाज के इसी साधुवेष पर भरोसे को कैस करते हुए चुनाव भी लड़ लेते हैं और जीत भी जाते हैं !
शंका -इतने सारे प्रपंचों में फँसे हुए मन वाले लोग अपने अपने धर्मों सम्प्रदायों के आत्म संयम इंद्रिय निग्रह जैसे कठोर व्रतों एवं धर्मकर्म का निर्वाह कैसे कर पाते होंगें ये लोग !दूसरा यदि यही सबकुछ करना था तो साधुत्व को सुरक्षित बना रहने देते बाकी जो मन आता सो करते आखिर कौन रोक रहा था ?
संतों में छिपे व्यापारी लोग -
व्यापार करने के लिए धन चाहिए यदि अपने पास धन न हो तो उधार लेकर व्यापार में लगाना पड़ेगा उधार देने वाला कुछ गिरवी रखने के लिए माँगेगा ऊपर से व्याज लेगा और जमा भी लेगा ये निश्चित है किन्तु व्यापार में लाभ ही होगा ये निश्चित नहीं है ऐसे में किसी को वह धन लौटाया कब और कैसे जाएगा और बिना इसकी स्योरिटी के कोई कर्जा क्यों देगा !
ऐसी परिस्थिति में बिना इनसारे झंझटों में पड़े ही एक झटके में सधुअई धारण करके बिना किसी बड़े संसाधन के बड़ा से बड़ा व्यापार फैलाया जा सकता है यदि उस व्यापार में कुछ धर्मकर्म ,स्वदेशी आदि पुट लग जाए तो सोने में सोहागा कहीं तक कितना भी धन बढ़ाते चले जाओ और धन के साथ साथ सारी सुख सुविधाएँ बढ़ती स्वयं चली जाती हैं और धन होने के बाद आप कभी भी कुछ भी बन सकते हैं !
संतों में छिपे भोगी अर्थात कामी लोग -
अच्छी अच्छी स्त्रियों से अमर्यादित रूप से जुड़ने भोगने की भावना पूर्ति को अंजाम देने के लिए बाया सधुअई भी एक रास्ता जाता है सृष्टि का सिद्धांत है कि जो स्त्री सुन्दर होती है उसके पति सुख में बाधा होती है
या सुंदरी सा पतिना विहीना यस्याः पतिः सा बनिता कुरूपा !
ऐसी महिलाएँ अपनी सुंदरता के घमंड में ऐसे होटलनुमा आश्रमों के सहारे अपनी गृहस्थी को चौपट कर लेती हैं और अपने अनुकूल पुरुष की तलाश में कई जगह धोखा खाकर इस संसार से निराश हताश होकर विरक्ति की ओर बढ़ने लगती हैं जिसके लिए वो आश्रमों में चक्कर लगाती हैं वहाँ यदि कोई संत हुआ तो समझा बुझाकर वापस घर लौटा देता है और यदि कोई कामी हुआ तो उसे अपने पास रख लेता है जहाँ उनका वास्तविक शोषण होता है ऐसे प्रकरणों में कई बार संतानें तक होते देखी गई हैं और ऐसी महिलाएँ उस होटलनुमा आश्रम में आने जाने वालों के लिए रौनक भर बन कर रह जाती हैं ! जहाँ सुख सुविधाओं के नाम पर उन्हें मिलता तो सबकुछ है किन्तु सब कुछ गँवा कर !ऐसी महिलाएँ देखने में तो बहुत खुश होती हैं किन्तु उनकी अंतर्पीड़ा असह्य होती है और भयंकर पश्चाताप से जूझ रही होती हैं वे !ऐसी महिलाओं का जमावड़ा जैसे जैसे वहाँ बढ़ने लगता है वैसे वैसे वहाँ आने जाने टिकने ठहरने रहने वाले धनदाताओं की भीड़ें भी बढ़ने लगती हैं इस प्रकार से सबकुछ मिल जुलकर उन होटलनुमा आश्रमों का वातावरण बिलकुल स्वर्ग जैसा दिखाई पड़ता है जहाँ कितने भी कैसे भी कर्म कुकर्म क्यों न हों किन्तु आश्रमनाम सुनते ही शिर श्रद्धा से झुक जाता है ये हम लोगों का अपना संस्कार ही है ।
इस समय आश्रमों और सधुअई की आड़ में बहुत कुछ वो हो रहा है जो घोर निंदनीय है किन्तु कहे कौन बहुत पापप्रिय बाबाओं ने सत्ता में ऐसी जड़ें जमा रखी हैं कि उस प्रभाव से चरित्रवान भले साधू संतों का जीना मुश्किल कर देते हैं और कर्म खुद गलत करते हैं और सिक्योरिटी सरकार से माँगते हैं । संत वेष धारण करके जो लोग व्यापार या राजनीति करते हैं तो बुराई भलाई तो होती ही है कोई किसी की बहन बेटी को छेड़े या किसी को गाली गलौच दे और जब अपनी बारी आवे तो सिक्योरिटी माँगता फिरै ये कैसा साधुत्व ?साधू संत तो जंगल में हिंसक जीव जंतुओं के बीच रहकर भी सुरक्षित होते थे और यदि मर जाएँ तो मर जाएँ किंतु उन्हें मरने का भय नहीं होता था वो चरित्रवान संत होते थे ,वो योगी होते थे उन्होंने योगिक क्रियाओं के द्वारा अपने शरीरों को बज्र बना रखा होता था जिनके शरीरों पर अस्त्र शस्त्रों का असर ही नहीं होता था किंतु वो योगी होते थे आजकल तो हर कोई योगी है जिसे दमा या स्वाँस रोग हो वो तो स्वाभाविक योगी है वो तो सहज प्राणायामी होता है !
जो भी बाबा लोग धर्म कर्म से अलग हटकर सांसारिक प्रपंचों में पड़े हुए हैं या व्यापार धंधे में लगे हुए हैं या धन संग्रह में लगे हुए हैं या सांसारिक सुख सुविधाएँ जुटाने में लगे हुए हैं या या आश्रमों के नाम पर होटलों का निर्माण कर रहे हैं उनका रहना खाना पीना सब कुछ गृहस्थों की तरह ही है जहाँ धर्म कर्म की कोई विशेष गतिविधि दिखाई सुनाई नहीं पड़ती या ये सबकुछ केवल दिखाने सुनाने के लिए होता है बाक़ी अंदर की जिंदगी पूरी तरह धार्मिक गति विधियों से विमुख और व्यापारिक या राजनैतिक गतिविधियों से ओत प्रोत होता है ।ऐसे लोगों को संत कैसे कहा जाए !
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